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विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध || Essay on World Environment Day in Hindi

विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध || Essay on World Environment Day in Hindi

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                      विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट  www.Bandana classes.com पर । आज की पोस्ट में हम आपको "विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध हिंदी में (Essay on World Environment Day in Hindi), पर्यावरण दिवस पर निबंध कैसे लिखें ? " के बारे में बताएंगे तो इस पोस्ट को आप लोग पूरा पढ़िए।

 

विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध हिंदी में 


पर्यावरण शब्द दो शब्दों से मिलकर बना होता है - परि + आवरण। पर्यावरण ( Environment) शब्द का निर्माण दो शब्दों से मिल कर हुआ है। "परि" जो हमारे चारों ओर है" एवं आवरण" जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है, अर्थात पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ होता है चारों ओर से घेरे हुए। विश्व पर्यावरण दिवस प्रत्येक वर्ष 5 जून को मनाया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस को मनाने के पीछे मुख्य कारण है कि विश्व के सभी नागरिक पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझें और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक हो जाएं। मुख्य रूप से यह दिवस पर्यावरण की रक्षा और संसार के सभी लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा सन 1972 ई. में 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस घोषित किया गया था जिसके 2 वर्ष पश्चात 5 जून 1974 को प्रथम विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया एवं उसी समय से प्रत्येक वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत हुई । विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का उद्देश्य संपूर्ण पृथ्वी तथा प्रकृति की रक्षा करना है। ' विश्व पर्यावरण दिवस ' संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा आयोजित किया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में संसार के सभी देशों में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैं। विश्व पर्यावरण दिवस का प्रमुख उद्देश्य आम जनमानस में पर्यावरण के प्रति जागरूकता एवं  सचेतता को प्रोत्साहित करना है। पर्यावरण दिवस (5 जून) के मौके पर समस्त विद्यालयों, कॉलेजों, यूनिवर्सिटी (विश्वविद्यालय), सरकारी कार्यालयों, निजी कार्यालयों आदि में वृक्षारोपण किया जाता है एवं विद्यालयों में शिक्षक एवं छात्र विश्व पर्यावरण दिवस से संबंधित विभिन्न प्रकार के नाटकों का आयोजन भी करते हैं और पर्यावरण दिवस से संबंधित क्विज का आयोजन भी किया जाता है। 


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                         पर्यावरण दिवस : 5 जून

पर्यावरण दिवस संपूर्ण विश्व के लोगों को पर्यावरण के संरक्षण के प्रति जागरूक करता है। यह दिवस हमें पर्यावरण के प्रति हमारे कर्तव्यों, जिम्मेदारियों को याद दिलाकर हमें पर्यावरण की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए अभिप्रेरित करता है। वृक्षों की अंधाधुंध कटाई पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ती है। वर्तमान समय में जिस प्रकार से मानव लगातार वनों को काटकर आवासीय भूमि, फ्लैट एवं फैक्ट्री आदि लगा रहा है जिससे पर्यावरण को बहुत ही नुकसान पहुंचता है। यदि हमें पर्यावरण को बचाना है तो वनों एवं वृक्षों की अंधाधुंध कटाई पर तत्काल प्रभाव से रोक लगानी होगी। पर्यावरण की अनुकूलता को ध्यान में रखते हुए हमें सिंगल यूज़ प्लास्टिक का उपयोग न करते हुए पर्यावरण के अनुकूल पुनर्नवीकरणीय (ऐसे पदार्थ जो रीसाइकिल हो जाए) ऐसे उत्पादों का प्रयोग करने पर जोर देना चाहिए। सिंगल यूज प्लास्टिक पर्यावरण के लिए अत्यंत हानिकारक है क्योंकि यह सिंगल यूज प्लास्टिक सैकड़ों साल  तक भूमि में गलती नहीं है। इसलिए हमें सिंगल यूज प्लास्टिक के स्थान पर मिट्टी के बने कुल्हड़, तेंदूपत्ता से बने दोना- पत्तल इत्यादि का प्रयोग विभिन्न प्रकार के आयोजनों (विवाह, पार्टी एवं सार्वजनिक कार्यक्रमों) आदि में करना चाहिए। क्योंकि मिट्टी से निर्मित कुल्हड़, तेंदूपत्ता से बने दोना- पत्तल इत्यादि आसानी से भूमि में गल (री साइकिल) हो जाते हैं। यहीं कारण है कि मिट्टी से निर्मित कुल्हड़, तेंदूपत्ता से बने दोना- पत्तल से पर्यावरण को कोई भी हानि नहीं पहुंचती है। इसलिए हमें इनका अधिक से अधिक उपयोग शादी समारोह, सामाजिक कार्यक्रमों, सरकारी कार्यालयों, निजी कार्यालयों, यात्रा करते समय, बस स्टॉप, रेलवे स्टेशनो एवं फैक्ट्री इत्यादि में खान - पान में करना चाहिए। पृथ्वी पर यदि जीवन संभव है तो इसके पीछे सबसे बड़ा कारण हरे-भरे वृक्ष एवं वन इत्यादि ही हैं क्योंकि मनुष्य एवं अन्य प्राणियों को जीवित रहने के लिए प्राणवायु ऑक्सीजन हमें वृक्षों से ही मिलती है।   वृक्षों से हमें केवल ऑक्सीजन ही नहीं मिलती है अपितु इनका उपयोग अनेक प्रकार की जलजनित बीमारियों के उपचार में ही किया जाता है । अतः हमें वृक्षों के महत्व को समझते हुए अधिक से अधिक पेड़ - पौधे लगाने चाहिए एवं पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए सभी लोगों को वनों की कटाई को बंद कर देना चाहिए क्योंकि वन एवं हरे-भरे वृक्ष ना केवल वर्षा में सहायक है अपितु ये भूमि के कटान को भी रोकने में सहायक हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि हरे-भरे वृक्ष पर्यावरण के परम मित्र हैं।


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आइए विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) को मनाते हुए हम सभी लोग अपने घर एवं पास पड़ोस में पेड़-पौधे लगाकर अपने आस-पास के वातावरण को हरा-भरा एवं साफ सुथरा रखें तथा हरे भरे वृक्षों को न काटने का प्रण लें यहीं हमारी पर्यावरण के प्रति सच्ची जिम्मेदारी बनती है। जिससे हमारा पर्यावरण स्वच्छ एवं धरती हरी भरी रहे। साथ ही धरती पर पल्लवित सभी जीवधारी सुखी एवं खुश रहें।


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विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून

पर्यावरण दिवस पर निबंध 300 शब्दों में

Essay on Environment Day (300 words)


प्रस्तावना :- हमारे आस-पास पाये जाने वाले सभी पदार्थ, जीव-जन्तु, नदी- तलाब, खेत, पेड़-पौधा, हवा इत्यादि के समूह को पर्यावरण कहते है। पर्यावरण मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है, प्राकृतिक पर्यावरण एवं मानवनिर्मित पर्यावरण । प्राकृतिक पर्यावरण वह पर्यावरण होता है जो हमें प्रकृति द्वारा प्रदत्त होता है उदाहरणस्वरूप- हवा, पानी, पेड़-पौधे, पहाड़ एवं भूमि आदि। मानव निर्मित पर्यावरण वह  पर्यावरण होता है जिसकी रचना मनुष्य द्वारा की जाती है। उदाहरणस्वरूप : कल- कारखाने, मशीनें, बड़ी-बड़ी फैक्ट्री, बांध, ऊंची- ऊंची इमारतें एवं विभिन्न प्रकार के उत्पाद इत्यादि।


पर्यावरण का महत्व :- पर्यावरण का हमारे जीवन में बहुत महत्व है, पर्यावरण के द्वारा ही पृथ्वी पर जीवन संभव है यदि आज हम जीवित है तो उसमे बहुत बड़ा हाथ पर्यावरण का है। पर्यावरण के कारण ही हमारी अन्न, पानी, एवं हवा आदि जैसी मूलभूत आवश्यकताएँ पूरी होती है। बेहतर जीवन जीने के लिए पर्यावरण का साफ एवं स्वच्छ  होना अत्यंत आवश्यक है। हमारे आसपास का पर्यावरण जितना अधिक हरा- भरा एवं स्वच्छ होगा उतना ही मानव जीवन सुखदायी होगा। एवं उतनी ही बीमारियां भी कम फैलेगी।


पर्यावरण पर मानव का प्रभाव:-


मनुष्य प्रकृति द्वारा बनाया गया सबसे बुद्धिमान प्राणी माना जाता है। उसने एक ओर जहां विज्ञान से प्रौद्योगिक का विकास किया वहीं दूसरी ओर अंधाधुंध शहरीकरण तथा औद्योगिकीकरण भी किया। इसी का नतीजा है कि उद्योगों से निकलने वाला धुआँ, दूषित पदार्थ आदि प्रदूषण को जन्म दें रहे हैं। इस कारण जलप्रदूषण, वायुप्रदूषण हुआ है। आवास एवं शहरीकरण हेतु वनों की अत्यधिक कटाई के कारण मृदा प्रदूषण एवं भूमि कटाव जैसी समस्याएं उत्पन्न हुई हैं । वर्तमान समय में प्रदूषण किसी एक गांव, कस्बे या शहर की समस्या नहीं है अपितु यह संपूर्ण विश्व की बहुत विकराल समस्या बन गई है। यदि समय रहते प्रदूषण जैसी समस्या का समाधान नहीं निकाला गया तो इसका खामियाजा संपूर्ण मानव जाति को भुगतना होगा। और इसके भयंकर परिणाम होंगे जो हमारे साथ भविष्य में आने वाली पीढ़ी भी भुगतेगी।


पर्यावरण संरक्षण के उपाय :- हमारे जीवन का सबसे प्यारा सहारा पर्यावरण है। इसके संरक्षण हेतु हमें अधिक से अधिक वृक्ष लगाने होंगे। उद्योगों से निकलने वाले दूषित पदार्थ का सही तरह से निस्तारण करना होगा। पर्यावरण की स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना होगा । प्राकृतिक संसाधनो का सही तरीके से इस्तेमाल करना होगा। सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग दैनिक जीवन में बंद करना होगा। सिंगल यूज प्लास्टिक के स्थान पर ऐसे पदार्थो का उपयोग करना होगा जोकि बड़ी आसानी से पर्यावरण में रीसाइकिल हो जाए। जैसे - तेंदू पत्ता से बने दोना- पत्तल एवं मिट्टी से बने कुल्हड़ आदि । इनका अधिक से अधिक प्रयोग विभिन्न प्रकार के सार्वजनिक कार्यक्रमों, शादी समारोहों, सरकारी ऑफिस एवं विभिन्न प्रकार के निजी कार्यालयों में किया जाना चाहिए । पर्यावरण संरक्षण हेतु हमें लोगों को जागरूक करना होगा।


उपसंहारः- पर्यावरण हमारे लिए अनमोल है। उसने हमें बहुत कुछ दिया है। पर्यावरण के कारण ही हम जीवित रह सकते है। पर्यावरण हमारा जीवन है, इसलिए पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त करने की जिम्मेदारी हमें निभानी होगी। पर्यावरण संरक्षण की जानकारी सभी विद्यालयों, कालेजों एवं विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों को भी दी जानी चाहिए एवं पर्यावरण संरक्षण विषय को स्कूली शिक्षा में भी शामिल किया जाना चाहिए।


आओ, संकल्प खुद में करते है,

 हरियाली से नाता जोड़ते है।


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पर्यावरण दिवस पर निबंध

पर्यावरण पर निबंध 600 शब्दों में

Essay on International Environment Day (600 words)


प्रस्तावना-


मूलतः पर्यावरण हमारे आस-पास का परिवेश है, जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है। सरल शब्दों में कहें तो सभी तत्व तथा परिस्थितियाँ जो हमें चारों ओर से घेरे हुए हैं पर्यावरण (Environment) कहलाती हैं। पर्यावरण (Environment) को विभिन्न विषयों में प्राकृतिक वास, जनसंख्या पारिस्थितिकी तथा जीवमंडल जैसी शब्दावली के नाम से जाना जाता है। यदि हम इस शब्द का ही संधि-विच्छेद करें, तो यह दो शब्दों से मिलकर बना है - परि और आवरण 'परि' शब्द का अर्थ है '- हमारे चारों ओर' एवं आवरण शब्द का अर्थ है-  'परिवेश'। इसका अर्थ यह हुआ कि हमारे चारों ओर पृथ्वी पर फैली प्रत्येक वस्तु हमारे पर्यावरण (Environment) का अभिन्न हिस्सा है। यह मूलतः मौलिक एवं जैविक तत्वों के पारस्परिक संबंध से बना है। पर्यावरण (Environment) के मौलिक तत्वों में स्थान, भू आकृतियाँ, जलाशय, जलवायु, जलअपवाह, शैल, मृदा, खनिज संपत्ति आदि शामिल हैं, जबकि जैविक तत्व में मनुष्य, पशु, पक्षी, पेड़-पौधे तथा वनस्पतियां आदि शामिल हैं।


पर्यावरण संरक्षण का महत्व- 


पर्यावरण की सुरक्षा करना प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य हैं, क्योंकि सभी जीवों का जीवन पूरी तरह से प्रकृति जैसे- पानी, हवा आदि पर निर्भर है। इसके अतिरिक्त सभी मनुष्य रोटी, कपड़ा और मकान आदि के लिए भी पर्यावरण पर निर्भर हैं। पर्यावरण संरक्षण का सभी प्राणियों के जीवन एवं इस धरा के संपूर्ण प्राकृतिक परिवेश से गहरा नाता है। समस्त जीव-जंतु, पेड़-पौधे छोड़ें गए आक्सीजन के कारण ही जीवित हैं, किंतु प्रदूषण के कारण संपूर्ण पृथ्वी प्रदूषित हो रही हैं, यहीं कारण है कि हमें अपने पर्यावरण को साफ- सुथरा रखना चाहिए जिससे हमारा इस पृथ्वी पर

अस्तित्व बना रहें । और हम समस्त जीव धारियों का जीवन सुचारू रूप से चलता रहें। इसके लिए पर्यावरण संरक्षण अति आवश्यक है।


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पर्यावरण संरक्षण के उपाय-


पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए कई उपाय हैं- 

i).जैविक खाद का उपयोग कृषि में किया जाना चाहिए।


ii).वर्षा जल संचयन प्रणाली का उपयोग किया जाना चाहिए। इससे बरसात के पानी की बर्बादी रुकेगी।


iii).अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ रखें। एवं अपने आसपास गंदगी ना फैलने दें।


iv).जहाँ भी संभव हो अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाएं और उनका संरक्षण करें।


v).वायुमंडल में कार्बन की मात्रा को कम करने के लिए सौर ऊर्जा का अधिक से अधिक प्रयोग करें। विद्युत एवं कोयला के स्थान पर अधिक से अधिक सोलर उपकरणों का उपयोग करें।


vi). जल का संतुलित प्रयोग करें। अनावश्यक पानी को बर्बाद नहीं करें।


vii). सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल न करें। इसके स्थान पर मिट्टी से बने कुल्हड़, तेंदू पत्ता से निर्मित दोना- पत्तल आदि का उपयोग करें।


viii). पर्यावरण को क्षति (हानि) पहुँचाने वाली चीजों का उपयोग नहीं करना चाहि‍ए। जैसे- सिंगल यूज प्लास्टिक


 ix).पुन: प्रयोजन अर्थात जब कोई वस्तु जिस उपयोग के लिए बनी हैं, उस उपयोग में नहीं लाई जा सकती है तो उसे अन्य किसी दूसरे कार्य हेतु उपयोग में लाना चाहिए। उदाहरण के लिए प्लास्टिक की बोतलों का प्रयोग रसोईघर (किचन) में सामान रखने के लिए करना आदि।


x). पुनरावृति अर्थात वापस इस्तेमाल करने योग्य सामान खरीदना चाहिए। जैसे - कांच, कागज, प्लास्टिक की बोतल एवं धातु का सामान। जिसे हम दोबारा उपयोग में ला सकते हैं।


निष्कर्ष: पर्यावरण है, तो मानव हैं।


पर्यावरण का संरक्षण करना प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। यदि प्रत्येक मनुष्य अपनी-अपनी जिम्मेदारी को समझे तो सभी प्रकार की गंदगी, कचरा तथा बढ़ती आबादी को नियंत्रित किया जा सकता है। स्वयं उपाय करके पर्यावरण संरक्षण में अपनी भागीदारी दे सकता है। यदि हम सभी पर्यावरण को संरक्षित करने के उपाय करें तो हमारी पृथ्वी की सुंदरता एवं स्वच्छता जो कि पर्यावरण हैं, उसे बचाया जा सकता हैं। और समस्त मानव जाति अपने जीवन को भी स्वच्छ और स्वस्थ कर सकते हैं। इसलिए पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी किसी एक व्यक्ति या राष्ट्र की ना होकर संपूर्ण विश्व के समस्त नागरिकों एवं समस्त देशों की जिम्मेदारी है। तभी पर्यावरण को बचाया जा सकता है। पर्यावरण संरक्षण करके ही हम सभी अपने जीवन को खुशहाल एवं स्वस्थ बना सकते हैं।


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पर्यावरण दिवस पर श्लोगन

पर्यावरण दिवस पर 10 लाइन (वाक्य)-

(10 lines International Environment Day)


i). पृथ्वी के चारों ओर फैले आवरण को ही पर्यावरण कहते हैं।


ii). पर्यावरण के अंतर्गत हवा, जल, पेड़-पौधे वनस्पतियां एवं वन इत्यादि आते हैं।


iii). पृथ्वी पर जीवन जीने के लिए पर्यावरण प्रकृति का सबसे अनमोल उपहार है।


iv). प्राकृतिक व कृत्रिम आपदा से दिन प्रतिदिन पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है।


v). पर्यावरण के अभाव में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।


vi). समस्त जीवधारियों के जीवन जीने के लिए आवश्यक सभी तत्व पर्यावरण से ही उपलब्ध होते हैं।


vii). वृक्षारोपण करना पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम का कारगर उपाय है।


viii). भविष्य में जीवन को बचाये रखने के लिए पर्यावरण संरक्षण पर विश्व के सभी देशों को ध्यान देना होगा।


ix).5 जून को प्रति वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। 


x). यह पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह अपने आसपास अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाएं एवं पर्यावरण को साफ सुथरा रखने में अपनी जिम्मेदारी निभाएं।


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पर्यावरण दिवस पर श्लोगन हिंदी में

पर्यावरण संरक्षण के लिए वैश्विक स्तर पर होने वाले सम्मलेन -


पर्यावरण प्रदूषण पर अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन


पर्यावरण प्रदूषण के संबंध में विश्व की चिंता 20वीं सदी में बढ़ गई। 30 जुलाई 1968 को मानव द्वारा उत्पन्न पर्यावरण की समस्या विषय पर संयुक्त राष्ट्र सामाजिक और आर्थिक परिषद् ने एक प्रस्ताव पारित किया तथा एक सम्मलेन का आयोजन किया गया, जिसमें कहा गया, “आधुनिक वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास के परिप्रेक्ष्य में मानव तथा उसके पर्यावरण के मध्य संबंधो में विकट परिवर्तन हुआ है।" सामान्य सभा ने इसमें संज्ञानता प्रकट की तथा कहा कि वैज्ञानिकों तथा तकनीकी विकास ने असीमित अवसरों को जन्म दिया है, यदि इन अवसरों का प्रयोग नियंत्रित रूप से नहीं किया गया, तो हमें भयंकर समस्याओं का समाना करना पड़ सकता है। इस सम्मलेन में संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण प्रदूषण, जल प्रदूषण, क्षरण तथा भूमि के विनिष्टीकरण के अन्य प्रारूप, ध्वनि प्रदूषण, अपशिष्ट तथा कीटनाशकों के प्रभाव पर भी विचार किया।


मानव पर्यावरण स्कॉटहोम सम्मलेन -


इस सम्मलेन का उद्देश्य विश्वव्यापी पर्यावरण के संरक्षण की समस्या का निदान तथा सुधार करना था। पर्यावरण के संरक्षण के संदर्भ में विश्वव्यापी स्तर का यह पहला प्रयास था। इसी सम्मलेन में 119 देशों ने 'एक ही पृथ्वी' का सिद्धांत को अपनाया था तथा इसी सम्मलेन से वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे यानि कि विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत हुई थी।


पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-  19 नवंबर 1986 को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं- 


1. पर्यावरण की गुणवत्ता के संरक्षण हेतु सभी महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे।


2. पर्यावरण प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण और उपशमन हेतु राष्ट्रव्यापी योजनाएं बनाना और उनका क्रियान्वयन करना।


3. पर्यावरण की गुणवत्ता के मानक का निर्धारण करना।


पेरिस जलवायु समझौता - इस समझौते का प्रस्ताव वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप-21) के दौरान, 196 पक्षों की ओर से 12 दिसंबर को पारित किया गया था। 4 नवंबर 2016 को यह समझौता लागू हो गया था । पेरिस समझौते का उद्देश्य औद्योगिक काल के पूर्व के स्तर की तुलना में वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 2 डिग्री सेल्सियस से कम रखना है और 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिये विशेष प्रयास करना है। तापमान संबंधी इस दीर्घकालीन लक्ष्य को पाने के लिये देशों का लक्ष्य, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के उच्चतम स्तर पर जल्द से जल्द पहुँचना है ताकि उसके बाद, वैश्विक स्तर में कमी की प्रक्रिया शुरू की जा सके। इसके जरिए 21वीं सदी के मध्य तक कार्बन तटस्थता (नेट कार्बन उत्सर्जन शून्य) हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है। 


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FAQs


प्रश्न 1. पहला पर्यावरण दिवस कब मनाया गया था?

उत्तर - 5 जून, 1974 को ।


प्रश्न 2. पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है?

उत्तर - प्रति वर्ष 5 जून को ।


प्रश्न 3. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम कब लागू किया गया था?

उत्तर - 19 नवंबर, 1986 को ।


प्रश्न 4.पर्यावरण दिवस क्यों मनाया जाता है?

उत्तर- पर्यावरण दिवस - हमारी पृथ्वी जो हमारा घर है, जहां हम मनुष्य, पशु-पक्षी, पौधे निवास करते हैं, इसके ही पर्यावरण के संरक्षण के लिए विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) हर साल 5 जून को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत साल 1972 में मानव पर्यावरण पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन के दौरान हुई थी। 


प्रश्न 5. 2023 में विश्व पर्यावरण दिवस की थीम क्या है?

उत्तर- World Environment Day 2023 की थीम प्लास्टिक प्रदूषण का समाधान (Solutions to Plastic Pollution) हैं, जिसकी मेजबानी कोटे डी आइवर नीदरलैंड के साथ साझेदारी करके कर रहा हैं, तथा विश्व पर्यावरण दिवस 2022 की थीम केवल एक पृथ्वी (OnlyOneEarth) थीं जिसकी मेजबानी स्वीडन ने की थी।


प्रश्न 6. पहले पर्यावरण दिवस का विषय क्या था?

उत्तर -पहले पर्यावरण दिवस का विषय "केवल एक पृथ्वी” था।


प्रश्न 7. पर्यावरण शब्द का क्या अर्थ होता है?

उत्तर- पर्यावरण शब्द का अर्थ है- हमारे आस-पास का परिवेश, जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है।


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Disclaimer: यह Blog एक सामान्य जानकारी के लिए है। इस Blog का उद्देश्य सामान्य जानकारी उपलब्ध कराना है। इसका किसी भी वेबसाइट या ब्लॉग से कोई संबंध नहीं है। यदि सम्बंध पाया गया तो यह महज एक संयोग समझा जाएगा।


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