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वन संपदा पर संस्कृत निबंध || Essay on Van Sampada in Sanskrit

वन संपदा पर संस्कृत निबंध || Essay on Van Sampada in Sanskrit

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वन संपदा पर संस्कृत निबंध || Essay on Van Sampada in Sanskrit


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नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट   www.Bandana classes.com  पर । आज की पोस्ट में हम आपको "वन संपदा पर संस्कृत निबंध || Essay on Van Sampada in Sanskrit" के बारे में बताएंगे तो इस पोस्ट को आप लोग पूरा पढ़िए।



वनसम्पत्


वनानां भारतीयसंस्कृतौ महत्त्वपूर्ण स्थानम् अस्ति । विविधाः तरवः पुष्पान्विताः लताः, तत्र कूजन्तः खगाः केषां मनांसि न हरन्ति । वनेभ्यः आक्सीजनयुक्तः वायुः प्राप्यते यश्च प्राणिनां जीवनाय कल्पते, वनेभ्यः प्रभूतं काष्ठं प्राप्यते येन गृहाणि निर्मीयन्ते भोजनं च पच्यते । बहुविधाः उद्योगाः काष्ठेष्वेव आधृताः सन्ति । एवं वनानि अस्मभ्यं बहुशः लाभकारिण सन्ति ।


अतः मानवजीवने एवं बहूपयोगिनां वनानां संरक्षणाय संवर्द्धनाय च अस्माभिः सर्वविधः प्रयासः अवश्यं करणीयः ।


मानवजीवनाय वनस्य महत्त्वम् अतीव उच्चम् अस्ति ।  अस्माकं जीवनस्य आरम्भात् अन्ते यावत् अस्माकं प्रत्येकं गतिः काष्ठे सर्वत्र गच्छति।  जन्मतः मृत्युपर्यन्तं वयं काननानां मध्ये वसामः।


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वनमेव काष्ठं भवति ।  बाल्यकाले बालः काष्ठ-झूलने बाल्यकालं यापयति ।  वृद्धावस्थायां च आश्रयः काष्ठेन भवति ।  अतः सर्वथा वयं वनाश्रिताः इति वक्तुं शक्यते ।


अद्य मानवाः स्वार्थसिद्ध्यर्थं निःसंकोचेन वनानि छिन्दन्ति।  क्वचित् नगरीकरणस्य नामधेयेन विकासस्य नामधेयेन वनानि विनष्टानि भवन्ति।


अद्य यया वेगेन वनधनं नष्टं भवति, तस्य परिणामं मानवसमूहं वहितुं भवति।  वनानां विनाशकारणात् ग्लोबल वार्मिंग इत्यादयः वैश्विकसमस्याः मुक्ततया तिष्ठन्ति ।  अतिवृष्टिः च अतिशुष्कता च वृक्षविनाशस्य परिणामः ।


वनानां विनाशात् प्रकृते असन्तुलनं भवति ।  अस्य बृहत्तमं उदाहरणं उत्तराखण्डस्य त्रासदी अस्ति।  यस्मिन् कोटिजनाः प्राणान् त्यक्तवन्तः।  यदि मानवजीवनस्य रक्षणं कर्तव्यं तर्हि वनधनस्य रक्षणम् अतीव महत्त्वपूर्णम् अस्ति।  वनं विना जीवनं न सम्भवति।





हिंदी अर्थ


भारतीय संस्कृति में वनों का महत्वपूर्ण स्थान है।  तरह-तरह के पेड़-पौधे, फूलती लताएँ और वहाँ चहकते पक्षी किसे पसंद नहीं हैं?  वन ऑक्सीजन युक्त हवा प्रदान करते हैं जो जानवरों के जीवन के लिए आवश्यक है, और जंगल घर बनाने और खाना पकाने के लिए प्रचुर मात्रा में लकड़ी प्रदान करते हैं।  कई उद्योग लकड़ी पर आधारित हैं।  इस प्रकार वन हमारे लिए बहुत लाभदायक हैं।


इसलिए, हमें वनों के संरक्षण और संवर्धन के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए जो इस प्रकार मानव जीवन में बहुमुखी हैं।


 मानव जीवन के लिए वनों का महत्व बहुत अधिक है।  हमारे जीवन की शुरुआत से लेकर अंत तक, हम जो भी आंदोलन करते हैं, वह पूरे जंगल में चला जाता है।  जन्म से लेकर मृत्यु तक हम जंगल के बीच में रहते हैं।



जंगल ही लकड़ी है।  बचपन में एक बच्चा अपना बचपन लकड़ी के झूले में बिताता है।  वृद्धावस्था में आश्रय लकड़ी का बना होता है।  इसलिए कहा जा सकता है कि हम हर तरह से जंगल पर निर्भर हैं।


आज मनुष्य स्वार्थ के लिए बिना झिझक जंगलों को काट देता है।  कभी-कभी शहरीकरण के नाम पर विकास के नाम पर जंगलों को नष्ट किया जा रहा है।


आज जिस गति से वन संसाधन नष्ट हो रहे हैं उसका परिणाम मानव जत्थों को ढोने का है।  वनों के विनाश के कारण ग्लोबल वार्मिंग जैसी वैश्विक समस्याएं खुली रहती हैं।  अत्यधिक वर्षा और अत्यधिक सूखे के परिणामस्वरूप पेड़ों का विनाश होता है।




वनों के विनाश से प्रकृति में असंतुलन पैदा होता है।  सबसे बड़ा उदाहरण उत्तराखंड त्रासदी है।  जिसमें लाखों लोगों की जान चली गई।  अगर मानव जीवन की रक्षा करनी है तो वन संसाधनों की रक्षा करना बहुत जरूरी है।  जंगल के बिना जीवन असंभव है।


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