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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर निबंध || International Yoga Day 2023 Essay in Hindi

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर निबंध || International Yoga Day 2023 Essay in Hindi

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                      अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर निबंध

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट www.Bandana classes.com पर । आज की पोस्ट में हम आपको "अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर निबंध || International Yoga Day 2023 Essay in Hindi " के बारे में बताएंगे तो इस पोस्ट को आप लोग पूरा पढ़िए।


Table of content-

1.अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर निबंध

2.अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर 400 शब्दों में निबंध

3.अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर 500 शब्दों में निबंध

4.अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर 600 शब्दों में निबंध

5.अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर 10 वाक्य

6.FAQ


अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर निबंध


पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2015 को पूरे विश्व में धूमधाम से मनाया गया। इस दिन करोड़ों लोगों ने विश्व में योग किया जो कि एक रिकॉर्ड था। योग व्यायाम का ऐसा प्रभावशाली प्रकार है, जिसके माध्यम से ना केवल शरीर के अंगों बल्कि मन, मस्तिक और आत्मा में संतुलन बनाया जाता है। यही कारण है कि योग से शारीरिक व्याधियों के अलावा मानसिक समस्याओं से भी निजात पाई जा सकती हैं।


योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के युज से हुई है। जिसका मतलब होता है आत्मा का सार्वभौमिक चेतना से मिलन। योग लगभग 10000 साल से भी अधिक समय से अपनाया जा रहा है।


अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस प्रत्येक वर्ष 21 जून को मनाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही इस दिन को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव दिया था। योग का अभ्यास एक बेहतर इंसान बनने के साथ एक अच्छे मस्तिष्क, स्वस्थ दिल और एक बेहतर ऊर्जावान शरीर को पाने के तरीकों में से एक है। योग अपने अद्भुत स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2015 में प्रारंभ होने के बाद,हर साल 21 जून को मनाया जाता है।


अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर निबंध 400 शब्दों में

प्रस्तावना


भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही थे जिन्होंने सबसे पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाए जाने का विचार दिया था। इस प्रकार से वे पूरे भारत के साथ इस दृष्टिकोण को संपूर्ण रूप से साझा करना चाहते थे जो पूरे विश्व के लिए उत्पन्न हुई थी। संयुक्त राष्ट्र सभा यूएनजीए इस प्रस्ताव को पसंद किया और 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता दी गई। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस वर्ष 2015 में पहली बार मनाया गया था।


योग की उत्पत्ति


ऐसा माना जाता है कि भारतीय पौराणिक युग से योग की जुड़े जुड़ी हुई है। ऐसा कहा जाता है कि यह भगवान शिव थे जिन्होंने इस कला को जन्म दिया था। शिव जिन्हें आदियोगी के रूप में भी जाना जाता, को दुनिया के सभी योग गुरुओं के लिए प्रेरणा माना जाता है।


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👉योग के प्रमुख आसन और उनके लाभ


सामान्य तौर पर यह माना जाता है कि यह उत्तर भारत में सिंधु सरस्वती सभ्यता थी जिसने 5000 साल पहले यह शानदार कला की शुरुआत की थी। ऋग्वेद में पहली बार इस अवधि का उल्लेख किया गया है। हालांकि योग की पहली व्यवस्थित प्रस्तुति शास्त्रीय काल में पतंजलि द्वारा की गई।


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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस कब मनाया जाता है-


अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को मनाया जाता है भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिन्होंने योग दिवस मनाने का विचार प्रस्तावित किया था ने सुझाव दिया कि यह 21 जून को मनाया जाना चाहिए। उनके द्वारा सुझाई गई इस तारीख का कारण सामान्य नहीं था। इस अवसर को मनाने के लिए प्रस्तावित कुछ कारण है।


21 जून उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिन है और इसे ग्रीष्मकालीन अस्थिरता कहा जाता है। यह दक्षिणाइया का एक संक्रमण प्रतीक है जिसे माना जाता है कि यह एक ऐसी अवधि होती है जो आध्यात्मिक प्रथाओं का समर्थन करती है। इस प्रकार योग की आध्यात्मिक कला का अभ्यास करने के लिए एक अच्छी अवधि माना जाता है।


इसके अलावा किवदंती यह है कि किस संक्रमण काल के दौरान भगवान शिव ने उन्हें के साथ योग की कला के बारे में ज्ञान सजाकर के आध्यात्मिक गुरुओं को प्रबुद्ध किया था।


इन सभी निष्कर्षों से संयुक्त राष्ट्र महासभा यूएनजीए ने माना था कि 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाएगा।


निष्कर्ष


श्री नरेंद्र मोदी और यूएनजीए ने ही केवल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में चिन्हित नहीं किया बल्कि जब यह दिवस आया तो इसे सफल बनाने के लिए कई प्रयास किए गए। योग दिवस भारत में बड़े पैमाने पर उत्साह के साथ मनाया गया। दुनिया भर के कई उल्लेखनीय अंखियों ने इसमें भाग लिया था। तब से यह देश और साथ ही दुनिया के अन्य भागों में बड़े जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है।


21 जून : अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर निबंध 500 शब्दों में

प्रस्तावना- वर्ष 2014 में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी न्यूज़ 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव दिया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा (यू एन जी ए) को यह प्रस्ताव पसंद आया और 21 जून 2015 को पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। श्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तावित प्रस्ताव और यू.एन. द्वारा किए गए निर्णय की दुनिया भर के आध्यात्मिक नेता और योग के चिकित्सकों द्वारा इसकी सराहना की गई। भारतीय आध्यात्मिक नेता और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री रविशंकर ने कहा कि योग पहले एक अनाथ बच्चे जैसा था लेकिन अब ऐसा नहीं है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा इसे मान्यता देने के बाद इस कला को वह कब प्राप्त हुआ जिसका यह सही मायनों में हकदार था।


पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस


पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बहुत उत्साह से मनाया गया। यह विशेष रूप से भारत के लिए एक खास दिन था। इसका कारण यह है कि प्राचीन काल में योग का जन्म भारत में हुआ था और इस स्तर पर इसे मान्यता प्राप्त होने के कारण यह हमारे लिए गर्व का विषय था। इस प्रकार देश में बड़े पैमाने पर से मनाया गया।


इस दिन के सम्मान में कर्तव्य पथ, दिल्ली में एक बड़ा आयोजन आयोजित किया गया था। इस आयोजन में सीरी नरेंद्र मोदी और 84 देशों के महान हस्तियों ने भाग लिया। इसके अलावा सामान्य जनता इस पहले योग दिवस समारोह के लिए बड़ी संख्या में बड़े ही उत्साह के साथ एकत्रित हुई। इस योग दिवस के दौरान 21 योगासन किए गए थे। प्रशिक्षित योग प्रशिक्षकों ने लोगों को यह आसन करने के लिए निर्देशित किया और लोगों ने बड़े उत्साह से उनके निर्देशों का पालन किया। इस आयोजन में 2 गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स बनाए। पहला रिकॉर्ड सबसे बड़ी योग कक्षा के लिए बना जिसमें 35985 प्रतिभागियों ने भाग लिया और दूसरा इसमें भाग लेने वाली देशो की सबसे बड़ी संख्या शामिल थी। आयुर्वेद योग और प्राकृतिक चिकित्सा मंत्रालय, यूनानी, सिद्ध होम्योपैथी इस आयोजन की व्यवस्था की थी। आयुष मंत्री श्रीपाद येसो नाइक को इसके लिए पुरस्कार मिला।


इसके अलावा देश के विभिन्न स्थानों पर कई योग शिविरों का आयोजन किया गया। विभिन्न ने योगासन अभ्यास करने के लिए लोग पार्क, और सामुदायिक हॉल अन्य स्थानों में इकट्ठे हुए। योग प्रशिक्षकों ने लोगों को यह योग सत्र सफल बनाने के लिए प्रेरित किया। सामान्य जनता द्वारा दिखाया गया उत्साह आश्चर्यजनक था। यह ना केवल महानगरों में रहने वाले लोगों ने किया बल्कि छोटे शहरों और गांवों में भी रहने वाले लोगों ने योग सत्रों का आयोजन किया और इस में भाग लिया। यह वाकई एक नजारा बहुत ही सराहनीय और मनमोहक था। इतनी बड़ी भागीदारी क्योंकि जा सकी इसका एक कारण यह भी था कि संयोगवश 21 जून 2015 को रविवार का दिन भी था।


उसी दिन एनसीसी कैडेटों ने लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में "एकल वर्दीधारी युवा संगठन द्वारा 17 सबसे बड़ा योग प्रदर्शन "अपना नाम दर्ज करवाया।


तो सब बातों में एक बात यह है कि एक अच्छी शुरुआत थी। लोग ना केवल पहली बार प्रथम अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में बाहर आए बल्कि योग को भी अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल किया। योग प्रशिक्षण केंद्रों पर योग दिवस के बाद विभिन्न योग सत्रों में दाखिला लेने के लिए बड़ी संख्या में लोगों को देखा गया। भारत के लोग पहले से ही योग के महत्व के बारे में जानते थे लेकिन योग दिवस की शुरुआत में इसे आगे बढ़ाया। यह उन्हें स्वस्थ जीवनशैली की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। दूसरी और दुनिया भर के कई लोगों के लिए यह एक नई अवधारणा थी। वेयर इस तरह की एक महान कला के लिए खुद को धन्य महसूस करते थे। इसलिए यह दिवस भारत और साथ ही विदेशों में भी कई नए योग केंद्रों की स्थापना के रूप में चिन्हित किया गया है।


निष्कर्ष


यह भारत वासियों के लिए बड़े ही गर्व का विषय है कि मन और शरीर को फिट रखने के लिए हमारी प्राचीन कला स्वीकार की गई और दुनिया भर में इसकी सराहना की गई। भारत कई तरह के खजानों का देश है और हम दुनिया के साथ उन में से सबसे अच्छे खजानों में से एक को साझा करते हुए बहुत प्रसन्न हैं। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस लोग बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं इस दिन का नजारा कुछ अलग ही होता है जहां देखो वहां लोग अलग-अलग शिविर लगाए योग की मुद्रा में दिखाई देते हैं यही हमारे भारत वासियों के लिए बड़े गर्व की बात है।


अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस क्यों मनाते हैं?


अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर निबंध 600 शब्दों में

प्रस्तावना


पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया। इस दिन पर भारत में एक बड़ा आयोजन आयोजित किया गया था। इस घटना में बड़ी संख्या में भाग लेने वाले लोगों को देखने का यह बहुत अच्छा मौका था। भीड़ के बीच बहुत खुशी और उत्तेजना थी। समय गुजरने के साथ उत्साह कम नहीं हुआ। यह ना केवल भारत में बल्कि दुनिया के अन्य हिस्सों में भी विकसित हुआ है। पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को लोगों ने बहुत ही उत्साह के साथ मनाया था लोगों ने पार्को और योग शिविरों में जाकर बड़ी संख्या में योग का आनंद लिया।


अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2016 में कैसे मनाया गया


पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2015 के बाद, वर्ष 2016 में आयोजित दूसरे योग दिवस में भी लोगों को उत्साह के साथ इकट्ठे होकर देखा गया। चंडीगढ़ के कैपिटल कॉन्प्लेक्स में दूसरे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर जश्न मनाने का मुख्य आयोजन आयोजित किया गया था। धानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भीड़ का जोश बढ़ाने के लिए इस कार्यक्रम में भाग लिया। योगासन करने के लिए इकट्ठे हुए हजारों लोगों के साथ श्री नरेंद्र मोदी जी ने इस समारोह में योगासन का भी अभ्यास किया। उन्होंने इस अवसर पर एक प्रेरक भाषण भी दिया जिससे कि देश के युवाओं को अपने रोजमर्रा के जीवन में योग को उतारने के माध्यम से एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।


इसी तरह अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर देश के कई हिस्सों में बड़े और छोटे समारोह आयोजित किए गए। लोगों ने अपने आसपास के पार्को और योग शिविर में जाकर योग का अभ्यास किया। भारतीय सेना, भारतीय नौसेना, और भारतीय तटरक्षक दल के सभी सैनिकों ने भी विभिन्न हिस्सों में मनाए जाने वाले योग दिवस के समारोह में भाग लिया। हमारे पड़ोसी देशों और दुनियाभर के अन्य देशों ने भी समान उत्साह के साथ इस दिन को मनाया।


अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2017 कैसे मनाया गया


तीसरा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस दुनियाभर में और अधिक उत्साह के साथ मनाया गया। ऐसे जैसे अधिक से अधिक लोग योग के महत्व को समझ रहे हैं और अपने जीवन में इसका पालन कर रहे हैं वैसे वैसे योग शिविरों की संख्या और इस और भागीदारी वर्ष दर वर्ष बढ़ रही है।


हर साल की तरह भारत में तीसरा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर एक बड़ा समारोह आयोजित किया गया था। इसके लिए नवाबों का शहर लखनऊ को चुना गया था। मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ,उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ इस दिन का जश्न मनाने के लिए लखनऊ गए थे। इस दिन लखनऊ शहर में बारिश हुई लेकिन इसने लोगों को योग दिवस समारोह में भाग लेने से नहीं रोक पाया। इस हर दिन का जश्न मनाने के लिए लखनऊ के राम भाई अंबेडकर सभा स्थल में लगभग 51000 लोग इकट्ठे हुए। सभी लोग इस समारोह का हिस्सा बनकर अति उत्साहित और रोमांचित थे और सभी ने आत्मसमर्पण के साथ योगासन किए।


इस दिन का जश्न मनाने के लिए दिल्ली के केंद्रीय पार्क में कई लोगों ने एक साथ भारतीय राष्ट्रपति के साथ योग का अभ्यास किया। इसके अलावा योग दिवस का जश्न मनाने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए थे।


अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2018 कैसे मनाया गया


दुनिया भर में चौथे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के लिए कई महोत्सव की योजना बनाई जा रही थी। भारत में इस अवसर पर सबसे बड़े महोउत्सव में से एक महोत्सव ऋषिकेश ,उत्तराखंड में गंगा नदी के तट पर आयोजित किए गए। दुनिया भर में लोगों की बड़ी संख्या किस महोत्सव के लिए इकट्ठा हुई।


अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2019 कैसे मनाया गया


21 जून 2019 को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस दुनिया भर में मनाया गया। हर साल की तरह इस साल भी इस दिवस का एक खास थीम रखा गया था। 2019 का थीम क्लाइमेट एक्शन था। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2019 के उपलक्ष पर इस थीम के जरिए यह बताने की कोशिश की जा रही थी कि योग का अभ्यास करने से जलवायु परिवर्तन का समाधान मिल सकता है। योग आसनों के अभ्यास से शरीर और मन के बीच एक आंतरिक संतुलन कायम होता है। यह अपने और प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करता है।


अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2020 कैसे मनाएं


हर साल की तरह अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2020 को भी मनाया गया। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2020 की थीम थी मानवता के लिए योग इस थीम पर ही दुनिया भर में योग दिवस मनाया गया। भारत को योग गुरु कहा जाता है इसलिए आयुष मंत्रालय ने 21 जून को दुनिया भर में आयोजित होने वाले योग दिवस की यह खास थीम चुनी थी।


निष्कर्ष


यह आश्चर्यजनक है कि कैसे इस उम्र में मन शरीर और सोच अभी भी काम करती है। दुनिया भर के योग चिकित्सक अपने नियमित जीवन में योग को प्रोत्साहित करने के लिए लोगों से आग्रह करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में एक विशेष दिन को मनाने के पीछे का कारण हमारे जीवन में योग को करने के महत्व पर बल देना है। जिससे कि एक स्वस्थ शरीर और एक स्वस्थ मस्तिष्क का विकास हो सके।


अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर 10 वाक्य


1.अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2015 में प्रारंभ होने के बाद, हर साल 21 जून को मनाया जाता है।


2.भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ही थे, जिन्होंने सबसे पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाने का विचार दिया था।


3.योग मन शरीर और आत्मा की एकता को सक्षम बनाता है।


4.21 जून उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है।


5.इस दिन ग्रीष्मकालीन अस्थिरता कहा जाता है।


6.21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर लोग पार्को और शिविर संस्थानों में जाकर बड़े हर्ष के साथ इस दिवस को मनाते हैं।


7.21 जून को मनाया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस प्राचीन भारतीय कला के लिए एक अनुष्ठान है।


8.यह देश और दुनिया के अन्य भागों में बड़े जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है।


9.योग की आध्यात्मिक कला का अभ्यास करने के लिए एक अच्छी अवधि मानी जाती है।


10. योग के विभिन्न रूपों से हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को अलग-अलग तरीकों से लाभ मिलता है।


महत्वपूर्ण योगासन

योगासन क्या है? 


योग सिर्फ एक शारीरिक अभ्यास नहीं है, यह गूढ़ता पूर्ण भावात्मक एकीकरण एवं आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग है, जिससे हमें सभी कल्पनाओं से परे स्थित आयाम की एक झलक मिलती है। 'योग' यह शब्द 19वीं शताब्दी में संस्कृत से लिया गया है जिसका अर्थ है 'संघ' और 'आसन' या 'मुद्रा'।


योग एक पूर्ण विज्ञान है; यह शरीर, मन, आत्मा और ब्रह्मांड को एकजुट करती हैं। यह हर व्यक्ति को शांति और आनंद प्रदान करता है। यह एक व्यक्ति के व्यवहार, विचारों और रवैए में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन लाता है। योग के दैनिक अभ्यास से हमारी अंतः शक्ति, संवेदनशीलता, अंतर्ज्ञान और जागरूकता बढ़ती है।


योगासन का महत्व- 


योगा का महत्व योगाचार्य महर्षि पतंजलि ने योग दर्शन में सूत्रों के रूप में प्रस्तुत किया है। आज वही योग दुनिया भर में प्रसिद्धि पा रहा है। योग का अर्थ है जोड़ना। जीवात्मा का परमात्मा से पूरी तरह से एक हो जाना ही योग है। योगाचार्य महर्षि पतंजलि के अनुसार, अपने चित्त को एक ही जगह स्थापित करना योग है, "योगाश्च चित्तवृत्ति निरोध" 


पतंजलि के योग सूत्र के अनुसार - स्थिरतम सुखम आसनम का अर्थ है की योगासन प्रयास और विश्राम का संतुलन है। हम आसन में आने के लिए प्रयास करते हैं। और फिर हम वही विश्राम करते हैं। योगासन हमारे जीवन के हर पहलू में संतुलन लाती है। यह हमें प्रयास करने के लिए सिखाता है और फिर समर्पण, परिणाम से मुक्त होने का ज्ञान देता है। योगासन हमारे शारीरिक लचीलापन को बढ़ाता है और हमारे विचारों को विकसित करता है।


योग के प्रमुख आसन ,विधि +तरीका) और उनके लाभ (फायदे) -


योग एक प्राचीन भारतीय पद्धति है। जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने में (योग) का काम करता है। योग के माध्यम से शरीर ,मन और मस्तिष्क को पूर्ण रूप से स्वस्थ किया जा सकता है। शरीर ,मन मस्तिष्क के स्वस्थ रहने से स्वयं को स्वस्थ महसूस करते हैं।


योग के द्वारा न सिर्फ बीमारियों का उपचार किया जाता है , बल्कि इसे अपना करो कई शारीरिक और मानसिक कमजोरियों को भी दूर किया जा सकता है। योग हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाकर जीवन में नई ऊर्जा का संचार करता है। योगासन शरीर को शक्तिशाली एवं लचीला बनाए रखता है साथ ही तनाव से मुक्ति दिलाता है जो हमारे दैनिक जीवन के लिए बहुत आवश्यक है। योगासन और योग की मुद्राएं तन और मन दोनों को संचालित करती हैं।


योगासन के लाभ- चिंता से मुक्ति, आपसी संबंधों में सुधार, अपार शांति, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में सुधार, वजन में कमी, सही समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता, मिर्गी रोग से छुटकारा, पेट संबंधित रोगों से भी छुटकारा ऊर्जा में वृद्धि होती है।


योगासन करते समय क्या-क्या सावधानियां रखनी चाहिए- 


•योगासन खुली एवं ताजी हवा में करना सबसे अच्छा माना जाता है। फिर भी अगर ऐसा करना संभव ना हो तो, किसी भी खाली जगह पर आसन किया जा सकता है।


•योग सीधे जमीन या फर्श पर बैठकर न करें इसके लिए दरी या कालीन जमीन पर बिछाकर योगासन करना चाहिए।


•योगासन करने से चेहरे पर होने वाले कील- मुहांसों से छुटकारा पाया जा सकता है।


•किसी भी योग को झटके के साथ न करें। योग उतना ही करें, जितना आप आसानी से कर पाए।


•योगासन करने से हमारी किडनीयां अभी स्वस्थ रहती हैं।


•गर्भावस्था के दौरान मुश्किल आसन और कपालभाती नहीं करना चाहिए।


•योगासन करने के तुरंत बाद स्नान न करें क्योंकि व्यायाम करने के बाद शरीर गर्म हो जाता है, और अगर आप गर्म शरीर में है स्नान करेंगे तो सर्दी -जुखाम, बदन दर्द जैसी तकलीफ हो सकती है। इसलिए योग करने के 1 घंटे बाद ही स्नान करना चाहिए।


योग के प्रमुख आसन और उनके लाभ-


1.भुजंगासन-


इस आसन को अंग्रेजी में cobra pose कहां जाता है। भुजंगासन फन उठाए हुए सांप की भांति प्रतीत होता है, इसलिए इस आसन को भुजंगासन आसन कहते हैं। भुजंगासन सूर्य नमस्कार और पद्मसाधना एक महत्वपूर्ण आसन है जो हमारे शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी है।


यह छाती और कमर की मांसपेशियों को लचीला बनाता है और कमर में आए किसी भी तनाव को दूर करता है। मेरुदंड से संबंधित रोगियों को इस आसन को अवश्य करना चाहिए उनके लिए यह आसन बहुत लाभकारी साबित होगा। स्त्रियों में यह गर्भाशय में खून के दौरे को नियंत्रित करने में सहायता करता है। गुर्दे से संबंधित हो या पेट से संबंधित कोई भी परेशानी, यह आसन सभी समस्याओं का हल है ‌


भुजंगासन करने का तरीका (विधि)-


1.जमीन पर पेट के बल लेट जाएं, पादांगुली  और मस्तक जमीन पर सीधा रखें।


2.पैर एकदम सीधे रखें, पांव एड़ियों को एक साथ रखें।


3.दोनों हाथ, दोनों कंधों के बराबर नीचे रखें तथा दोनों कोहनियों को शरीर के समीप और समांतर रखें।


4.दीर्घ श्वास लेते हुए, धीरे से मस्तक फिर छाती और बाद में पेट को उठाएं ।नाभि को जमीन पर ही रखें।


5.अब शरीर को ऊपर उठाते हुए, दोनों हाथों का सहारा लेकर, कमर के पीछे की ओर खींचे।


6.याद रखें: दोनों बाजुओं पे एक समान भार बनाए रखें।


7.सजगता से सांस लेते हुए, रीड के जोर को धीरे-धीरे और भी अधिक मोड़ते हुए दोनों हाथों को सीधा करें, फिर गर्दन उठाते हुए ऊपर की ओर देखें।


8.ध्यान दें: क्या आपके हाथ कानों से दूर हैं? अपने कंधों को शिथिल रखें। आवश्यकता हो तो कोहनियों को मोड़ भी सकते हैं। यथा अवकाश आप अभ्यास जारी रखते हुए, कोहनियों को सीधा रखकर पीठ को और ज्यादा वक्रता देना सीख सकते हैं।


9.ध्यान रखें कि आपके पैर अभी तक सीधे ही हैं। हल्की मुस्कान बनाए रखें, दीर्घ श्वास लेते रहे मुस्कुराते भुजंग।


10.अपनी क्षमता अनुसार ही शरीर को ताने, बहुत ज्यादा मोड़ना हानि प्रद हो सकता है।


11.सांस छोड़ते हुए प्रथमत: पेट फिर छाती और बाद में सिर को धीरे से वापस जमीन पर ले आए।


भुजंगासन में सावधानियां- 


1.इस आसन का अभ्यास करते वक्त पीछे की तरफ ज्यादा न झुकें । इससे मांसपेशियों में खिंचाव आ सकता है जिसके चलते बाहों और कंधों में दर्द पैदा होने की संभावना बढ़ती है।


2.सबसे महत्वपूर्ण बात भुजंगासन या फिर योग का कोई और अन्य आसन हो तो अपनी क्षमता के अनुसार ही करना चाहिए।


3.यदि इस आसन को करते वक्त आपको पेट दर्द या शरीर के किसी अन्य अंग में अधिक दर्द हो तो इस आसन को ना करें।


4.जिस व्यक्ति को पेट के घाव आंख की बीमारी हो तो उसे इस आसन को करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर ले लेनी चाहिए।


भुजंगासन करने के लाभ-


1.थकान और तनाव से मुक्ति पाना।


2.कंधे और गर्दन को तनाव से मुक्त करने के लिए।


3.पेट के स्नायु को मजबूत बनाना।


4.संपूर्ण पीठ और कंधे को पुष्ट करना।


5.रीड की हड्डी का ऊपर वाला और मझला हिस्सा ज्यादा लचीला बनाना ।


6.अस्थमा तथा अन्य सांस संबंधी रोगों के लिए अति लाभदायक है। (अस्थमा का दौरा जब जारी हो तो इस आसन को ना करें)


2. चक्रासन-


चक्र का अर्थ होता है पहिया, इस आसन को करने पर शरीर की आकृति चक्र के समान नजर आती है इसलिए इस आसन को चक्रासन कहा जाता है। धनुरासन के विपरीत होने की वजह से इसे उर्ध्व धनुरासन भी कहते हैं। योग शास्त्र में इस आसन को मणिपूरक चक्र कहा जाता है। 


चक्रासन करने की विधि (तरीका)-


1.सबसे पहले स्वच्छ और समतल जमीन पर चटाई या आसन बिछा ले।


2.अब जमीन पर पीठ के बल शवासन की स्थिति में लेट जाएं।


3.फिर दोनों पैरों के बीच एक से डेढ़ फीट का अंतर बनाएं तथा पैरों के तलवे और एड़ियों को जमीन से लगाएं।


4.आप दोनों हाथों की कोहनियों को मोड़कर, हाथों को जमीन पर कान के पास इस प्रकार लगाएं की उंगलियां कंधों की ओर तथा हथेलियां समतल जमीन पर टिक जाएं।


5.अब शरीर को हल्का ढीला छोड़े और गहरी सांस लें।


6.पैरों और हाथों को सीधा करते हुए, कमर, पीठ का छाती को ऊपर की ओर उठाएं। सिर को कमर की ओर ले जाने का प्रयास करें तथा शरीर को ऊपर करते समय सांस रोककर रखें।


7.अंतिम स्थिति में पीठ हो सुविधा अनुसार पहिए का आकार देने की कोशिश करें।


8.शुरुआत में इस आसन हो 15 सेकंड तक करने का प्रयत्न करें। अभ्यास अच्छे से हो जाने पर 2 मिनट तक करें।


9.कुछ समय पश्चात शवासन की अवस्था में लौट आए।


यह आसान है सामान आसनों से थोड़ा कठिन होता है इसलिए इस आसन को योगाचार्य की उपस्थिति में करें। प्रतिदिन धीरे-धीरे अभ्यास करते रहेंगे तो आप भी इसे आसानी से कर पाएंगे लेकिन प्रारंभिक दौर में भी शरीर पर अत्यधिक दबाव डालें।


चक्रासन करने के लाभ-


1.यह योग जितना कठिन होता है उतना ही शरीर के लिए लाभप्रद भी है।


2.इस आसन को नियमित करने से वृद्धावस्था में कमर झुकती नहीं है और शारीरिक स्फूर्ति बनी रहती है साथ ही स्वप्नदोष की समस्या से मुक्ति मिलती है।


3.पाचन शक्ति बढ़ती है। पेट की अनावश्यक चर्बी कम होती है और शरीर की लंबाई बढ़ती है।


4.इस आसन के करने से लकवा, शारीरिक थकान, सिर दर्द, कमर दर्द तथा आंतरिक रोगों में होने वाले दर्द से मुक्ति मिलती है।


5.यह आसन करने से रक्त का प्रवाह तेजी से होता है।


6.मेरुदंड तथा शरीर की समस्त नाड़ियों का शुद्धिकरण योगिक जागृत होते हैं।


7.छाती ,कमर और पीठ पतली और लचीली होती है साथ ही और फेफड़ों में लचीलापन आता है।


8.मांस पेशियों में मजबूती होती है जिसके कारण हाथ ,पैर और कंधे चुस्त-दुरुस्त रहते हैं।


चक्रासन करने में सावधानियां-


इस आसन को करने से लाभ तब होता है जब हम इसे सही तरीके और सही अवस्था में करें। थोड़ी सी गलती हमारे शरीर के लिए बहुत ही नुकसानदेह हो सकती है। ज्यादा कठिन आसन को करते समय निम्न सावधानियां रखनी चाहिए-


1. योगाचार्य की उपस्थिति में ही इस चक्रासन का अभ्यास करें।


2. महिलाओं को गर्भावस्था और मासिक धर्म के समय यह आसन नहीं करना चाहिए।


3. दिल के मरीज, कमर और गर्दन के रोगी, हाई ब्लड प्रेशर और किसी भी तरह के ऑपरेशन वाले लोगों को भी यह आसन नहीं करना चाहिए।


3. धनुरासन


धनुरासन करने पर शरीर धनुष आकार की तरह दिखाई देता है। इसलिए इस आसन को धनुरासन कहते हैं। यह आसन कमर और रीढ़ की हड्डी के लिए अति लाभदायक होता है। धनुरासन करने से गर्दन से लेकर पीठ और कमर के निचले हिस्से तक के सारे शरीर के स्नायु को व्यायाम मिलता है।


अगर इस आशंका अधिकतम लाभ प्राप्त करना हो तो सर्वप्रथम भुजंगासन (snake pose)उसके बाद शलभासन (Locust pose) और अंत में तीसरा धनुरासन (The Bow pose)करना चाहिए।


कई योग ऋषि इन तीनों आसनो को योगासनत्रयी कहते हैं। यह आसन शरीर के स्नायु को तो मजबूती प्रदान करता ही है, इसके साथ पेट से जुड़े जटिल रोगों को दूर करने में भी सहायक होता है। वजन नियंत्रण करना हो तो या शरीर सुडौल करना है, धनुरासन एक अत्यंत लाभप्रद आसान है।


धनुरासन करने की विधि (तरीका)-


1.पेट के बल लेट कर, पैरों में नितंब जितना फासला रखें और दोनों हाथ शरीर के दोनों ओर सीधे रखें।


2.घुटनों को मोड़ कर कमर के पास लाए और घुटिका को हाथों से पकड़े।


3.सांस भरते हुए छाती को जमीन से ऊपर उठाएं और पैरों को कमर की ओर खींचे।


4.चेहरे पर मुस्कान रखते हुए हम सामने देखें।


5.श्वासोश्वास पर ध्यान रखते हुए, आसन में स्थिर रहे हैं, अब आपका शरीर धनुष की तरह कसा हुआ है।


6.लंबी गहरी सांस लेते हुए, आसन में विश्राम करें।


7.सावधानी बरतें आसन अपनी क्षमता के अनुसार भी करें, जरूरत से ज्यादा शरीर को न कसे।


8.15 से 20 सेकंड बाद, सांस छोड़ते हुए, पैर और छाती को धीरे-धीरे जमीन पर वापस लाएं। घुटिका को छोड़ते हुए विश्राम करें।


धनुरासन करने के लाभ- 


1.पीठ/ रीढ़ की हड्डी और पेट के लिए स्नायु को बल प्रदान करना। 


2.गुर्दे के कार्य में व्यवस्था करना।


3.मलावरोध तथा मासिक धर्म में सहजता।


4.तनाव और थकान से निजात।


5.रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाना।


6.हाथ और पेट के स्नायु को पुष्टि देना।


7.छाती, गर्दन और कंधों की जकड़न दूर करना।

जननांग संतुलित रखना।


धनुरासन करने में सावधानियां-


1.गर्भवती महिलाओं के लिए यह आसन पूरी तरह से वर्जित है। कमर से जुड़ी गंभीर समस्या हो तो उन्हें यह आसन डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही करना चाहिए।


2.पेट में अल्सर हो, उन्हें यह आसन हानिकारक हो सकता है। उच्च रक्तचाप की समस्या वाले व्यक्ति यह आसन ना करें। सिर दर्द की शिकायत रहती हो तो, उन्हें भी धनुरासन नहीं करना चाहिए।


3.आंतो की बीमारी हो या फिर रीढ़ की हड्डी में कोई गंभीर समस्या हो उन्हें भी यह आसन नहीं करना चाहिए।


4.सारण गांठ रोग से पीड़ित व्यक्ति को यह आसान नहीं करना चाहिए।


5.गर्दन में गंभीर चोट लगी हो, या फिर माइग्रेन की समस्या हो तो यह आसन नहीं करना चाहिए।


धनुरासन करने पर शरीर के किसी भी अंग में अत्यधिक पीड़ा होने लगे तो तुरंत आसन रोककर डॉक्टर के पास जाएं। हो सके तो यह आसन किसी योगाचार्य की उपस्थिति में करें।


4.गोमुखासन-


संस्कृत में 'गोमुख' का अर्थ होता है 'गाय का चेहरा' या गाय का मुख। किस आसन में पैर की स्थिति बहुत हद तक गोमुख की आकृति जैसी होती है। इसलिए इस आसन को गोमुखासन कहा जाता है। यह आसन महिलाओं के लिए अत्यंत लाभदायक है। यह आसन गठिया, साइटिका, अपचन, कब्ज ,धात रोग, मधुमेह, कमर में दर्द होने पर यह आसन बहुत लाभदायक है।


गोमुखासन करने की विधि (तरीका)


1.पहले दंडासन अर्थात दोनों पैरों को सामने सीधे एड़ी पंजो को मिलाकर बैठे । हाथ कमर से सटे हुए और हथेलियां भूमि पर टिकी हुई और नजरे सामने होनी चाहिए।


2.अब बाएं पैर को मोड़कर एड़ी को दाएं नितंब के पास रखें। दाहिने पैर को मोड़कर बाएं पैर के ऊपर एक दूसरे से स्पर्श करते हुए रखें। इस स्थिति में दोनों जंघाए एक दूसरे के ऊपर रखा जाए तो आकृति त्रिकोण आकार नजर आती है।


3.फिर श्वास भरते हुए दाहिने हाथ को ऊपर उठाकर दाहिने कंधे को ऊपर खींचते हुए हाथ को पीछे पीठ की ओर ले जाएं बाएं हाथ को पेट के पास से पीठ के पीछे से लेकर दाहिने हाथ के पंजे को पकड़े। गर्दन व कमर सीधी रखें।


4.अब एक और से लगभग 1 मिनट तक करने के पश्चात दूसरी ओर से इसी प्रकार करें। जब तक इस स्टेप में आराम से रहा जा सकता है तब तक रहे।


5.कुछ देर बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए हाथों के लॉक को खोल दें और क्रमशाह पुनः दंडासन की स्थिति में आ जाएं। फिर दाएं पैर को मोड़कर तथा दाहिने हाथ को ऊपर से पीछे ले जाकर इसे करें तो एक चक्र पूरा होगा।


6.दोहराव की अवधि- हाथों के पंजों को पीछे पकडे रहने की सुविधा अनुसार 30 सेकंड से 1 मिनट तक ऐसी स्थिति में रहे।


7.इस आसन के चक्र को दो या तीन बार दोहरा सकते हैं।


गोमुखासन करने में सावधानियां-


1.जबरदस्ती पीठ के पीछे हाथों के पंजों को पकड़ने का प्रयास न करें।


2.हाथ-पैर और रीड की हड्डी में कोई गंभीर रोग हो तो यह आसन ना करें।


गोमुखासन करने के लाभ- 


1. छाती को चौड़ा कर फेफड़ों की शक्ति को बढ़ाता है।


2. कंधे और गर्दन की अकडन को दूर कर कमर, पीठ दर्द में लाभदायक है।


3. इससे हाथ पैर की मांसपेशियां चुस्त और मजबूत बनती है।


4. तनाव दूर होता है।


5. यह आसन संधिवात, गठिया, कब्ज, अंडकोष वृद्धि, हर्निया, गुर्दे, धात रोग, मधुमेह एवं स्त्री रोग में बहुत ही लाभदायक होता है।


5. हलासन- 


इस आसन में शरीर का आकार 'हल' जैसा बन जाता है। इसलिए इस आसन को हलासन कहते हैं। हलासन हमारे शरीर को लचीला बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। हमारी रीढ़ सदा स्वस्थ रहती है।


हलासन करने का तरीका (विधि)-


 1.पीठ के बल सीधे लेट जाएं। बाजुओं को सीधा पीठ के बगल में जमें पर टीका कर रखें। 


2.सांस अंदर लेते हुए दोनों टांगों को उठाकर अर्ध हलासन मे ले आए।


3.कुंहनियो को जमीन पर टिकाए दोनों हाथों से पीठ को सहारा दे। इस मुद्रा में 1 से 2 सांस अंदर और बाहर ले । और यह पक्का कर ले की आपका संतुलन सही है।


4.अब टांगों को बिल्कुल पीछे ले जाएं। दृष्टि को नाक पर रखें। अगर आपको यह करने से दिक्कत होती है तो संतुलन बनाए रखने में दृष्टि को नाभि पर भी रख सकते हैं।


5.अगर आपके कंधों में पर्याप्त लचीलापन हो तो हाथों को पीछे ले जाकर जोड़ ले। अगर यह संभव ना हो तो उन्हें पीठ को सहारा देते हुए मुद्रा में ही रखें।


6.अपनी क्षमता के अनुसार 60 से 90 सेकंड तक इस आसन मुद्रा में रहे और फिर धीरे से पैरों को वापस ले आए। शुरुआत में कम देर तक करें (30 सेकंड भी पर्याप्त है।) और फिर धीरे-धीरे समय बड़ा भी सकते हैं।


हलासन करने के लाभ-


1.लीवर और प्लीहा बढ़ गए हो तो हलासन से सामान्य अवस्था में आ सकते हैं। अपानवायु का उत्थानन होकर उदान रूपी अग्नि का योग होने से कुंडली उर्ध्व गामी बनती है।


2.शरीर बलवान और तेजस्वी बनता है।


3.नाड़ी तंत्र शुद्ध रहता है।


4.सिर दर्द दूर हो जाता है।


5.रीड में कठोरता होना वृद्धावस्था की निशानी है।


6.हलासन से रीढ़ लचीली बनती है। 


7.विशुद्ध चक्र सक्रिय होता है।


हलासन करने में सावधानियां- 


1.रीढ़ संबंधी गंभीर रोग अथवा गले में कोई गंभीर रोग होने की स्थिति में यह आसन ना करें।


2.आसन करते वक्त ध्यान रहे कि पैर तने हुए तथा घुटने सीधे रहे हैं।


हलासन करने के लाभ- 


1.लीवर और प्लीहा बढ़ गए हो तो हलासन से सामान्य अवस्था में आ सकते हैं।


2.रीढ़ में कठोरता होना वृद्धावस्था की निशानी है।


3.हलासन से रीढ़ लचीली बनती है।


4.मेरुदंड संबंधी नाड़ियों के स्वास्थ्य की रक्षा होकर वृद्धावस्था के लक्षण जल्दी नहीं आते।


5.हलासन के नियमित अभ्यास से कब्ज ,अर्श , थायराइड का अल्प विकास, अंग विकार, असम में वृद्धत्व, दमा ,कफ रक्त विकार आदि दूर होते हैं।


6.सिर दर्द नहीं होता है।


7.शरीर बलवान और तेजस्वी बनता है।


6. मयूरासन


मयूर का अर्थ होता है मोर इस आसन को करने से शरीर की आकृति मोर की तरह दिखाई देते हैं, इसलिए इस आसन को मयूरासन कहते हैं। इस आसन को बैठकर सावधानी पूर्वक किया जाता है। आसन में शरीर का पूरा भाव हाथों पर टिका होता है और शरीर हवा में लहराता है।


मयूरासन करने की विधि (तरीका)-


1.दोनों हाथों को दोनों घुटने के बीच रखें, हाथ के अंगूठे और उंगलियों अंदर की ओर रखते हुए हथेली जमीन पर रखें।


2.फिर दोनों हाथ की कोहनियों को नाभि केंद्र के दाएं बाएं अच्छे से जमा लें।


3.पैर उठाते समय दोनों हाथों पर बराबर वजन देकर धीरे-धीरे पैरों को उठाएं।


4.हाथ के पंजे और कोहनियों के बल पर धीरे-धीरे सामने की ओर झुकते हुए शरीर को आगे को झुकाने के बाद पैरों को धीरे-धीरे सीधा कर दें।


5.पुनः सामान्य स्थिति में आने के लिए पहले पैरों को जमीन पर ले आए और तब पुनः वज्रासन की स्थिति में आ जाएं।


6.जमीन पर पेट के बल लेट जाएं। दोनों पैरों के पंजों को आपस में मिलाएं।


7.दोनों घुटनों के बीच एक हाथ का अंतर रखते हुए दोनों पैरों की एड़ियों को मिलाकर गुदा को एड़ी पर रखिए।


8.फिर दोनों हाथों को घुटनों के अंदर रखिए। ताकि दोनों हाथों के बीच चार अंगुल की दूरी रहे। दोनों कोहनियों को आपस में मिलाकर नाभि पर ले जाएं।


9.अब पूरे शरीर का वजन कोहनियों पर दें और पैरों को जमीन से उठाए रखें। सिर को सीधा रखें।


मयूरासन करते समय ध्यान दें-


1.मयूरासन खुली हवादार जगह में करना चाहिए। इसके लिए आप सबसे पहले घुटनों के बल बैठ जाएं और आगे की ओर झुके।


2.आगे झुकते हुए दोनों हाथों की कोहनियों को मोड़ नाभि पर लगाकर जमीन पर सटा ले। इसके बाद अपना संतुलन बनाते हुए घुटनों को धीरे-धीरे सीधा करने की कोशिश करें।


3.अब आपका शरीर पूरी सीध में है और सिर्फ आपके हाथ जमीन से सटे हुए हैं।


4.इस आसन को करने के लिए शरीर का संतुलन बनाए रखना जरूरी है। जो कि पहली बार में संभव नहीं है। यदि आप रोजाना मयूरासन का व्यास करेंगे तो आप निश्चित तौर पर आसानी से इसे कर पाएंगे।


मयूरासन करने के लाभ- 


1.आमतौर पर मयूरासन से गुर्दे ,अग्न्याशय और अमाशय के साथ ही यकृत इत्यादि को बहुत लाभ होता है।


2.तिल्ली ,यकृत ,गुर्दे अग्न्याशय एवं आमाशय सभी को लाभ होता है।


3.यह आसन फेफड़ों के लिए बहुत उपयोगी है। इस आसन से वक्ष स्थल ,फेफड़े ,पसलियां और प्लीहा को शक्ति प्राप्त होती है।


4.मधुमेह के रोगियों के लिए भी यह आसन लाभकारी है।


5.चेहरे पर चमक लाने के लिए मयूरासन करना चाहिए। यह आसन चेहरे पर लाली प्रदान करता है तथा उसे सुंदर बनाता है।


6.यह आसन शरीर में रक्त संचार को नियमित बनाए रखता है।


7.यह आसन पेट के रोगों के लिए जैसे- पेट दर्द, कब्ज, वायु विकार और अपच को दूर करता है।


8.मयूरासन करने से हाथ, पैर व कंधे की मांसपेशियों में मजबूती आती है।


9.यदि आपको आंखों संबंधी कोई समस्या है तो उसका निदान भी मयूरासन से किया जा सकता है


10.पाचन क्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए मयूरासन करना चाहिए। यदि आपको पेट संबंधी समस्याएं जैसे कि गैस बनना पेट में दर्द रहना पेट साफ ना होना इत्यादि समस्याएं हो तो आपको मयूरासन करना चाहिए। जिससे पाचन क्रिया सुचारू रूप से कार्य करती रहे।


11.सामान्य रोगों के अलावा मयूरासन से आंतों व अन्य अंगों को मजबूती मिलती है। आतो एवं उससे संबंधित अंगों को मजबूती मिलती है एवं मयूरासन से आमाशय और मूत्राशय के रोगों से मुक्ति मिलती है।


मयूरासन करते समय सावधानियां- 


1.हृदय रोग या हार्ट की बीमारियों से ग्रसित लोगों को भी मयूरासन नहीं करना चाहिए। अल्सर और हर्निया रोग से पीड़ित लोगों को भी मयूर आसन करने से बचना चाहिए।


2.टी बी (तपेदिक) के मरीजों को भी मयूरासन नहीं करना चाहिए।


3.आमतौर पर मयूरासन उन लोगों को करने के लिए मना करना चाहिए जो उच्च रक्तचाप की समस्या से पीड़ित हैं।


4.मयूरासन करते हुए बहुत सावधानी की जरूरत पड़ती है इसलिए आप जब भी मैं राशन करें तो किसी अच्छे एक्सपर्ट की देखरेख में करें या फिर पहले इस आसन को करने की प्रोसेस को अच्छी तरह से जान लें। तभी आपने राशन को सही तरह से कर पाएंगे।


7. वज्रासन-


वज्रासन करते समय हमारे टेखने शरीर का ऐसा होते हैं जिनका व्यायाम हम कभी नहीं करते हैं ,इसलिए उसमें बहुत जल्दी कड़ापन आ जाता है। वज्रासन के द्वारा आपके टखनों में लचीलापन आ जाता है।
































FAQs


प्रश्न.अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव 2023 कहां आयोजित किया गया है?


उत्तर- ऋषिकेश में अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव 2023, 7 से 13 मार्च 2023 तक आयोजित किया जाता है। पता भर चलने वाले इस आयोजन में योग ध्यान स्वास्थ्य और कल्याण पर कई कार्यक्रम और सत्र होते हैं।


प्रश्न.2023 अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का क्या विषय (थीम) है?


उत्तर- इस वर्ष का अंतरराष्ट्रीय योग दिवस बड़े वैश्विक समुदाय के साथ जोड़ने का प्रयास करता है ,क्योंकि भारत की G20 प्रेसिडेंसी थीम "वन वर्ल्ड ,वन हेल्थ" रेजोनेट्स विद वसुधैव कुटुंबकम" है।


प्रश्न. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत कब से हुई?


उत्तर- अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव दिसंबर 2014 में बनाया गया था। पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया था। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 21 जून 2015 को "सद्भाव और शांति के लिए योग" विषय पर पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का उद्घाटन किया।


प्रश्न. अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस क्यों मनाया जाता है?


उत्तर- 21 जून को उत्तरी गोलार्ध का सबसे लंबा दिन होता है, जिसे लोग ग्रीष्म संक्रांति भी कहते हैं, भारतीय परंपरा के मुताबिक ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन होता है, माना जाता है कि सूर्य दक्षिणायन का समय आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने के लिए फायदेमंद है इसी को देखते हुए योग दिवस हर साल 21 जून को मनाया जाता है।


प्रश्न. 2022 अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम क्या थी? 


उत्तर- आयुष मंत्रालय की ओर से प्राप्त जानकारी के अनुसार योगा फॉर ह्यूमैनिटी थीम चुनी गई थी जिसका मतलब है मानवता के लिए योग।


प्रश्न. विश्व योग दिवस से क्या समझते हैं? 


उत्तर- जीवन में योग के इसी महत्व को दर्शाने के लिए पूरा विश्व इंटरनेशनल योगा डे मनाता है इंटरनेशनल योगा डे देश भर में योग से होने वाले फायदों के विषय में जागरूकता फैलाने के लिए 21 जून को मनाया जाता है।


प्रश्न.अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का उद्देश्य क्या था?


उत्तर- अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस योगाभ्यास द्वारा शारीरिक और मानसिक कल्याण के लिए समग्र दृष्टिकोण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का उद्देश्य मन की शांति और आत्म जागरूकता हेतु ध्यान की आदत विकसित करना है जो तनाव मुक्त वातावरण में जीवित रहने के लिए आवश्यक है।


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Disclaimer: यह Blog एक सामान्य जानकारी के लिए है। इस Blog का उद्देश्य सामान्य जानकारी उपलब्ध कराना है। इसका किसी भी वेबसाइट या ब्लॉग से कोई संबंध नहीं है। यदि सम्बंध पाया गया तो यह महज एक संयोग समझा जाएगा।


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