क्रिया की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण || kriya kise kahate Hain paribhasha,bhed, udaharan
Kriya in Hindi || क्रिया की परिभाषा, प्रकारऔर उदाहरण
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क्रिया kriya
जिस शब्द से किसी कार्य का करना या होना पाया जाये, उसे क्रिया कहते हैं। जैसे- खेलना, पढ़ना, लिखना इत्यादि।
क्रिया के मूलरूप को धातु कहते हैं। धातु में ना जोड़ने पर क्रिया का सामान्य रूप बनता है। पढ़ना क्रिया में पढ़ धातु है, इस प्रकार पढ़ धातु ना जोड़ने पर किया बनी है।
क्रिया के उदाहरण- kriya ke udaharan
1- विक्रम पढ़ रहा है।
2- शास्त्री जी भारत के प्रधानमंत्री थे।
3- महेश क्रिकेट खेल रहा है।
4- सुरेश खेल रहा है।
5- राजाराम पुस्तक पढ़ रहा है।
6- बच्चे क्रिकेट खेल रहे हैं।
7- सीता गाना गा रही है।
8- लड़कियां गाना गा रही हैं।
9- गीता चाय बना रही है।
10- मोहन पत्र लिखता है।
11- उसी ने बोला था।
12- राम ही सदा लिखता है।
13- अध्यापक छात्रों को पाठ पढ़ा रहा था।
14- राम ने कृष्ण को पत्र लिखा।
15- आज सभी पतंग उड़ा रहे हैं।
16- घनश्याम दूध पी रहा है।
17- मोहन खाना खा रहा है।
18- राधा बाजार जा रही है।
19- मीरा कपड़े धुल रही है।
20- सोहन सो रहा है।
क्रिया के शब्द- kriya ke shabd
•खेलना
• आना
•जाना
•कूदना
• नाचना
• पीना
• चलना
• नहाना
• धोना
•रोना
•सोना
•पहनना
क्रिया के भेद - kriya ke bhed
क्रिया के भेद अलग-अलग आधार पर तय किए जाते हैं, आता क्रिया के भेद जानने के लिए पहले क्रिया का वर्गीकरण जानना आवश्यक है क्रिया का वर्गीकरण तीन आधार पर किया गया है-
कर्म के आधार पर, प्रयोग एवं संरचना के आधार पर, तथा काल के आधार पर
1- कर्म के आधार पर क्रिया का वर्गीकरण
2- प्रयोग एवं संरचना के आधार पर क्रिया का वर्गीकरण
3- काल के आधार पर क्रिया का वर्गीकरण
कर्म के आधार पर क्रिया के भेद- karm ke Aadhar per kriya ke bhed
कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद होते हैं -
1- सकर्मक क्रिया-
2- अकर्मक क्रिया-
सकर्मक क्रिया किसे कहते हैं । sakarmak kriya kise kahate Hain
वे क्रियाएं जिनका प्रभाव वाक्य में प्रयुक्त कर्ता पर न पड़कर कर्म पर पड़ता है । उन्हें सकर्मक क्रिया कहते हैं। सकर्मक क्रिया का अर्थ कर्म के साथ में होता है, अर्थात सकर्मक क्रिया में कर्म पाया जाता है। सकर्मक क्रिया दो प्रकार की होती है।
सकर्मक शब्द' स 'और 'कर्मक' से मिलकर बना है जहां 'स' उपसर्ग का अर्थ 'साथ में' तथा' कर्म 'का अर्थ 'कर्म के' होता है।
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Sakarmak kriya |
आसान भाषा में कहें तो वह क्रियाएं जिनके साथ कर्म का होना आवश्यक होता है अर्थात बिना कर्म के वाक्य का संपूर्ण भाव प्रकट नहीं होता है सकर्मक क्रिया होती है।
सकर्मक क्रिया के उदाहरण-sakarmak kriya ke udaharan
निम्नलिखित उदाहरण सकर्मक क्रिया के उदाहरण हैं जिन्हें पढ़कर आप समझ सकते हैं कि सकर्मक क्रिया में कर्म पाया जाता है और सकर्मक क्रिया के वाक्य को कैसे पहचाने।
1- मीरा चाय बना रही है।
2- महेश पत्र लिखता है।
3- हमने एक नया घर बनाया।
4- वह मुझे अपना भाई मानती है।
5- मीरा खाना बनाती है।
6- रमेश सामान लाता है।
7- दिनेश ने आम खरीदे।
8- हम सब ने शरबत पिया।
9- श्याम साइकिल चलाता है।
10- मोहन पान खाता है।
11- राधा गाना गाती है।
12- राहुल टीवी देखता है।
13- कोमल कपड़े खरीद रही है।
14- सोहन कपड़े धो रहा है।
उपरोक्त सभी उदाहरणों में क्रिया का सीधा प्रभाव कर्म पर पड़ रहा है न की करता पर तथा यहां सकर्मक क्रिया है।
सकर्मक क्रिया कैसे पहचाने- sakarmak kriya kaise pahchane
सबसे पहले आपको वाक्य में क्रिया पद से पहले क्या लगा कर वाह को सवाल की तरह पढ़ना है। यदि उस वाक्य में सकर्मक क्रिया होगी तो, आपको वाक्य में प्रयुक्त कर्म के रूप में जवाब मिल जाएगा। यदि आपको जवाब नहीं मिले तो यकीनन वह वाक्य सकर्मक क्रिया का उदाहरण नहीं है।
जैसे- रमेश खाना बना रहा है। इस वक्त में हम क्रिया पद बना रहा है से पहले क्या लगाकर वाक्य को पढ़ते हैं- रमेश क्या बना रहा है? इस सवाल का जवाब होगा कि खाना बना रहा है अतः इस वाक्य में बना रहा है सकर्मक क्रिया है।
सकर्मक क्रिया के भेद- sakarmak kriya ke bhed
1- पूर्ण सकर्मक क्रिया-purn sakarmak kriya
2- अपूर्ण सकर्मक क्रिया-apurn sakarmak kriya
पूर्ण सकर्मक क्रिया किसे कहते हैं-purn sakarmak kriya kise kahate Hain
सकर्मक क्रिया का वह रूप जिसमें क्रिया के साथ' कर्म 'के अतिरिक्त किसी अन्य पूरक शब्द संज्ञा या विशेषण की आवश्यकता नहीं होती उस क्रिया को पूर्ण सकर्मक क्रिया कहते हैं पूर्ण सकर्मक क्रिया के दो भेद होते हैं.
पूर्ण सकर्मक क्रिया के उदाहरण-purn sakarmak kriya ke udaharan
1- महेश ने घर बनाया।
2- बच्चा पी रहा है।
3- कुछ छात्र पढ़ रहे थे।
4- उसी ने बोला था।
5- राम ही सदा लिखता है।
6- राम एक मकान बनाया।
आप देख सकते हैं कि उपरोक्त सभी उदाहरण में कर्म के साथ किसी भी तरह का पूरक शब्द इस्तेमाल नहीं किया गया है। अतः यहां पूर्ण सकर्मक क्रिया है।
अपूर्ण सकर्मक क्रिया किसे कहते हैं apurn sakarmak kriya kise kahate Hain
अपूर्ण सकर्मक क्रिया- अकर्मक क्रिया का वह रूप जिसमें क्रिया के साथ कर्म के अतिरिक्त भी किसी न किसी पूरक शब्द (संज्ञा या विशेषण ) की आवश्यकता बनी रहती हो तो, उस क्रिया को अपूर्ण सकर्मक क्रिया कहते हैं ।चार क्रियाएं मानना ,समझना ,चुनना एवं बनाना (चयन के अर्थ में ) सदैव अपूर्ण सकर्मक क्रिया होती है।
आसान भाषा में कहें तो अपूर्ण सकर्मक क्रिया में पूरक शब्दों के बिना काम का पूर्ण होना नहीं पाया जाता।
अपूर्ण सकर्मक क्रिया के उदाहरण-apurn sakarmak kriya ke udaharan
1- नवीन सचिन को चतुर समझता है।
2- वह मुझे अपना भाई मानता है।
3- हमने रमेश को समिति का अध्यक्ष बनाया।
4- वह अपने आप को हिटलर समझती है।
5- सोहन मोहन को अपना दुश्मन समझता है।
6- देश ने मोदी को प्रधानमंत्री चुना था।
उपरोक्त सभी उदाहरणों में आप देख रहे हैं कि चतुर भाई अध्यक्ष हिटलर दुश्मन एवं प्रधानमंत्री पूरक शब्द है अतः यहां अपूर्ण सकर्मक क्रिया होगी।
अकर्मक क्रिया किसे कहते हैं-akarmak kriya kise kahate Hain
वे क्रियाएं जिनका प्रभाव वाक्य में प्रयुक्त करता पर पड़ता है उन्हें अकर्मक क्रिया कहते हैं। अकर्मक क्रिया का अर्थ कर्म के बिना होता है, अर्थात अकर्मक क्रिया के साथ कर्म प्रयुक्त नहीं होता है। अकर्मक शब्द अ और कर्मक से मिलकर बना है, जहां 'अ' उपसर्ग का अर्थ बिना तथा कर्मक का अर्थ कर्म के होता है।
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अकर्मक क्रिया किसे कहते हैं |
अकर्मक क्रिया के उदाहरण-akarmak kriya ke udaharan
1- रमेश दौड़ रहा है।
2- मैं एक अध्यापिका थी।
3- वह मेरा मित्र है।
4- मैं रात भर नहीं सोया।
5- रमेश बैठा है।
6- बच्चा रो रहा है।
7- वह जा रहा है।
8- पिताजी आ रहे हैं।
उपरोक्त सभी उदाहरणों में कर्म कारक उपस्थित नहीं है अतः यहां अकर्मक क्रिया है।
सकर्मक और अकर्मक क्रिया की पहचान sakarmak aur akarmak kriya ki pahchan kaise karen
दोनों क्रियाओं में क्या किसे, किसको लगाकर यदि उत्तर प्राप्त होता है सकर्मक क्रिया, यदि उत्तर प्राप्त नहीं होता है तो अकर्मक क्रिया होगी।
जैसे- मोहन फल खाता है। (मोहन क्या खाता है ?)
उत्तर मिला 'फल' यह सकर्मक क्रिया है।
जैसे- मोहन खाता है। (मोहन क्या खाता है ?)
कोई उत्तर न मिले तो अकर्मक क्रिया है।
1. संयुक्त क्रिया sanyukt kriya-
दो या दो से अधिक क्रियाओं के योग से जो क्रिया बनती है, उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं।
जैसे-
1- सीमा खाना खा चुकी है।
2- रजनी ने खाना खा लिया।
3- मैंने पुस्तक पढ़ डाली है।
4- रोहन ने खाना बना लिया है।
2. नाम धातु क्रिया - Naam dhaatu kriya
जो क्रियाएँ संज्ञा या विशेषण से बनती हैं, नाम धातु क्रियाएँ कहलाती हैं।
संज्ञा से- हाथ हथियाना
विशेषण से- गर्म से गरमाना
3. प्रेरणार्थक क्रिया-prernarthak kriya
इसमें कर्ता स्वयं कार्य न करके किसी दूसरे को कार्य करने के लिए प्रेरित करता है ।
जैसे-
1- लिखना से लिखवाना।
2- रतन महेश से पत्र लिखवाता जाता है।
3- सविता कविता से कपड़े धुलवाती है।
4- अध्यापक बच्चों से पाठ पढ़ाता है।
5- सोहन मां से खाना बनाता है।
6- शंकर विजय से साइकिल चलवाता है।
4. पूर्वकालिक क्रिया- purnakalik kriya
जब कर्ता एक क्रिया को समाप्त करके दूसरी क्रिया आरम्भ कर दे, उसमें पहली क्रिया पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है।
जैसे-
1- राम पढ़ाई करके सो गया। (पढ़ाई करके पूर्वकालिक किया है) ।
2- विकास पढ़ कर सो गया।
3- वह नहा कर चला गया।
4- रोहन ने खाना खाकर चाय पी।
5- कोमल नहा कर मंदिर जाएगी।
6- सोहन खेलकर नहाने जाएगा।
क्रिया-विशेषण kriya visheshan
जो शब्द क्रिया के अर्थ में विशेषता प्रकट करते हैं, उन्हें क्रिया-विशेषण हैं।
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Kriya visheshan kise kahate Hain |
अर्थ के आधार पर क्रिया-विशेषण भेद- Arth ke Aadhar per kriya visheshan ke bhed
1. स्थानवाचक-sthanvachak जिन शब्दों से क्रिया के स्थान का बोध हो जैसे- यहाँ वहाँ, जहाँ, तहाँ, ऊपर, नीचे, आगे, बाहर इत्यादि ।
2. परिमाणवाचक pariman vachak -जिन शब्दों से क्रिया के परिमाण का बोध जैसे- बारी-बारी, पूर्णतया, क्रमशः, जितना, थोड़ा-थोड़ा, दो-दो इत्यादि । कुल
3. कालवाचक call vachak-जिन शब्दों से क्रिया के काल का बोध हो; जैसे-आज कल, परसों, कभी न कभी, सदैव इत्यादि !
4. दिशावाचक Disha vachak-जिन शब्दों से क्रिया की दिशा का बोध हो जैसे-दायें-बाये, एक ओर, इत्यादि ।
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