ad13

अहिंसा परमो धर्मः पर निबंध संस्कृत में // Essay on Ahimsa Paramo Dharma in Sanskrit

अहिंसा परमो धर्मः पर निबंध संस्कृत में // Essay on Ahimsa Paramo Dharma in Sanskrit

अहिंसा परमो धर्मः पर निबंध संस्कृत में,Essay on Ahimsa Paramo Dharma in Sanskrit,अहिंसा परमो धर्म:,Ahimsa parmo Dharma sanskrit essay,अहिंसा पर संस्कृत श्लोक हिंदी,अहिंसा परमो धर्म: पर निबंध, पर निबंध अर्थ सहित,ahinsa per Sanskrit shlok,essay on ahinsa parmo Dharma in Hindi, ahinsa parmo dharma,ahimsa paramo dharma,ahimsa paramo dharma in hindi,ahimsa paramo dharma in telugu,ahimsa parmo dharmah sanskrit story,ahimsa paramo dharma full shlok in hindi,sanskrit subodh class 5 ahinsa parmo dharmh,essay on ahinsa in hindi,essay writing on ahinsa in upsc mains,sebahi paramo dharma class 8 sanskrit,class 8 sanskrit seba hi paramo dharma,ahimsa paramo dharma dharma himsa tathaiva cha,class viii sanskrit seva hi paramo dharma,संस्कृत भाषा का महत्व निबंध संस्कृत में,अहिंसा परमो धर्मः कक्षा ५ संस्कृत सुबोध,सदाचार पर निबंध संस्कृत में,#सदाचार पर निबंध संस्कृत में,अहिंसा परमो धर्म,अहिंसा परमो धर्म पूरा श्लोक,अहिंसा परमो धर्म निबंध,अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तदैव च,संस्कृत निबंध,अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च l,अहिंसा परमो धर्मः,संस्कृत में सदाचार का निबंध कैसे लिखें आचार : परमो धर्म :,अहिंसा परमो धर्म: धर्म हिंसा तथैव च,अहिंसा परमो धर्म,धर्म हिंसा तथैवच,सदाचारः निबंध संस्कृत में,ahimsa parmo dharma,ahimsa parmo dharma full quote,अहिंसा परमो धर्म श्लोक,ahimsa parmo dharma in hindi,ahimsa parmo dharma is the teaching of which religion,अहिंसा परमो धर्म फुल श्लोक,अहिंसा परमो धर्म जैन,ahimsa parmo dharma in english,ahimsa parmo dharma jainism,अहिंसा परमो धर्मा,अहिंसा परमो धर्म संस्कृत निबंध,अहिंसा परमो धर्म पूरा श्लोक,अहिंसा परमो धर्म श्लोक,अहिंसा परमो धर्म किसने कहा था,अहिंसा परमो धर्म निबंध,अहिंसा परमो धर्म फुल श्लोक,अहिंसा परमो धर्म पूरा श्लोक महाभारत,अहिंसा परमो धर्म पूरा श्लोक गीता अध्याय,अहिंसा परमो धर्म जैन,अहिंसा परमो धर्म गीता श्लोक अध्याय


अहिंसा परमो धर्मः पर संस्कृत निबंध / (Ahimsa Paramo Dharma Essay in Sanskrit language)


नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट   www.Bandana classes.com  पर । आज की पोस्ट में हम आपको "अहिंसा परमो धर्मः पर निबंध संस्कृत में // Essay on Ahimsa Paramo Dharma in Sanskrit" के बारे में बताएंगे तो इस पोस्ट को आप लोग पूरा पढ़िए।



अहिंसा परमोधर्मः


येन कर्मणा कस्यापि जीवस्य पीडनं भवति सा हिंसा कथ्यते । अतः ननसा, वाचा, कर्मणा कस्यापि जीवस्य न पीडनम् सर्वेषु करुणाभावः एवं अहिंसा भवति । अहिंसया भवस्य वैरस्य वा विनाशः भवति परस्परं च स्नेहभावः वर्द्धते ।


अतः एव सर्वेषु धर्मेषु अहिंसावा मूर्धन्यम् स्थानम् अस्ति अहिंसा परमोधर्मः इति च घोषितम् अस्ति ।


सर्वेषां महापुरुषाणां प्रधानः गुणः अहिंसा एव आसीत् । अस्माकं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तु अहिंसाया परम उपासकः आसीत् । सः जीवनपर्यन्तम् अहिंसायाः विविधान् प्रयोगान् अकरोत् तथा अहिंसात्मकेन आन्दोलनेन देश स्वतंत्रम् अकारयत् ।


अहिंसया सर्वत्र शान्तिः प्रसरति शान्त्या च सर्वे जनाः सुखिनः भवन्ति । येन जीवन स्वर्गतुल्यं भवति । अतः सर्वै: अहिंसायाः पालनम् अवश्यं करणीयम् ।


इसे भी पढ़ें 👇👇👇



संसारे यदि मनुष्यः सुखं वाञ्छति, तदा तेन सर्वभावेन अहिंसा पालनीया। अहिंसाम् आश्रित्य एव सःस्वयं सुखं प्राप्नोति तथा सर्वेभ्यः सुखं ददाति च। हिंसाय: अर्थः न केवलं हननं, किन्तु परपीडनं, परदुःखप्रदानमपि हिंसा एव । हिंसा त्रिविधा वर्तते मनसा, वाचा, कर्मणा च कृतं हिंसनं हिंसा भवति । परेषाम् अहितचिन्तमपि हिंसा वर्तते। अतः एतासा हिंसानां त्यागः 'अहिंसा' इति उच्यते ।


यदि अहिंसायाः पालनं सर्वे मानवाः कुर्युः तदा सम्पूर्ण विश्व शान्तिः भवेत्। सम्प्रति कलियुगे अनेके जना: मांसाहारं कुर्वन्ति । प्राणिनां हत्यां कृत्वा ते मांसभक्षणं कुर्वन्ति एतत् महत्पापं । जनाः गवदिनां पशूनाम् अपि हननं कुर्वन्ति । धेनवः तु देवसदृशाः सन्ति । तेषां हननं कदापि उचितं नास्ति। पशवः अहिंसया वशीभूताः भवन्ति । अहिंसामार्गेण रिपव; अपि मित्राणि भवन्ति।




सम्प्रति वैज्ञानिके युगे शस्त्राणाम् आविष्कारः भूतः किन्तु तेषाम् आविष्कारेण हिंसा एव प्रवर्धते । विनाशकैः शस्त्रैः निर्दोषप्राणिनामापि हिंसा भवति। अमेरिका इराकदेशयोः मध्ये महायुद्ध जातम्। तत्र अनेके निर्दोषः जनाः हताः युद्धेन किमपि न साध्यते । अहिंसा एव विश्वशान्तिः भवति। अतः सर्वे: अहिंसामार्गः एव अनुसरणीयः अहिंसापरायणः मानवः सर्वत्र सुखं लभते यत्र अहिंसा भवति, तत्र सत्य, त्याग, तपस्या, प्रेम, पवित्रतादयः सद्भावनाः वसन्ति । अतः 'अहिंसा परमो धर्मः' इति सर्वः स्वीकृतः।



हिंदी अनुवाद


अहिंसा सर्वोच्च धर्म है


कोई भी कार्य जिससे किसी भी जीव को कष्ट होता है, हिंसा कहलाती है।  अतः किसी भी प्राणी को नानसा, वचन या कर्म से कष्ट न देना सभी के प्रति करुणा और अहिंसा का अभाव है।  अहिंसा अस्तित्व या शत्रुता को नष्ट करती है और एक दूसरे के प्रति स्नेह की भावना को बढ़ाती है इसलिए सभी धर्मों में अहिंसा का प्रमुख स्थान है और यह घोषित किया गया है कि अहिंसा ही सर्वोच्च धर्म है।


 सभी महापुरुषों का सबसे प्रमुख गुण अहिंसा था।  हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अहिंसा के परम भक्त थे।  अपने पूरे जीवन में उन्होंने अहिंसा के विभिन्न प्रयोग किए और अहिंसक आंदोलन के माध्यम से देश को स्वतंत्र किया।



अहिंसा हर जगह शांति फैलाती है और शांति सभी लोगों को खुश करती है।  इससे जीवन स्वर्ग के समान हो जाता है।  इसलिए सभी को अहिंसा का पालन करना चाहिए।


 यदि मनुष्य संसार में सुख चाहता है, तो उसे अपने पूरे अस्तित्व के साथ अहिंसा का पालन करना चाहिए।  अहिंसा पर आश्रित होकर ही वह स्वयं सुख को प्राप्त करता है और सबको सुख देता है।  हिंसा का अर्थ केवल हत्या करना ही नहीं है, बल्कि दूसरों पर अत्याचार करना और उन्हें कष्ट देना भी है।  हिंसा तीन प्रकार की होती है: मन, वचन और कर्म से की गई हिंसा।  दूसरों के नुकसान के बारे में सोचने पर भी हिंसा होती है।  इसलिए इन हिंसाओं के त्याग को 'अहिंसा' कहा जाता है।


यदि सभी मनुष्य अहिंसा का पालन करें, तो पूरी दुनिया में शांति होगी।  कलि के वर्तमान युग में बहुत से लोग मांस खा रहे हैं।  वे जानवरों को मारते हैं और उनका मांस खाते हैं, जो एक बड़ा पाप है।  लोग गायों की तरह जानवरों को भी मारते हैं।  हालाँकि, गायें देवताओं की तरह हैं।  उन्हें मारना कदापि उचित नहीं है।  पशु अहिंसा के अधीन होते हैं।  अहिंसा के माध्यम से शत्रुता;  दोस्त भी बनते हैं।




आजकल वैज्ञानिक युग में हथियारों का आविष्कार हो गया है, लेकिन उनके आविष्कार से हिंसा ही बढ़ती है।  विनाशकारी हथियार निर्दोष प्राणियों के लिए भी हिंसा का कारण बनते हैं।  संयुक्त राज्य अमेरिका और इराक के बीच एक महान युद्ध था।  वहां कई निर्दोष लोग मारे गए हैं और युद्ध से कुछ भी हासिल नहीं होता है।  अहिंसा विश्व शांति है।  इसलिए सभी को अहिंसा के मार्ग पर चलना चाहिए।एक अहिंसक मनुष्य हर जगह खुशी पाता है जहां अहिंसा है, जहां सत्य, बलिदान, तपस्या, प्रेम और पवित्रता जैसी अच्छी भावनाएं निवास करती हैं।  इसलिए, 'अहिंसा ही सर्वोच्च धर्म है' सभी स्वीकार किए जाते हैं।


दोस्तों यदि आपको यह पोस्ट पसंद आयी हो तो इसे अपने दोस्तों और सोशल मीडिया पर अधिक से अधिक शेयर करिए। अगर दोस्तों अभी तक आपने हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब और टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन नहीं किया है तो नीचे आपको लिंक दी गई है ज्वाइन और सब्सक्राइब करने की तो वहां से आप हमारे telegram group (Bandana classes.com) को ज्वाइन और YouTube channel (Bandana study classes) को सब्सक्राइब कर लीजिए जहां पर आप को महत्वपूर्ण वीडियो हमारे यूट्यूब चैनल पर मिल जाएंगे।


इसे भी पढ़ें 👇👇👇


















































Post a Comment

Previous Post Next Post

Top Post Ad

Below Post Ad