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Class 10th Sanskrit Half Yearly Paper 2023-24 MP Board | कक्षा 10वीं संस्कृत अर्द्धवार्षिक परीक्षा पेपर 2023-24 एमपी बोर्ड

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Class 10th Sanskrit Half Yearly Paper 2023-24 MP Board | कक्षा 10वीं संस्कृत अर्द्धवार्षिक परीक्षा पेपर 2023-24 एमपी बोर्ड

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Class 10 Sanskrit Half Yearly Paper 2023-24 MP Board

MP Board Class 10th Sanskrit Half Yearly Paper 2023-24 


प्रिय विद्द्यार्थियों जैसा की हम सभी जानते हैं कि आपकी त्रैमासिक परीक्षा अभी कुछ दिनों पूर्व संपन्न हो चुकी है और अब आपकी अर्धवार्षिक परीक्षाएं 2023-24 (Half Yearly Examination) भी होने वाली है. तो हम आपके लिए अर्धवार्षिक परीक्षा से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके हल बताने वाले हैं तो आपको इसके लिए इस पेज को ध्यानपूर्वक पढ़ना है जिससे आप अर्धवार्षिक परीक्षा में भी बहुत अच्छे अंक प्राप्त कर सके. हमने आपको त्रैमासिक परीक्षा से सम्बंधित पेपर और उनके हल भी बताये थे.


Class 10th Sanskrit Half Yearly Paper 2023


छात्रों जैसा कि आप जानते हैं कि आपकी अर्धवार्षिक परीक्षाएं दिसंबर माह में प्रस्तावित हैं इसलिए हम आपकी बेहतर तैयारी के लिए आपको महत्वपूर्ण प्रश्न उपलब्ध करवाएंगे. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आपने अभी हाल ही में त्रैमासिक परीक्षा के पेपर दिए हैं और यदि आपने उस पर ध्यान दिया होगा तो आपको पता होगा कि पिछले वर्ष का जो रिवीजन टेस्ट हुआ था उसमें से 75 से 85% तक आपका पेपर आया था. इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए पिछले वर्ष का अर्धवार्षिक परीक्षा का पेपर आपको उपलब्ध करा रहे हैं जिससे आपकी तैयारी को एक बेहतरीन दिशा मिल सके और आप सभी छात्र बहुत ही अच्छे अंक प्राप्त कर सके .


Class 10th Sanskrit Half Yearly Question Paper 2023-24


कक्षा 10वीं के अर्धवार्षिक परीक्षा शुरू होने वाले हैं । कक्षा 10वीं संस्कृत विषय की तैयारी के लिए आपको अर्धवार्षिक परीक्षा 2022-23 के ओल्ड पेपर को देखना बहुत जरूरी है । अगर आप कक्षा 10वीं के स्टूडेंट पिछले साल का पेपर डाउनलोड करना चाहते हैं तो आप इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें । पोस्ट में हमने आपको पिछले साल में हुए आपके half yearly paper 2022-23 का हल बताया है ।


अर्धवार्षिक परीक्षा 2023-24


कक्षा - 10वीं


विषय - संस्कृत


समय : 3 घंटे                                  पूर्णाक : 75 


(i) सर्वे प्रश्नाः अनिवार्याः।



(ii) प्रश्नानां सम्मुखे अड़ा: प्रदत्तः।



प्रश्न 1. उचित विकल्पं चित्वा लिखत –                 (6)


(क) 'रामेण इति रूपं कस्य विभक्तेः अस्ति ?



(i) प्रथमा                       (ii) तृतीया


(iii) चतुर्थी                     (iv) सप्तमी 


उत्तर - (ii) तृतीया



(ख) 'राजन्' शब्दस्य प्रथमाविभक्तिबहुवचनस्य रूपम् अस्ति -



(i) राजा                           (ii) राजानम्


(iii) राजान:                       (iv) राज्ञः 


उत्तर - (iii) राजान:



(ग) 'रमा' इति शब्दस्य बहुवचनस्य रूपम् अस्ति -



(i) रामाया:                       (ii) रमाणम्


(iii) रमा                          (iv) रमे


उत्तर -  (ii) रमाणम्



(घ) 'रामाभ्याम्' इति पदं कस्य वचनस्य अस्ति ?



(i) एकवचनम्                      (ii) द्विवचनम्


(iii) बहुवचनम्                     (iv)अन्यवचनम्


उत्तर - (ii) द्विवचनम्



(ड़) इदानीं वायुमंडलं ………. प्रदूषितमस्ति ।



(i) न                                  (ii) कदापि


(iii) लाभदायकम्                   (iv) भृशम्


उत्तर - (iv) भृशम्



(च) अधोलिखितेषु अव्ययं नास्ति –



(i) प्रात:                              (ii) तथा


(iii) यथा                             (iv)अस्तु


उत्तर -     (iv)अस्तु



प्रश्न 2. प्रदत्तैः शब्दै: रिक्तस्थानानि पूरयत् –            (6)



(निर्थकम्, काननम्, भोजनम्, वकृम्, गीतानि, समलम्) 



(क) 'विरुद्धम भोजनम्' इत्यनयोः पदयोः ……..  अस्ति।


उत्तर - भोजनम्



(ख) मधुराणि गीतानि इत्यन्योः पदयो ……. विशेष्यम् अस्ति। 


उत्तर - गीतानि



(ग) 'वनम्' इत्यस्य पर्यायपदम् ……… अस्ति।


उत्तर - काननम्



(घ) 'कुटिलम्' इत्यस्य पर्यायपदं ……. अस्ति।


उत्तर -  वकृम्



(ड.) 'निर्मलम्' इत्यस्य विलोमपदम् …….. अस्ति


उत्तर - समलम्



(च) 'सार्थकम्' इत्यस्य विलोमपदं …….. अस्ति।


उत्तर - निर्थकम्



प्रश्न 3. युग्ममेलनं कुरुत् –             (6)



       (अ)                              (ब)



सूर्य + उदय:        —            गुणसंधि:


त्रिभुवनम्           —             द्विगुसमास:


सदैव              —               वृद्धि संधि:


हिमालय:          —              दीर्घसंधि:


त्रिमुखी            —               द्विगुसमास:


अनुरूपम्        —                अव्ययीभाव समास



प्रश्न 4. एकपदेन उत्तरत –            (6)



(क) 'कर्तुम्' इत्यस्मिन पदे प्रत्ययः अस्ति। 


उत्तर - तुमुन्



(ख) 'गतवान्' अत्र कः प्रत्ययः? 


उत्तर - क्तवतु



(ग) 'नेतुम्' इत्यस्मिन पदे प्रत्ययः अस्ति।


उत्तर - तुमुन्



(घ) केषां माला रमणीया ? 


उत्तर - हरिततरू ललित लतानाम्



(ङ) सर्वदा सर्वकार्येषु का बलवती ?


उत्तर - बुद्धि:



(च) मनुष्याणां महान् रिपुः कः।


उत्तर - आलस्यम्



प्रश्न 5. शुद्धवाक्यानां समक्षम् 'आम्' अशुद्धवाक्यानां समक्षम् 'न' इति लिखत –               (6)



(क) 'गमिष्यति' इत्यस्मिन् पदे लट्लकार: अस्ति।


उत्तर - न



(ख) 'अपश्यन्' इत्यस्मिन पदे 'लड्लकार:' अस्ति।


उत्तर - आम्



(ग) 'गच्छामि' इत्यस्मिन् पदे एकवचनम् अस्ति।


उत्तर - आम्



(घ) 'लभन्ते' इत्यस्मिन पदे मध्यमपुरुष: अस्ति।


उत्तर - न



(ड.) 'दुर्व्यवहार: इत्यस्मिन पदे 'दु' उपसर्ग: अस्ति।


उत्तर - न



(च) 'दुष्कर्म' इति पदे 'दु' उपसर्ग: अस्ति। 


उत्तर - न



प्रश्न 6. केषां माला रमणीया ?              (2)


           अथवा


अतिथि : केन प्रबुद्ध : ?



प्रश्न 7. कृषक: किं करोति स्म ?         (2)


           अथवा


वसंतस्य गुणं क: जानाति?



प्रश्न 8. इन्द्र: दुर्बलवृषभस्य कष्टानि अपाकर्तृ किं कृत्वान् ? (2)


                 अथवा


नि: संशयं क: कृतान्त: मन्यते?



प्रश्न 9. केन सम: बन्धु: नास्ति ?       (2)


            अथवा


कः पिपासित: म्रियते ?



प्रश्न 10. अन्ते सर्वे मिलित्वा कस्य राज्यभिषेकाय तत्पराः भवन्ति ?       (2)


              अथवा


सरसः शोभा केन भवति ?



प्रश्न 11. रेखांकितपद्माधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत – (कोई दो) (2)



(क) शकटीयानम् कंजलमलिनं धूमं मुंचति।



(ख) तत्र राजसिंहो नाम राजपुत्र: वसति स्म।



(ग) त्वं मानुषात् विभेषि।



प्रश्न 12. अधोलिखितानि वाक्यानि कः कं प्रति कथयति – (2)



(क) यदि एवं तर्हि मां निजगले बद्धवा चलं सत्वरम्।



(ख) अहं वनराज: कि भयं न जायते।



(छ) तरया: द्वे नाम्नी।



प्रश्न 13. प्रश्नपत्रे समागतान् श्लोकान् विहाय स्व पाठ्यपुस्तकस्य सुभाषितद्वयं लिखत।         (2)



प्रश्न 14. अधोलिखितानाम् अशुद्धकारकवाक्यानां शुद्धि करणीया – (कोई दो)              (2)



(क) मम दुग्धं रोचते।


(ख) पत्रा: पतन्ति।


(ग) गणेश: नम:।


(घ)सैनिक: अश्वेन पतति।



प्रश्न 15. प्रदत्तै: शब्दै रिक्तस्थानपूर्ति कुरुत – (कोई चार)। (2)


(चित्ते, सख्यम्, मेध्यामेध्यभक्षक, आत्मश्लाघाहीन, एव, मते)


(क) पर्यावरणस्य संरक्षणम् …….. प्रकृते: आराधना।


(ख) अवक्रता यथा ……….।


(ग) उलूक: ……… पदनिर्लिप्त: चासीत्। 


(घ) अन्येषां वदने ये तु ते चक्षुर्नामनि ……….. ।


(ड.) काकः ……… भवति।


(च) समान - शील - व्यसनेषु ………।



प्रश्न 16. अधोलिखितानि वाक्यानि घटनाक्रमानुसारेण लिखत –       (2)



(क) यत्रास्ते सा धूर्ता तत्र गम्यताम्।



(ख) यदि एवं तर्हि मां निजगले बद्धवा चल सत्वरम्।



(छ) गच्छ, गच्छ जम्बुक। त्वमपि कचिंद् गूढ़प्रदेशम्।



(घ) स व्याघ्र: तथा कृत्वा काननं ययौ।


                  अथवा


(क) क्रुद्ध: सिंह तं प्रहर्तुमिच्छति।



(ख) एक: वानर: आगत्य तस्य पुच्छं धुनाति।



(जी) किमर्थ मामेवं तुदन्ति सर्वे मिलित्वा।



(घ) वानर: वारं वार सिंहं तुदन्ति।



प्रश्न 17. वाच्यपरिवर्तनम् कुरुत् –  (कोई दो)       (2)



(क) सिंह सर्वजनतून् पृच्छति।



(ख) त्वया अहं हन्तव्यः।



(छ) पुत्रस्य दैन्यं दृष्ट्वा अहं रोदिमि।



प्रश्न 18. अधोलिखितम् गद्यांशम् सम्यक् पठित्वा प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृत भाषायां लिखत् –           (3)


"बहून्यपत्यानि मे सन्तीति सत्यम्। तथाप्यहमेतस्मिन् पुत्रे विशिष्य आत्मवेदनामनुभवामि। यतो हि अयमन्येभ्यो दुर्बल। सर्वेश्वपत्येषु जननी तुल्यवत्सला एव। तथापि दुर्बले सुते मातु: अभ्यधिका कृपा सहजैव" इति। सुरभिवचनं श्रुत्वा भृशं विस्मितस्याखंडलस्यापि हदयभद्रवत्। स च तामेवमसान्वयत् - "गच्छ वत्से! सर्व भद्रं जायेत।"


तचिरादेव चण्डवातेन मेघर वैश्च सह प्रवर्ष: समजायत्। लोकानां पश्यताम् एव सर्वत्र जलोपप्लव संजात:। कृषक हर्षातिरेकेण कर्षणाविमुख: सन् वृषभौ नीत्वा गृहमगात् । 



अपत्येषु च सर्वेषु जननी तुल्यवत्सला।


पुत्रे दीने तु सा माता कृपार्दहदया भवेत्।।



प्रश्न -


(क) सर्वेश्वपत्येषु जननी कीदृशी ?



(ख) किदृशे सुते मातु: अभ्यधिका कृपा सहजैव ?



(ग) सुरभिवचनं श्रुत्वा भूशं कस्य हृदयमद्रवत् ?



(घ) सर्वत्र क: संजात: ?



(ड.) 'सर्वेश्वपत्येषु' इत्यस्य पदस्य सन्धि - विच्छेदं कुरुत्।


                         अथवा 


वनस्य दृश्यं समीपे एवैका नदी वहति। एक: सिंह: सुखेन विश्राम्यते तदैव एक: वानर: आगत्य तस्य पुच्छ धुनाति। क्रुद्ध: सिंह: तं प्रहर्तुमिच्छति परं वानरस्तु कुर्दित्वा वृक्षमारूढः। तदैव अन्यस्मात् वृक्षात् अपर: वानर: सिंहस्य कर्णमाकृष्य पुन: वृक्षोपरि आरोहति। एवमेव वानरा वारं वारं सिंह तुदन्ति। क्रुद्ध: सिंह: इतस्तत: धावति, गर्जति पर किमपि कर्तुमसमर्थ: एवं तिष्ठति। वानरा: हसन्ति वृक्षोपरी च विविधा: पक्षिण: अपि सिंहस्य एतादृशी दशां दृष्ट्वा हर्षमिश्रितं कलरवं कुर्वन्ति।



प्रश्न – (क) क: सुखेन विश्राम्यते ?



(ख) कः सिंहस्य पुच्छं धुनाति ?



(छ) क्रुद्ध: सिंह: किं करोति ?



(घ) वनस्य दृश्यं समीपे का वहति ?



(ड.) 'वृक्षोपरि' इत्यस्य पदस्य समासविग्रहं कुरुत्।



प्रश्न 19. अधोलिखितम् गद्यांशं सम्यक् पठित्वा प्रश्नानम् उत्तराणि लिखित –          (3)



कश्चन निर्धनो जन: भूरि परिश्रम्य किचिंद् वित्तमुपार्जितवान्। तेन वित्तेन स्वपुत्रम् एकस्मिन् महाविद्यालये प्रवेशं दापयितुं सफलो जात:। तत्तनय: तत्रैव छात्रावासे निवसन् अध्ययने संलग्न: समभूत्। एकदा स पिता तनूजस्य रुग्णतामाकर्ण्य व्याकुलो जात: पुत्रं दृष्टं च प्रस्थित:। परमर्थ कार्श्येन पीडित: स बसयानं विहाय पदातिरेव प्राचलत्।


पदातिक्रमेण संचलन् सायं समयेऽप्यसौ गन्तव्याद् दूरे आसीत्। 


'निशान्धकारे प्रसृते विजने प्रदेशे पदयात्रा न शुभावाह', एवं विचार्य स पार्श्वस्थिते ग्रामे रात्रिनिवासं कर्तुं कच्चिंद् गृहस्थमुपागत:। करुणापरों गृही तस्मै आश्रयं प्रयच्छत्।



प्रश्न –


(क) कः भूरि परिश्रम्य किचिंद् वित्तमुपार्जितवान् ?



(ख) तेन कथं कुत्र च स्वपुत्रं प्रवेशं दापयितुं सफलो जात:।


(ग) एकदा स पिता कथं व्याकुलों जात: ?



(घ) किमर्थ स बसयानं विहाय पदातिरेव प्राचलत्?



(ड.) 'विहाय' इत्यस्मिन् पदे प्रकृतिं प्रत्ययं च पृथक्कुरुत्।


                       अथवा


इति श्रुत्वा व्याघ्रमारी काचिदियमिति मत्वा व्याघ्रो भयाकुलचित्तो नष्ट:। 


निजबुद्ध्या विमुक्त सा भयाद् व्याघ्रस्य भामिनि।


अन्योडपि बुद्धि माँल्लोके मुच्यते महतो भयात्।।


भयाकुलं व्याघ्रं दृष्ट्वा कश्चित् धूर्त: श्रृगाल: हसन्नाह: - "भवान् कुत: भयात् पलायित:?



प्रश्न – (क) व्याघ्रो कथं नष्ट : ?



(ख) सा भामिनी व्याघ्रस्य भयाद् कथं विमुक्ता ?



(छ) भयाकुलं व्याघ्रं दृष्ट्वा कः हसन्नाह: ?



(घ) श्रृगाल: किम् आह ?



(ड.) 'अन्योऽपि' इत्यस्य पदस्य सन्धि - विच्छेदं कुरुत्।



प्रश्न 20. अधोलिखितम् पद्याशं सम्यक: पठित्वा प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषायां लिखित –



उदीरितोऽर्थ: पशुनापि गृहते, 


हयाश्च नागाश्च वहन्ति बोधिता:। 


अनुक्तमप्युहति पण्डितो जन:,


परेडिग्तज्ञानफला हि बुद्धाय:।।



प्रश्न –



(क) उदिरितोऽर्थः केनापि गृ गृहाते ?



(ख) के बोधिता: वहन्ति ?



(छ) अनुक्तमप्युहति क: ?



(घ) परेडिग्तज्ञानफला हि का: ?



(ड.) 'उदिरितोऽर्थ:' इत्यस्य सन्धिविच्छेदं कुरुत्।


                      अथवा 


भुक्ता मृणालपटलि भवता निपीता –


न्यम्बूनि यत्र नलिनानि निषेवितानि।



प्रश्न –



(क) मुक्ता का ?



(ख) निपीतानि कानि ?



(ग) कानि निषेवितनि ?



(घ) हे राजहंस ! वद तस्य कस्य ?



(ड.) 'कृतोपकार:' इत्यस्य पदस्य सन्धि-विच्छेदं कुरुत्।



प्रश्न 21. अधोलिखितम् अपठितगद्यांशं पठित्वा प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत –             (4)


जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी। जन्मभूमि: स्वर्गात् उत्कृष्टतरा अस्ति। सा लोकानां शरणदायिनी, विविधखाद्यपदार्थप्रदायिनी, सर्वव्यवहाराणां लीलाभूमि: च अस्ति। वैदिक: ऋषि: कथयति - माता भूमि पुत्रोऽहं पृथिव्याः। वयं राष्ट्रभावां राष्ट्रीयचरित्रं, त्यागभावनां विना राष्ट्रस्य संरक्षणं कर्तुं न पारयाम:। परस्परैक्यभावनां विना राष्ट्रं कदापि समृद्ध: न भवति। अतः अस्माभि: स्वार्थ परित्यज्य देशस्य देशवासिनां च सेवा सततं करणीया।


प्रश्न –



(क) जन्मभूमि: कस्मात् गरीयसी ?



(ख) 'माताभूमि:' इति कः कथयति ?



(ग) अस्य गद्यांशस्य सारं लिखत।



(घ) 'स्वर्गात्' शब्दे का विभक्ति: अस्ति ?



प्रश्न 22. स्वप्राचार्यस्यकृते अवकाशार्थम् एकं प्रार्थनापत्रम् संस्कृतभाषायां लिखत।             (4)


                       अथवा


स्वभ्रातु: जन्मदिनोत्सवस्य कृते स्वमित्राय आमंत्रणत्रम् संस्कृते लिखत।



प्रश्न 23. अधोलिखितेषु विषयेषु एकं विषयं स्वीकृत्य शत शब्देषु संस्कृतभाषायां निबंधं लिखत –        (4)


(क) महाकवि: कालिदास:।



(ख) छात्रजीवनम् ।



(ग) संस्कृतभाषाया :महत्वम्।



(घ) पर्यावरणम्।


Disclaimer: यह Blog एक सामान्य जानकारी के लिए है। इस Blog का उद्देश्य सामान्य जानकारी उपलब्ध कराना है। इसका किसी भी वेबसाइट या ब्लॉग से कोई संबंध नहीं है। यदि सम्बंध पाया गया तो यह महज एक संयोग समझा जाएगा।


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