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Essay on Republic Day / गणतंत्र दिवस पर निबंध

गणतंत्र दिवस पर निबंध    [ bandanaclasses.com ]
Essay on Republic Day

 

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Essay on Republic day

" जो भरा नहीं हैं भावों से , जिसमें बहती रसधार नहीं

वह ह्रदय नहीं वह पत्थर हैं,जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं "

 

दोस्तों कहने को तो ये मात्र चंद पंक्तियाँ हैं किन्तु ये चंद पंक्तियाँ हमें बताती हैं कि देश के जिस नागरिक के अंदर अपने देश के लिए प्रेम, प्यार तथा देश के लिए मर - मिटने की इच्छाशक्ति यदि नहीं हैं तो उस व्यक्ति का हृदय पत्थर के समान हैं. देश के प्रत्येक नागरिक के अंदर देश - प्रेम की भावना कूट - कूट कर भरी होनी चाहिए ताकि देश के लिए यदि हमें अपने प्राणों का बलिदान भी देना पड़ जाये तो हम लेश मात्र भी न सोचें और हँसते - हँसते अपने जीवन का बलिदान कर देना चाहिए. ये होता है एक सच्चे देशप्रेमी का हृदय. ये पंक्तियाँ हैं - देशवासियों के लहू (रक्त ) में देशप्रेम का जोश भरने के लिए . देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा दिखाने के लिए . देश के लिए अपना तन , मन और धन तक न्यौछावर कर देना चाहिए.

तो नमस्कार दोस्तों आज की अपनी इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको देश भक्ति से परिपूर्ण टॉपिक गणतंत्र दिवस पर निबंध के बारे में बताएँगे जिसे पढ़कर आप भी जानेंगे कि गणतंत्र दिवस को मनाने के पीछे का कारण क्या हैं ? तथा इसका हम भारतीयों के लिए क्या महत्व हैं ? मेरे प्रिय विद्द्यार्थियों यदि आप भी गणतंत्र दिवस से सम्बंधित सभी जानकारी चाहते हैं तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें. और ऐसी ही नई - नई जानकारियों के लिए बने रहिये हमारी वेबसाइट bandanaclasses.com  पर.

 
प्रस्तावना

 

26 जनवरी को मनाया जाने वाला भारतीय गणतंत्र दिवस वह दिन है जब इसी दिन सन 1950 में हमारे देश का संविधान अस्तित्व  में आया. गणतंत्र दिवस का दिन हमारे देश के प्रमुख तीन राष्ट्रीय पर्वों में से एक है. यही कारण हैं कि  सम्पूर्ण देशवासी इस राष्ट्रीय पर्व को जाति तथा धर्म से ऊपर उठकर पूरे सम्मान और उत्साह के साथ मनाते हैं.

 

गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता हैं ?

 

गणतंत्र दिवस मनाने का प्रमुख कारण यह हैं कि आज ही के दिन हमारे भारत देश का संविधान लागु हुआ था. हालाँकि इसके अलावा इस दिन का एक और इतिहास भी है, जो कि बहुत रोचक है. इसकी शुरुआत दिसंबर सन 1929 में लाहौर में पंडित जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में संपन्न हुई जो की भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन से हुई थी. जिसमें कांग्रेस द्वारा इस बात की घोषणा की गयी कि यदि 26  जनवरी सन 1930 तक भारत को स्वायत्त शासन नहीं प्रदान किया गया तो इसके बाद भारत अपने आप को पूर्णतः स्वतन्त्र घोषित कर देगा किन्तु जब यह दिन आया और ब्रिटिश सरकार द्वारा इस मुद्दे पर कोई जवाब नहीं दिया गया तो कांग्रेस ने उसी दिन से पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्ति के लक्ष्य से अपना सक्रिय आंदोलन प्रारम्भ कर दिया .यहीं कारण है कि जब हमारा देश स्वतंत्र हुआ तो 26 जनवरी के दिन के  इस दिन संविधान स्थापना के लिए चुना गया.

 

भारत का राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस

 

गणतंत्र दिवस कोई साधारण दिन नहीं है, यह वह महान और ऐतिहासिक दिन है जब हमारे भारत देश का संविधान लागु हुआ था तथा भारत भी एक गणतंत्र देश घोषित हुआ था. क्योंकि भले ही हमारा देश 15 अगस्त 1947 को स्वतन्त्र हो गया था किन्तु भारत देश पूर्ण रूप से स्वतंत्र तब हुआ जब 26 जनवरी सन 1950 के दिन " भारत सरकार अधिनियम " को हटाकर भारत के नवनिर्मित संविधान को लागु किया गया. इसलिए उस दिन से 26 जनवरी के इस दिन को भारत में " गणतंत्र दिवस " के रूप में मनाया जाने लगा. यह हमारे देश के तीन राष्ट्रीय पर्वों में से एक है इसके अलावा अन्य दो गाँधी जयंती और स्वतंत्रता दिवस हैं. इस दिन सम्पूर्ण देश में राष्ट्रीय अवकाश रहता है यहीं कारण हैं कि विद्यालय तथा कार्यालय जैसे सभी जगहों पर इस पर्व को बहुत ही सम्मान तथा उत्साह के साथ प्रत्येक देशवासी मनाता है.

 

गणतंत्र दिवस से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

 

नीचे भारतीय गणतंत्र दिवस से जुड़ें कई सारे महत्वपूर्ण रोचक तथ्यों के विषय में चर्चा की गयी हैं.

 

* इस दिन पहली बार 26 जनवरी 1930 में पूर्ण स्वराज का कार्यक्रम मनाया गया जिसमें अंग्रेजी हुकूमत से पूर्ण आज़ादी के प्राप्ति का प्रण लिया गया था.

 

* गणतंत्र दिवस परेड के दौरान एक क्रिश्चियन ध्वनि बजायी जाती है जिसका नाम " आबाइएड विथ मी " है क्योंकि यह ध्वनि महात्मा गाँधी के प्रिय ध्वनियों में से एक है.

 

* भारत के पहले गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णों थे.

 

* गणतंत्र दिवस समारोह का राजपथ में पहली बार आयोजन वर्ष 1955 में किया गया था.

 

* भारतीय गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान भारत के राष्ट्रपति को 31 तोपों की सलामी दी जाती है.

 

गणतंत्र दिवस समारोह

 

प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को नई दिल्ली के राजपथ में गणतंत्र दिवस के इस कार्यक्रम को बहुत ही भव्य रूप से मनाया जाता है. इसके साथ ही हर गणतंत्र दिवस पर किसी विशेष अतिथि के रूप में किसी विदेशी गणमान्य अतिथि को बुलाने की परंपरा है. कई बार एक से अधिक भी विशेष अतिथि के तौर पर इस भव्य कार्यक्रम में शामिल हुए हैं. गणतंत्र दिवस के पावन पर्व पर सबसे पहले राष्ट्रपति द्वारा तिरंगा ध्वज फहराया जाता है तथा इसके बाद वहां पर उपस्थित सभी नागरिक खड़े होकर सामूहिक रूप से राष्ट्रगान गाते हैं. इसके बाद कई तरह की सांस्कृतिक और पारम्परिक झांकियां निकाली जाती हैं जो कि देख़ने में बहुत ही आकर्षक और मनमोहक होती है. इसके साथ ही इस दिन भव्य परेड का आयोजन राजपथ पर किया जाता है जिसे देखने के लिए देश - विदेश से लोग आते हैं. इस परेड को देखने के लिए लोगों में बहुत अधिक उत्साह होता हैं. इस परेड का शुभारम्भ प्रधानमंत्री द्वारा राजपथ पर स्थित अमर जवान ज्योति पर पुष्प डालने के बाद होता है. इसमें देश की तीनों सेना के अंग भाग लेते हैं - थल सेना , वायु सेना तथा जल सेना. इस परेड के माध्यम से भारत अपनी सामरिक तथा कूटनीतिक शक्ति का भी प्रदर्शन करता है तथा समस्त विश्व को यह सन्देश देता हैं कि हम अपने देश की सुरक्षा, अखंडता और शांति बनाये रखने में सक्षम हैं. वर्ष 2018 के गणतंत्र दिवस समारोह में एक साथ कई विशेष अतिथियों को आमंत्रित किया गया था. इस कार्यक्रम में सभी आसियान देशों के प्रमुखों को आमंत्रित किया गया था. गणतंत्र दिवस का यह समारोह भारत देश की विदेश नीति के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इस कार्यक्रम के माध्यम से आमंत्रित किये गए विभिन्न देशों के मुख्य अतिथियों के आगमन से भारत को इन देशों से संबंधों को बढ़ाने का मौका मिलता है. इससे भारत देश की विदेश नीति मजबूत होती है.

 

उपसंहार

 

गणतंत्र दिवस हमारे देश के तीन राष्ट्रीय पर्वों में से एक है. यह वह महान तथा ऐतिहासिक दिन है जो हमें हमारे गणतंत्र के महत्व को याद दिलाता है. यहीं कारण है कि गणतंत्र दिवस को सम्पूर्ण भारत देश में बड़े ही हर्ष तथा उल्लास के साथ मनाया जाता है. इसके साथ ही इस दिन के माध्यम से देश अपनी सामरिक तथा कूटनीतिक शक्ति का भी प्रदर्शन करता है जो कि किसी को आतंकित करने के लिए नहीं बल्कि इस बात का सन्देश देने के लिए होता है कि हम अपने देश की रक्षा करने में सक्षम हैं. 26 जनवरी का यह दिन हमारे लिए एक यादगार दिन है इसलिए हमें इस ऐतिहासिक दिन के मौके पर इस राष्ट्रीय पर्व को पुरे जोश, लगन तथा हर्षोल्लास के साथ मनाना चाहिए.


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