छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल रायपुर
शैक्षिक सत्र 2021 22 माह सितंबर
असाइनमेंट- 02
कक्षा- बारहवीं
विषय-इतिहास
प्रश्न-1 भक्ति कालीन इतिहास जानने के प्रमुख साधन कौन-कौन से हैं?
उत्तर- भक्ति काल को हिंदी साहित्य का स्वर्ण काल भी कहा जाता है ।कविवर रहीम, तुलसी, जायसी, मीरा, रसखान आदि इसी युग की देन है जिन्होंने भावनाओं से ओत-प्रोत कविताओं आदि के माध्यम से समाज के सम्मुख वैचारिक क्रांति को जन्म दिया दूसरी तरफ राजनैतिक दृष्टि से भक्ति काल का युग व्यवस्था का युग कहा जा सकता है। इस युग में मुख्य रूप से तुगलक वंश से लेकर मुगल वंश के बादशाह शाहजहां के शासन काल तक का समय संकलित है।
निम्नलिखित दो श्रोत हमें भक्ति परंपराओं का इतिहास प्रदान करते हैं:-
1- कवि संतो को दी गई रचनाएं जो उनकी मृत्यु के बाद शिष्यों और भक्तों द्वारा संकलित की गई थी।
2- भक्ति और सूफी परंपराओं के अनुयायियों द्वारा लिखित संतों की आत्मकथाएं।
प्रश्न-2 गुरु नानक देव जी की प्रमुख शिक्षाओं को लिखिए।
उत्तर- गुरु नानक देव जी की प्रमुख शिक्षाएं निम्नलिखित हैं-
1- ईश्वर एक है सदैव एक ही ईश्वर की उपासना करो।
2- ईश्वर सब जगह और प्राणी मात्र में मौजूद है।
3- ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भय नहीं रहता ।
4- ईमानदारी से और मेहनत करके उदर पूर्ति करनी चाहिए।
5- बुरा कर करने के बारे में ना तो सोचो और ना किसी को बताओ।
6- सदैव प्रसन्न रहना चाहिए।
7- ईश्वर से सदा अपने लिए क्षमा मांगनी चाहिए।
8- मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से जरूरतमंद को कुछ देना चाहिए।
9- सभी स्त्री एवं पुरुष बराबर हैं।
10- भोजन शरीर को जिंदा रखने के लिए जरूरी है पर लोभ लालच का संग्रहवृद्धि बुरी है।
प्रश्न-3 पौराणिक हिंदू धर्म जैसे वैष्णव और शैव धर्म के उदय के बारे में विस्तृत लेख लिखिए।
उत्तर- वैष्णोव मत:-
वैष्णव संप्रदाय भगवान विष्णु को मानने वालों का संप्रदाय है। वैष्णो धर्म या वैष्णव संप्रदाय का प्राचीन नाम भागवत धर्म भी है इस संप्रदाय के प्रधान उपास्य देव वासुदेव हैं, जीने ज्ञान शक्ति बलवीर असर और तेज इन गुणों से संपन्न होने के कारण भगवान या भगवत कहा गया है और भगवत के उपासक भागवत कहलाते हैं। वैष्णव के बहुत से उप संप्रदाय हैं जैसे- बैरागी दास, रामानंद ,वल्लभ ,निंबार्क ,माधव ,राधा वल्लभ, सखी आदि।
वैष्णव का मूल रूप आदित्य या सूर्य देव की आराधना में मिलता है।
वैष्णव धर्म या संप्रदाय से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य:-
•वैष्णो धर्म के बारे में सामान जानकारी उपनिषदों से मिलती है इससे का विकास भगवत धर्म में हुआ है।
•वैष्णो धर्म के प्रवर्तक कृष्ण थे जो वृषण कबीले के थे जिन का निवास स्थान मथुरा था।
•कृष्ण का सबसे पहले उल्लेख छांदोग्य उपनिषद में देवकी के बेटे और अंगिरस के शिष्य के रूप में हुआ था।
•शास्त्रों में विष्णु के 24 अवतार माने गए हैं लेकिन मत्स्य पुराण में भगवान विष्णु के 10 अवतार माने जाते हैं।
शैव मत :-
शैव संप्रदाय भगवान शिव को मानने वालों का संप्रदाय हैं
• शैव धर्म का इतिहास एवं महत्वपूर्ण तथ्य:-
ऋग्वेद में शिव के लिए रूद्र नामक देवता का उल्लेख अथर्ववेद में शिव को भव सर्व, पशुपति एवं भूपति कहा गया है। शिवलिंग पूजा का पहला स्पष्ट वर्णन मत्स्य पुराण में मिलता है। महाभारत के अनुशासन पर्व से भी शिवलिंग पूजा का वर्णन मिलता है। शिव की पत्नी के रूप में पदमा, उपमा ,गौरी और भैरवी हैं।
प्रश्न-4 भारत में सूफी मत का विकास कैसे हुआ? सूफी मत की शिक्षाओं का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर- सूफी मत -
इस्लामी रहस्यवाद को ही सूफी धर्म के नाम से जाना जाता है सूफी धर्म इस्लामी रहस्यवाद का ही एक रूप है सूफी शब्द की उत्पत्ति के विषय में विद्वानों में बड़ा मतभेद है कुछ विद्वान इसे ग्रीक शब्द सोफिया अथवा ज्ञान का रूपांतर मानते हैं। इसी प्रकार कुछ विद्वानों ने सफा से सूफी शब्द की उत्पत्ति मानी है।
ऐसे विद्वानों का मानना है कि जो पवित्र थे वह सूफी कहलाए कुछ विद्वानों के अनुसार मदीना में मोहम्मद साहब द्वारा बनाई गई मस्जिद के बाहर अर्थात चबूतरे पर जिन ग्रह इन व्यक्तियों ने शरण ली थी तथा वह पवित्र जीवन बिताते हुए ईश्वर की आराधना में लगे रहते थे वह सुफी कहलाए।
सूफी मत की प्रमुख शिक्षाएं-
1- एकेश्वरवाद- सूफी मताओलंबिओं का विश्वास है कि ईश्वर एक है वह अद्वैतवाद से प्रभावित हैं उनके अनुसार अल्लाह और बंदे में कोई अंतर नहीं है बंदे के माध्यम से ही खुदा तक पहुंचा जा सकता है।
2- भौतिक जीवन का त्याग- वह भौतिक जीवन का त्याग करके ईश्वर में लीन हो जाने का उपदेश देते हैं।
3- शांति और अहिंसा के पक्षधर- वे शांति और अहिंसा में हमेशा विश्वास रखते थे।
4- सहिष्णुता- सूफी धर्म के लोग उदार होते थे वह सभी धर्म के लोगों का सम्मान करते थे।
5- प्रेम सूफी मत के अनुसार प्रेम से ईश्वर प्राप्त हो सकते हैं भक्ति में डूबकर इंसान परमात्मा को प्राप्त करता है।
6- हृदय की शुद्धता पर जोर - सूफी संत ध्यान तीर्थ यात्रा उपवास को आवश्यक मानते थे।
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