रेखाचित्र किसे कहते हैं? / रेखा चित्र का क्या अर्थ होता है?
प्रमुख रेखा चित्र एवं उनके लेखक |
रेखाचित्र क्या है, रेखाचित्र किसे कहते हैं, रेखाचित्र की विशेषताएं, रेखाचित्र की परिभाषा, रेखाचित्र का मतलब, रेखाचित्र का क्या अर्थ होता है।
रेखा चित्र किसे कहते हैं ? (Rekhachitra kise kahate Hain?)
नमस्कार दोस्तों ! स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट bandanaclasses.com पर. दोस्तों आज की पोस्ट में हम जानेंगे कि रेखा चित्र क्या है ? तथा रेखा चित्र की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं ? आप सभी लोगों को पोस्ट को आखिरी तक पढ़ना है. मेरे दोस्तों आप लोग भी यह जानना चाहते होंगे कि रेखा चित्र किसे कहते हैं ? तथा इसके कितने प्रकार होते हैं ? आखिर हम में से बहुत से लोग आज भी नहीं जानते हैं कि रेखा चित्र का वास्तविक मतलब क्या होता है ?
यदि आप भी उन लोगों में से हैं जिन्हें नहीं पता कि रेखा चित्र किसे कहते हैं ? तथा रेखा चित्र कितने प्रकार के होते हैं ? रेखा चित्र के कौन - कौन से अंग हैं ? एक अच्छा रेखा चित्र लिखने के लिए किन -किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ? इन सभी प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए बने रहिये इस पोस्ट पर.
मेरे प्रिय विद्द्यार्थियों रेखा चित्र शब्द को तो हम बचपन से ही सुनते आ रहे हैं लेकिन सच्चाई यही हैं कि रेखा चित्र किसे कहते हैं ? यह तथ्य हम में से अधिकांश लोग नहीं जानते हैं. तो दोस्तों बने रहिये हमारी वेबसाइट bandanaclasses.com पर. हिंदी भाषा में रेखा चित्र का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान हैं. यहां पर हम आज की पोस्ट में आपको रेखा चित्रऔर उसके प्रमुख लेखकों के बारे में बताएंगे। हिंदी साहित्य में रेखा चित्र से संबंधित लेखकों के बारे में इस पोस्ट में आपको जानकारी देंगे।
रेखाचित्र किसे कहते हैं? रेखाचित्र का क्या अर्थ है।
रेखाचित्र शब्द अंग्रेजी के" स्केच" शब्द का अनुवाद है। तथा दो शब्द रेखा और चित्र के योग से बना है। इस विधा में क्रम बंधुता का ध्यान में रखकर किसी व्यक्ति की आकृति उसकी चाल ढाल या स्वभाव का शब्दों द्वारा सजीव चित्रण किया है। रेखाचित्र कहलाती है। रेखांकित शब्द चित्रकला का है जिसका अर्थ ऐसा खाका जिसमें क्रमबद्ध ब्योरे ना दिए गए हो। उसी के अनुकरण पर लिखना रेखा चित्र कहलाता है। इसी प्रकार थोड़े से शब्दों में किसी व्यक्ति घटनाएं स्थान या वस्तु को चित्रित कर देना कुशल रेखाचित्र कार का ही काम हैं। रेखा चित्र में लेखक कम से कम शब्दों में सजीवता भर देने का प्रयास करता है और उसके छोटे-छोटे पैने वाक्य एवं मर्मस्पर्शी होते हैं। महादेवी वर्मा ने अपने आश्रित सेवकों को ही नहीं बल्कि पशुओं को भी रेखा चित्र के माध्यम से अमर बना दिया है। रेखाचित्र गद्य साहित्य के आधुनिक विधा है। इस विधा में लेखक रेखा चित्र के माध्यम से शब्दों को ढांचा तैयार करता है। लेखक किसी सत्य घटना की वस्तु का या व्यक्ति का चित्रात्मक भाषा में वर्णन करता है। इसमें शब्द चित्रों का प्रयोग आवश्यक है।
रेखा चित्रकारों में महादेवी वर्मा ,कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर ,बनारसीदास चतुर्वेदी ,रामवृक्ष बेनीपुरी एवं डॉ नागेंद्र विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
रेखाचित्र की परिभाषा - [bandanaclasses.com]
रेखा चित्र शब्द अंग्रेजी के " स्केच" शब्द का अनुवाद है तथा दो शब्दों रेखा और चित्र के योग से बना है। इस विधा में क्रम बंधुता का ध्यान रखकर किसी व्यक्ति की आकृति उसकी चाल ढाल यह स्वभाव का, किन्हीं विशेषताओं का शब्द द्वारा सजीव चित्रण किया है, उसे रेखाचित्र कहलाती है।
हिंदी में रेखाचित्र के पर्याय रूप में व्यक्ति चित्र, शब्द चित्र, शब्दांकन आदि शब्दों का प्रयोग भी होता है, परंतु प्राया विद्वान इस विधा को रेखाचित्र नाम से अभिहित करते हैं।
प्रमुख रेखाचित्र और रेखा चित्रकार
हिंदी में रामवृक्ष बेनीपुरी को श्रेष्ठ रेखा चित्रकार माना जाता है। बनारसीदास चतुर्वेदी लिखते हैं,"यदि हम से प्रश्न किया जाए कि आज तक का हिंदी का श्रेष्ठ रेखा चित्रकार कौन है तो हम बिना किसी संकोच के बेनीपुरी जी का नाम उपस्थित कर देंगे"।
नीचे सारणी में कुछ लेखा चित्र और उनके लेखकों के नाम दिए गए हैं, ध्यानपूर्वक पढ़िए।
रेखा चित्र की विशेषता
रेखा चित्र की विशेषताएं यह होती है कि इसमें साहित्यकार अपनी कल्पना या अनुभूति का अलग से कोई रंग नहीं भरता, जिस व्यक्ति, वस्तु या दृश्य का वर्णन करना है, उसका हू-ब-हू चित्र अंकित कर देता है। रेखा चित्र वर्णन-प्रधान संस्मरण है किंतु इनकी चित्रात्मकता संस्मरण से पृथक कर देती हैं।
रेखा चित्र की विशेषता विस्तार में नहीं तीव्रता में होती है। रेखाचित्र पूर्ण चित्र नहीं है-वह व्यक्ति, वस्तु, पटना आदि का एक निश्चित विवरण की न्यूनता के साथ-साथ तीव्र संवेदनशीलता वर्तमान रहती है। इसीलिए रेखा चित्रांकन का सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है, उस दृष्टि बिंदु का निर्धारण, जहां से लेखक अपने वण विषय का अवलोकन कर उसका अंकन करता है। इस दृष्टि से व्यंगचित्र और रेखा चित्र की कलाएं बहुत समान है। दोनों में दृष्टि की सूक्ष्मता तथा कम से कम स्थान में अधिक से अधिक अभिव्यक्ति करने की तत्परता परिलक्षित होती है।
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