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UP board class 12th Hindi sahitya half yearly paper solution 2022-23// यूपी बोर्ड कक्षा 12 वीं साहित्यिक हिन्दी अर्ध्दवार्षिक पेपर

 UP board class 12th Hindi sahitya half yearly paper solution 2022-23// यूपी बोर्ड कक्षा 12 वीं साहित्यिक हिन्दी अर्ध्दवार्षिक पेपर

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UP board class 12th Hindi sahitya half yearly paper

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट   www.Bandana classes.com  पर । आज की पोस्ट में हम आपको " UP Board Half Yearly exam class 12th Sahityik Hindi paper 2022 || यूपी बोर्ड अर्ध्दवार्षिक परीक्षा 2022 कक्षा 12 वीं साहित्यिक हिन्दी पेपर" के बारे में बताएंगे तो इस पोस्ट को आप लोग पूरा पढ़िए।

            अर्द्धवार्षिक परीक्षा पेपर 


                कक्षा-12वी


         विषय– साहित्यिक हिन्दी


                                         code   –  MVP


समय: 3.00 घंटे                           पूर्णाक: 100


नोट: सभी प्रश्न अनिवार्य है।


1. (क) छायावादोत्तर युग की पत्रिका है


(च) हिन्दी प्रदीप 


(ब) हंस


(स) कादम्बिनी 


(द) इन्दु


उत्तर –(ब) हंस


(ख) सूरज का सातवाँ घोड़ा के रचनाकार हैं


(अ) मोहन राकेश


 (ब) धर्मवीर भारती


(स) अज्ञेय 


(द) महादेवी वर्मा


उत्तर –(ब) धर्मवीर भारती


(ग) जय शंकर प्रसाद का नाटक है


(अ) ध्रुवस्वामिनी


(ब) धुवदेवी 


(स) ध्रुवा 


(द) कौमुदी महोत्सव


उत्तर –(अ) ध्रुवस्वामिनी


(घ) 'आवारा मसीहा' के रचनाकार हैं


(अ) अज्ञेय


(ब) यशपाल


(स) विष्णु प्रभाकर


 (द) मोहन राकेश


उत्तर –(स) विष्णु प्रभाकर


(ड) बेईमान की परत' किस विधा की रचना है 


(अ) कहानी


(ब) निबन्ध


(स) नाटक


(द) यात्रा वृतान्त


उत्तर –(ब) निबन्ध


2. (क) प्रेमाश्रयी काव्यधारा के दो कवियों का नामोल्लेख कीजिए


उत्तर –

1.मालिक मुहम्मद जायसी

2.उस्मान


(ख) गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित दो ग्रन्थों के नाम लिखिए। 


उत्तर –

1.श्री राम चरित मानस

2.कवितावली 


(ग) रीतिकाल के प्रतिनिधि कवि का नाम लिखिए।


उत्तर – बिहारी


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3. निम्नलिखित अवतरण को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 


कहते हैं, दुनिया बड़ी भूलक्कड है। केवल उतना ही याद रखती है, जितने से उसका स्वार्थ सधता है। बाकी को फेकर आगे बढ़ जाती है। शायद अशोक से उसका स्वार्थ नहीं सधा क्यों उसे वह याद रखती ? सारा संसार का अखाड़ा ही तो है। 


(क) प्रस्तुत गद्यांश के लेखक व पाठ का नाम स्पष्ट कीजिए।


(ख) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।


(ग) प्रस्तुत गद्यांश में किस प्रसंग की चर्चा की गई है? 


(घ) लेखक ने गद्यांश में किस प्रकार के लोगों को स्वार्थी कहा है?


(ङ) सारा संसार का अखाड़ा ही तो है पंक्ति का क्या आशय है?


उत्तर –

(i) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक 'गद्य - गरिमा' में संकलित तथा हिन्दी के सुविख्यात निबन्धकार आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखित 'अशोक के फूल' नामक ललित निबन्ध से अवतरित है।


अथवा

पाठ का नाम- अशोक के फूल 

लेखक का नाम - आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी 


(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या द्विवेदी जी कहते हैं कि यह संसार बड़ा स्वार्थी है। यह उन्हीं बातों को याद रखता है, जिनसे उसका कोई स्वार्थ सिद्ध होता है, अन्यथा व्यर्थ की स्मृतियों से यह अपने आपको बोझिल नहीं बनाना चाहता। यह उन्हीं वस्तुओं को याद रखता है, जो उसके दैनिक जीवन की स्वार्थ पूर्ति में सहायता पहुँचाती हैं। बदलते समय की दृष्टि में अनुपयोगी होने से यदि कोई वस्तु उपेक्षित हो जाती है तो यह उसे भूलकर आगे बढ़ जाता है।


(iii) अशोक को विस्मृत करने का आधार स्वार्थवृत्ति को माना गया है।


(iv) लेखक ने दुनिया के व्यवहार को इस तरह का बताया है कि यह केवल उतना ही याद रखती है जितने से इसका स्वार्थ सधता है। बाकी को फेंककर आगे बढ़ जाती है।


(v) सारे संसार को स्वार्थ का अखाड़ा कहा गया है।


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 4. निम्नलिखित अवतरण को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।


तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाये झुके कूल सों जल परसन हित मनहुँ सुहाये । किधौं मुकुर में लखत उझकि सब निज-निज सोभा कै प्रणवत जल जानि परम पावन फल लोभा।।


(क) पाठ का शीर्षक और कवि का नाम बताइए।


कवि का नाम – भारतेंदु हरिश्चंद्र


(ख) रेखांकित पंक्तियों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर –भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के इन शब्दों में कुछ ऐसा आकर्षण था यमुना तट आँखों में तरंगित होने लगा। ऊँचे ऊँचे तमाल वृक्षों के बीच से वो पगडण्डी भी दिखाई देने लगी जिस पर दिन भर के गोचारण से क्लांत गोपाल कृष्ण बस आने ही वाले हैं। बल्कि उनकी बाँसुरी की टेर तो सुनाई भी दे रही है। हरे-हरे बाँस की बाँसुरी, जिससे राधा ही नहीं सभी गोपियाँ डाह करती हैं 


 (ग) तट पर वृक्ष किस रूप में दिखाई पड़ रहे हैं?

उत्तर – आकर्षित रूप में


(घ) वृक्ष जल-दर्पण में क्या देखना चाहते हैं?

उत्तर – श्री कृष्ण को देखना चाहते थे


(ङ) 'मनु आतप वारन तीर' में अलंकार बताइए।

उत्तर –उत्प्रेक्षा अलंकार 


 5. निम्नलिखित लेखको में से किसी एक का जीवन परिचय देते हुए उनकी कृतियों पर प्रकाश डालिए। 


(अ) जी0 सुंदर रेड्डी 


(ब) हजारी प्रसाद द्विवेदी


 (स) वासुदेव शरण अग्रवाल 


उत्तर –आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय


जीवन परिचय – हिन्दी के श्रेष्ठ निबन्धकार आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का जन्म सन् 1907 ई० में बलिया जिले के दूबे का छपरा नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता श्री अनमोल द्विवेदी ज्योतिष और संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान थे; अत: इन्हें ज्योतिष और संस्कृत की शिक्षा उत्तराधिकार में प्राप्त हुई। काशी जाकर इन्होंने संस्कृत-साहित्य और ज्योतिष का उच्च स्तरीय ज्ञान प्राप्त किया। इनकी प्रतिभा का विशेष विकास विश्वविख्यात संस्था शान्ति निकेतन में हुआ। वहाँ ये 11 वर्ष तक हिन्दी भवन के निदेशक के रूप में कार्य करते रहे। वहीं इनके विस्तृत अध्ययन और लेखन का कार्य प्रारम्भ हुआ। सन् 1949 ई० में लखनऊ विश्वविद्यालय ने इन्हें डी०लिट्० की उपाधि से तथा सन् 1957 ई० में भारत सरकार ने 'पद्मभूषण' की उपाधि से विभूषित किया। इन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और पंजाब विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष पद पर कार्य किया तथा उत्तर प्रदेश सरकार की हिन्दी ग्रन्थ अकादमी के अध्यक्ष रहे। तत्पश्चात् ये हिन्दी-साहित्य सम्मेलन प्रयाग के सभापति भी रहे। 19 मई, 1979 ई० को यह वयोवृद्ध साहित्यकार रुग्णता के कारण स्वर्ग सिधार गया।


रचनाएँ— आचार्य द्विवेदी का साहित्य बहुत विस्तृत है। इन्होंने अनेक विधाओं में उत्तम साहित्य की रचना की। इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं


निबन्ध संग्रह- 'अशोक के फूल', 'कुटज', 'विचार प्रवाह', 'विचार और वितर्क', 'आलोक पर्व', 'कल्पलता'।


आलोचना - साहित्य–'सूरदास', 'कालिदास की लालित्य योजना', 'कबीर', 'साहित्य- सहचर', 'साहित्य का मर्म'।


इतिहास— 'हिन्दी साहित्य की भूमिका', 'हिन्दी साहित्य का आदिकाल', - = 'हिन्दी-साहित्य' ।


उपन्यास–'बाणभट्ट की आत्मकथा', 'चारुचन्द्रलेख', 'पुनर्नवा' और म 'अनामदास का पोथा'।


सम्पादन– 'नाथ सिद्धों की बानियाँ', 'संक्षिप्त पृथ्वीराज रासो', 'सन्देश रासक' ।


अनूदित रचनाएँ– 'प्रबन्ध चिन्तामणि', 'पुरातन प्रबन्ध संग्रह', 'प्रबन्धकोश' ३) 'विश्वपरिचय', 'लाल कनेर', 'मेरा बचपन' आदि।


6. निम्नलिखित कवियों में से किसी कवि का जीवन परिचय देते हुए उनकी कृतियों पर प्रकाश डालिए।


(अ) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र


 (ब) जगन्नाथदास रत्नाकर' 


(स) जयशंकर प्रसाद


उत्तर –जयशंकर प्रसाद का जीवन-परिचय


जयशंकर प्रसाद बहुमुखी प्रतिभा के धनी साहित्यकार थे। उनका जन्म 1890 ई. में काशी के  'सुँघनी साहू' नामक प्रसिद्ध वैश्य परिवार में हुआ था। उनके यहाँ तम्बाकू का व्यापार होता था। उनके पिता देवीप्रसाद और पितामह शिवरत्न साहू थे। इनके पितामह परम शिवभक्त और दयालु थे। उनके पिता भी अत्यधिक उदार और साहित्य प्रेमी थे। प्रसाद जी का बचपन सुखमय था। बाल्यकाल में ही उन्होंने अपनी माता के साथ धारा क्षेत्र, ओंकारेश्वर, पुष्कर, उज्जैन और ब्रज आदि तीर्थों की यात्राएँ कीं। यात्रा से लौटने के बाद पहले उनके पिता का और फिर चार वर्ष पश्चात् ही उनकी माता का निधन हो गया।


प्रसाद जी की शिक्षा-दीक्षा और पालन-पोषण का प्रबन्ध उनके बड़े भाई शम्भूरत्न ने किया और क्वीन्स कॉलेज में उनका नाम लिखवाया, किन्तु उनका मन वहाँ न लगा। उन्होंने अंग्रेज़ी और संस्कृत का अध्ययन स्वाध्याय से घर पर ही प्राप्त किया। उनमें बचपन से ही साहित्यानुराग था। वे साहित्यिक पुस्तकें पढ़ते और काव्य रचना करते रहे। पहले तो उनके भाई उनकी काव्य-रचना में बाधा डालते रहे, परन्तु जब उन्होंने देखा कि प्रसाद जी का मन काव्य-रचना में अधिक लगता है, तब उन्होंने इसकी पूरी स्वतन्त्रता उन्हें दे दी। प्रसाद जी स्वतन्त्र रूप से काव्य-रचना के मार्ग पर बढ़ने लगे। इसी बीच उनके बड़े भाई शम्भूरन जी का निधन हो जाने से घर की स्थिति खराब हो गई। व्यापार भी नष्ट हो गया। पैतृक सम्पत्ति बेचने से कर्ज से मुक्ति तो मिली,

पर वे क्षय रोग का शिकार होकर मात्र 47 वर्ष की आयु में 15 नवम्बर, 1937 को इस संसार से विदा हो गए।


रचनाएँ –  जयशंकर प्रसाद हिन्दी साहित्य के स्वनाम धन्य रत्न हैं। उन्होंने काव्य, कहानी, उपन्यास, नाटक आदि सभी विधाओं पर अपनी लेखनी चलाई है।


7. बहादुर' अथवा 'पंचलाइट' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।

पंचलाइट


उत्तर–'पंचलाइट'

फणीश्वरनाथ 'रेणु' जी हिन्दी-जगत् के सुप्रसिद्ध आंचलिक कथाकार हैं। अनेक जन-आन्दोलनों से वे निकट से जुड़े रहे, इस कारण ग्रामीण अंचलों से उनका निकट का परिचय है। उन्होंने अपने पात्रों की कल्पना किसी कॉफी हाउस में बैठकर नहीं की अपितु वे स्वयं अपने पात्रों के बीच रहे हैं। बिहार के अंचलों के सजीव चित्र इनकी कथाओं के अलंकार हैं। 'पंचलाइट' भी बिहार के आंचलिक परिवेश की कहानी है। शीर्षक कथा का केन्द्रबिन्दु है। शीर्षक को पढ़कर ही पाठक कहानी को पढ़ने के लिए उत्सुक हो जाता है।


इस कहानी के द्वारा 'रेणु' जी ने ग्रामीण अंचल का वास्तविक चित्र खींचा है। गोधन के द्वारा पेट्रोमैक्स जला देने पर उसकी सभी गलतियाँ माफ कर दी जाती हैं; उस पर लगे सारे प्रतिबन्ध हट जाते हैं तथा उसे मनोनुकूल आचरण की छूट भी मिल जाती है। इससे स्पष्ट होता है कि आवश्यकता बड़े-से-बड़े रूढ़िगत संस्कार और परम्परा को व्यर्थ साबित कर देती है। कथानक संक्षिप्त रोचक, सरल, मनोवैज्ञानिक और यथार्थवादी है। इसी केन्द्रीय भाव के आधार पर कहानी के एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य को स्पष्ट किया गया है।


इस प्रकार 'पंचलाइट' जलाने की समस्या और उसके समाधान के माध्यम से कहानीकार ने ग्रामीण मनोविज्ञान का सजीव चित्र उपस्थित कर दिया है। ग्रामवासी जाति के आधार पर किस प्रकार टोलियों में विभक्त हो जाते हैं और आपस में ईर्ष्या-द्वेष युक्त भावों से भरे रहते हैं, इसका बड़ा ही सजीव चित्रण इस कहानी में हुआ है। रेणु जी ने यह भी दर्शाया है कि भौतिक विकास के इस आधुनिक युग में भी भारतीय गाँव और कुछ जातियाँ कितने अधिक पिछड़े हुए हैं। कहानी के माध्यम से 'रेणु' जी ने अप्रत्यक्ष रूप से ग्राम-सुधार की प्रेरणा भी दी है।

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8. स्वपठित खण्डकाव्य के प्रमुख पात्र का चरित्र चित्रण कीजिए।


 9. निम्नलिखित अवतरणों का सन्दर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए। 


प्रस्तरेषु च रम्येषु विविधा कानन दुमाः । वायुवेगप्रचलिता: पुष्पवकिरन्ति गाम् ।।


अथवा


बौद्धयुगे इमे सिद्धान्ताः वैयक्तिकजीवनस्य अभ्युत्थानाय प्रयुक्ता आसन्। परमध इमे सिद्धान्ताः राष्ट्राणाम् परस्परमंत्री सहयोग कारणानि विश्ववनधुत्वस्य विश्वाशान्तेश्च साधनानि सन्ति । राष्ट्रनायकस्य श्री जवाहरलालनेहरू महोदस्य प्रधानमन्त्रित्वकाले चीन देशेन सह भारतस्य मंत्री पञ्चशील सिद्धान्तानाधिकृत्य एवाभवत् ।


उत्तर –सन्दर्भ प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक 'संस्कृत दिग्दर्शिका' के 'पञ्चशील सिद्धान्ताः' नामक पाठ से उद्धृत है।


अनुवाद बौद्धकाल में ये सिद्धान्त व्यक्तिगत जीवन के उत्थान के लिए प्रयुक्त किए जाते थे, किन्तु आज ये सिद्धान्त राष्ट्रों की परस्पर मैत्री एवं सहयोग के कारण तथा विश्वबन्धुत्व एवं विश्वशान्ति के साधन हैं। राष्ट्र के नायक श्री जवाहरलाल नेहरू महोदय के प्रधानमन्त्रित्व काल में पंचशील के सिद्धान्तों को स्वीकार करके ही चीन देश के साथ भारत की मित्रता हुई थी, क्योंकि दोनों ही राष्ट्र बौद्ध धर्म में निष्ठा रखने वाले हैं। आधुनिक जगत् में पंचशील के सिद्धान्तों ने नर्थ राजनीतिक स्वरूप धारण कर लिया है तथा वे इस प्रकार निश्चित किए गए हैं।


9. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में दीजिए।


(क) कः कालः प्रचुरमन्त्रथः भवति ? 


(ख) व्यासः किं रचितवान् ? 


उत्तर: व्यास: महाभारत रचितवान्


(ग) मूर्खाणाः कालः कथं गच्छति ?


उत्तर –मूर्खाणां कालः व्यसनेन, निद्रया कलहेन वा गच्छति।


10. (क) करूण अथवा हास्य रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए। 


उत्तर – करुण रस


परिभाषा-करुण रस का स्थायी भाव शोक है। शोक नामक स्थायी भाव जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों से संयोग करता है, तब 'करुण रस' की निष्पत्ति होती है। 

उदाहरण

मणि खोये भुजंग-सी जननी, फन सा पटक रही थी शीश। अन्धी आज बनाकर मुझको, किया न्याय तुमने जगदीश ॥ श्रवण कुमार की मृत्यु पर उनकी माता के विलाप का यह उदाहरण करुण रस का उत्कृष्ट उदाहरण है।


स्पष्टीकरण- 1. स्थायी भाव-शोक।


2. विभाव


(क) आलम्बन - श्रवण। आश्रय-पाठक।

(ख) उद्दीपन-दशरथ की उपस्थिति।


3. अनुभाव – सिर पटकना, प्रलाप करना आदि।


4. संचारी भाव-स्मृति, विषाद आदि।


(ख) रोला अथवा सोरठा छन्द की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।


उत्तर –सोरठा (परिभाषा / लक्षण/पहचान एवं उदाहरण)–परिभाषा दोहे का उल्टा रूप सोरठा' कहलाता है। यह एक अर्द्धसम मात्रिक छन्द है अर्थात् इसके पहले और तीसरे तथा दूसरे और चौथे चरणों में मात्राओं की संख्या समान रहती है। इसके विषम (पहले और तीसरे चरणों में 11-11 और सम (दूसरे और चौथे चरणों में 13-13 मात्राएँ होती हैं। तुक विषम चरणों में ही होता है तथा सम चरणों के अन्त में जगण (ISI) का निषेध होता है।


उदाहरण

"मूक होइ वाचाल, पंगु चढ़े गिरिवर गहन ।

जासु कृपा सु दयाल, द्रवौ सकल कलिमल दहन।।


(ग) अनुप्रास अथवा सन्देह अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।


संदेह अलंकार –जब उपमेय और उपमान में समानता देखकर यह तय नहीं हो पाता है कि उपमान वास्तव में उपमेय है या नहीं। जब यह दुविधा बनती है, तब वहां संदेह अलंकार होता है। अथार्त जहाँ पर किसी व्यक्ति या वस्तु को देखकर संशय बना रहे वहाँ पर संदेह अलंकार होता है। यह अलंकार उभयालंकार का भी एक अंग है।


सन्देह अलंकार का उदाहरण


1. सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है। सारी ही की नारी है कि नारी ही की सारी है। स्पष्टीकरण - साड़ी के बीच नारी है या नारी के बीच साडी इसका निश्चय नहीं हो पाने के कारण सन्देह अलंकार है।


 11. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर अपनी भाषा शैली में निबन्ध लिखिए। 


(क)कोरोना: वैश्विक महामारी 


उत्तर–

कोरोना वायरस पर निबंध 


प्रमुख विचार-बिन्दु - (1) प्रस्तावना, (2) कोरोना कैसे फैलता है, (3) कोरोना वायरस के लक्षण, (4) कोरोना वायरस से बचने के कुछ उपाय, (5) कोरोना | वायरस का चीन पर पहला वार, (6) कोरोना वायरस से निपटने के लिए खोज, (7) लॉकडाउन की भारत ने की पहली पहल (8) उपसंहार।


प्रस्तावना - कोरोना वायरस कहाँ से आया, कैसे आया हमें पता ही नहीं चला। लेकिन समाचार की दृष्टि से यह कोरोना वायरस चीन के वुहान राज्य से फैला। कहा जाता है कि चीन के वुहान राज्य के समुद्री-खाद्य बाजार अर्थात् पशु मार्किट से निकलकर चीन के कई राज्यों में फैला और देखते-ही-देखते इसने लाखों लोगों की जिंदगी से खेलना शुरू कर दिया। इस कोरोना वायरस ने 180 देशों को और अनेक राज्यों को अपने चपेट में ले लिया। अभी तक दिसम्बर, में 2019 चीन में पहली कोरोना वायरस से मौत की पुष्टि हुई है। इस वायरस ने लगभग दो लाख लोगों की जान ली है। 7 जनवरी, 2020 को चीन ने वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन को नए वायरस 'कोरोना वायरस (Covid 19)' के बारे में जानकारी दी।


कोरोना कैसे फैलता है- कोरोना वायरस संक्रमित मरीज के छींकने से इसके आस-पास के लोगों तक तेजी से फैलता है। किसी कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज के थूक को सतह पर छूने से और फिर, अपने मुँह, चेहरे, नाक को हाथ लगाने से फैलता है। यह कोरोना वायरस यात्रा कर रहे किसी संक्रमित व्यक्ति के कारण तेजी से फैल सकता है। इतना ही नहीं हवाई जहाज की सीट पर यह कई घंटों तक जिन्दा रहकर स्वस्थ व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। कहा जा सकता है कि एक कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति हजारों लोगों को संक्रमित कर सकता है। कोरोना वायरस मनुष्य के शरीर में बिना कोई लक्षण दिखाए 14 दिनों तक एक्टिव रह सकता है।


कोरोना वायरस के लक्षण- तेज बुखार, गले में दर्द, खत्म न होने वाली खाँसी और साँस लेने में तकलीफ होती है। अंत में यह फेफड़ों को कमजोर बना देता है, जिससे मरीज को साँस लेने में कठिनाई होती है। यह शरीर के दूसरे अंगों को भी नाकाम कर देता है, जिससे मरीज की मृत्यु हो जाती है।


कोरोना वायरस से बचने के कुछ उपाय- अपने आपको कोरोना वायरस से मुक्त रखने के लिए हमें 20 सेकेंड तक बार-बार अपने हाथ धोने चाहिए। हम चाहें तो हैंड सैनेटाइजर का प्रयोग कर सकते हैं। हमेशा घर से बाहर निकलते समय मुँह पर मास्क पहनकर निकलें और घर आकर मास्क को साफ कर लें। छींकते समय अपने मुँह को कोहनी से अथवा टिश्यू पेपर से ढक लें और टिश्यू पेपर को कूड़ेदान में फेंक दें। अगर कोई इंसान बाहर से सफर करके आया हो, तो दो हफ्ते तक अपने आप घर पर रहें और लोगों से दूरी बनाए रखें, इससे संक्रमण का खतरा कम होगा। इस समय सामजिक दूरी बनाए रखना सबसे बेहतर उपाय माना जा रहा है। तकरीबन इस संकट की घड़ी में सभी देशों ने लॉकडाउन करने का फैसला कर दिया और उसे शीघ्र ही लागू कर दिया, जो इस समय सही उपाय है।


कोरोना वायरस का चीन पर पहला वार- 11 जनवरी, 2020 को चीन ने 61 वर्षीय आदमी की मौत की जानकारी दी, जिसने वुहान के पशु बाजार से सामान खरीदा था। दिल का दौड़ा पड़ने से उसकी मृत्यु हो गई। 16 जनवरी को एक दूसरी मौत की खबर आई। इसी तरह देखते ही देखते नेपाल, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, ताइवान, अमेरिका, भारत, इटली आदि देशों को अपने पंजों में जकड़ लिया।


चीन ने जनवरी के आखिरी दिनों में यह दावा किया कि यह एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में फैलता है, जोकि काफी भयानक है, लेकिन बहुत देर हो गई थी। पूरा विश्व इसकी चपेट में आ चुका था और फिर संक्रमित लोगों तथा मृत्यु के मुख में जाने वालों की संख्या लाखो-हजारों में आ चुकी है। 11 मार्च, 2020 को वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने कोरोना वायरस को एक भयानक महामारी घोषित कर दिया।


कोरोना वायरस से निपटने के लिए खोज – पूरी दुनिया कोरोना वायरस से निपटने के लिए वैक्सीन की खोज में जुट गई है, लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी है। दुनिया भर के वैज्ञानिक, डॉक्टर्स इसकी खोज के लिए दिन-रात लगे हुए हैं। इसमें आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक आदि संस्थाएँ भी प्रयत्नशील हैं।


लॉकडाउन की भारत ने की पहली पहल-21 मार्च को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की समस्त विद्वज्जन और वरिष्ठ जनता ने एक साथ मिल-जुलकर भारत में लॉकडाउन कर दिया। जिसके चलते अब तक चार बार यही निर्णय किया गया और जनता ने इसे अपना और अपने देश का हित मानते हुए इसका पालन किया। सारे देश में धारा 144 लगा दी गई। दुकानें, दफ्तर, स्कूल, रेस्टोरेंट, होटल सब बन्द कर दिए गए, ताकि इस महामारी से छुटकारा मिल जाए। परिणाम काफी हद तक सफल रहा। सामाजिक दूरी बनाए रखने के कारण संक्रमित लोगों और मृत्युदर में कमी आई। किन्तु खेद है, जैसे किसी भी जगह की स्वच्छता में जिस प्रकार कुछ लोग बाधक बन जाते हैं, जैसे सत्य की खोज में कुछ अज्ञानी अपना ज्ञान बाँटने लगते हैं, जैसे किसी संस्थान में आग लग जाने के बाद कुछ लोग हाथ तापने लगते हैं, वैसे ही कुछ साम्प्रदायिक और राजनीति का रोना रोने वाले राजनेता अपने भड़काऊ भाषणों से, अपने कुकर्मों से भोली जनता को बहकाने से बाज नहीं आते। ऐसे लोग 'हम तो डूबेंगे सनम लेकर तुमको भी डूबेगे' वाली कहावत को चरितार्थ करते हैं। ऐसे लोगों से बचना ही श्रेयष्कर है, क्योंकि कँटीली झाड़ियों को कोई अपने घर की शोभा नहीं बनाता।


उपसंहार – देखा जा रहा है, जहाँ मरीजों का इलाज चल रहा है वहाँ हर चीज में कोरोना वायरस का प्रकोप है। कोरोना वायरस बहुत समय तक हवा में और कपड़ों में कई घंटों तक जीवित रह सकता है। भारत की जनता को चाहिए कि वह कोरोना वायरस से निपटने के लिए सरकार द्वारा दी गईं हिदायतों से अपनी एवं अपने परिवार की रक्षा करे। साथ ही असमाजिक दुष्प्रभाव फैलाने वाले लोगों और उनके मोबाइल संदेशों एवं भाषण से दूर रहें। वे सभी इस कोरोना वायरस से भी अधिक खतरनाक और हानिकारक वायरस हैं।


(ख) स्वच्छ भारत अभियान


(ग) हमारा पर्यावरण


(घ) कम्प्यूटर शिक्षा के लाम


12.(क) 'रमेश' अथवा 'पावक:' का सन्धि विच्छेद कीजिए।


(ख) 'भू' धातु लट्लकार, मध्यम पुरुष एकवचन का रूप लिखो। 


(ग) नीलाम्बुजम्' अथवा 'त्रिलोकी' में समास का नाम बताइए।


(घ) 'धनवान्' अथवा 'विद्वत्वम्' शब्द में धातु एवं प्रत्यय का योग स्पष्ट कीजिए। 


13. किन्हीं चार वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए।


(क) हमें राष्ट्र भाषा का आदर करना चाहिए। 


(ख) में कल वाराणसी जाऊँगा


(ग) कश्मीर की शोभा पर्यटकों का मन मोह लेती है। 


(घ) दरिद्र को भिक्षा देना पुण्यकार्य है।


(ड़) तुम किस कक्षा में पढ़ते हो।


(च) हिमालय से गंगा निकलती है।


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