आत्मकथा का अर्थ, परिभाषा, विशेषतायें एवं तत्व / Aatmkatha ka arth, paribhasha ,visheshtaiyen aiwam tatv

आत्मकथा किसे कहते हैं?
नमस्कार दोस्तों ! स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट bandanaclasses.com पर. दोस्तों आज की पोस्ट में हम जानेंगे कि आत्मकथा क्या है ? तथा आत्मकथा की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं ? आप सभी लोगों को पोस्ट को आखिरी तक पढ़ना है. मेरे दोस्तों आप लोग भी यह जानना चाहते होंगे कि आत्मकथा किसे कहते हैं ? तथा इसके कितने प्रकार होते हैं ? आखिर हम में से बहुत से लोग आज भी नहीं जानते हैं कि आत्मकथा का वास्तविक मतलब क्या होता है ?
यदि आप भी उन लोगों में से हैं जिन्हें नहीं पता कि आत्मकथा किसे कहते हैं ? तथा आत्मकथा कितने प्रकार के होते हैं ? आत्मकथा के कौन - कौन से अंग हैं ? एक अच्छा आत्मकथा लिखने के लिए किन -किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ? इन सभी प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए बने रहिये इस पोस्ट पर.
मेरे प्रिय विद्द्यार्थियों आत्मकथा शब्द को तो हम बचपन से ही सुनते आ रहे हैं लेकिन सच्चाई यही हैं कि आत्मकथा किसे कहते हैं ? यह तथ्य हम में से अधिकांश लोग नहीं जानते हैं. तो दोस्तों बने रहिये हमारी वेबसाइट bandanaclasses.com पर. हिंदी भाषा में आत्मकथा का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान हैं. यहां पर हम आज की पोस्ट में आपको आत्मकथाऔर उसके प्रमुख लेखकों के बारे में बताएंगे। हिंदी साहित्य में आत्मकथा से संबंधित लेखकों के बारे में इस पोस्ट में आपको जानकारी देंगे।
आत्मकथा का अर्थ, परिभाषा, विशेषतायें एवं तत्व / Aatmkatha ka arth, paribhasha ,visheshtaiyen aiwam tatv
आत्मकथा लेखन में लेखक
के द्वारा कही गयी बातों पर विश्वास करते हुए उस को सच माना जाता है , क्योंकि उसके
लिए लेखक स्वयं साक्षी एवं जिम्मेदार होता है. आत्मकथा लेखन आत्मकथाकार के जीवन के
व्यक्तित्व उद्धाटन,ऐतिहासिक तत्वों की प्रणामिकता तथा उद्देश्य के कारण महान होता
है. आत्मकथा का उद्देश्य लेखक द्वारा स्वयं का आत्मनिर्माण करना, आत्मपरीक्षण करना
और उस के साथ- साथ अतीत की स्मृतिओं को पुनर्जीवित करना होता है. आत्मकथा में लेखक
इस के द्वारा आत्मांकन, आत्मपरिष्कार और आत्मोन्नति भी करना चाहता है. इसका लाभ दूसरे
लोगों को भी मिलता है.
आत्मकथा का अर्थ / Aatmkatha ka arth
आत्मकथा के लिए अंग्रेजी
में " ऑटोबायोग्राफी" शब्द प्रचलित है. जब लेखक स्वयं के जीवन का क्रमिक
ब्यौरा प्रस्तुत करता है , उसे आत्मकथा कहते हैं. आत्मकथा में स्वयं की अनुभूति होती
है. आत्मकथा में लेखक उन अनेक बातों का विवरण देता है, जो बातें उस के जीवन में घटित
होती हैं. इसमें लेखक अपने अंतर्जगत को बहिर्जगत के सामने प्रस्तुत करता है, इसमें
आत्मविश्लेषण होता है.
आत्मकथा में लेखक अपने
जीवन के बारे में लिखता है एवं समाज के सामने स्वयं को प्रत्यक्ष रूप से प्रस्तुत करता
है. जिस से समाज उस के जीवन के पहलुओं से परिचित होता है. आत्मकथा विधा के अनेक पर्यायवाची
नाम भी मिलते हैं.
आत्मकथा को परिभाषित
करने से पहले हम को इस शब्द की उत्पत्ति तथा अर्थ को जानना होगा . "आत्म
" यह शब्द आत्मन शब्द से उत्पन्न हुआ
है. इस का अर्थ होता है - "स्वयं का " आत्मचरित, आत्मकथा, आत्मकथन इन शब्दों
का सामान्यतयः एक ही अर्थ लिया जाता है. " अंग्रेजी के Autobiography को ही हिंदी
में आत्मकथा अथवा आत्मवृत्त कहा जाता है. आधुनिक हिंदी शब्दकोश में "आत्मकथा
" शब्द 'स्त्री लिंगी ' संज्ञा में लिया गया है. तथा उस का अर्थ 'स्वयं ' द्वारा
लिखा गया जीवन चरित्र, जीवनी, आपबीती, आत्मकहानी आदि विकल्प स्वरुप लिया गया है.
आत्मकथा
की धारणा पर कई विद्द्वानों ने अपने विचार व्यक्त किये हैं इन विचारों के आधार पर यह
कहा जा सकता है कि जो आत्मकथाकार होता है वह अपने जीवन की प्रमुख घटनाओं, मानवीय अनुभूतियों,
भावों विचारों एवं कार्यकलापों को निष्पक्षता तथा स्पष्टता से आत्मकथा में समाहित करता
है. आत्मकथा में उस के जीवन की उचित तथा अनुचित घटनाओं का सच्चा चित्रण होता है. इसमें
लेखक स्वयं के जीवन की स्मृतियों को प्रस्तुत करता है , जो आत्मनिरीक्षण ,आत्मज्ञान एवं आत्म न्याय के आधार पर होती है. इसलिए
आत्मकथा को हम सम्पूर्ण व्यक्तित्व के उद्धाटन की विधा के रूप में भी स्वीकार करते
हैं.
आत्मकथा किसे कहते हैं ? / Aatmkatha kise kehte hain ?
आत्मकथा व्यक्ति द्वारा स्वयं के जीवन प्रसंगों की व्याख्या होती हैं. जिस प्रकार जीवनी में लेखक अपने चरित्र नायक की प्रशंसा नहीं छोड़ पाता उसी प्रकार आत्मकथा लेखक भी सामान्यतयः जीवन का सिंहावलोकन करते समय प्रायः गुणों का ही बखान करता हैं. आत्मकथा लिखकर आत्मा - परीक्षण एवं आत्म परिष्कार करना चाहता है. इसके अलावा यह भी चाहता है कि उसके अनुभवों का लाभ संसार के अन्य लोग भी उठा सके. " मेरी जीवन गाथा " आचार्य महावीर प्रसाद दिवेदी की आत्मकथा का संक्षिप्त रूप है जिसमें आत्मकथा की बहुत सी विशेषतायें सन्निहित हैं. महापुरुषों के माध्यम से लिखी गयी आत्मकथाएं पाठकों का सही मार्गदर्शन करती है साथ ही उनके लिए प्रेरणादायक भी होती हैं.
गद्द्य की इस विधा के अंतर्गत लेखक अपने जीवन वृत्त को व्यवस्थित रूप से रोचक ढंग से प्रस्तुत करता है. आत्मकथा में वह अपने जीवन से सम्बंधित छोटी या बड़ी घटनाओं को न केवल क्रमबद्ध रूप से प्रस्तुत करता है बल्कि अपने जीवन पर पड़े हुए अनेक प्रभावों का भी उल्लेख करता है.
इन घटनाओं में जीवन से सम्बंधित सभी ऊँच- नीच का सरल भाव से वर्णन होता है. आत्मकथा लेखकों में पांडेय बेचन शर्मा , यशपाल, बाबू गुलाबराय तथा हरिवंश राय बच्चन विशेष रुप से प्रशंसनीय हैं.
आत्मकथा की परिभाषा
एन्साइक्लोपेडिअ ब्रिटेनिका के अनुसार - आत्मकथा,व्यक्ति के जिये हुए जीवन का ब्यौरा है, जो स्वयं उस के द्वारा लिखा जाता है .
कैसल ने एन्साइक्लोपीडिया ऑफ़ लिटरेचर में आत्मकथा को परिभाषित करते हुए कहा है कि -
आत्मकथा व्यक्ति के जीवन का विवरण है, जो स्वयं के द्वारा प्रस्तुत किया जाता है. इसमें जीवनी के अन्य प्रकारों से सत्य का अधिकतम समावेश होना चाहिए.
हरिवंशराय बच्चन कहते हैं - आत्मकथा, लेखन की वह विधा है, जिसमें लेखक ईमानदारी के साथ आत्मनिरीक्षण करता हुआ अपने देश, काल, परिवेश से सामंजस्य अथवा संघर्ष के द्वारा अपने को विकसित एवं प्रतिस्थापित करता है.
डॉ नागेंद्र ने आत्मकथा को इस प्रकार परिभाषित किया है - आत्मकथाकार अपने सम्बन्ध में किसी मिथक की रचना नहीं करता , कोई स्वप्न सृष्टि नहीं रचता, वरन अपने जीवन के गत खट्टे - मीठे, उजाले - अँधेरे , प्रसन्न - विष्हणं , साधारण - असाधारण संचरण पर मुड़कर एक दृष्टि डालता है, अतीत को पुनः कुछ क्षणों के लिए स्मृति में जी लेता है और अपने वर्तमान तथा अतीत के मध्य सूत्रों का अन्वेषण करता है.
डॉ कुसुम अंसल ने कहा है - आत्मकथा लिखना अपने अस्तित्व के प्रति क़र्ज़ चुकाने जैसी प्रक्रिया या संसार चक्र में फसें अपने अस्तित्व की डोर को उधेड़ लेने का साहित्यिक प्रयास है.
डॉ साधना अग्रवाल के अनुसार - आत्मकथा लिखने की शर्त है ईमानदारी के साथ सच के पक्ष में खड़े होना और अपनी सफलताओं - असफलताओं का निर्ममता पूर्वक पोस्टमार्टम करना.
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