ad13

Essay on My Village in Sanskrit || मेरा गांव पर निबंध संस्कृत में

Essay on My Village in Sanskrit || मेरा गांव पर निबंध संस्कृत में 

Essay on my village in Sanskrit || मेरा गांव पर संस्कृत निबंध


essay on my village 10 lines in Sanskrit || मेरा गांव पर निबंध संस्कृत में 


my village essay in sanskrit


Essay on My Village in Sanskrit,essay on my village 10 lines,essay on my village in english,essay on my village in sanskrit, sanskrit essay on my village,essay on my village in hindi,essay on my village class 10,essay on my village in english for class 10,essay on my village for class 5,essay on my village in english for class 5,essay on my village 150 words,essay on my village for class 3,essay on my village life,मेरा गांव पर निबंध संस्कृत में,मेरा गांव पर निबंध,मेरा गांव पर निबंध in hindi,मेरा गांव पर संस्कृत निबंध,मेरा गांव पर निबंध संस्कृत में,मेरा गांव पर निबंध in english,मेरा गांव पर निबंध इंग्लिश में,मेरा गांव पर निबंध लिखें,मेरा गांव पर निबंध बताइए,मेरा गांव पर निबंध हिंदी में,मेरा स्वच्छ गांव पर निबंध,मेरा गांव मेरा गौरव पर निबंध
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट  www.Bandana classes.com  पर । आज की पोस्ट में हम आपको "Essay on my village in Sanskrit || मेरा गांव पर निबंध संस्कृत में " के बारे में बताएंगे तो इस पोस्ट को आप लोग पूरा पढ़िए।


                  आदर्शग्रामस्य मम विचारः

  अथवा

  मम ग्रामः

  अथवा

    मम ग्रामः/नगरम्


संकेत-1 परिचयः, 2. शिक्षायाः प्रसारः, 3. चिकित्सालयानाम् व्यवस्था।  4. सद्वृत्तीनां शिक्षणम्।


 1. परिचय- भारतं ग्रामदेशः अस्ति।  प्रायः सप्ततिः प्रतिशतं जनाः ग्रामेषु निवसन्ति ।  ग्रामजनाः अतीव दरिद्राः सन्ति।  तेषां संशोधनं अस्माकं कर्तव्यम् अस्ति।


  2. शिक्षायाः प्रसारः- सर्वाधिक महत्त्वपूर्णं वस्तु शिक्षा अस्ति।  अधिकांशः ग्रामवासी पठितुं लिखितुं च न शक्नोति।  अतः तेषां कृते रात्रौ विद्यालयः आरभ्यत इति।


  3. चिकित्सालयस्य व्यवस्था- यदा ग्रामजनाः रोगाक्रान्ता भवन्ति तदा तेषां औषधं न प्राप्यते।  अत एव ग्रामेषु तेषां कृते चिकित्सालयाः निर्माणं कर्तव्यम्।  एतेषु चिकित्सालयेषु तेषां परिचर्यायै योग्याः वैद्याः भवेयुः।


  4. सद्-अभ्यासान् शिक्षितुं- ग्रामे जनानां काश्चन अति-दुष्टाभ्यासाः सन्ति।  पिबन्ति धूमपानं च कुर्वन्ति।  विवाहादिषु ते बहु धनं व्यययन्ति ।  एतानि सर्वाणि दुष्टानि इति उपदिशेयुः।  तेषां जीवनं सुखदं कर्तुं तान् परिहरितुं प्रार्थनीयम्।


दोस्तों यदि आपको यह पोस्ट पसंद आयी हो तो इसे अपने दोस्तों और सोशल मीडिया पर अधिक से अधिक शेयर करिए। अगर दोस्तों अभी तक आपने हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब और टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन नहीं किया है तो नीचे आपको लिंक दी गई है ज्वाइन और सब्सक्राइब करने की तो वहां से आप हमारे telegram group (Bandana classes.com) को ज्वाइन और YouTube channel (Bandana study classes) को सब्सक्राइब कर लीजिए जहां पर आप को महत्वपूर्ण वीडियो हमारे यूट्यूब चैनल पर मिल जाएंगे।


👉Click here to join telegram channel👈


👉Click here to join YouTube channel 👈


इसे भी पढ़ें 👇👇👇



















































Post a Comment

Previous Post Next Post

Top Post Ad

Below Post Ad