UP board class 12 Economics half yearly paper solution 2022-23// कक्षा 12 वीं अर्थशास्त्र अर्द्धवार्षिक पेपर 2022
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UP board class 12th economics half yearly paper |
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कक्षा 12वी अर्थशास्त्र अर्द्धवार्षिक परीक्षा पेपर 2022 यूपी बोर्ड
अर्द्धवार्षिक परीक्षा
कक्षा-12वी
विषय– अर्थशास्त्र
STSO
समय: 3.00 घंटे पूर्णांक : 100
नोट. सभी प्रश्न करने अनिवार्य है।
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. दुर्लभ साधनों के श्रोत होते हैं
(अ) वैकल्पित
(ब) सीमित
(स) निश्चित
(द) शून्य
उत्तर –(अ) वैकल्पित
2. तुष्टि गुण होता है
(अ) वस्तुगत
(ब) सापेक्ष
(स) निरपेक्ष
(द) मूर्त
उत्तर –(अ) वस्तुगत
3. विलास की वस्तुओं की माँग की कीमत लोच होती है
(अ) इकाई से अधिक
(ब) इकाई से कम
(स) शून्य
(द) अनन्त
उत्तर –(अ) इकाई से अधिक
4. निम्नलिखित में असंगत है
(अ) चाय तथा कॉफी
(ब)चावल तथा दाल
(स) टायर तथा ट्यूब
(द) पेन तथा रिफिल
उत्तर –(अ) चाय तथा कॉफी
5. अल्पकाल के उत्पादन के कितने साधन स्थिर होते है
(अ) कोई भी नहीं
(ब) सभी
(स) कम-से-कम एक
(द) अनिश्चित
उत्तर –(स) कम-से-कम एक
6. निम्नलिखित में से एक टिकाऊ उपभोक्ता वस्तु नहीं है
(अ) फ्रिज
(ब) तोलिया
(स) मेज
(द) भोजन
उत्तर –(द) भोजन
7. भारत में 100 रु. के नोट का निर्गमन कौन करता है
(ब)केन्द्र सरकार
(अ) भारतीय स्टेट बैंक
(स) भारतीय रिजर्व बैंक
(द) इनमे से कोई नहीं
उत्तर –(स) भारतीय रिजर्व बैंक
8. कुल उत्पादन चढ़ने पर उत्पादन की परिवर्तनशील लागत
(अ) घटती है
(ब) बढ़ती है।
(स) पहले बढ़ती फिर घटती है।
(द) अपरिवर्तित रहती है।
उत्तर –(ब) बढ़ती है।
9. समान कीमत किस बाजार की विशेषता है
(अ) एकाधिकार
(ब)आदर्श प्रतिस्पर्द्धा
(स) एकाधिकार प्रतियोगिता
(द) इनमे से कोई नहीं
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10. निम्नलिखित में से किसे पूँजीगत वस्तुओं में सम्मिलित किया जाता है
(अ) टेलीफोन सेट
(ब) स्टील की चादर
(स) चायपत्ती
(द) उपकरण
उत्तर –अ) टेलीफोन सेट
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
11.अर्थशास्त्र में बाजार की परिभाषा दीजिए।
उत्तर –अर्थशास्त्र में बाजार से अभिप्राय किसी दिये गये क्षेत्र में उस प्रबंध से है जिसके द्वारा वस्तुओं के क्रय विक्रय के लिये क्रेता तथा विक्रेता प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से सम्पर्क में आते हैं। एकाधिकार तथा पूर्ण प्रतियोगिता बाजार की संरचना के दो चरम रूप हैं
12.सीमान्त तुष्टिगुण का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर –सीमांत उपयोगिता वह अतिरिक्त संतुष्टि है जो एक उपभोक्ता को एक अच्छी या सेवा की एक और इकाई होने से मिलती है। सीमांत उपयोगिता की अवधारणा का उपयोग अर्थशास्त्रियों द्वारा यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि उपभोक्ता कितनी वस्तु खरीदने के इच्छुक हैं।
13. माँग की लोच क्या है?
उत्तर –वस्तु की आय लोच को वस्तु की मांगी गई मात्रा की आय में हुए परिवर्तन के कारण अनुक्रियाशीलता को मांग की आय लोच कहते हैं वस्तुत: आय लोच वस्तु की मात्रा एवं कीमत के परिवर्तन की अनुक्रियाशीलता (Responsiveness) है। मान लीजिए क्रेता की आय में 10 प्रतिशत वृद्धि होने पर उसकी वस्तु की मांग में 20 प्रतिशत वृद्धि हो जाती है।
14 वस्तु विनिमय प्रणाली को समझाइए।
उत्तर –जब किसी एक वस्तु के बदले दूसरी वस्तु का लेना या देना होता है वह वस्तु विनिमय (Bartering) कहलाते हैं। जैसे एक गाय लेकर 10 बकरियाँ देना । इस पद्धति में विनिमय की सार्वजनिक (सर्वमान्य ) इकाई अर्थात मुद्रा (रूपये-पैसे) का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
15. बढ़ते प्रतिफल के नियम की व्याख्या कीजिए।
उत्तर –पैमाने के बढ़ते प्रतिफल का मुख्य कारण विशिष्टीकरण है जब श्रम के विभाजन के कारण, श्रमिकों को उनकी योग्यता के अनुसार कार्य दिया जाता है, उनकी उत्पादकता बढ़ती है साथ ही लागत घटती है।
16. अवसर लागत से आप क्या समझते हैं?
उत्तर –एक वस्तु की अवसर लागत किसी दूसरी वस्तु की वह मात्रा है जिसे पहली वस्तु का उत्पादन करने के लिए छोड़ना पड़ता है। जैसे दिए हुए साधनों की सहायता से या तो हम 5 मिलियन पॉण्ड मक्खन का उत्पादन कर सकते हैं अथवा 15 हजार बंदूकों का उत्पादन कर सकते हैं।
17. औसत लागत का सूत्र लिखिए।
उत्तर –औसत लागत = (कुल लागत )/(कुल उत्पादन)
18. स्टॉक से आप क्या समझते हैं?
उत्तर –स्टॉक (जिसे इक्विटी के नाम से भी जाना जाता है) एक सिक्योरिटी है, जो किसी कंपनी के एक अंश के स्वामित्व का प्रतिनिधित्व करती है। यह स्टॉक के मालिक को कंपनी के एसेट और जितना स्टॉक उनके पास है, उसके लाभ के बराबर के अनुपात का अधिकार देता है। स्टॉक के यूनिट को 'शेयर' कहा जाता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
19 समष्टि अर्थशास्त्र के अर्थ को स्पष्ट करते हुए परिभाषित कीजिए
उत्तर –समष्टि अर्थशास्त्र संपूर्ण अर्थव्यवस्था के क्रियाशीलता से सम्बन्धित है जिसमें वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन, किसी समय अवधि में उसकी वृद्धि दर, साधनों के रोजगार का स्तर, बचत तथा विनियोग आदि का निर्धारण एवं इसमें किसी समय अवधि में परिवर्तन का अध्ययन किया जाता है।
समष्टि अर्थशास्त्र का महत्व
1. समष्टि अर्थशास्त्र विश्लेषण की सहायता से पूर्ण रोजगार, व्यापार चक्र आदि जटिल समस्याओं का अध्ययन हो जाता है।
2. आर्थिक नीतियों के निर्माण में सहायक- सरकार का प्रमुख कार्य कुल रोजगार, कुल आय, सामान्य कीमत स्तर, व्यापार के सामान्य-स्तर आदि पर नियंत्रण करना होता है।
3.आय व रोजगार के सिद्धांत - समष्टि अर्थशास्त्र में राष्ट्रीय आय तथा कुल रोजगार विश्लेषण का मुख्य केन्द्र बिन्दु रहता है। इसलिए इसे आय व रोजगार का सिद्धांत भी कहते है ।
4. सामूहिक हितों पर बल इसमें सामूहिक हितों पर अधिक बल दिया जाता है।
20. क्षेत्र के आधार पर बाजारों का वर्गीकरण कीजिए। कीजिए।
उत्तर –बाजार का अर्थ
बोलचाल की आम भाषा में हम यह कह सकते हैं कि बाजार का आशय किसी ऐसे स्थान विशेष से हैं जहां किसी वस्तु या वस्तुओं के क्रेता और विक्रेता इकठ्ठा होते हैं। तथा वस्तुओं को खरीदते और बेचते हैं।
परंतु अर्थशास्त्र में बाजार शब्द का अर्थ इससे अलग है। अर्थशास्त्र के अंतर्गत बाजार शब्द का आशय उस सम्पूर्ण क्षेत्र से है। जहां तक किसी वस्तु के क्रेता व विक्रेता फैले होते हैं तथा उनमे वस्तुओं के खरीदने और बेचने की स्वतंत्र प्रतियोगिता होती है जिसके कारण वस्तु के मूल्य में एकरूपता की प्रवृत्ति पाई जाती है। उसे बाजार कहते है। अर्थशास्त्र में बाजार का वर्गीकरण:
निम्नलिखित दृष्टिकोण से किया जाता है।
1. क्षेत्र की दृष्टि से
2. समय की दृष्टि से
3. कार्यों की दृष्टि से
4. प्रतियोगिता की दृष्टि से
5. वैधानिकता की दृष्टि से
21. औसत आय तथा सीमान्त आय की स्थिति को समझाइए
उत्तर –
सीमांत आय बिक्री राजस्व और परिवर्तनीय लागत के बीच के अंतर को संदर्भित करती है। उदाहरण के लिए, यदि आपकी कंपनी $100,000 मूल्य के उत्पाद बेचती है और उसकी परिवर्तनीय लागत $40,000 है, तो उसकी सीमांत आय में $60,000 है।
औसत आय–अनौपचारिक बोलचाल में प्रति व्यक्ति आय को औसत आय भी कहा जाता है और आमतौर पर अगर एक राष्ट्र की औसत आय किसी दूसरे राष्ट्र से अधिक हो, तो पहला राष्ट्र दूसरे से अधिक समृद्ध और सम्पन्न माना जाता है।
22. मांग की लोच को प्रभावित करने वाले कारकों को लिखिए।
उत्तर – मांग की लोच को प्रभावित करने वाले कारक निम्न लिखित है
(1) वस्तु की प्रकृति - किसी भी वस्तु के स्वभाव का माँग की लोच पर सीधा प्रभाव पड़ता है। माँग की लोच कम होगी या अधिक उस वस्तु की प्रकृति पर निर्भर करता है। यानि कि वस्तु अनिवार्य है, आरामदायक है या विलासिता की है। अनिवार्य तथा आवश्यकता की वस्तुओं (जैसे - चावल गेहूँ, नमक, तम्बाकू आदि) की माँग प्रायः बेलोचदार होती हैं। ये ऐसी वस्तुएँ होती हैं जिनके मूल्य में परिवर्तन होने के बाद में भी उनकी माँग पर कोई प्रभाव नही पड़ता।
आरामदायक वस्तुओं की माँग लोचदार होती है क्योंकि यदि इनके मूल्य में कमी आ जाए तो माँग में वृद्धि और मूल्य में वृद्धि हो जाए तो माँग में कमी आने लगती है। तो वहीं विलासिता पूर्ण वस्तुओं की माँग अधिक लोचदार होती है। क्योंकि इन वस्तुओं की क़ीमतों में परिवर्तन से उनकी माँग पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है।
(2) स्थानापन्न वस्तुओं की उपलब्धता ऐसी वस्तुएँ जिनके बदले में किसी और वस्तु का प्रयोग किया जा सकता हो। जैसे कि कॉफ़ी तथा चाय, शक्कर तथा गुड़ । अर्थात जिन वस्तुओं की निकट स्थानापन्न वस्तुएँ उपलब्ध होती हैं। ऐसी वस्तुओं की माँग, अधिक लोचदार होती है। क्योंकि यदि एक वस्तु की क़ीमत बढ़ जाए तो, लोग उसके स्थान पर दूसरी वस्तु का प्रयोग करने लगते हैं। बशर्ते दूसरी वस्तु की क़ीमत पहले से स्थिर हो। जिन वस्तुओं की अनेक स्थानापन्न वस्तुएँ होती हैं। उनकी माँग अधिक लोचदार, व जिन वस्तुओं की कोई निकट स्थानापन्न वस्तुएँ नहीं होतीं, ऐसी वस्तुओं की माँग बेलोचदार होती है।
(3) वस्तु के अनेक प्रयोग ऐसी वस्तु जिसका प्रयोग - अनेक कार्यों में किया जा सकता हो। इनकी माँग अधिक लोचदार होती है। जैसे बिजली, कोयला आदि। यदि बिजली कि दरों में कमी आ जाए तो लोग इसका प्रयोग बहुतायत में किया जाता है। जैसे- रोशनी, खाना बनाने, कमरा गर्म करने, रेडियो-टीवी चलाने, मशीन चलाने, पंखा-कूलर चलाने इत्यादि के लिए प्रयोग किया जाने लगता है।
लेकिन यदि बिजली की क़ीमतों में वृद्धि हो जाती है तो बिजली के प्रयोग में कटौती होना शुरू हो जाती है। तब बिजली का प्रयोग केवल अत्यंत आवश्यक कार्यों में ही किया जाता है। अर्थात बिजली के मूल्य में वृद्धि से इसकी माँग में कमी आने लगती है। और मूल्य में कमी से माँग में भारी वृद्धि आ जाती है।
(4) वस्तु के उपभोग को भविष्य में स्थगित करने की संभावना - वस्तुएँ यदि ऐसी हैं कि उसकी क़ीमत में वृद्धि होने से उसका प्रयोग भविष्य में स्थगित किया जा सकता हो, तो ऐसी स्थिति में उस वस्तु की माँग लोचदार होती है। जैसे - टाई, रेडियो, छाते, जूते इत्यादि उदाहरण के लिए छाते के मूल्य में वृद्धि हो जाने से लोग बग़ैर छाते के काम चलाना शुरू कर देते हैं। जिस कारण छाते की माँग बहुत घट जाती है।
इसके विपरीत बहुत सी वस्तुएँ ऐसी होती हैं जैसे चावल, गेहूँ । जिनके मूल्यों में वृद्धि हो जाए तब भी उनके उपभोग को रोका नहीं जा सकता। ऐसी वस्तुओं की माँग बेलोचदार होती है।
(5) उपभोक्ता की आर्थिक स्थिति - उपभोक्ता की आय की स्थिति का, वस्तु की माँग की लोच पर सीधा प्रभाव पड़ता है। सामान्यतः धनी लोगों के लिए माँग की लोच बेलोचदार होती है। क्योंकि किसी भी वस्तु की क़ीमत में वृद्धि का उन पर कोई ख़ास प्रभाव नहीं पड़ता। इसके विपरीत निर्धन या मध्यम वर्ग के लोगों के लिए वस्तु की माँग अधिक लोचदार होती है। क्योंकि वस्तु की क़ीमतों में होने वाले परिवर्तन से उनकी माँग पर काफ़ी प्रभाव पड़ता है।
(6) वस्तु पर व्यय किया जाने वाला आय का भाग ऐसी वस्तुएँ जिन पर उपभोक्ता अपनी आय का छोटा भाग ख़र्च करने के लिए इच्छुक होता है। उनकी माँग बेलोचदर होती है। किंतु ऐसी वस्तु जिन पर उपभोक्ता अपनी आय का एक बड़ा भाग ख़र्च करने का इच्छुक होता है। उन वस्तुओं की माँग अधिक लोचदार होती है।
(7) संयुक्त माँग ऐसी वस्तुएँ जिनकी माँग एक साथ - यानि कि किसी दूसरी वस्तु के साथ की जाती है। जैसे डबल रोटी और मख्खन, सिगरेट और दियासलाई, पेन और स्याही, घड़ी और चैन, कार और पेट्रोल इत्यादि । ऐसी वस्तुओं की माँग बेलोचदार होती हैं। क्योंकि इन वस्तुओं में यदि एक वस्तु का प्रयोग करना हो, उसके साथ कि दूसरी वस्तु का प्रयोग भी करना आवश्यक हो जाता है। चाहे उसकी क़ीमत कम या ज्यादा ही क्यों न हो। ऐसी वस्तुओं को पूरक वस्तुएँ या सँयुक्त माँग वाली वस्तुएँ कहा जाता है।
23. उदासीनता वक्र की सहायता से उपभोक्ता के संतुलन की स्थिति समझाइए ।
24 .कुल उत्पाद, सीमान्त उत्पाद एवं औसत उत्पाद को समझाइए ।
उत्तर –कुल उत्पाद (TP) कुल उत्पाद से अभिप्राय किसी वस्तु के उस कुल उत्पादन से है जो एक आगत जैसे श्रम के रोजगार के एक निश्चित स्तर द्वारा प्राप्त होता है, जबकि अन्य आगतों की मात्रा अपरिवर्तित रहती है कुल उत्पाद को श्रम की इकाईयों को बढ़ाने और घटाने से बढ़ाया और घटाया जा सकता है ।
औसत उत्पाद –भारित मूल्यानुपात सूचकांक में भारों का निर्धारण आधार वर्ष में कुल व्यय में उन पर किए गए व्यय के अनुपात अथवा प्रतिशत द्वारा किया जा सकता है। यह वर्तमान अवधि के लिए भी हो सकता है, जो प्रयोग किए गए सूत्र पर निर्भर करता है अनिवार्यतः ये कुल व्यय में विभिन्न वस्तुओं पर किए गए व्यय के मूल्यांश होते हैं।
सीमांत उत्पादन संभावना से अभिप्राय उस वक्र से है, जो दो वस्तुओं के उन संयोगों को दर्शाती है, जिनका उत्पादन अर्थव्यवस्था के संसाधनों का पूर्ण रूप से उपयोग करने पर किया जाता है। यह एक वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई प्राप्त करने की अवसर लागत है। उदाहरण के लिए: एक किसान के पास 50 एकड़ कृषि योग्य भू हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (कोई 3)
25. उत्पत्ति ह्यस नियम की रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट व्याख्या करें।
26- कुल राजस्व, सीमान्त राजस्व एवं आसत राजस्व को परिभाषित कीजिए। इनमें परस्पर क्या सम्बन्ध पाया जाता है?
उत्तर –कुल राजस्व एक व्यवसाय द्वारा अर्जित धन की कुल राशि (उत्पादों और सेवाओं की कीमतों से गुणा की गई बिक्री) का प्रतिनिधित्व करता है,
सीमांत राजस्व किसी उत्पाद या सेवा की एक अतिरिक्त इकाई को बेचकर प्राप्त राजस्व में वृद्धि को दर्शाता है।
औसत राजस्व बेची गई उत्पादन की प्रति इकाई उत्पन्न राजस्व है। यह एक फर्म के लाभ के निर्धारण में एक भूमिका निभाता है। प्रति यूनिट लाभ औसत राजस्व माइनस औसत (कुल) लागत है। एक फर्म आम तौर पर उत्पादन की मात्रा का उत्पादन करना चाहता है जो लाभ को अधिकतम करता है।
27. राष्ट्रीय आय की विभिन्न संकल्पनाओं का वर्णन कीजिए।
28. केन्द्रीय बैंक की साख नियन्त्रण विधियों की व्याख्या कीजिए।
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