Class 10th भूगोल Chapter 6 विनिर्माण उद्योग notes
Class 10 भूगोल अध्याय 6 विनिर्माण उद्योग ncert notes in hindi
Class 10 भूगोल अध्याय 6 विनिर्माण उद्योग ncert notes
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अध्याय- 6
विनिर्माण उद्योग
(Manufacturing Industry)बहुविकल्पीय प्रश्न-
1.कौन सा उद्योग कृषि पर आधारित नहीं है?
(क) सूती वस्त्र
(ख) पटसन
(ग) चीनी
(घ) सीमेंट
उत्तर- (घ) सीमेंट
2. भारत की जूट निर्यात में क्या स्थिति है?
(क) प्रथम
(ख) द्वितीय
(ग) पांचवी
(घ) तृतीय
उत्तर- (ख) द्वितीय
3. टिस्को किस क्षेत्र के अंतर्गत आता है?
(क) निजी क्षेत्र
(ख) संयुक्त क्षेत्र
(ग) सार्वजनिक क्षेत्र
(घ) सहकारी क्षेत्र
उत्तर- (क) निजी क्षेत्र
4. निम्न में कौन सा उद्योग चूना पत्थर को कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त करता है?
(क) एलमुनियम
(ख) प्लास्टिक
(ग) सीमेंट
(घ) मोटर गाड़ी
उत्तर- (ग) सीमेंट
5. भारत का सबसे प्राचीन और प्रमुख उद्योग है-
(क) लोहा तथा इस्पात उद्योग
(ख) जूट उद्योग
(ग) सूती वस्त्र उद्योग
(घ) कागज उद्योग
उत्तर- (ग) सूती वस्त्र उद्योग
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6. सेल उद्दम किस क्षेत्र के अंतर्गत आता है?
(क) निजी क्षेत्र
(ख) सहकारी क्षेत्र
(ग) सार्वजनिक क्षेत्र
(घ) संयुक्त क्षेत्र
उत्तर- (ग) सार्वजनिक क्षेत्र
7. निम्न में कौन सा उद्योग दूरभाष, कंप्यूटर आदि संयंत्र निर्मित करते हैं?
(क) स्टील
(ख) एलमुनियम प्रगलन
(ग) इलेक्ट्रॉनिक
(घ) सूचना प्रौद्योगिकी
उत्तर- (ग) इलेक्ट्रॉनिक
8 . दुर्गापुर इस्पात संयंत्र कहां है?
(क) बिहार
(ख) मध्य प्रदेश
(ग) उत्तर प्रदेश
(घ) पश्चिम बंगाल
उत्तर- (घ) पश्चिम बंगाल
9. भिलाई इस्पात संयंत्र कहां है?
(क) उत्तर प्रदेश
(ख) बिहार
(ग) छत्तीसगढ़
(घ) उड़ीसा
उत्तर- (ग) छत्तीसगढ़
10. निम्न में से कौन-सा रेशम उद्योग का प्रमुख केंद्र है?
(क) पूना
(ख) अमृतसर
(ग) मैसूर
(घ) सूरत
उत्तर- (ग) मैसूर
11. प्रथम जूट मिल की स्थापना कहां हुई?
(क) बैंगलोर
(ख) कोलकाता
(ग) मुंबई
(घ) पटना
उत्तर- (ख) कोलकाता
12. उद्योग निम्न में से किस प्रदूषण के लिए उत्तरदाई है?
(क) वायु
(ख) जल
(ग) ध्वनि
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर- (घ) उपरोक्त सभी
13. अधिकतर चीनी उद्योग है-
(क) सहकारी क्षेत्र में
(ख) सार्वजनिक क्षेत्र में
(ग) निजी क्षेत्र में
(घ) संयुक्त क्षेत्र में
उत्तर- (क) सहकारी क्षेत्र में
सत्य असत्य बताइए-
(i) .'टिस्को ' एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा इस्पात कारखाना है।
उत्तर- सत्य
(ii). कृषि तथा उद्योग एक -दूसरे के पूरक हैं।
उत्तर- सत्य
(iii). तृतीयक कार्यो में लगे व्यक्ति कच्चे माल को परिष्कृत वस्तुओं में परिवर्तित करते हैं।
उत्तर- असत्य
(iv). भारत जापान को सूत निर्यात करता है।
उत्तर- सत्य
(v). सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग जैसे- रिलायंस टिस्को है।
उत्तर- असत्य
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(i) .विनिर्माण उद्योग समानत: ............. की रीढ़ समझे जाते हैं।
उत्तर- आर्थिक विकास
(ii). मनुष्य का वस्तु निर्माण करने का कार्य……...कहलाता है।
उत्तर- उद्योग
(iii). टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी ,जमशेदपुर ……... राज्य में स्थित है।
उत्तर- झारखंड
(iv). बोकारो इस्पात संयंत्र सन्…….. में स्थापित किया गया।
उत्तर- 1972
(v). भारत में ……..के पठारी क्षेत्र में अधिकांश लोहा तथा इस्पात उद्योग संकेंद्रित है।
उत्तर- छोटा नागपुर
(vi) .आरंभिक वर्षों में सूती वस्त्र उद्योग..…...तथा….. के कपास उत्पादक क्षेत्रों तक सीमित थे।
उत्तर- महाराष्ट्र तथा गुजरात
सही जोड़ियां बनाइए-
'अ' 'ब'
1.आयल इंडिया लिमिटेड (क) ऊनी वस्त्र
2.बजाज ऑटो लिमिटेड (ख) सिलिका
3.कृषि आधारित उद्योग (ग) कार्बन मोनोऑक्साइड
4.सीमेंट उद्योग (घ) संयुक्त उद्योग
5.वायु प्रदूषण का कारण (ड़) निजी उद्योग
उत्तर-
1.आयल इंडिया लिमिटेड → (घ) संयुक्त उद्योग
2.बजाज ऑटो लिमिटेड → (ड़) निजी उद्योग
3.कृषि आधारित उद्योग → (क) ऊनी वस्त्र
4.सीमेंट उद्योग → (ख) सिलिका
5.वायु प्रदूषण का कारण→(ग) कार्बन मोनोऑक्साइड
एक शब्द वाक्य में उत्तर लिखिए-
(i) कच्चे पदार्थ को मूल्यवान उत्पाद में परिवर्तित कर अधिक मात्रा में वस्तुओं के उत्पादन को क्या कहा जाता है?
उत्तर- विनिर्माण
(ii) पूर्णतः भारतीय तकनीकी पर आधारित कौन सा इस्पात कारखाना है?
उत्तर- विजयनगर इस्पात कारखाना (कर्नाटक में)
(iii) पटसन उद्योग किस राज्य व किस नदी तट पर स्थित है?
उत्तर- पश्चिम बंगाल, हुगली नदी
(iv) हवाई जहाज, बर्तन व तार बनाने में किस धातु का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर- एलमुनियम
(v) उद्योग स्थापना विस्तार व निवेश की उदार नीति को क्या कहते हैं?
उत्तर- उदारीकरण
(vi) सार्वजनिक क्षेत्र के लगभग सभी उपक्रम अपने इस बात को किसके माध्यम से बेचते हैं?
उत्तर- स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया
अति लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1. विनिर्माण क्या है?
उत्तर-कच्चे पदार्थ को मूल्यवान उत्पाद में परिवर्तित कर अधिक मात्रा में वस्तुओं के उत्पादन को विनिर्माण कहा जाता है, जैसे -कागज बांस से, चीनी गन्ने से, लोहा- इस्पात लौह अयस्क से तथा एलमुनियम बॉक्साइट से निर्मित है।
प्रश्न 2.उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन भौतिक कारक बताइए।
उत्तर- उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले निम्न प्रकार है-
1.कच्चे माल की प्राप्ति
2.शक्ति के साधन
3.उपयुक्त जलवायु
प्रश्न 3.औद्योगिक अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन मानवीय कारक बताइए।
उत्तर- औद्योगिक अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन मानवीय कारक निम्न प्रकार हैं-
1. श्रम
2. बाजार
3. परिवहन एवं संचार की सुविधाएं
प्रश्न 4. आधारभूत उद्योग क्या है उदाहरण देकर बताइए।
उत्तर- वे उद्योग जो अन्य उद्योगों के आधार होते हैं। इनके उत्पादन अन्य उद्योगों के निर्माण तथा संचालन के काम आते हैं जैसे; लोहा इस्पात तांबा प्रगलन व एलुमिनियम प्रगलन ।
प्रश्न 5 लोहा इस्पात उद्योग कहां स्थापित किया जा सकता है?
उत्तर- जहां इस उद्योग से संबंधित कच्चा माल (लोहा अयस्क चूना पत्थर और मैग्नीज) वह पर्याप्त मात्रा में शक्ति के साधन उपलब्ध हो।
प्रश्न 6. भारत में कृषि आधारित उद्योग कौन-कौन से हैं?
उत्तर- वस्त्र उद्योग, चीनी उद्योग, कागज उद्योग ,पटसन उद्योग, वनस्पति कृषि पर आधारित उद्योग है।
प्रश्न 7. संयुक्त उद्योग से आप क्या समझते हैं।
उत्तर- वे उद्योग जो सरकार और निजी क्षेत्र के संयुक्त प्रयास से चलाए जाते हैं जैसे- ऑयल इंडिया लिमिटेड।
लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1. पटसन उद्योग मिलों के मुख्यत: हुगली नदी के किनारे अवस्थित होने के लिए उत्तरदायी कारकों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- पटसन उद्योग हुगली नदी तट पर स्थित होने के निम्न कारण है-
(1) पटसन उत्पादक क्षेत्रों की निकटता।
(2) सस्ता जल एवं परिवहन (सड़क, रेल व जल परिवहन का जाल, कच्चे माल का मिलों तक ले जाने में सहायक होना) की सुविधा।
(3) कच्चे पटसन की संसाधित करने में प्रचुर जल उपलब्ध होना।
(4) पश्चिम बंगाल तथा समीपवर्ती राज्य ओडिशा, बिहार व उत्तर प्रदेश से सस्ता श्रमिक उपलब्ध होना।
(5) कोलकाता का एक बड़े नगरीय केन्द्र के रूप बैंकिंग, बीमा और जूट के सामान के निर्यात के लिए,
पतन की सुविधाएँ प्रदान करना आदि सम्मिलित है।
प्रश्न 2. जूट या पटसन उद्योग की चुनौतियाँ व सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- जूट या पटसन उद्योग की चुनौतियाँ इस उद्योग की चुनौतियों में अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कृत्रिम वस्त्रों से और बांग्लादेश, ब्राजील, फिलीपीन्स, मिस्र तथा थाइलैण्ड जैसे अन्य राष्ट्रों में कड़ी प्रतिस्पर्धा शामिल है।
सरकार द्वारा किए गए प्रयास- जूट या पटसन पैकिंग की अनिवार्य प्रयोग की सरकारी नीति के कारण इसकी घरेलू माँग बढ़ी है तथापि माँग बढ़ाने हेतु उत्पाद में विविधता भी आवश्यक है। पटसन के प्रमुख खरीददार- अमेरिका, कनाडा, घाना, सऊदी अरब, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया हैं। बढ़ते वैश्विक पर्यावरण अनुकूलन, जैव निम्नीकरणीय पदार्थों के लिए विश्व की बढ़ती जागरूकता ने पुनः जूट या पटसन उत्पादों के लिए अवसर प्रदान किया है।
प्रश्न 3. स्पष्ट कीजिए कि कृषि और उद्योग किस प्रकार साथ-साथ बढ़ रहे हैं ?
उत्तर- भारत कृषि-प्रधान राष्ट्र है। आज कृषि का विकास पूर्णतया उद्योगों के विकास पर निर्भर है। कृषि में उर्वरकों, कीटनाशकों, प्लास्टिक, बिजली और डीजल का प्रयोग निरन्तर बढ़ रहा है जो उद्योगों से प्राप्त होता है। दूसरी ओर उद्योगों के लिए कच्चे माल की आवश्यकता होती है। यह कच्चा माल हमें कृषि से ही प्राप्त होता है। अतः कृषि हमारे उद्योगों का आधार है। इस प्रकार कृषि और उद्योग एक-दूसरे से अलग नहीं
हैं। वास्तव में इन दोनों में निकट का सम्बन्ध है। इससे स्पष्ट है कि कृषि और उद्योग साथ-साथ बढ़ रहे हैं।
प्रश्न 4. लोहा और इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग क्यों कहा जाता है ?
अथवा
किसी भी देश के आर्थिक विकास में लोहा एवं इस्पात उद्योगों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। स्पष्ट करें।
उत्तर- लोहा एवं इस्पात उद्योग आधारभूत उद्योगों में से एक महत्त्वपूर्ण उद्योग है। किसी भी देश के आर्थिक विकास के लिए लोहा एवं इस्पात उद्योग का विकास आवश्यक होता है। इस उद्योग की गणना महत्त्वपूर्ण उद्योगों में की जाती है। किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था का यह आधार स्तम्भ होता है। यह आधुनिक औद्योगिक ढाँचे का आधार और राष्ट्रीय शक्ति का मापदण्ड है। लोहा-इस्पात उद्योग का उपयोग मशीनें, रेलवे लाइन, यातायात के साधन, रेल पुल, जलयान, अस्त्र-शस्त्र एवं कृषि यन्त्र आदि बनाने में किया जाता है। इसीलिए लोहा इस्पात उद्योग की आधारभूत उद्योग कहा जाता है।
प्रश्न 5. छोटा नागपुर पठार पर लोहा-इस्पात उद्योग क्यों केन्द्रित हो गया है ?
उत्तर- (1) इस पठार पर झारखण्ड और ओडिशा की खानों से पर्याप्त लौह-अयस्क की प्राप्ति होती है।
(2) ऊर्जा के रूप में कोयले की प्राप्ति रानीगंज, बोकारो, झरिया की खदानों से होती है।
(3) यह पठार रेलमार्गों द्वारा देश के सभी भागों से जुड़ा है।
(4) निकटवर्ती क्षेत्रों में सस्ते श्रमिक उपलब्ध हैं।
(5) कोलकाता बन्दरगाह से विदेशी व्यापार की सुविधा उपलब्ध है।
प्रश्न 6.सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के उद्योगों में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- सार्वजनिक एवं निजी उद्योग में अंतर-
प्रश्न 7. तापीय प्रदूषण से क्या आशय है इसके जलीय जीवन पर प्रभाव बताइए।
उत्तर- तापीय प्रदूषण- जब कारखानों तथा ताप घरों से गर्म जल को बिना ठण्डा किए नदियों तथा तालाबों में छोड़ दिया जाता है ,तो जल में तापीय प्रदूषण होता है।
तापीय प्रदूषण का प्रभाव-
1. परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के अपशिष्ट व परमाणु शस्त्र उत्पादक कारखानों से कैंसर ,जन्मजात विकार तथा अकाल प्रशव जैसी बीमारियां होती हैं।
2. मृदा व जल प्रदूषण आपस में संबंधित है।
3. वर्षा जल के साथ यह प्रदूषक जमीन से रिसते हुए भूमिगत जल पर पहुंचकर उसे भी प्रदूषित कर देते हैं।
दीर्घ उत्तरीय/विश्लेषणात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1. विनिर्माण उद्योग का महत्व बताइए।
अथवा
"विनिर्माण उद्योग सामान्यतः विकास की तथा विशेषतः आर्थिक विकास की रीढ़ समझे जाते हैं, " इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में उद्योगों के विकास से निम्नलिखित लाभ प्राप्त हुए हैं-
1.विनिर्माण उद्योग न केवल कृषि के आधुनिकीकरण में सहायक है वरन् द्वितीयक व तृतीयक सेवाओं से रोजगार उपलब्ध कराकर कृषि पर हमारी निर्भरता को कम करते हैं।
2.उद्योगों के विकास से उत्पादन में वृद्धि होती है जिससे प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है तथा जीवन स्तर उन्नत होता है।
3. रोजगार के साधनों में वृद्धि होती है। साथ ही मानव संसाधन भी पुष्ट होते हैं।
4. देश में औद्योगिक विकास बेरोजगारी तथा गरीबी उन्मूलन की एक आवश्यक शर्त है। भारत में सार्वजनिक तथा संयुक्त क्षेत्र में लगे उद्योग इसी विचार पर आधारित है। जनजातीय तथा पिछड़े क्षेत्रों में उद्योगों
की स्थापना का उद्देश्य भी क्षेत्रीय असमानताओं को कम करना था।
(5) निर्मित वस्तुओं का निर्यात विदेशी व्यापार को बढ़ाता है जिससे अपेक्षित विदेशी मुद्रा की प्राप्ति
होती है।
(6) उद्योगों के विकास से अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों, जैसे- कृषि, खनिज, परिवहन आदि में प्रगति होती है।
(7) वे देश ही विकसित हैं, जो कच्चे माल को विभिन्न तथा अधिक मूल्यवान तैयार माल में विनिर्मित करते हैं। भारत का विकास विविध व शीघ्र औद्योगिक विकास में निहित है।
प्रश्न 2. उद्योगों को किस प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है ? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
उद्योगों का विभिन्न आधारों पर वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर- उद्योगों को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है-
(1) कच्चे माल के स्रोत के आधार पर - ये दो प्रकार के होते हैं-
(i) कृषि आधारित उद्योग-जिन्हें कच्चा माल कृषि उत्पादन से प्राप्त होता है।
जैसे- सूती वस्त्र, ऊनी वस्त्र, पटसन, रबर, चाय, कॉफी तथा वनस्पति तेल उद्योग ।
(ii) खनिज आधारित उद्योग-जिन्हें कच्चा माल खनिजों से प्राप्त होता है।
जैसे-लोहा-इस्पात, सीमेन्ट, एल्युमिनियम, मशीन, औजार तथा पेट्रोरसायन उद्योग ।
(2) प्रमुख भूमिका के आधार पर- इस आधार पर उद्योग दो प्रकार के होते हैं-
(i) आधारभूत उद्योग- वे उद्योग जो अन्य उद्योगों के आधार होते हैं। इनके उत्पादन अन्य उद्योगों के निर्माण तथा संचालन के काम आते हैं।
जैसे- लोहा-इस्पात, ताँबा प्रगलन व ऐलुमिनियम प्रगलन उद्योग।
(ii) उपभोक्ता उद्योग- वे उद्योग जो लोगों की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने के काम आते हैं।
जैसे- चीनी, कागज, पंखे आदि।
(3) पूँजी निवेश के आधार पर- एक लघु उद्योग को परिसंपत्ति की एक इकाई पर अधिकतम निवेश मूल्य के परिप्रेक्ष्य में परिभाषित किया जाता है। यह निवेश सीमा, समय के साथ परिवर्तित होती रहती है। यह अधिकतम स्वीकार्य निवेश के आधार पर की जाती है। यह निवेश मूल्य समय के साथ बदलता गया है। वर्तमान में अधिकतम निवेश एक करोड़ रुपये तक स्वीकार्य है।
(4) स्वामित्व के आधार पर- स्वामित्व के आधार पर उद्योग निम्न प्रकार के होते हैं-
(i) निजी उद्योग- निजी क्षेत्र के उद्योग जिनका एक व्यक्ति के स्वामित्व में और उसके द्वारा संचालित अथवा लोगों के स्वामित्व में या उनके द्वारा संचालित है। टिस्को, बजाज ऑटो आदि।
(ii) सार्वजनिक क्षेत्र- सार्वजनिक क्षेत्र में लगे, सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रबंधित तथा सरकार द्वारा संचालित उद्योग –
जैसे स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया लिमिटेड (SAIL) तथा ओएनजीसी (ONGC) आदि ।
(iii) संयुक्त क्षेत्र- ये उद्योग सरकार तथा व्यक्ति विशेष समूहों के संयुक्त प्रबन्धन द्वारा संचालित है।
जैसे- ऑयल इण्डिया लिमिटेड।
(iv) सहकारी उद्योग-जिनका स्वामित्व कच्चे माल की पूर्ति करने वाले उत्पादकों, श्रमिकों या दोनों के होता है।
जैसे-महाराष्ट्र के चीनी उद्योग, केरल के नारियल पर आधारित उद्योग।
(5) कच्चे माल के आधार पर- कच्चे माल के आधार पर उद्योग दो प्रकार के होते हैं-
(i) भारी उद्योग-जैसे- लोहा तथा इस्पात आदि।
(ii) हल्के उद्योग- वे उद्योग जो कम भार वाले कच्चे माल का प्रयोग कर हल्के तैयार माल का उत्पादन करते हैं।
जैसे- विद्युतीय उद्योग ।
प्रश्न 3. आरम्भिक वर्षों में सूती कपड़ा उद्योग कपास पैदा करने वाले क्षेत्रों में क्यों संकेन्द्रित हो गए थे ?
अथवा
शुरूआती वर्षों में सूती वस्त्र उद्योग के महाराष्ट्र व गुजरात में केन्द्रित होने के उत्तरदायी कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- आरम्भिक वर्षों में सूती वस्त्र उद्योग महाराष्ट्र तथा गुजरात के कपास उत्पादन क्षेत्रों तक ही सीमित था, क्योंकि-
(1) सूती कपड़ा मिलों के लिए आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। चूँकि महाराष्ट्र तथा गुजरात सागरीय तट पर स्थित हैं, अतः यहाँ की जलवायु आर्द्र है।
(2) भारत में कपास के क्षेत्र महाराष्ट्र एवं गुजरात में विस्तृत हैं, अतः इस क्षेत्र में कपास मुम्बई के केन्द्रों को आसानी से मिल जाता है। दूसरे, मुम्बई बन्दरगाह होने के कारण मिस्र तथा संयुक्त राज्य अमेरिका से बढ़िया कपास आसानी से आयात हो जाता है।
(3) मुम्बई सागर तट पर स्थित है, अतः स्थापित जल-विद्युत् संस्थान से जल-विद्युत् आसानी से प्राप्त हो जाती है।
(4) यहाँ पूँजी एवं बैंकिंग सुविधा उपलब्ध है।
(5) इस उद्योग का कृषि से निकट का संबंध है और कृषकों, कपास चुनने वालों, गाँठ बनाने वालों, कताई करने वालों, रंगाई करने वालों, डिजाइन बनाने वालों, पैकट बनाने वालों और सिलाई करने वाले सस्ते श्रमिकों की उपलब्धता है।
प्रश्न 4. उद्योग पर्यावरण को कैसे प्रदूषित करते हैं ?
उत्तर-
औद्योगिक प्रदूषण
औद्योगिक प्रगति ने अर्थव्यवस्था को विकसित व उन्नत बनाने में जहाँ अपना महत्त्वपूर्ण सहयोग दिया वहीं दूसरी ओर पर्यावरण सम्बन्धी ऐसी कठिनाइयों को जन्म दिया जो आज विकराल रूप से हमारे समक्ष खड़ी हैं। आज पर्यावरणविद् इस बात का अनुभव कर रहे हैं कि औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला कचरा, दूषित जल, विषैली गैस आदि सम्पूर्ण पर्यावरण को प्रदूषित कर रही हैं, पारिस्थितिकी तन्त्र का सन्तुलन बिगड़ रहा है तथा प्रदूषण की स्थिति संकट बिन्दु तक पहुँच गई है और पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है। औद्योगीकरण से होने वाले प्रमुख प्रदूषण निम्नलिखित हैं-
(1) वायु प्रदूषण - औद्योगिक कारखानों की चिमनियों के कारण निकलने वाला धुआँ वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण है। विभिन्न उद्योगों से होने वाले प्रदूषण की मात्रा एवं प्रकृति, उद्योग के प्रकार, प्रयुक्त होने वाले कच्चे माल एवं निर्माण आदि पर निर्भर करती है। इस दृष्टि से कपड़ा उद्योग, रासायनिक उद्योग, धातु उद्योग, तेल शोधक एवं चीनी उद्योग अन्य उद्योगों की अपेक्षा अधिक प्रदूषण फैलाते हैं। इन उद्योगों से वायुमण्डल में, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, धूल आदि हानिकारक व विषैले तत्त्व मिल जाते हैं, जो वायु को प्रदूषित करते हैं।
(2) जल प्रदूषण - जल जीवन का आधार है। जल निरन्तर प्रदूषित हो रहा है। इसका प्रमुख कारण कारखानों का कूड़ा-करकट नदियों और जलाशयों में बहाना है। कागज और चीनी की मिलें तथा चमड़ा साफ करने के कारखाने अपना कूड़ा-कचरा नदियों में बहा देते हैं या भूमि पर सड़ने के लिए छोड़ देते हैं, जिससे भूमिगत जल प्रदूषित होता है, क्योंकि कूड़े-कचरे का अंश रिस-रिस कर भूमिगत जल में मिल जाता है। इस जल का उपयोग या सम्पर्क प्राणियों और वनस्पतियों के लिए हानिकारक होता है।
(3) भूमि प्रदूषण - इसे 'मृदा प्रदूषण' भी कहते हैं। औद्योगिक अपशिष्ट का भूतल पर फैलाव भूमि प्रदूषण का कारण बनता है। इस प्रकार के अपशिष्ट में अनेक ऐसे पदार्थ होते हैं, जो प्राकृतिक रूप में घटित नहीं होते तथा इनका प्रकृति में पुनः चक्रीकरण नहीं होता जिससे भूमि की गुणवत्ता में कमी आती है।
(4) ध्वनि प्रदूषण - मानव के कानों में भी ध्वनि को साधारणतया ग्रहण करने की एक सीमा होती है। वास्तव में शोर वह ध्वनि है जिसके द्वारा मानव के अन्दर अशान्ति व बेचैनी उत्पन्न होने लगती है, इसी को ध्वनि प्रदूषण कहते हैं। उद्योगों में अनेक प्रकार की मशीनें प्रयोग की जाती हैं जिनसे निरन्तर शोर होता रहता है। इसके अतिरिक्त कारखानों में जनरेटर भी चलाये जाते हैं, इन सभी से निरन्तर अधिक शोर होता है। इससे इनमें कार्य करने वाले श्रमिक अनेक मानसिक रोगों तथा बहरेपन के शिकार हो जाते हैं।
प्रश्न 5. उद्योगों द्वारा पर्यावरण निम्नीकरण को कम करने के लिए उठाए गए विभिन्न उपायों की चर्चा करें।
उत्तर- औद्योगिक प्रदूषण को नियन्त्रित करने के उपाय-
(1) कारखानों की चिमनियों की ऊँचाई बढ़ाकर उनसे निकलने वाली हानिकारक गैसों के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
(2) कारखानों में कम-से-कम प्रदूषण करने वाले ऊर्जा संसाधनों का उपयोग होना चाहिए, जैसे- सौर ऊर्जा
(3) औद्योगिक इकाई की स्थापना से पूर्व ही प्रदूषण अनुमान लगाकर उसको नियन्त्रित करने के साधन जैसे वनस्पति आवरण आदि कारखाना परिसर में विकसित किया जाना चाहिए।
(4) उद्योगों में प्रदूषण नियन्त्रक उपकरण लगाए जाने चाहिए।
•जल प्रदूषण को नियन्त्रित करने के उपाय-
(1) उद्योगों में प्रयोग किए गए जल के उपचार की व्यवस्था कारखाने की स्थापना के साथ ही की जानी चाहिए।
(2) रासायनिक उद्योग जो कि जल को सर्वाधिक प्रदूषित करते हैं, को जलाशयों व नदियों से दूर स्थापित किया जाना चाहिए।
(3) सड़क के किनारे तथा कारखानों के निकट खाली स्थानों पर वृक्ष लगाए जाने चाहिए।
(4) उद्योग संचालकों को जल प्रदूषण नियन्त्रण परामर्श नियमित दिए जाने चाहिए तथा उद्योगों से विसर्जन जल की प्रशासनिक निगरानी होनी चाहिए।
•भू-प्रदूषण को नियन्त्रित करने के उपाय-
(1) औद्योगिक संस्थानों को अपने अपशिष्ट पदार्थों को बिना उपचार किए विसर्जित करने से रोका जाना चाहिए।
(2) औद्योगिक अपशिष्टों के निक्षेपण की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। अपशिष्ट निक्षेपण खुले स्थानों में नहीं होना चाहिए।
(3) अपशिष्टों को आधुनिक तकनीक से जलाकर उससे उत्पन्न ताप को ऊर्जा के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
(4) औद्योगिक अपशिष्टों को पुनरुत्पादन हेतु प्रयुक्त करने की तकनीक विकसित की जानी चाहिए।
•ध्वनि प्रदूषण को नियन्त्रित करने के उपाय-
(1) औद्योगिक इकाइयों को शहर से दूर स्थापित करना चाहिए।
(2) कारखानों में ध्वनि निरोधक यन्त्रों का उपयोग किया जाना चाहिए।
(3) कल-कारखानों में मशीनों का रख-रखाव सही करके, मशीनों का शोर कम किया जा सकता है। खराब मशीनें अधिक शोर करती हैं।
(4) अधिक शोर उत्पन्न करने वाली औद्योगिक इकाइयों में श्रमिकों को कर्ण बन्दकों का प्रयोग करना चाहिए।
(5) पर्यावरण की सुरक्षा के लिए औद्योगिक विकास अवरुद्ध न किया जाये बल्कि औद्योगिक विकास नियोजित ढंग से हो, जिससे पर्यावरण में किसी भी प्रकार का असन्तुलन उत्पन्न न हो।
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