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महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर।।Mahakavya aur khandkavya mein antar

महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर।। Mahakavya aur khandkavya mein antar

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नमस्कार दोस्तों ! स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट   bandanaclasses.com पर. आज की इस पोस्ट में हम आपको खंडकाव्य और महाकाव्य में      अंतर बतायेगें जो कि आपकी MP Board अर्द्धवार्षिक परीक्षा 2021-22 के लिए हिन्दी की कक्षा 9 से कक्षा 12 तक के लिए अति महत्वपूर्ण हैं.

आज की इस पोस्ट में हम आपको बताने वाले हैं खंड काव्य क्या होता है और महाकाव्य क्या होता है। और इनमें क्या-क्या अंतर होते है। यह प्रश्न आपके कक्षा 9वीं से लेकर 12वीं तक के छात्रों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न है। यह प्रश्न बोर्ड एग्जाम में हर साल पूछा जाता है। महाकाव्य और खंडकाव्य में विस्तार से जानने के लिए इस पोस्ट में विजिट कर सकते हैं।


महाकाव्य किसे कहते हैं ? तथा महाकाव्य की परिभाषा लिखिए ?


जिसने सर्गों का निबंध हो वह महाकाव्य कहलाता है महाकाव्य में देवता या सदृश क्षत्रिय जिसने धीरोदातत्वादि गुण हो नायक होता है कहीं एक वंश के अनेक सत्कुलीन भूपविनायक होते हैं श्रृंगार, वीर और शांत में से कोई एक अंगी होता है तथा अन्य सभी रंग रूप होते हैं। 




महाकाव्य की विशेषताएं-



1.इसमें 8 या अधिक सर्ग होने चाहिए।


2.अनेक शब्दों का प्रयोग होना चाहिए।


3.प्रधान रस शांत,वीर या श्रृंगार रस का होना चाहिए ।


4.अन्य रसों का प्रयोग समय अनुसार करना चाहिए।


5.यात्रा वर्णन, प्रकृति वर्णन, नगर वर्णन होना चाहिए।


6.प्रारंभ में देवी देवता की आराधना होनी चाहिए।


7.नायक धीरीदत्त होना चाहिए।


8.शैली उदात्त होनी चाहिए


9.कथावस्तु को क्रमबद्धता सूत्रात्मक होनी चाहिए।




खंड काव्य किसे कहते हैं?



खंडकाव्य के साहित्य में प्रबंध काव्य का एक रूप है जीवन की किसी घटना विशेष को लेकर लिखा गया काव्य खंडकाव्य हैं। "खंडकाव्य" शब्द से स्पष्ट होता है कि इसमें मानव जीवन की किसी एक ही घटना की प्रधानता रहती है जिसमें चरित्र नायक का जीवन संपूर्ण रूप में कवि को प्रभावित नहीं करता ।




खंडकाव्य की विशेषताएं-



1.खंडकाव्य में जीवन की किसी एक घटना या मार्मिक अंश का चित्रण होता है।


2.घटना के माध्यम से किसी आदर्श की अभिव्यक्ति होती है।


3.इसका नायक प्रसिद्ध होता है।


4.संपूर्ण रचना एक ही छंद में होती है।


5.इसका प्रधान रस, शांत या वीर रस होता है।




महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर-



महाकाव्य

खंडकाव्य

महाकाव्य में पात्रों की संख्या अधिक होती है।

खंडकाव्य में पात्रों की संख्या सीमित होती है।

महाकाव्य मेंअनेक छंदों का प्रयोग होता है।

खंडकाव्य में एक छंद का प्रयोग होता है।

महाकाल का कलेवर विस्तृत होता है।

खंडकाव्य का कलेवर सीमित होता है।

महाकाव्य में नायक नायिका के जीवन का संगोपांग चित्रण होता है।

खंडकाव्य में नायक नायिका के जीवन की एक घटना का चित्रण होता है।

उदाहरण



जयशंकर प्रसाद-कामायनी



मैथिलीशरण गुप्त-साकेत

उदाहरण-



मैथिलीशरण गुप्त-पंचवटी ,जयद्रथ वध



खंडकाव्य और महाकाव्य में अंतर है?



महाकाव्य- महाकाव्य में किसी महापुरुष के समस्त जीवन की कथा होती है।


इसमें अनेक सर्ग होते हैं। महाकाव्य में अनेक शब्द प्रयुक्त होते हैं। प्रधान रस श्रंगार रस शांत रस अथवा वीर रस होता है। इसमें प्रमुख कथा के साथ-साथ प्रासंगिक कथाएं भी जुड़ी होती हैं।



जैसे- 


रामायण-  तुलसीदास

कामायनी-  जयशंकर प्रसाद

साकेत-  मैथिलीशरण गुप्त

प्रियप्रवास - अयोध्या सिंह उपाध्याय



खंडकाव्य- खंडकाव्य की कथा की सबसे बड़ी विशेषता है, कि वह अपने आप में पूर्ण होती है। इसमें पूरी जीवन की झांकी ना होकर जिंदगी के किसी एक पहलू का वर्णन किया जाता है। समस्त रचना एक ही छंद में बंधी होती है। सीमित कलेवर में भी यह पूर्ण होती है।



महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर- 


•महाकाव्य में जीवन का समग्र चित्रण होता है।


•इसमें पत्रों की संख्या अधिक होती है।


•इसमें अनेक रसों का वर्णन होता है।


•इसमें अनेक शब्दों का प्रयोग होता है।


•इसमें कई सर्ग या खंड होते हैं।


•इसमें मूल कथा के साथ अन्य प्रसांगिक कथाएं भी जुड़ी होती हैं।


काव्य के तीन मुख्य भेद प्रचलित है: महाकाव्य खंडकाव्य और मुक्तक काव्य । महाकाव्य और खंडकाव्य कथा का होना अनिवार्य है; इसलिए इन दोनों को प्रबंध कब कहा जाता है। प्रबंध काव्य के दोनों रूपों में घटना और चरित्र का महत्व होता है। घटनाओं और चरित्रों के संबंध में भावों की योजना प्रबंध काव्य अनिवार्य है। महाकाव्य में मुख्य चरित्र के जीवन को समग्रता में धारण करने के कारण विविधता और विस्तार होता है।


खंडकाव्य में मुख्य चरित्र की किसी एक प्रमुख विशेषता का चित्रण होने के कारण अधिक विविधता और विस्तार नहीं होता है।


मुक्तक काव्य में कथा सूत्र आवश्यक नहीं है इसलिए इसमें घटना और चरित्र के अनिवार्य प्रसंग में भाव योजना नहीं होती वह किसी भाव विशेष को आधार बनाकर की गई स्वतंत्र रचना है।


काव्यशास्त्र में महाकाव्य और खंडकाव्य के लक्षण निम्न प्रकार है-


महाकाव्य सर्व में बना होता है। सर्ग 8 से अधिक होते हैं। वे ना बहुत छोटे ना बड़े होते हैं। हर सर्ग में एक ही छंद होता है किंतु सर्व का अंतिम पद भिन्न छंद का होता है। स्वर्ग के अंत में अगली कथा की सूचना होनी चाहिए। देवता या उच्च कुल का छत्रिय इसका नायक होता है। श्रंगार वीर और शांत रस में से कोई एक अंगी होता है। और अन्य रस गौण होते हैं। नाटक की सभी संधियां रहती हैं। कथा ऐतिहासिक या लोक प्रसिद्ध होती है। धर्म अर्थ काम मोक्ष में से कोई एक उसका फल होता है। इसमें संध्या ,सूर्य ,चंद्रमा, रात्रि ,दिन, पर्वत, रितु ,समुंद्र संयोग, वियोग ,स्वर्ग ,नरक ,यज्ञ, यात्रा आदि का वर्णन होता है।


खंडकाव्य के विषय में कहा गया है कि वह एक देशाअनुसार ही होता है। यहां देश का अर्थ भाग या अंश है। खंडकाव्य में  भी सर्ग होते हैं हर सर्ग में छंद का बंधन इसमें भी होता है। लेकिन छंद परिवर्तन जरूरी नहीं है। प्रकृति वर्णन आदि हो सकता है। लेकिन वह भी आवश्यक नहीं है।



महाकाव्य और खंडकाव्य के 2 लक्षण बताए गए इसमें एक शर्त का पालन जरूरी है और वह शर्त है उक्त सभी तत्वों का अविछिन्न सुसंगत संबंध में होना इसी का नाम प्रबंध है।



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