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Ramnaresh Tripathi ka jivan Parichay // रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय

Ramnaresh Tripathi ka jivan Parichay // रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय

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Ramnaresh Tripathi ka jivan Parichay in Hindi


Ram Naresh Tripathi ki jivani



रामनरेश त्रिपाठी ka jivan Parichay



नमस्कार दोस्तों ! स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट bandana Classes.com पर . दोस्तों आज की पोस्ट में हम चर्चा करने जा रहे हैं, हिंदी साहित्य जगत में पथिक, मिलन  (खंडकाव्य) एवं वीरांगना लक्ष्मी (उपन्यास) की रचना करने वाली प्रमुख साहित्यकार , कवि माने जाने वाले रामनरेश त्रिपाठी की। दोस्तों यह किसने सोचा था कि उत्तर प्रदेश के कोइरीपुर गांव से निकला एक साधारण युवक रामनरेश त्रिपाठी के नाम से प्रसिद्ध होगा और  अपनी रचनाओं का ऐसा रस आम जनमानस में घोला कि जन-जन उसकी रचनाओं का दीवाना हो जाएगा। जी हां, आज हम अपने पोस्ट में हिंदी साहित्य की ऐसे ही महान कवि पथिक, मिलन  (खंडकाव्य) एवं वीरांगना लक्ष्मी (उपन्यास) तथा हिंदी के महान कवि, साहित्यकार,रामनरेश त्रिपाठी जी के जीवन परिचय एवं साहित्यिक परिचय के बारे में आप लोगों को बताने जा रहे हैं।दोस्तों रामनरेश त्रिपाठी एक ऐसा नाम जिसे हिंदी साहित्य का पर्याय माना जाता है। दोस्तों जब जब वीरांगना लक्ष्मी, मिलन एवं पथिक का नाम लिया जाएगा तब तब रामनरेश त्रिपाठी जी का नाम भी सदैव समाज याद करेगा। दोस्तों यह किसने सोचा था कि उत्तर प्रदेश के कोइरीपुर  गांव से निकला एक साधारण युवक मिलन, पथिक एवं वीरांगना लक्ष्मी जैसे महत्वपूर्ण कृतियों की रचना करेगा ? ना ही यह किसी ने  सोचा होगा कि उत्तर प्रदेश के कोइरीपुर  गांव से निकला एक साधारण युवक जिसने मिलन, पथिक एवं वीरांगना लक्ष्मी जैसी महत्वपूर्ण एवं प्रसिद्ध कृतियों की रचना की, एक दिन हिंदी साहित्य का एक चमकता सितारा बनेगा। हिंदुस्तान अकादमी पुरस्कार से सम्मानित महान कवि रामनरेश त्रिपाठी का नाम साहित्य जगत में बहुत ही आदर और सम्मान से लिया जाता है। रामनरेश त्रिपाठी हिंदी साहित्य का एक चमकता सितारा, जिन्हें हिंदी के श्रेष्ठतम लेखकों में गिना जाता है। रामनरेश त्रिपाठी एक ऐसा नाम जिसने अपनी कलम से हिंदी साहित्य जगत में क्रांति  ला दी। रामनरेश त्रिपाठी एक ऐसा नाम - जिसे हिंदी साहित्य में मिलन एवं वीरांगना लक्ष्मी, पथिक  जैसी श्रेष्ठ रचना के लिए जाना जाता है. महान अंग्रेजी एवं हिंदी भाषा के श्रेष्ठ साहित्यकार , श्रेष्ठतम कवि रामनरेश त्रिपाठी जी को यदि हिंदी साहित्य का महान साहित्यकार भी कहा जाये तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. रामनरेश त्रिपाठी - एक ऐसा नाम जिसने हिंदी साहित्य की दिशा और दशा को बदलने का कार्य किया. यदि रामनरेश त्रिपाठी जी को हिंदी साहित्य का कोहिनूर हीरा भी कहा जाये तो इसमें कोई विवाद नहीं होगा क्योंकि उन्होनें हिंदी साहित्य के क्षेत्र में एक ऐसा नया कीर्तिमान स्थापित किया जिसे युगों - युगों तक हिंदी साहित्य में याद रखा जायेगा. रामनरेश त्रिपाठी जी ने हिंदी साहित्य के क्षेत्र में कुछ ऐसे नए मानदंड और आयाम स्थापित कर दिए हैं  जिन्हें हिंदी साहित्य जगत में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जायेगा. दोस्तों यद्यपि रामनरेश त्रिपाठी जी आज हम लोगों के बीच में नहीं है लेकिन उनकी रचनाएं, काव्य- कृतियां विश्व भर के साहित्य प्रेमियों के हृदय में हमेशा जीवंत रहेंगी।तो दोस्तों ऐसे ही एक महान व्यक्तित्व के बारे में हम लोग आज जानेगे तो दोस्तों यदि आपको ये पोस्ट पसंद आये तो इसे अधिक से अधिक अपने दोस्तों में जरूर शेयर करिएगा. 

दोस्तों यह तो सभी जानते हैं कि जब जब हिंदी साहित्य एवं खड़ी बोली के रचनाओं की बात होगी उस समय सबसे पहले जो नाम सबसे अगर पंक्ति में होगा वह नाम होगा महा कवि रामनरेश त्रिपाठी जी। रामनरेश त्रिपाठी जी एक ऐसा नाम जिसने अपनी सर्वश्रेष्ठ रचनाओं का ऐसा रस आम जनमानस में घोला कि आज नैतिक शिक्षा, नैतिकता  की रसमयी काव्य धारा केवल हिंदुस्तान में ही नहीं अपितु समस्त विश्व में बह रही है। दोस्तों यदि यह पोस्ट आप लोगों को पसंद आए तो इसे अपने दोस्तों में अधिक से अधिक शेयर करिएगा।



जीवन परिचय (jivan Parichay)


रामनरेश त्रिपाठी (Ram Naresh Tripathi)


जीवन परिचय : एक दृष्टि में



नाम

रामनरेश त्रिपाठी

जन्म

सन 1889 ईस्वी में।

जन्म स्थान

उत्तर प्रदेश के कोइरीपुर गांव में।

मृत्यु

वर्ष 1962 ईस्वी में।

कवि

छायावादी युग के कवि

पिताजी का नाम

पंडित रामदत्त त्रिपाठी

शिक्षा

कोइरीपुर गांव (नवीं तक), संस्कृत, बांग्ला, गुजराती, और हिंदी भाषा का ज्ञान

रचनाएं

पथिक, मिलन (खंडकाव्य), वीरांगना लक्ष्मी (उपन्यास), सुभद्रा जयंत (नाटक), स्वप्नों के चित्र (कहानी संग्रह)

भाषा

खड़ी बोली

शैली

वर्णनात्मक, उपदेशात्मक

उपलब्धि

हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग के प्रचार मंत्री

साहित्य में योगदान

हिंदी का प्रचार-प्रसार, 'हिंदी मंदिर' की स्थापना कर साहित्य में बहुमूल्य योगदान दिया।

पुरस्कार

हिंदुस्तान अकादमी पुरस्कार

नागरिकता

भारतीय

कर्मभूमि

प्रयाग

कर्मक्षेत्र

साहित्य


विषय

उपन्यास, नाटक,आलोचना, गीत बाल उपयोगी पुस्तकें



जीवन परिचय- राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत काव्य का सृजन करने वाले कवि रामनरेश त्रिपाठी का जन्म 1889 ई० में जिला जौनपुर के अंतर्गत कोइरीपुर ग्राम के एक साधारण कृषक परिवार में हुआ था। इनके पिता पंडित रामदत्त त्रिपाठी, ईश्वर में आस्था रखने वाले ब्राह्मण थे। केवल नवीं कक्षा तक पढ़ने के पश्चात इनकी पढ़ाई छूट गई।


इन्होंने स्वतंत्र रूप से हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, बांग्ला तथा गुजराती का गहन अध्ययन किया तथा साहित्य सेवा को अपना लक्ष्य बनाया।


ये हिंदी साहित्य-सम्मेलन, प्रयाग के प्रचार मंत्री भी रहे। इन्होंने दक्षिणी राज्यों में हिंदी के प्रचार हेतु सराहनीय कार्य किया। साहित्य की विविध विधाओं पर इनका पूर्ण अधिकार था। वर्ष 1962 में कविता के आदर्श और सूक्ष्म सौंदर्य को चित्रित करने वाला यह कवि पंचतत्व में विलीन हो गया।



साहित्यिक परिचय- त्रिपाठी जी मननशील, विद्वान और परिश्रमी थे। हिंदी के प्रचार-प्रसार और साहित्य-सेवा की भावना से प्रेरित होकर इन्होंने 'हिंदी मंदिर' की स्थापना की। इन्होंने अपनी कृतियों का प्रकाशन भी स्वयं ही किया। ये दिवेदी युग के उन साहित्यकारों में से हैं, जिन्होंने द्विवेदी-मंडल के प्रभाव से पृथक रहकर अपने मौलिक प्रतिभा से साहित्य के क्षेत्र में कई कार्य किए। इन्होंने भाव प्रधान काव्य की रचना की।। राष्ट्रीयता, देश-प्रेम, सेवा, त्याग आदि भावना प्रधान विषयों पर इन्होंने उत्कृष्ट साहित्य की रचना की।

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रचनाएं- त्रिपाठी जी ने हिंदी साहित्य की अनन्य सेवा की। हिंदी की विविध विधाओं पर इन्होंने अपनी लेखनी चलाई। इनकी प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित हैं-



1. खंडकाव्य- पथिक, मिलन और स्वप्न


2. उपन्यास-वीरांगना और लक्ष्मी


3. नाटक-सुभद्रा, जयंत और प्रेमलोक


4. कहानी संग्रह- स्वप्नों के चित्र


5. आलोचना-तुलसीदास और उनकी कविता


6. संपादित रचनाएं-कविता कौमुदी और शिवाबावनी


7. संस्मरण-30 दिन मालवीय जी के साथ


8. बाल साहित्य-आकाश की बातें, बालकथा कहानी, गुपचुप कहानी, फूलरानी और बुद्धिविनोद


9. जीवन चरित-महात्मा बुद्ध तथा अशोक


10. टीका साहित्य- 'श्रीरामचरितमानस' का टीका।



इनके खंड काव्य में 'मिलन' दांपत्य प्रेम तथा 'पथिक' और 'स्वप्न' राष्ट्रीयता पर आधारित एक भावनाओं से ओतप्रोत है। मानसी इनकी फुटकर  रचनाओं का संग्रह है, जिसमें देश-प्रेम, मानव की सेवा, प्रकृति वर्णन तथा बंधुत्व की भावनाओं पर आधारित प्रेरणादायी कविताएं संग्रहित हैं। 'कविता कौमुदी' मैं इनकी स्वरचित कविताओं का संग्रहण है तथा 'ग्राम्य गीत' में लोकगीतों का संग्रह है।



भाषा शैली- त्रिपाठी जी की भाषा भावानुकूल, प्रभाहपूर्ण, सरल खड़ी बोली है। संस्कृत के तत्सम शब्दों एवं सामासिक पदों की भाषा में अधिकता है। शैली सरल, स्पष्ट एवं प्रभाहमयी है। मुख्य रूप से इन्होंने वर्णनात्मक और उपदेशात्मक शैली का प्रयोग किया है। इनका प्रकृति चित्र वर्णनात्मक  शैली पर आधारित है। छंद का बंधन इन्होंने स्वीकार नहीं किया है तथा प्राचीन और आधुनिक दोनों ही छंदों में काव्य रचना की है। इन्होंने श्रंगार, शांत और करूण रस का प्रयोग किया है। अनुप्रास, रूपक, उपमा, उत्प्रेक्षा आदि अलंकारों का प्रयोग दर्शनीय है।



हिंदी साहित्य में स्थान- त्रिपाठी जी एक समर्थ कवि, संपादक एवं कुशल पत्रकार थे। राष्ट्रीय भावनाओं पर आधारित इनका काव्य अत्यंत हृदयस्पर्शी है। इनके निबंध हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि है। इस प्रकार ये कवि, निबंधकार, संपादक आदि के रूप में हिंदी में सदैव जाने जाएंगे।



शिक्षा - रामनरेश त्रिपाठी की प्रारंभिक शिक्षा गांव के प्राइमरी स्कूल में हुई। 




कृतियां 



मिलन (1918) 13 दिनों में रचित


पथिक (1920) 21 दिनों में रचित


मानसी (1927)


स्वप्न (1929) 15 दिनों में रचित इसके लिए उन्हें हिंदुस्तान अकादमी का पुरस्कार मिला।



मुक्तक 



मारवाड़ी मनोरंजन


आर्य संगीत शतक


कविता विनोद


क्या होम रूल लोगे


मानसी



काव्य प्रबंध



मिलन


पथिक


स्वप्न



कहानी



तरकस


आंखों देखी कहानियां


स्वप्नों के चित्र


नखशिख


उन बच्चों का क्या हुआ


21 अन्य कहानियां



उपन्यास



वीरांगना


वीरबाला


मारवाड़ी और पिशाचनी


सुभद्रा और लक्ष्मी



नाटक



जयंत


प्रेमलोक


वफाती चाचा


अजनबी


पैसा परमेश्वर


बा और बापू


कन्या का तपोवन



उपन्यास



दिमागी ज्यासी


सपनों के चित्र



अनुवाद



इतना तो जानू (अटलु तो जाग्जो -गुजराती से )


कौन जागता है ( गुजराती नाटक )



उन्होंने गांव-गांव घर-घर घूम कर रात रात भर घरों के पिछवाड़े बैठकर सोहर और विवाह गीतों को चुन चुन कर लगभग 16 वर्षो के अथक परिश्रम से कविता कौमुदी संकलन तैयार किया। जिसके 6 भाग उन्होंने 1917 से लेकर 1933 तक प्रकाशित किए।





रामनरेश त्रिपाठी के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर





रामनरेश त्रिपाठी ने लोकगीतों के कितने भेद माने हैं?


कविता कौमुदी हिंदी के लोककवि रामनरेश त्रिपाठी की रचना है। यह उन 15000 से भी अधिक लोक गीतों का संग्रह है जिन्हें त्रिपाठी जी ने 1925 और 1930 के बीच अवध के गांव-गांव में घूमकर संग्रह किया था।



रामनरेश त्रिपाठी की मृत्यु कब हुई?


रामनरेश त्रिपाठी की मृत्यु 16 जनवरी 1962 ईस्वी को हुई थी।



रामनरेश त्रिपाठी की प्रमुख कृतियां कौन-कौन है?


मिलन (1918) 13 दिनों में रचित


पथिक (1920) 21 दिनों में रचित


मानसी (1927)


स्वप्न (1929) 15 दिनों में रचित इसके लिए उन्हें हिंदुस्तान अकादमी का पुरस्कार मिला।



रामनरेश त्रिपाठी कौन से जिले के निवासी थे?


उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के ग्राम कोइरीपुर में चार मार्च 18 सो 89 ईस्वी को एक कृषक परिवार में जन्मे राम नरेश त्रिपाठी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व अत्यंत प्रेरणादाई था। उनके पिता पंडित रामदत्त त्रिपाठी धार्मिक व सदाचार परायण ब्राह्मण थे।



रामनरेश त्रिपाठी का साहित्यिक परिचय दीजिए?


त्रिपाठी जी मननशील, विद्वान और परिश्रमी थे। हिंदी के प्रचार-प्रसार और साहित्य-सेवा की भावना से प्रेरित होकर इन्होंने 'हिंदी मंदिर' की स्थापना की। इन्होंने अपनी कृतियों का प्रकाशन भी स्वयं ही किया। ये दिवेदी युग के उन साहित्यकारों में से हैं, जिन्होंने द्विवेदी-मंडल के प्रभाव से पृथक रहकर अपने मौलिक प्रतिभा से साहित्य के क्षेत्र में कई कार्य किए। इन्होंने भाव प्रधान काव्य की रचना की।। राष्ट्रीयता, देश-प्रेम, सेवा, त्याग आदि भावना प्रधान विषयों पर इन्होंने उत्कृष्ट साहित्य की रचना की।



रामनरेश त्रिपाठी की भाषा शैली क्या थी?


त्रिपाठी जी की भाषा भावानुकूल, प्रभाहपूर्ण, सरल खड़ी बोली है। संस्कृत के तत्सम शब्दों एवं सामासिक पदों की भाषा में अधिकता है। शैली सरल, स्पष्ट एवं प्रभाहमयी है। मुख्य रूप से इन्होंने वर्णनात्मक और उपदेशात्मक शैली का प्रयोग किया है। इनका प्रकृति चित्र वर्णनात्मक  शैली पर आधारित है। छंद का बंधन इन्होंने स्वीकार नहीं किया है तथा प्राचीन और आधुनिक दोनों ही छंदों में काव्य रचना की है। इन्होंने श्रंगार, शांत और करूण रस का प्रयोग किया है। अनुप्रास, रूपक, उपमा, उत्प्रेक्षा आदि अलंकारों का प्रयोग दर्शनीय है।



रामनरेश त्रिपाठी का साहित्य में कौन सा स्थान था?


त्रिपाठी जी एक समर्थ कवि, संपादक एवं कुशल पत्रकार थे। राष्ट्रीय भावनाओं पर आधारित इनका काव्य अत्यंत हृदयस्पर्शी है। इनके निबंध हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि है। इस प्रकार ये कवि, निबंधकार, संपादक आदि के रूप में हिंदी में सदैव जाने जाएंगे।



रामनरेश त्रिपाठी की प्रमुख कृतियां बताइए?


त्रिपाठी जी ने हिंदी साहित्य की अनन्य सेवा की। हिंदी की विविध विधाओं पर इन्होंने अपनी लेखनी चलाई। इनकी प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित हैं-



1. खंडकाव्य- पथिक, मिलन और स्वप्न


2. उपन्यास-वीरांगना और लक्ष्मी


3. नाटक-सुभद्रा, जयंत और प्रेमलोक


4. कहानी संग्रह- स्वप्नों के चित्र


5. आलोचना-तुलसीदास और उनकी कविता


6. संपादित रचनाएं-कविता कौमुदी और शिवाबावनी


7. संस्मरण-30 दिन मालवीय जी के साथ


8. बाल साहित्य-आकाश की बातें, बालकथा कहानी, गुपचुप कहानी, फूलरानी और बुद्धिविनोद


9. जीवन चरित-महात्मा बुद्ध तथा अशोक


10. टीका साहित्य- 'श्रीरामचरितमानस' का टीका।



इनके खंड काव्य में 'मिलन' दांपत्य प्रेम तथा 'पथिक' और 'स्वप्न' राष्ट्रीयता पर आधारित एक भावनाओं से ओतप्रोत है। मानसी इनकी फुटकर  रचनाओं का संग्रह है, जिसमें देश-प्रेम, मानव की सेवा, प्रकृति वर्णन तथा बंधुत्व की भावनाओं पर आधारित प्रेरणादायी कविताएं संग्रहित हैं। 'कविता कौमुदी' मैं इनकी स्वरचित कविताओं का संग्रहण है तथा 'ग्राम्य गीत' में लोकगीतों का संग्रह है।



रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय बताइए?


राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत काव्य का सृजन करने वाले कवि रामनरेश त्रिपाठी का जन्म 1889 ई० में जिला जौनपुर के अंतर्गत कोइरीपुर ग्राम के एक साधारण कृषक परिवार में हुआ था। इनके पिता पंडित रामदत्त त्रिपाठी, ईश्वर में आस्था रखने वाले ब्राह्मण थे। केवल नवीं कक्षा तक पढ़ने के पश्चात इनकी पढ़ाई छूट गई। बाद में उ


इन्होंने स्वतंत्र रूप से हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, बांग्ला तथा गुजराती का गहन अध्ययन किया तथा साहित्य सेवा को अपना लक्ष्य बनाया।


ये हिंदी साहित्य-सम्मेलन, प्रयाग के प्रचार मंत्री भी रहे। इन्होंने दक्षिणी राज्यों में हिंदी के प्रचार हेतु सराहनीय कार्य किया। साहित्य की विविध विधाओं पर इनका पूर्ण अधिकार था। वर्ष 1962 में कविता के आदर्श और सूक्ष्म सौंदर्य को चित्रित करने वाला यह कवि पंचतत्व में विलीन हो गया।



रामनरेश त्रिपाठी के प्रमुख उपन्यासों के नाम लिखिए?



उपन्यास -


वीरांगना


वीरबाला


मारवाड़ी और पिशाचनी


सुभद्रा और लक्ष्मी



रामनरेश त्रिपाठी की प्रमुख नाटकों के नाम लिखिए?


जयंत


प्रेमलोक


वफाती चाचा


अजनबी


पैसा परमेश्वर


बा और बापू


कन्या का तपोवन



रामनरेश त्रिपाठी की प्रमुख कहानियों के नाम लिखिए?



तरकस


आंखों देखी कहानियां


स्वप्नों के चित्र


नखशिख


उन बच्चों का क्या हुआ


21 अन्य कहानियां




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