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योग के महत्व पर निबंध || Yog ka mahatva par nibandh

योग के महत्व पर निबंध || Yog ka mahatva par nibandh

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योग के महत्व पर निबंध /Essay on Importance of Yoga /Yoga per Nibandh in Hindi


योग पर निबंध / योग का महत्व/योग और स्वास्थ्य



नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट Bandana classes.com पर। दोस्तों आज की पोस्ट में हम लोग योग शिक्षा की आवश्यकता या योग शिक्षा के महत्व पर निबंध के बारे में जानेंगे। योग शिक्षा की आवश्यकता पर निबंध अधिकतर आप लोगों की परीक्षा में पूछा जाता है। जिसमें अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए आपकी भाषा शैली और वर्तनी शुद्ध होनी चाहिए। दोस्तों योग शिक्षा का महत्व विषय पर निबंध एक ऐसा महत्वपूर्ण निबंध है जो हमारे दैनिक जीवन से भी जुड़ा है। दैनिक जीवन में भी हम लोग योग शिक्षा के महत्व को नकार नहीं सकते हैं। चित्त की व्रृतियों को वश में रखना ही योग कहलाता है। इसका अर्थ है कि योग से हम अपने भावनाओं पर नियंत्रण रख सकते हैं। दोस्तों यदि आपको यह पोस्ट पसंद आए तो इसे सोशल मीडिया और अपने दोस्तों में अधिक से अधिक शेयर करिएगा। इसके साथ ही हमारे यूट्यूब चैनल (YouTube Channel) Bandana Study Classes और ‌ Bandana Education Center को भी subscribe कर लीजिए जहां पर आपको अपनी पढ़ाई से संबंधित महत्वपूर्ण वीडियो मिल जाएंगे।



योग शिक्षा : आवश्यकता और उपयोगिता




अथवा योग शिक्षा की आवश्यकता

 

अथवा योग शिक्षा का महत्व

 


प्रमुख बिंदु:- प्रस्तावना,योग का अर्थ एवं उत्पत्ति, योग के प्रकार, योग की आवश्यकता और उपयोगिता, योग के लाभ, उपसंहार।



प्रस्तावना


शरीर, मन और आत्मा को नियंत्रित करने में योग मदद करता है। शरीर और मन को शांत करने के लिए यह शारीरिक और मानसिक अनुशासन का एक संतुलन बनाता है। यह तनाव और चिंता का प्रबंधन करने में भी सहायता करता है और आपको आराम से रहने में मदद करता है। योगासन शक्ति शरीर में लचीलापन और आत्मविश्वास विकसित करने के लिए जाना जाता है। योगाभ्यास का एक प्राचीन रूप जो भारतीय समाज में हजारों साल पहले विकसित हुआ था और उसके बाद से लगातार इसका अभ्यास किया जा रहा है।

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इसमें किसी व्यक्ति को सेहतमंद रहने के लिए और विभिन्न प्रकार के रोगों और क्षमताओं से छुटकारा पाने के लिए विभिन्न प्रकार के बयान शामिल है। यह ध्यान लगाने के लिए एक मजबूत विधि के रूप में भी माना जाता है जो मन और शरीर को आराम देने में मदद करता है। दुनिया भर में योग का अभ्यास किया जा रहा है पूरा विश्व के लगभग दो अरब लोग एक सर्वेक्षण के मुताबिक योग का अभ्यास करते हैं।



योग का अर्थ तथा उत्पत्ति


योग, संस्कृत के यज् धातु से बना है, जिसका अर्थ है-संचालित करना, संबद्ध करना, सम्मिलित करना अथवा जोड़ना। अर्थ के अनुसार विवेचन किया जाए तो शरीर एवं आत्मा का मिलन ही योग कहलाता है। इसकी उत्पत्ति भारत में लगभग 500 ई. पू. में हुई थी। पहले यह विद्या गुरु-शिष्य परंपरा के तहत पुरानी पीढ़ी से नई पीढ़ी को हस्तांतरित होती थी। लगभग 200 ई. पू. में महर्षि पतंजलि ने योग-दर्शन को 'योग-सूत्र' नामक ग्रंथ के रूप में लिखित रूप में प्रस्तुत किया। इसलिए महर्षि पतंजलि को 'योग का प्रणेता' कहा जाता है। आज बाबा रामदेव 'योग' नामक इस अचूक विद्या का देश-विदेश में प्रचार कर रहे हैं।

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योग के भेद या प्रकार


योग शास्त्र के अनुसार योग पांच प्रकार के होते हैं- हठ योग, ध्यान योग, कर्म योग, भक्ति योग एवं ज्ञान योग। हठयोग का संबंध प्राण से, ध्यान योग का मन से, कर्मयोग का क्रिया से, भक्ति योग का भावना से तथा ज्ञान योग का बुद्धि से है।


योग की आवश्यकता और उपयोगिता


योग मनुष्य को अनेक बीमारियों से तो मुक्त रखता ही है, साथ ही उनमें बेहतर सोच एवं सकारात्मक ऊर्जा भी पैदा करता है। यूं तो आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में विज्ञान की प्रगति के कारण मानव जीवन जिस तरह मशीनों पर निर्भर रहने लगा है, उसके लिए शारीरिक एवं मानसिक तौर पर स्वस्थ रहना किसी चुनौती से कम नहीं। मशीनों पर निर्भरता एवं व्यस्तता के कारण आज मानव-शरीर तनाव, थकान, बीमारी इत्यादि का घर बनता जा रहा है। उसने हर प्रकार की सुख सुविधाएं हासिल कर लीं, किंतु उसके सामने शारीरिक एवं मानसिक तौर पर स्वस्थ रहने की चुनौती पूर्ववत है।

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   यद्यपि चिकित्सा एवं आयुर्विज्ञान के क्षेत्र में मानव ने अत्यधिक प्रगति कर अनेक प्रकार की बीमारियों पर विजय प्राप्त कर ली है, किंतु इससे उसे पर्याप्त मानसिक शांति भी प्राप्त हो गई, ऐसा कहना पूर्णतः सही नहीं होगा, किंतु भारतीय संस्कृति की एक प्राचीन विद्या ने मानव को शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मन की शांति के संदर्भ में रोशनी की एक ऐसी किरण प्रदान की है, जिससे न केवल तनाव, थकान, बीमारी एवं अन्य समस्याओं का समाधान संभव है, बल्कि मानव मन को शांति प्रदान करने में भी योग की अहम भूमिका है।


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   बीसवीं सदी में जब योग को अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिलनी शुरू हुई, तो इस पर संपन्न अनेक वैज्ञानिक शोधों ने यह साबित कर दिया कि आधुनिक जीवन में मानव को शारीरिक एवं मानसिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ रखने में योग ही सक्षम है।



योग के फायदे



यह हमारे शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। योग का उद्देश्य शरीर, मन एवं आत्मा के बीच संतुलन अर्थात योग स्थापित करना होता है। योग की प्रक्रिया में जब तन, मन और आत्मा के बीच संतुलन एवं योग (जुड़ाव) स्थापित होता है, तब आत्मिक संतुष्टि, शांति एवं चेतना का अनुभव होता है। योग शरीर को शक्तिशाली एवं लचीला बनाए रखता है, साथ ही तनाव से भी छुटकारा मिलता है।


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   यह शरीर के जोड़ों एवं मांसपेशियों में लचीलापन लाता है, मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, शारीरिक विकृतियों को काफी हद तक ठीक करता है, शरीर में रक्त-प्रभाव को सुचारू करता है तथा पाचन-तंत्र को मजबूत बनाता है। इन सबके अतिरिक्त यह शरीर की रोग-प्रतिरोधक शक्तियां बढ़ाता है। कई प्रकार की बीमारियों: जैसे- अनिद्रा, तनाव, थकान, उच्च रक्तचाप, चिंता इत्यादि को दूर करता है तथा शरीर को ऊर्जावान बनाता है।


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  योग से होने वाले मानसिक स्वास्थ्य के लाभ पर गौर करें, तो पता चलता है कि यह मन को शांत एवं स्थिर रखता है, तनाव को दूर कर सोचने की क्षमता, आत्मविश्वास तथा एकाग्रता को बढ़ाता है। इसलिए छात्रों, शिक्षकों एवं शोधार्थियों के लिए योग विशेष रूप से लाभदायक सिद्ध होता है, क्योंकि यह उनके मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाने के साथ-साथ उनकी एकाग्रता भी बढ़ाता है, जिससे उनके लिए अध्ययन-अध्यापन की प्रक्रिया सरल हो जाती है।


1.योगी की उत्पत्ति के प्राचीन समय में, योगियों द्वारा भारत में की गई थी।



2.यह शरीर के तीन मुख्य तत्वों जैसे शरीर ,मस्तिष्क और आत्मा के बीच संपर्क को नियमित करता है।



3.शरीर में रक्त प्रवाह बढ़ाने का योग से अच्छा कोई और तरीका नहीं हो सकता है।



4.योग के सभी आसनों से लाभ प्राप्त करने के लिए सुरक्षित और नियमित अभ्यास की आवश्यकता है।


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5.रोज प्रात उठकर योगाभ्यास करने से कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है।



6.यह शरीर की प्रतिरोधी प्रणाली को मजबूती प्रदान करने में मदद करता है।



7.यह प्रतिदिन खाई जाने वाली भारी दवाइयों के दुष्प्रभावों को भी कम करता है।


8.अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की घोषणा 21 जून को भारत की पहल और सुझाव के बाद की गई थी।




योग करने का सही तरीका तथा नियम



योग करने के कुछ नियम होते हैं, जिन पर जरूर ध्यान देना चाहिए अन्यथा आप इसका फायदा नहीं उठा सकेंगे।


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1.योगी को सुबह सूर्योदय के बाद करना एवं सूर्यास्त से पहले करना चाहिए।


2.कभी खाना खाने के बाद योग नहीं करना चाहिए खाली पेट योग करना चाहिए योग करने से करीब 2 से 3 घंटे पहले से कुछ नहीं खाना चाहिए।



3.योग करने के करीब आधे घंटे बाद ही कुछ खाना चाहिए।



4.योग को हमेशा विशेषज्ञ की सलाह लेकर करना चाहिए।



5.योग करने से पहले इसे सीखना बेहतर आवश्यक है, योग, गुरु के निगरानी में ही किया जाना चाहिए।



6.योग करते समय सही तरह से सांस छोड़ना अथवा लेना है आना चाहिए।



7.अगर योग करने की शुरुआत कर रहे हैं, तो कठिन आसनों एवं व्यायाम से शुरुआत ना करें। इसके साथ ही धीमे-धीमे योग करने की क्षमता बढ़ाए शुरुआती दिनों में अपने शरीर के अंगों के साथ जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए।



8.कॉटन आरामदायक कपड़े पहनकर योग करना चाहिए।


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9.योगाभ्यास किसी दरी अथवा चटाई पर बैठकर किए जाना चाहिए।



10.योग का लाभ मिला धीरे-धीरे शुरू होता है इसलिए धैर्य के साथ योगाभ्यास को किया जाना चाहिए जल्दी परिणाम की इच्छा नहीं करनी चाहिए।



उपसंहार



आजकल हर कोई योग के नाम पर धन कमाने की इच्छा रखता है। पश्चिमी देशों में इसके प्रति आकर्षण को देखते हुए यह रोजगार का एक उत्तम माध्यम बन चुका है। इन सब के बावजूद आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में खुद को स्वस्थ एवं ऊर्जावान बनाए रखने के लिए योग बेहद आवश्यक है। वर्तमान परिवेश में योग न सिर्फ हमारे लिए लाभकारी है, बल्कि विश्व के बढ़ते प्रदूषण एवं मानवीय व्यस्तताओं से उपजी समस्याओं के निवारण के संदर्भ में इसकी सार्थकता और भी बढ़ गई है।


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एक स्वस्थ व्यक्ति अपने जीवन में बहुत लाभ कमा सकता है और स्वस्थ पूर्ण जीवन जीने के लिए नियमित योग बहुत ही आवश्यक है। आज के आधुनिक जीवन में तनाव काफी बढ़ चुका है और आसपास का पर्यावरण भी स्वच्छ नहीं है। बड़े शहरों में रहने वाले लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है बेहतर स्वास्थ्य का मतलब होता है। बेहतर जीवन। आप 20 से 30 मिनट का योग करके अपने जीवन को काफी बेहतर बना सकते हैं क्योंकि रोज प्रातः उठकर योगाभ्यास करने से कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है। उपर्युक्त निबंध का सारांश यह है कि यदि हम अपने जीवन में योग को अपनाते हैं तो हम अपने भावनाओं को अपने वश में रख सकते हैं, जिससे हमारा अपने मन पर पूर्ण नियंत्रण होगा और अपने मन पर नियंत्रण रखने वाला व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में सफल होता है। योग अपनाने से व्यक्ति और समाज स्वस्थ और खुशहाल रहता है जिससे उस राष्ट्र या देश की भी उन्नति होती है। अतः हर एक नागरिक का कर्तव्य है कि उसे अपने जीवन में योग का अनुसरण करना चाहिए।



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