राष्ट्रीय खेल दिवस पर निबंध | Essay On National Sports Day In Hindi
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नेशनल स्पोर्ट्स डे 2023
राष्ट्रीय खेल दिवस प्रत्येक वर्ष 29 अगस्त को देश में बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है. किन्तु ये विडम्बना है कि हम में से अधिकांश लोग आज भी यह नहीं जानते हैं कि खेल दिवस 29 अगस्त को ही क्यों मनाया जाता है ? नेशनल स्पोर्ट्स डे को 29 अगस्त को ही मनाने के पीछे कारण यह है कि इसे मेजर ध्यानचंद के जन्मदिवस के उपलक्ष्य पर 29 अगस्त को ही मनाया जाता है जिन्हें हॉकी का जादूगर भी कहा जाता है. हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त सन 1905 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (वर्तमान में प्रयागराज) में हुआ था. मेजर ध्यानचंद की गिनती हॉकी के विश्वप्रसिद्ध खिलाड़ियों में की जाती है. यहीं कारण है कि मेजर ध्यानचंद को दुनिया हॉकी के जादूगर के नाम से जानती है. हॉकी के इस जादूगर ने वर्ष 1928, 1932 एवं 1936 में अपना बेहतरीन खेल दिखाते हुए तीन ओलम्पिक स्वर्ण पदक अपने नाम किये हैं. ऐसा कहा जाता है कि मेजर ध्यानचंद की हॉकी स्टिक से गेंद कभी दूर हटती ही नहीं थी. हॉकी से मेजर ध्यानचंद को इतना लगाव था कि उन्होनें अपना पूरा जीवन ही इस खेल के प्रति समर्पित कर दिया था. उन्हें हॉकी का जादूगर कहने के पीछे मूलभूत कारण यह है कि उस समय के दर्शकों को ऐसा लगता था कि जैसे वे अपनी हॉकी स्टिक से मैदान में कोई जादू कर देते थे. मेजर ध्यानचंsaद को एक और उपाधि दी गयी थी - 'हॉकी विजार्ड'. मेजर ध्यानचंद के हॉकी में अतुलनीय योगदान को देखते हुए भारत सरकार द्वारा उन्हें 'पद्मा भूषण' पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है. यह देश का तीसरा सबसे बड़ा पुरस्कार है जो हॉकी के इस जादूगर को दिया गया है.
राष्ट्रीय खेल दिवस को मनाने का कारण
राष्ट्रीय खेल दिवस को मनाने का मुख्य कारण यह है कि इससे देश के लोगों में खेल की भावना जाग्रत होती है और देश के युवाओं का रुझान भी खेल के प्रति बढ़ता है. प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय खेल दिवस मनाने से देश के स्कूलों, गावों एवं नगरों से बहुत से प्रतिभावान खिलाड़ी भी देश को मिल जाते हैं जो राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने देश का नाम रोशन करते हैं. राष्ट्रीय खेल दिवस को मनाने से देश के बहुत से युवाओं को रोजगार मिल जाता है, आम जनता देश के प्रतिभावान खिलाड़ियों की प्रशंसा करती हैं. इस पावन खेल दिवस के मौके पर बहुत से खिलाड़ियों को सम्मानित भी किया जाता है. इस दिन बहुत से स्कूलों में खेल से जुड़ी हुई विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं. अब तो आप लोग समझ ही गए होंगे कि राष्ट्रीय खेल दिवस को प्रत्येक वर्ष इसलिए मनाया जाता है ताकि इस दिवस के बहाने सभी देशवासी मेजर ध्यानचंद को याद कर सकें एवं हॉकी के जादूगर को अपने दिलों में हमेशा जीवंत रख सकें. राष्ट्रीय खेल दिवस से देश में खेलों का प्रचार- प्रसार भी होता है और युवाओं में खेल के प्रति आकर्षण भी जाग्रत होता है.
1936 ओलम्पिक मैच में जर्मनी को बुरी तरह से हराया
यह घटनाक्रम सन 1936 के ओलम्पिक के फाइनल मैच का है. हुआ ये कि जब भारत एवं जर्मनी की हॉकी टीम बर्लिन के मैदान पर फाइनल मैच खेलने जा रही थी. तब बर्लिन के उस हॉकी स्टेडियम में जर्मनी का तानाशाह हिटलर भी इस मैच को देखने के लिए मौजूद था. हिटलर की मौजूदगी में जर्मनी की टीम हर हाल में ये फाइनल मैच जीतना चाहती थी. फाइनल मैच जीतने के लिए जर्मनी की हॉकी टीम बदतमीजी एवं धक्का- मुक्की पर भी उतर आयी थी. खेल के दरम्यान जर्मन गोलकीपर टीटो वार्नहोल्टज से टकराने के दौरान मेजर ध्यानचंद के दांत टूट गए. जर्मनी के खिलाड़ियों को लगा कि वे अपने मकसद में कामयाब हो गए. किन्तु शीघ्र ही हॉकी का ये जादूगर मैदान पर लौटा और जर्मनी की टीम को अपने निराले अंदाज से 8 - 1 के अंतर से धूल चटा दी. और भारत को ओलम्पिक में एक और स्वर्ण पदक दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
हिटलर का प्रस्ताव
वर्ष 1936 के ओलम्पिक फाइनल मैच में मेजर ध्यानचंद ने जर्मनी की टीम के विरुद्ध 3 गोल किये थे. मेजर ध्यानचंद के अतुलनीय खेल कौशल से प्रभावित होकर जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने उन्हें पद एवं धन - दौलत का लालच देकर जर्मनी की हॉकी टीम में शामिल होने के लिए कहा. हिटलर ने उन्हें प्रस्ताव दिया कि मेजर ध्यानचंद जर्मनी की नागरिकता स्वीकार कर लें तथा उन्हें जर्मन सेना में कर्नल का पद देने का वादा भी किया. इसके अतिरिक्त बहुत सारा धन देने का भी वादा किया. किन्तु राष्ट्रप्रेमी मेजर ध्यानचंद ने तुरंत ही हिटलर के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और कहा कि मेरे लिए मेरा देश ही सबसे बड़ी दौलत है.
मेजर ध्यानचंद के अंतर्राष्ट्रीय रिकॉर्ड
हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद ने अपने करियर में 400 से भी अधिक अंतर्राष्ट्रीय गोल किये थे. उन्होंने अपने करियर के दौरान तीन ओलम्पिक स्वर्ण पदक अपने नाम किये. बर्लिन ओलम्पिक में सर्वाधिक 11 गोल करने का रिकॉर्ड भी मेजर ध्यानचंद के नाम पर ही है. इस पूरे टूर्नामेंट में भारतीय हॉकी टीम ने कुल 38 गोल किये थे जिसमें सिर्फ एक गोल खोया था. वर्ष 1928 में आयोजित ऐम्सटर्डम ओलम्पिक में मेजर ध्यानचंद ने 5 मैचों में कुल 14 गोल किये थे. ऐम्सटर्डम ओलम्पिक में फाइनल मैच में भारतीय हॉकी टीम ने हॉलैंड को 3 - 0 से पराजित कर स्वर्ण पदक जीता था. इस रोमांचकारी और जुझारू मैच में हॉकी के इस जादूगर ने 2 गोल किये थे.
हॉकी के जादूगर
मेजर ध्यानचंद को यूं ही हॉकी का जादूगर नहीं कहा जाता है. कहते हैं कि अगर कोई गेंद उनकी हॉकी स्टिक में फंस जाती थी तो फिर वह गोल करके ही आती थी. यहीं कारण है कि एक बार मैच के दौरान उनकी हॉकी स्टिक को तोड़ा गया था यह जांचने के लिए की हॉकी स्टिक के अंदर कोई चुम्बक या अन्य कोई चीज तो नहीं लगी है.
हॉकी के जादूगर के नाम से प्रसिद्द मेजर ध्यानचंद, तीन बार ओलम्पिक में गोल्ड मेडल जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य थे. मेजर ध्यानचंद के उत्कृष्ट एवं अतुलनीय खेल को देखते हुए वर्ष 1936 के बर्लिन ओलम्पिक में इन्हें भारतीय हॉकी टीम का कप्तान नियुक्त किया गया था.
पुरस्कार एवं सम्मान
i) हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद ने सन 1926 से 1948 के दौरान अपने करियर में 400 से भी ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय गोल किये थे. तथा अपने सम्पूर्ण खेल जीवन में लगभग 1000 गोल किये थे जो उनकी विलक्षण प्रतिभा को प्रदर्शित करता है.
ii) हॉकी के इस विश्व प्रसिद्द खिलाड़ी को श्रद्दांजलि देने के लिए, भारत सरकार ने वर्ष 2012 में उनके जन्मदिवस को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया.
iii) मेजर ध्यानचंद के हॉकी में योगदान को देखते हुए भारत सरकार द्वारा वर्ष 1956 में उन्हें पद्मा भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया था, जो भारत देश का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है.
राष्ट्रीय खेल दिवस समारोह
i) मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन अर्थात राष्ट्रीय खेल दिवस को सम्पूर्ण देश में बहुत ही हर्ष एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस अवसर पर राष्ट्रपति भवन में भव्य समारोह का आयोजन किया जाता है तथा भारत देश के राष्ट्रपति देश के उत्कृष्ट खिलाड़ियों को राष्ट्रीय खेल पुरस्कार से सम्मानित करते हैं.
ii) इस अवसर पर राष्ट्रीय खेल पुरस्कार के तहत खिलाड़ियों तथा पूर्व खिलाड़ियों को राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार, अर्जुन पुरस्कार एवं द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है. उपरोक्त सभी सम्मानों के साथ इस दिन 'ध्यानचंद पुरस्कार' भी प्रदान किया जाता है.
iii) सन 1979 में हॉकी का ये चमकता सितारा इस दुनिया से हमेशा के लिए ओझल हो गया. उनकी मृत्यु के पश्चात भारतीय डाक विभाग ने उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया. हॉकी के इस जादूगर के सम्मान में, दिल्ली के नेशनल स्टेडियम का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद स्टेडियम, दिल्ली कर दिया गया था.
Frequently Asked Questions (FAQs)
1. राष्ट्रीय खेल दिवस प्रतिवर्ष किस दिन मनाया जाता है?
उत्तर- राष्ट्रीय खेल दिवस प्रतिवर्ष 29 अगस्त को मनाया जाता है।
2. राष्ट्रीय खेल दिवस किसकी स्मृति में मनाया जाता है?
उत्तर- राष्ट्रीय खेल दिवस मेजर ध्यानचंद की स्मृति में मनाया जाता है।
3. हॉकी का जादूगर किसे कहा जाता है?
उत्तर- हॉकी का जादूगर मेजर ध्यानचंद को कहा जाता है।
4. मेजर ध्यानचंद की अगुवाई में भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक में कितने स्वर्ण पदक जीते थे?
उत्तर- मेजर ध्यानचंद की अगुवाई में भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक में 3 स्वर्ण पदक जीते थे।
Disclaimer: यह Blog एक सामान्य जानकारी के लिए है। इस Blog का उद्देश्य सामान्य जानकारी उपलब्ध कराना है। इसका किसी भी वेबसाइट या ब्लॉग से कोई संबंध नहीं है। यदि सम्बंध पाया गया तो यह महज एक संयोग समझा जाएगा।
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