UP board class 12th chemistry half yearly paper solution 2022-23// यूपी बोर्ड कक्षा 12 वीं रसायन विज्ञान अर्द्धवार्षिक पेपर सॉल्यूशन
यूपी बोर्ड कक्षा 12 वीं रसायन विज्ञान अर्द्धवार्षिक पेपर सॉल्यूशन 2022-23
UP board class 12th chemistry half yearly paper solution PDF download 2022-23
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट www.Bandana classes.com पर । आज की पोस्ट में हम आपको " UP Board Half Yearly exam class 12th chemistry paper 2022 || यूपी बोर्ड अर्ध्दवार्षिक परीक्षा 2022 कक्षा 12 वीं रसायन विज्ञान पेपर" के बारे में बताएंगे तो इस पोस्ट को आप लोग पूरा पढ़िए।
अर्द्धवार्षिक परीक्षा
कक्षा–12वी
विषय–रसायन विज्ञान
MVP
समय:3 घण्टे पूर्णांक : 70
नोट:- सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
1. प्लास्टिक है।
(क) आयनिक ठोस
(ख) घात्विक ठोस
(ग) सहसंयोजक ठोस
(घ) आणिवक ठोस
उत्तर – अक्रिस्टलीय ठोस
2.90 ग्राम जल में 1.8 g ग्लूकोस का मोल प्रभाव है।
(क) 0.19
(ख) 0.019
(ग) 0.0019
(घ) 0.00019
उत्तर –(ग) 0.0019
3.Mg, Cu, Na तथा Au की सक्रियता का सही क्रम है।
(क) Au> Cu>Mg>Na
(ख)Mg>Cu>Au>Na
(ग) Na>Mg>Cu>Au
(घ) Cu>Mg>Na>Au
उत्तर –(ग) Na>Mg>Cu>Au
4. शून्य कोटि की अभिक्रिया के लिये वेग स्थिरांक की इकाई है।
(क) मोल लीटर सेकण्ड ⁻¹
(ख) मोल लीटर सेकण्ड
(ग) मोल लीटर⁻¹ सेकण्ड⁻¹
(घ) मोल सेकेण्ड
उत्तर –(ग) मोल लीटर⁻¹ सेकण्ड⁻¹
5.SO₂ अणु में s परमाणु पर संकरण है।
क) sp
ख) sp²
ग) sp³
घ) sp³d
उत्तर –ख) sp²
6. किसी तत्व के 3d उपकोश में 7 इलेक्ट्रॉन है। तत्व का परमाणु क्रमांक है ।
(क) 24
(ख) 27
(ग) 28
(घ) 29
उत्तर –(ख) 27
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7. (क) केन्द्रीय धातु परमाणु को समझाइये।
उत्तर –परमाणु के द्रव्यमान का 99.94% से अधिक भाग नाभिक में होता है। प्रोटॉन पर सकारात्मक विद्युत आवेश होता है, इलेक्ट्रॉन्स पर नकारात्मक विद्युत आवेश होता है और न्यूट्रान पर कोई भी विद्युत आवेश नहीं होता है।
(ख) फ्रैंकेल दोष किसे कहते हैं?
उत्तर –फ्रेंकेल दोष (frenkel defects) : जब कोई आयन अपना निश्चित स्थान छोड़कर अंतराकाशी स्थान मे चले जाता है। जिससे इसके निश्चित स्थान पर छिद्र या होल बन जाता है और क्रिस्टल मे उत्पन्न इस दोष को फ्रेंकेल दोष कहते है।
(ग) घन क्रिस्टल निकाय में एकल सेल के पैरामीटर बताइए।
(घ) उस विलयन की मोलरता की गणना कीजिए, जिसमें 5g NaOH,450ml विलयन में घुला हो ।
उत्तर –NaOH का अणु भार= 23+16+1=40gmol
NaOH के मोलो की संख्या=NaOH का भार/NaOH का अणु भार
=5/40
=0.125
विलयन का आयतन = 450ml =0.45L
विलयन की मोलरता=NaOH के मोलो की संख्या/आयतन लीटर में
=0.125/0.45
=0.2777
उत्तर=0.28
8.(क) यदि 22 ग्राम बेन्जीन में 22 ग्राम कार्बन टेट्रा क्लोराइड घुली हो तो बेन्जीन एवं कार्बन टेट्रा क्लोराइड के द्रव्यमान प्रतिशत की गणना कीजिए।
उत्तर –
विलयन का द्रव्यमान = बेंजीन का द्रव्यमान + कार्बन
टेट्राक्लोराइड का द्रव्यमान
= 22 g +22 g = 44g
बेंजीन का द्रव्यमान % = (बेंजीन का द्रव्यमान/विलयन का द्रव्यमान)×100
(22 g/44 g) × 100
= 50%
कार्बन टेट्राक्लोराइड का द्रव्यमान % = (CCI₄ का द्रव्यमान/ विलयन का द्रव्यमान) × 100
(22 g /44 g) × 100
= 50%उत्तर
(ख) रेडाक्स विभव किसे कहते है ? समझाइए ।
उत्तर –रेडॉक्स (Redox ; 'Reduction and Oxidation' का लघुकृत रूप) वह अभिक्रियाएँ जिसमें ऑक्सीकरण (Oxidation) एवं अपचयन (Redction) दोनों साथ साथ होती हैं रिडॉक्स (रेडॉक्स) अभिक्रिया कहलाती हैं/ रिडॉक्स अभिक्रिया के अन्तर्गत वे सब रासायनिक अभिक्रियाएँ सम्मिलित हैं जिनमें परमाणुओं के आक्सीकरण अवस्थाएँ बदल जाती हैं।
(ग) लिगेण्ड क्या है? वर्गीकरण के आधार पर समझाइये।
उत्तर –कोई भी परमाणु या आयन जिसमें केंद्रीय धातु परमाणु को इलेक्ट्रॉन युग्म में त्यागने की प्रवृत्ति होती है। उस लिगेंड (ligands in Hindi) कहते हैं। लिगेंड एक दाता के रूप में कार्य करता है।
लिगेण्ड के प्रकार (types of ligands)
किसी भी लिगेंड में दाता परमाणुओं की संख्या के आधार पर ये कई प्रकार के होते है जिनका अध्ययन हम यहाँ करेंगे
1. एकल दंतुक लिगेण्ड : वह लिगेण्ड जिसमें केवल एक दाता परमाणु उपस्थित होता है अर्थात यह केवल एक एकांकी इलेक्ट्रॉन युग्म त्यागने की प्रवृति रखता है उसे एकल दंतुक लिगेण्ड कहते है। एकल दंतुक लिगेंड के CN⁻, F⁻, CI⁻, Br⁻, I⁻आदि उदाहरण है।
2. द्विदंतुक लिगेण्ड (Bidentate Ligands) :
वह लिगेंड जिसमें केंद्र धातु परमाणु या आयन से दो परमाणु बंध बनाने में समर्थ होते है उसे द्वि दंतुक लिगेंड कहते है अर्थात इस लिगेण्ड में दो दाता परमाणु उपस्थित रहते है, एथेन - 1, 2 - डायएमीन आदि द्विदंतुक लिगेण्ड के उदाहरण है इसकी संरचना
3. त्रिदंतुक लिगेण्ड (Tridentate Ligands) :
वह लिगेंड जिसमें तीन परमाणु, केंद्र परमाणु या आयन के साथ बंध बनाने में समर्थ होते है, अर्थात इन लिगेंड़ो में तीन दाता परमाणु उपस्थित रहते है और ज़इसलिए इसे त्रिदंतुक लिगेण्ड कहते है। ये लिगेंड तीन इलेक्ट्रॉन युग्म देते है।
4. चतुः दंतुक लिगेण्ड (tetradentate ligands) वे लिगेंड जिसमे चार परमाणु, केंद्र धातु परमाणु या आयन से बन्ध बनाने में समर्थ होते है, इस प्रकार के लिगेंड में चार दाता परमाणु होते है, अर्थात यह लिगेंड चार इलेक्ट्रॉन युग्म त्यागने की प्रवृति रखता है।
5. पञ्च दन्तुक लिगेंड : वह लिगेंड जिसमें पांच परमाणु, केंद्र धातु परमाणु या आयन से बंध द्वारा जुड़ने की प्रवृति रखते है, अर्थात ये लिगेंड पाँच दाता परमाणु रखते है, इस प्रकार के लिगेंड पांच इलेक्ट्रॉन युग्म त्यागने की प्रवृत्ति रखते है।
6. हेक्सा दंतुक लिगेण्ड : इस लिगेण्ड में छ: दाता परमाणु उपस्थित रहते है, इन लिगेंड में छ: परमाणु, केन्द्रित धातु परमाणु या आयन जुडे हुए रहते है अर्थात इनमे छ: इलेक्ट्रॉन युग्म त्यागने की प्रवृत्ति होती है।
(घ) शून्य कोटि की अभिक्रिया का उदाहरण दीजिए एवं वेग स्थिरांक का मात्र लिखिए।
उत्तर –शून्य कोटि की अभिक्रिया के लक्षण
इन अभिक्रियाओं का वेग स्थिरांक व्यंजक k = tx होता है।
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2. इन अभिक्रियाओं के लिए वेग स्थिरांक का मात्रक मोल/लीटर सेकंड होता है। k t ([A]o
- [A]) होता है।
(ङ) भौतिक अधिशोषण एवं रासायनिक अधिशोषण में अन्तर लिखो
उत्तर –(1) भौतिक अधिशोषण :जब अधिशोषक व अधिशोष्य के मध्य दुर्बल वांडरवाल बल होते है तो उसे भौतिक अधिशोषण कहते है।
उदाहरण : अवरक की सतह पर N₂ का अधिशोषण ।
(2) रासायनिक अधिशोषण :
जब अधिशोषक व अधिशोष्य के मध्य प्रबल
रासायनिक बंध बनते है तो उसे रासायनिक
अधिशोषण कहते है।
उदाहरण : Ni की सतह पर H₂ का अधिशोषण ।
9. (क) निम्नलिखित यौगिकों के I.U.P.A.C नाम लिखिये।
(अ) K₄ [Cr(CN)₆ ]
उत्तर –पोटेशियम हेक्सासानोफेरेट (II) है।
(ब) [CO(NH₃)₆]CISO₄
(स), [Ni(NH₃)]CI₂
उत्तर –Hexaamminenickel(II) chloride.
(ख) अन्तः संक्रमण तत्व क्या है? इनके सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिये।
उत्तर– वे तत्वजिनका आखिरी इलेक्ट्रॉन (n-2)f कक्षक में प्रवेश करता है उन तत्वों को f ब्लॉक के तत्व कहते है और ब्लॉक के तत्वों को अंत: संक्रमण तत्व भी कहते है।
(ग) इलेक्ट्रानिक विन्यास के आधार पर आर्वत सारणी में अक्रिय गैसों की स्थिति की विवेचना कीजिए।
उत्तर –आवर्त सारणी में अक्रिय गैसों को दायीं ओर शून्य समूह (वर्ग- 18 ) में रखा गया है। इन तत्त्वों को इनके गुणों में समानता होने के कारण एक साथ रखा गया है। He को छोड़कर सभी अक्रिय गैसों के बाह्य कोश में 8 इलेक्ट्रॉन होते हैं। रेडॉन को छोड़कर सभी अक्रिय गैसें वायुमण्डल में मौजूद हैं।
उदहारण – Ni,Ar
10. (क) टिप्पणी लिखो
(अ) अपोहन
उत्तर –कोलॉइडी पदार्थों को महीन झिल्ली (पार्चमेन्ट पेपर) द्वारा क्रिस्टलॉयड से पृथक करके शुद्ध कोलॉइडी विलयन बनाने की विधि अपोहन कहलाती है।
(ब) टिण्डल प्रभाव
उत्तर –जब प्रकाश किसी कोलायडी (chemical mixture) माध्यम से होकर गुजरता है तो प्रकाश का प्रकीर्णन होता है तथा प्रकाश का मार्ग दिखाई देने लगता है, प्रकाश की इस घटना को ही टिंडल प्रभाव कहा जाता है।
(स) वैद्युतकणसंचलन
उत्तर –वैद्युतकण संचालन (Electrophoresis) - वैद्युत क्षेत्र के प्रभाव से कोलाइडी कणों की गति या अभिगमन (migration) वैद्युतकण संचालन कहलाता है। कोलॉइडी कणों पर ये विपरीत आवेश वाले इलेक्ट्रॉडों की ओर चलने लगते हैं और उन पर पहुँचकर उदासीन होकर अवक्षेपित हो जाते हैं।
(ख) 0.48 ग्राम कार्बनिक यौगिक को 10.6 बेन्जीन में घोलने पर हिमांक में 1.800 की कमी हुई। यौगिक का अणुभार ज्ञात कीजिए।
(ग) एक कार्बनिक पदार्थ के जलीय विलयन जिसमें 6 ग्राम पदार्थ 100 ग्राम जल में घुला है। पदार्थ का क्वथनांक 100.5100 है। पदार्थ के अणुभार की गणना कीजिए। (जल का kb = 0.51CM-1 )
(घ) राउल्ट के वाष्प दाब अवनमन को परिभाषित कीजिए तथा उसकी सीमाएं बताइये।
उत्तर –राउल्ट के नियम के अनुसार, “किसी विलयन के वाष्प - दाब का आपेक्षिक अवनमन विलेय पदार्थ के मोल प्रभाज के बराबर होता है।" जहाँ, P तथा Ps क्रमशः विलायक तथा विलयन के वाष्प दाब हैं और n₁तथा n₂क्रमशः विलेय तथा विलायक के ग्राम- अणुओं की संख्या है।
सीमाएँ
1. राउल्ट का नियम तनु विलयनों पर लागू होता है।
सीमाएँ सान्द्र विलयन राउल्ट के नियम से विचलन प्रदर्शित करते हैं।
2. यह नियम केवल अवाष्पशील पदार्थों के विलयनों पर लागू होता है।
3. वैद्युत अपघट्यों के विलयनों पर राउल्ट का नियम लागू नहीं होता है।
4. जो पदार्थ विलयनों में संगुणित हो जाते हैं, उन पदार्थों के विलयन भी राउल्ट के नियम का पालन नहीं करते हैं।
11. (क) हेबर विधि द्वारा अमोनिया के औद्योगिक निर्माण का सचित्र वर्णन कीजिए इसके भौतिक एवं रासायनिक गुण लिखो ।
उत्तर –(ii) हेबर विधि के अनुसार : यदि शुद्ध नाइट्रोजन और हाइड्रोजन के 1 : 3 अनुपात के मिश्रण को गर्म किया जाए तो अमोनिया बनती है। यह एक ऊष्माक्षेपी उत्क्रमणीय अभिक्रिया है और क्रिया के पश्चात् आयतन(Volume) में कमी होती है, ला-शातेलिए के नियमानुसार कम ताप और अधिक दाब पर अमोनिया अधिक उत्पन्न होगी।
हेबर विधि के अनुसार यदि शुद्ध नाइट्रोजन और हाइड्रोजन के 1: 3 अनुपात के मिश्रण को गर्म किया जाए तो अमोनिया बनती है। यह एक ऊष्माक्षेपी उत्क्रमणीय अभिक्रिया है और क्रिया के पश्चात् आयतन(Volume) में कमी होती है, इसलिए ला-शातेलिए के नियमानुसार कम ताप और अधिक दाब पर अमोनिया अधिक उत्पन्न होगी। कम ताप पर अभिक्रिया का वेग बढ़ाने के लिए एक उत्प्रेरक प्रयोग किया जाता है। इस अभिक्रिया का उत्प्रेरक की उपस्थिति में अनुकूलतम ताप 450°-500°C तथा उच्च दाब 200 वायुमण्डल है, क्योंकि अभिक्रिया उत्क्रमणीय है, इसलिए अमोनिया को बराबर क्रिया क्षेत्र से हटाने के बाद, अमोनिया गैस अधिक बनेगी। इस अभिक्रिया में लोहे का बारीक चूर्ण (उत्प्रेरक) तथा मॉलिब्डेनम (उत्प्रेरक वर्धक) की सूक्ष्म मात्रा प्रयुक्त होती है। इसमें गैसीय मिश्रण शुद्ध होना चाहिए जिससे उत्प्रेरक विषाक्त न हो।
विधि- -शुद्ध N₂तथा H₂ को 1 : 3 अनुपात में मिलाकर 200 वायुमण्डल दाब पर तप्त लोहे के बारीक चूर्ण (उत्प्रेरक) को, जिसमें मॉलिब्डेनम (उत्प्रेरक वर्धक) मिला होता है, 500°C ताप पर गर्म करते हैं। इस विधि में 10 - 15% अमोनिया बनती है, जिसे संघनित्र में प्रवाहित करके द्रवित कर लेते हैं। शेष गैसों को फिर से उत्प्रेरक कक्ष में प्रवाहित करते हैं जिससे N₂ तथा H₂के संयोजन द्वारा NH₃ का लगातार उत्पादन होता रहता है।
(iii) N₂ + 3H₂ → 2NH₃ (अमोनिया) 23,400 कैलोरी
(ख) डीकन विधि द्वारा क्लोरीन के निर्माण का सचित्र वर्णन कीजिए तथा इसके भौतिक एवं रासायनिक गुणों को भी समझाइये।
उत्तर –डीकन विधि या HCI से क्लोरीन के निर्माण की विधि इस विधि में HCI का ऑक्सीकरण क्यूप्रस क्लोराइड (उत्प्रेरक) की उपस्थिति में वायु की ऑक्सीजन द्वारा निम्न प्रकार किया जाता है ।
उत्प्रेरक कक्ष में झाँबा पत्थर क्यूप्रस क्लोराइड विलयन में भिगोकर रख देते हैं तथा ताप 450°C कर देते हैं। HCI तथा वायु का मिश्रण 4: 1 के अनुपात में लेकर उत्प्रेरक कक्ष में प्रवाहित किया जाता है। यहाँ क्लोरीन बनती है, पर इसमें HCI, N₂, 0₂ तथा जल वाष्प मिले होते हैं। इस मिश्रण को स्क्रबर में प्रवाहित करके HCl हटा देते हैं। दूसरे कक्ष में प्रवाहित करने पर सान्द्र H₂SO₄द्वारा जल-वाष्प पृथक् कर देते हैं। इस प्रकार N₂,O₂ मिश्रित क्लोरीन प्राप्त होती है। उत्प्रेरक की क्रिया निम्न प्रकार होती है -
• 2Cu₂Cl₂ + O₂ → 2Cu₂OCl₂
• 2HCI + 2Cu₂OCl₂ → CuCl₂ + H₂O
• 2CuCl₂ → Cu₂Cl₂ + Cl₂
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