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संस्कृत भाषा का महत्व पर संस्कृत निबंध || sanskrit essay on importance of sanskrit language

संस्कृत भाषा का महत्व पर संस्कृत निबंध || sanskrit essay on importance of sanskrit language


संस्कृतभाषायाः महत्त्वम् निबंध // (Importance of Sanskrit Language in Sanskrit)




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नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट   www.Bandana classes.com  पर । आज की पोस्ट में हम आपको "संस्कृत भाषा का महत्व पर संस्कृत निबंध‌ " के बारे में बताएंगे तो इस पोस्ट को आप लोग पूरा पढ़िए।


1. संस्कृत भाषाया: महत्वम्


संस्कृत भाषा अस्माकं देशस्य प्राचीनतमा भाषा अस्ति। प्राचीनकाले सर्वे एव भारतीयाः संस्कृतभाषाया एव व्यवहारं कुर्वन्ति स्म। कालान्तरे विविधाः प्रान्तीयाः भाषाः प्रचलिताः अभवन्, किन्तु संस्कृतस्य महत्त्वम् अद्यापि अक्षुण्णं वर्तते। सर्वे प्राचीनग्रन्थाः चत्वारो वेदाश्च संस्कृतभाषायामेव सन्ति। संस्कृतभाषा भारतराष्ट्रस्य एकतायाः आधारः अस्ति। संस्कृतभाषायाः यत्स्वरूपम् अद्य प्राप्यते, तदेव अद्यतः सहस्रवर्षपूर्वम् अपि आसीत्। संस्कृतभाषायाः स्वरूपं पूर्णरूपेण वैज्ञानिक अस्ति । अस्य व्याकरणं पूर्णतः तर्कसम्मतं सुनिश्चितं च अस्ति ।


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आचार्य- दण्डिना सम्यगेवोक्तम्


भाषासु मुख्या मधुरा दिव्या गीर्वाणभारती।"


अधुनाऽपि सङ्गणकस्य कृते संस्कृतभाषा अति उपयुक्ता अस्ति। संस्कृतभाषैव भारतस्य प्राणभूता भाषा अस्ति । राष्ट्रस्य ऐक्यं च साधयति । भारतीयगौरवस्य रक्षणाय एतस्याः प्रसारः सर्वैरेव कर्त्तव्यः । अतएव उच्चते-‘संस्कृतिः संस्कृताश्रिता ।'





हिंदी अनुवाद


संस्कृत हमारे देश की प्राचीनतम भाषा है।  प्राचीन काल में सभी भारतीय संस्कृत का प्रयोग करते थे।  समय के साथ, विभिन्न प्रांतीय भाषाएँ लोकप्रिय हो गईं, लेकिन संस्कृत का महत्व अभी भी बरकरार है।  सभी प्राचीन ग्रंथ और चारों वेद संस्कृत में हैं।  संस्कृत भारत राष्ट्र की एकता का आधार है।  संस्कृत भाषा का जो रूप आज मिलता है, वही एक हजार वर्ष पूर्व था।  संस्कृत का स्वरूप पूर्णतः वैज्ञानिक है।  इसका व्याकरण पूर्णतः तार्किक और सुपरिभाषित है।



 

आचार्य : दांडी ने ठीक कहा


 भाषाओं के प्रधान मधुर दिव्य गिरवन भारती हैं।


आज भी संस्कृत कंप्यूटर के लिए बहुत उपयोगी है।  संस्कृत भारत की जीवनदायिनी है।  यह राष्ट्र की एकता को भी प्राप्त करता है।  भारतीय गौरव की रक्षा के लिए सभी को इसका प्रसार करना चाहिए।इसीलिए कहा जाता है, 'संस्कृति संस्कृति पर निर्भर करती है।




2. संस्कृत भाषाया: महत्वम्


संस्कृतं विश्वस्य प्राचीनतमा भाषा अस्ति । अस्य व्याकरणं सुनिश्चितं साहित्यं च समृद्धम् अस्ति चत्वारः वेदाः भारतीय संस्कृतेः प्राणाः सन्ति, ते संस्कृते एव निबद्धाः अष्टादशपुराणनि षट् दर्शनानि वेदांगानि च संस्कृतस्यैव निधयः सन्ति ।


कालिदासः भवभूतिः अश्वघोषदयश्च संस्कृतस्य श्रेष्ठाः कवयः येषां साहित्यम् अत्यन्तम् उत्कृष्टं प्रेरणाप्रदं च अस्ति । संस्कृत साहित्ये विपुलानां विषयाणां वर्णनम् अस्ति यथा विदुरनीतौ नीतिशास्त्रस्य, मनुस्मृतौ आचारस्य, चाणक्यस्य अर्थशास्त्रे अर्थशास्त्रस्य, वात्स्यायनस्य कामसूत्रे कामशास्त्रस्य एवं धर्मस्य अर्थस्य कामस्य च विशदं सर्वजनोपयोगि च वर्णनम् अस्ति ।


संस्कृत शब्दानां रचनायाः अपूर्वं सामर्थ्यम् अस्ति । धातुप्रत्ययसंयोगेन, उपसर्गसंयोगे वहव: नवीनाः शब्दाः रचयितुं शक्यन्ते ।


संस्कृतभाषा सम्पूर्णभारते समानरूपेण अङ्गीकृता आदृता च अस्ति । अतः राष्ट्रियैयसंस्थापनाय अद्भुतं सामर्थ्यम् आवहति । एतादृश्या: समृद्धायाः मातृभूतायाः संस्कृतभाषायाः संवर्द्धनाय अस्माभिः सर्वविधः प्रयासः कर्तव्यः ।


संस्कृत भाषा - महत्व हिंदी अनुवाद-


 संस्कृत विश्व की प्राचीनतम भाषा है।  इसका व्याकरण सुपरिभाषित है और इसका साहित्य समृद्ध है।चार वेद भारतीय संस्कृति के प्राण हैं।


 कालिदास, भवभूति और अश्वघोष संस्कृत के महानतम कवि हैं जिनका साहित्य उत्कृष्ट और प्रेरक है।  संस्कृत साहित्य विशाल विषयों से संबंधित है जैसे विदुर नीति में नैतिकता है, मनु स्मृति में नैतिकता है, चाणक्य के अर्थशास्त्र में अर्थशास्त्र है, वात्स्यायन के काम सूत्र में धर्म और इच्छा के अर्थ का विस्तृत और सार्वभौमिक रूप से उपयोगी विवरण है।


 उनमें संस्कृत शब्दों की रचना करने की अभूतपूर्व क्षमता है।  धातु प्रत्यय और उपसर्गों को मिलाकर कई नए शब्द बनाए जा सकते हैं।


 संस्कृत पूरे भारत में समान रूप से स्वीकृत और सम्मानित है।  इसलिए इसमें राष्ट्रीय स्थापना की अद्भुत क्षमता है।  हमें ऐसी समृद्ध मातृभाषा संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।


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