राजभाषा क्या है ?( What is Rajbhasha ?)
राजभाषा किसे कहते हैं ? (Rajbhasha kise kahate Hain?)
राजभाषा की प्रमुख विशेषताएं (Characteristics of Rajbhasha)
नमस्कार दोस्तों ! स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट bandanaclasses.com पर. दोस्तों आज की पोस्ट में हम जानेंगे कि राजभाषा क्या है ? तथा राजभाषा की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं ? आप सभी लोगों को पोस्ट को आखिरी तक पढ़ना है. मेरे दोस्तों आप लोग भी यह जानना चाहते होंगे कि राजभाषा किसे कहते हैं ? तथा इसके कितने प्रकार होते हैं ? आखिर हम में से बहुत से लोग आज भी नहीं जानते हैं कि राजभाषा का वास्तविक मतलब क्या होता है ?
यदि आप भी उन लोगों में से हैं जिन्हें नहीं पता कि राजभाषा किसे कहते हैं ? तथा राजभाषा कितने प्रकार के होते हैं ? राजभाषा के कौन - कौन से अंग हैं ? एक अच्छा राजभाषा लिखने के लिए किन -किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ? इन सभी प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए बने रहिये इस पोस्ट पर.
मेरे प्रिय विद्द्यार्थियों राजभाषा शब्द को तो हम बचपन से ही सुनते आ रहे हैं लेकिन सच्चाई यही हैं कि राजभाषा किसे कहते हैं ? यह तथ्य हम में से अधिकांश लोग नहीं जानते हैं. तो दोस्तों बने रहिये हमारी वेबसाइट bandanaclasses.com पर. हिंदी भाषा में राजभाषा का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान हैं. हिंदी साहित्य में राजभाषा से संबंधित इस पोस्ट में आपको जानकारी देंगे।
राजभाषा- किसी प्रदेश में जिस भाषा का प्रयोग शासकीय कार्य, शिक्षण तथा समाचार प्रसारण हेतु किया जाता है, वह वहां की राजभाषा या प्रादेशिक भाषा कहलाती है. सामान्यतयः यह सरकारी कामकाज की भाषा होती है.क्षेत्रीय भाषा को ही राजभाषा कहते हैं. सरकार के निर्णय, शिक्षा का माध्यम तथा दूरदर्शन में राजभाषा का प्रयोग किया जाता है.
राजभाषा औपचारिक होती है.
इसका क्षेत्र सीमित होता है.
राजभाषा किसी एक राज्य या एक से अधिक राज्य तक ही सीमित रहती है.
सरकारी कामकाज में प्रचलित भाषा राजभाषा कहलाती है
प्रश्न- वर्तमान में राष्ट्रीय भाषा कितनी है?
उत्तर- वर्तमान में अपने देश में 22 अधिकारिक भाषा हैं.
प्रश्न- भारत देश की राजभाषा कौन सी है?
उत्तर- अपने देश की राजभाषा हिंदी है.
प्रश्न- भारत की राष्ट्रीय भाषा कौन सी है?
उत्तर-अपने भारत देश की राष्ट्रभाषा हिंदी है.
हिंदी को राजभाषा का दर्जा कब मिला ?
हिंदी भारत देश में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है तथा इसे राजभाषा का दर्जा प्राप्त है. 24 सितम्बर 1949 को संविधान सभा में हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया था. हिंदी भाषा के महत्व को समझाने और इसके व्यापक प्रसार के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के अनुरोध पर सन 1953 से प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है.
राजभाषा क्या है? (What is Rajbhasha?)
राजभाषा की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं ?
(What are the main characteristics of Rajbhasha?)
प्रशासन (Administration) की भाषा राष्ट्रभाषा कहलाती है, अत: सरकारी कार्यालयों( Government offices) में जिस भाषा का प्रयोग होता है और राज्य सरकारें जिस भाषा में अपने पत्र इत्यादि केन्द्र सरकार की और केन्द्रीय प्रशासन अपने संदेश राज्य सरकारों को संप्रेषित करता है, वह राजभाषा (Rajbhasha) कही जाती है। हमारे देश की केन्द्रीय सरकार (Central Government) हिन्दी के साथ-साथ अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करती है। हिन्दी के साथ-साथ अंग्रेजी भी सह राजभाषा के रूप में संविधान द्वारा स्वीकृत है। अंग्रेजी भाषा में राजभाषा को Lingua Franca (लिंग्वा प्रैंका) कहते है। केन्द्र की राजभाषा को ‘संघभाषा’ भी कहते हैं। सरकारी आदेश, आज्ञाएँ, विज्ञापन, पत्र-व्यवहार वगैरह इसी भाषा में मुद्रित और प्रसारित होते हैं। प्रदेशों के शासनात्मक एकता की स्थापना का बहुत अधिक महत्व है।
इस भाषा का प्रयोग प्रमुख रूप से चार (four) क्षेत्रों-शासन, विधान, न्यायपालिका और विधान पालिका में होता है। प्रशासन (Administration) की भाषा होने के कारण बहुत से लोग इसे ‘कचहरी की भाषा’ भी कहते हैं। इस देश में समय-समय पर कई राजभाषाओं द्वारा शासन स्थापित किया गया है। प्राचीन और मध्यकालीन भारत में संस्कृत (Sanskrit) ने राजभाषा का कार्य किया। मौर्यों के शासन का संचालन राज्यभाषा पालि (Pali) ने किया। मुसलमानों के शासन काल में फारसी (Farsi) राजभाषा बनी और अंग्रेजी के शासनकाल में इस स्थान को अंग्रेजी(English)भाषा ने ग्रहण किया। अब स्वतंत्र भारत में राजभाषा का सिंहासन हिन्दी (Hindi) को सौंपा गया है।
14 सितम्बर, 1949 ई. को संविधान सभा ने सर्वसम्मति से हिन्दी (Hindi) को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया, यहीं कारण है कि 14 सितम्बर को प्रत्येक साल सम्पूर्ण देश में ‘हिन्दी दिवस’ (Hindi Divas) मनाया जाता है। वास्तव में यह ‘दिवस’ स्वभाषा-चेतना तथा सभी भारतीय भाषाओं के बीच सद्भावना दिवस के रूप में मनाया जाता है। इतना ही नहीं, इस दिन भारत सरकार के कार्यालयों और प्रादेशिक कार्यालयों में भी विभिन्न तरह की संगोष्ठियाँ, प्रतियोगिताएँ, पुरस्कारों तथा सम्मेलनों का आयोजन किया जाता है।
राजभाषा हिन्दी के प्रगामी प्रयोग के लिए केन्द्र सरकार के राजभाषा विभाग के अन्तर्गत् आठ क्षेत्रीय कार्यान्वयन कार्यालयों-कोलकाता, गाजियाबाद, गुवाहाटी, मुम्बई, भोपाल, दिल्ली, कोचीन और बेंगलूर-की स्थापना की गयी है। केन्द्रीय सरकार के मंत्रालयों-विभागों में राजभाषा के प्रयोग को सुनिश्चित करने के लिए 43 हिन्दी सलाहकार समितियाँ स्वीकृत हैं। हिन्दी अब प्रशासन की भाषा बन रही है।
अनुच्छेद 351 के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि हिन्दी के बढ़ाव-विकास के लिए राजभाषा विभाग विभिन्न नियमों, अधिनियमों, संकल्पों और आदेशों का कड़ाई के साथ पालन कर रहा है। इसीलिए हिन्दी ज्ञान-विज्ञान, व्यापार-वाणिज्य, विज्ञान, संचार माध्यम और सामाजिक नियंत्रण की भाषा हो रही है। कुल मिलाकर भारत के जन कल्याणकारी गणतंत्र में सम्पर्क ओर राजभाषा के रूप में हिन्दी का भविष्य सुखद और प्रीतिकर है।
राजभाषा की विशेषताएं (Characteristics of Rajbhasha)
साहित्यिक हिन्दी (Hindi Literature) में जहाँ अभिधा, लक्षणा और व्यंजना के माध्यम से अभिव्यक्ति की जाती है। राजभाषा हिन्दी में केवल अभिधा का ही प्रयोग होता है।
साहित्यिक हिन्दी में एकाधिकार्थता-चाहे शब्द के स्तर पर हो चाहे वाक्य के स्तर पर, काव्य-सौन्दर्य के अनुकूल मानी जाती है। इसके विपरीत राजभाषा हिन्दी में सदैव एकार्थता ही काम्य होती है।
राजभाषा अपने पारिभाषिक शब्दों में भी हिन्दी की अन्य प्रयुक्तियों से पूर्णत: अलग है। इसके अधिकांश शब्द प्राय: कार्यालयी प्रयोगों के लिए ही उसके अपने अर्थ में प्रयुक्त होते है। उदाहरण(examples) :
आयुक्त = Commissioner
विवाचक = Arbitrator
आयोग = Commission
प्रशासकी = Administrative
मन्त्रालय= Ministry
आबंटन = Alloment इत्यादि।
हिन्दी में सामान्यत: समस्रोतीय घटकों से ही शब्दों की रचना होती है। उदाहरण संस्कृत शब्द निर्धन + संस्कृत भाव वाचक संज्ञा प्रत्यय ‘ता’ = निर्धनता। किन्तु अरबी-फारसी शब्द गरीब + ता = गरीबता। किन्तु अरबी-फारसी शब्द गरीब + अरबी-फारसी भाव वाचक संज्ञा प्रत्यय ‘ई’= गरीबी।
हिन्दी में न तो निर्धन+ई=निर्धनी बनेगा और न ही गरीब+ता=गरीबता। लेकिन राजभाषा में काफी सारे शब्द विषम स्रोतीय घटकों से बने है। उदाहरण(examples) :
उपकिरायेदार = Sub-letting
जिलाधीश = Collector
उपजिला = Sub-district
अस्टांपित = unstamped
अपंजीकृत = unregistered
राशन-अधिकारी = ration-officer … इत्यादि।
अंग्रेजी, फ्रांसीसी, चीनी, रूसी इत्यादि समृद्ध भाषाओं में एक ही शैली मिलती है, पर राजभाषा हिन्दी में एक ही शब्द के लिए कई शब्द हैं। उदाहरण (examples) -
कार्यालय -दफ़्तर - ऑफिस न्यायालय-अदालत-कोर्ट-कचहरी
शपथ-पत्र-हलफनामा-एफिडेविट
विवाह-शादी-निकाह इत्यादि।
राजभाषा हिन्दी का प्रयोग राजतन्त्र का कोई व्यक्ति करता है जो प्रयोग के समय व्यक्ति न हो कर तंत्र का एक अंग होता है। इसलिए वह वैयक्तिक रूप से कुछ न कहकर निर्वैयक्तिक रूप से कहता है। यही कारण है कि हिन्दी की अन्य प्रयुक्तियों में जबकी कतर्ृवाच्य की प्रधानता होती है, राजभाषा हिन्दी के कार्यालयी रूप में कर्मवाच्य की प्रधानता होती है।
उसमें कथन व्यक्ति-सापेक्ष न होकर व्यक्ति-निरपेक्ष होता है। उदाहरण : ‘सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है’, ‘कार्यवाही की जाए’, ‘स्वीकृति दी जा सकती है’ इत्यादि।
राजभाषा का स्वरूप तथा क्षेत्र
(Structure & field of Rajbhasha)
स्वतंत्रता पूर्व ब्रिटिश शासन काल में समस्त राजकाज अंग्रेजी में होता था। सन् 1947 में स्वतंत्रता की प्राप्ति के पश्चात् महसूस किया गया कि स्वतंत्र भारत देश की अपनी राजभाषा होनी चाहिए; एक ऐसी राजभाषा जिससे प्रशासनिक तौर पर पूरा देश जुड़ा रह सके। भारतवर्ष के विचारों की अभिव्यक्ति करने वाली सम्पर्क भाषा ‘हिन्दी’ को ‘राजभाषा’ के रूप में स्वतंत्र भारत के संविधान में 14 सितम्बर, 1949 में राजभाषा समिति ने मान्यता दी।
संविधान सभा में भारतीय संविधान के अन्तर्गत हिन्दी को राजभाषा घोषित करने का प्रस्ताव दक्षिण भारतीय नेता गोपालस्वामी अय्यड़्गार ने रखा था। इससे हिन्दी को देश की संस्कृति, सभ्यता, एकता और जनता की समसामयिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाली भाषा के रूप में भारतीय संविधान ने देखा है।
26 जनवरी, 1950 से संविधान लागू हुआ और हिन्दी को राजभाषा के रूप में संवैधानिक मान्यता मिली।
हमारे संविधान (Constitution) में हिन्दी को राजभाषा स्वीकार किए जाने के साथ हिन्दी का परम्परागत अर्थ, स्वरूप और व्यवहार क्षेत्र व्यापकतर हो गया। हिन्दी के जिस रूप को राजभाषा स्वीकार किया गया है, वह वस्तुत: खड़ीबोली हिन्दी का परिनिष्ठित रूप है। जहाँ तक राजभाषा के स्वरूप का प्रश्न है इसके सम्बन्ध में संविधान में कहा गया है कि इसकी शब्दावली मूलत: संस्कृत से ली जाएगी और गौणत: सभी भारतीय भाषाओं सहित विदेश की भाषाओं के भी प्रचलित शब्दों को अंगीकार किया जा सकता है।
राजभाषा शब्दावली (उदाहरण : अधिसूचना, निदेश, अधिनियम, आकस्मिक अवकाश, अनुदान इत्यादि) को देखकर यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि इसकी एक अलग प्रयुक्ति (register) है। शब्द निर्माण के सम्बन्ध में राजभाषा के नियम बहुत ही लचीले हैं। यहाँ किसी भी दो या दो से अधिक भाषाओं के शब्दों की संधि आराम से की जा सकती है। उदाहरण ‘उप जिला मजिस्ट्रेट’, ‘रेलगाड़ी’ इत्यादि। कहने का तात्पर्य यह है कि राजभाषा के अन्तर्गत शब्द निर्माण के नियम बहुत ही लचीले हैं।
राजभाषा का सम्बन्ध प्रशासनिक कार्य प्रणाली के संचालन से होने के कारण उसका सम्पर्क बुद्धिजीवियों, प्रशासकों, सरकारी कर्मचारियों और प्राय: शिक्षित समाज से होता है। स्पष्ट है कि राजभाषा जनमानस की भावनाओं-सपनों-चिन्तनों से सीधे-सीधे न जुड़कर एक अनौपचारिक माध्यम के रूप में प्रशासन और प्रशासित के बीच सेतु का काम करती है। बावजूद इसके सरकार की नीतियों को जनता तक पहुँचाने का यह एक मात्र माध्यम है। साधारण जनता में प्रशासन के प्रति आस्था उत्पन्न करने के लिए यह आवश्यक है कि प्रशासन का सारा कामकाज जनता की भाषा में हो जिससे प्रशासन और जनता के बीच की खाई को पाटा जा सके।
यह राजभाषा हिन्दी सरकारी कार्यालयों में प्रयुक्त होकर ‘कार्यालयी हिन्दी’, ‘सरकारी हिन्दी’, ‘प्रशासनिक हिन्दी’ के नाम से हिन्दी के एक नए स्वरूप को रेखांकित करती है। राजभाषा का प्रयोग सरकारी पत्र व्यवहार, प्रशासन, न्याय-व्यवस्था और सार्वजनिक कार्यों के लिए किया जाता है जिसमें पारिभाषिक शब्दावली का बहुतायत प्रयोग किया जाता है। अधिकतर मामले में अनुवाद का सहारा लिये जाने के कारण यह ‘कार्यालयी हिन्दी’ अपनी प्रकृति में निहायत ही शुष्क, अनौपचारिक और सूचना प्रधान होती है। जहाँ तक ‘राजभाषा हिन्दी’ के क्षेत्र का प्रश्न है इसके प्रयोग के निम्नलिखित तीन (three) क्षेत्र हैं : 1. विधायिका, 2. कार्यपालिका और 3. न्यायपालिका। ये राष्ट्र के तीन प्रमुख अंग हैं।
राजभाषा का प्रयोग इन्हीं तीन प्रशासन के अंगों में होता है। विधायिका क्षेत्र के अन्तर्गत आनेवाले संसद के दोनों सदन और राज्य विधान मंडल के दो सदन आते हैं। कोई भी सांसद/विधायक हिन्दी या अंग्रेजी या प्रादेशिक भाषा में विचार व्यक्त कर सकता है, परन्तु संसद में कार्य हिन्दी या अंग्रेजी में ही किया जाना प्रस्तावित है। कार्यपालिका क्षेत्र के अंतर्गत मंत्रालय, विभाग, समस्त सरकारी कार्यालय, स्वायत्त संस्थाएँ, उपक्रम, कम्पनी इत्यादि आते हैं। संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए हिन्दी भाषा का अधिकाधिक प्रयोग प्रस्तावित हैं जबकि राज्य स्तर पर वहाँ की राजभाषाएँ इस्तेमाल होती हैं।
न्यायपालिका(Judiciary) में राजभाषा का प्रयोग मुख्यत: दो (two) क्षेत्रों में किया जाता है-कानून और उसके अनुरूप की जाने वाली कार्यवाही अर्थात् कानून, नियम, अध्यादेश, आदेश, विनियम, उपविधियाँ इत्यादि और उनके आधार पर किसी मामले में की गई कार्रवाई और निर्णय इत्यादि।
राजभाषा के कार्य क्षेत्रों को अधिक स्पष्ट करते हुए आचार्य देवेन्द्रनाथ शर्मा ने ‘राष्ट्रभाषा हिन्दी : समस्याएँ तथा समाधान’ में लिखा है : ‘राजभाषा का प्रयोग मुख्यत: चार क्षेत्रों में अभिप्रेत है-शासन, विधान, न्यायपालिका और कार्यपालिका। इन चारों में जिस भाषा का प्रयोग हो उसे राजभाषा कहेंगे। राजभाषा का यही अभिप्राय और उपयोग है।’
भारत की राज भाषा, सह राजभाषा, भाषा आयोग, राजभाषा अधिनियम 1963, संयुक्त संसदीय समिति, भाषा आयोग के कार्य क्या है, उच्च न्यायालय की भाषा क्या है, सर्वोच्च न्यायलय की भाषा क्या है, मेघालय की राजभाषा, मिजोरम की राज भाषा, नागालैंड की राजभाषा, अनुसूची 8, कितने भाषा है
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