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गोखले बिल 1911 (Gokhale Bill 1911) / गोखले बिल की प्रमुख विशेषताएं

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गोखले बिल 1911
 

सर्वप्रथम भारत में निशुल्क एवं अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा की मांग को गति देने का कार्य गोपाल कृष्ण गोखले के द्वारा किया गया।


सन् 1906 में बड़ौदा प्रांत के राजा पिया जी राव गायकवार ने बड़ौदा में निशुल्क एवं अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा को लागू कर दिया था और वह इस कार्य में पूरी तरह से सफल हुए इन्हीं से प्रभावित होकर गोखले ने अपनी मांग केंद्रीय धारा सभा में प्रस्तुत किया।


एक वर्ष तक गोखले की आँखें सरकार की गतिविधियों पर लगी रहीं। किन्तु, सरकार ने आश्वासन देकर भी प्राथमिक शिक्षा को निःशुल्क एवं अनिवार्य बनाने की दिशा में एक कदम भी नहीं उठाया। इससे क्रुद्ध एवं क्षुब्ध होकर गोखले ने 16 मार्च, 1911 को 'केन्द्रीय धारा सभा' के समक्ष प्राथमिक शिक्षा सम्बन्धी अपना 'विधेयक' प्रस्तुत करते हुए कहा "इस विधेयक का उद्देश्य देश की प्राथमिक शिक्षा प्रणाली में अनिवार्यता के सिद्धान्त को क्रमशः लागू करना है।"



गोपाल कृष्ण गोखले बिल के सुझाव-


1- 6 वर्ष से लेकर 12 वर्ष तक के आयु वर्ग के बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जाए।


2- प्राथमिक शिक्षा के लिए केंद्र में अलग से शिक्षा विभाग खोला जाए।


3- प्राथमिक शिक्षा के नियंत्रण के लिए सचिव की नियुक्ति की जाए।


4- ₹10 प्रति माह से कम आय वाले अभिभावकों को कोई भी शुल्क देना हो।


5- प्रांतीय एवं स्थानीय सरकारी कुल व्यय का 1:2 भाग स्वयं वहन करेंगे।




6. अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा का अधिनियम केवल उन स्थानीय बोर्डी के क्षेत्रों में लागू किया जाये, जहाँ बालकों एवं बालिकाओं का एक निश्चित प्रतिशत प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर रहा हो। यह प्रतिशत गवर्नर जनरल की कौंसिल द्वारा निश्चित किया जाये।


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7. इस अधिनियम को लागू करने से पूर्व स्थानीय बोर्डों द्वारा सरकार की अनुमत प्राप्त की जाये।


8. इस अधिनियम को स्थानीय बोर्डों द्वारा अपने सम्पूर्ण या किसी निश्चित क्षेत्र में लागू किया जाये ।


9. प्राथमिक शिक्षा के व्यय की पूर्ति करने के लिए स्थानीय बोर्डों को शिक्षा कर लगाने का अधिकार दिया जाये।


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