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जीवनी और आत्मकथा में अंतर // ( jivani aur aatmkatha me antar)

जीवनी और आत्मकथा में अंतर // [jivani aur aatmkatha mein antar]    

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जीवनी और आत्मकथा में अंतर // [jivani aur aatmkatha mein antar]


Jivani aur aatmkatha mein antar likhiye


Jivani aur aatmkatha mein antar kya hai?



नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट Bandana classes.com पर। अगर आप गूगल पर सर्च कर रहे हैं जीवनी तथा आत्मकथा में अंतर तो आप बिल्कुल सही जगह पर आ चुके हैं । आपको हम इस पोस्ट के माध्यम से जीवनी और आत्मकथा में क्या अंतर होता है ?  जीवनी किसे कहते हैं? और आत्मकथा किसे कहते हैं? पूरा बहुत ही अच्छे से बताएंगे। तो आपको इस पोस्ट के माध्यम से बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक के बारे में जानकारी मिलने वाली है यह टॉपिक आपकी सभी परीक्षाओं के लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है हर साल आपकी परीक्षाओं में जीवनी और आत्मकथा में अंतर बच्चों पूछा जाता है तो इसको आपको अच्छे से एक बार जरुर पढ़ लेना है की जीवनी किसे कहते हैं और आत्मकथा किसे कहते हैं दोनों में क्या अंतर होता है जीवनी कब लिखी जाती है और आत्मकथा कब लिखी जाती है आपको इस पोस्ट के माध्यम से पूरी जानकारी मिल जाएगी।




जीवनी और आत्मकथा में अंतर




साहित्य के दो पारंपरिक रूप जो व्यक्ति के जीवन के चरित्र रेखाचित्र और पाठ्यक्रम का वर्णन करते हैं, मैं जीवनी और आत्मकथा है। जीवनी एक व्यक्ति का जीवन इतिहास है जिसे किसी और ने लिखा है। जब की आत्मकथा किसी व्यक्ति के जीवन की अभिव्यक्ति है जो स्वयं द्वारा लिखी जाती है। इन दोनों के विचार प्रस्तुत करते हैं कि अतीत में लेखक क्या हुआ था। यह गैर फिक्शन किताबें हैं। जो कालानुक्रमिक क्रम में लिखी गई हैं, उस व्यक्ति के बारे में एक कहानी बताती है जिसने एक विशिष्ट क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। कई लोग सोचते हैं कि दो लेखक रूप एक ही हैं और एक ही बात है, लेकिन दोनों के बीच ध्यान देने योग्य अंतर है, जो दिए गए लेख में प्रस्तुत किए गए हैं।


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आत्मकथा किसे कहते हैं


👉आत्मकथा को अंग्रेजी में ऑटोग्राफी कहते हैं। यह एक ऐसी गद्य रचना है जिसमें लेखक अपने (स्वयं के) गुण दोषों का वर्णन करता है। आत्मकथा कथात्मक शैली में लिखी जाती है। मानव जीवन में अटूट आस्था का होना आत्मकथा का प्रमुख तत्व है। देश काल और वातावरण का सही ज्ञान आत्मकथा में आवश्यक है। इस विधा में लेखक के कई अज्ञात व गोपनीय पहलू प्रकट होते हैं। इसमें घटनाओं के बदले व्यक्तित्व प्रकाशन पर बल दिया जाता है।


👉नाटक तथा एकांकी में अंतर

👉आत्मकथा उस व्यक्ति द्वारा स्वयं या स्वयं लिखे गए व्यक्ति का जीवन रेखा है। ऑटो शब्द का अर्थ है 'स्व'इसलिए आत्मकथा में जीवनी के सभी तत्व शामिल हैं, लेकिन लेखक द्वारा स्वयं इसकी रचना का वर्णन किया गया है वह अपने दम पर लिख सकते हैं। या उनके लिए लिखने के लिए राइटर रख सकते हैं।



👉आत्मकथा किसी व्यक्ति के जीवन की अभिव्यक्ति है, जो स्वयं द्वारा लिखी गई है।


👉खंडकाव्य तथा महाकाव्य में अंतर


लेखक

रचनाएं

भारतेंदु हरिश्चंद्र

कुछ आप बीती कुछ जग बीती

महात्मा गांधी

सत्य के प्रयोग

जवाहरलाल नेहरू

मेरी कहानी

हरिवंश राय बच्चन

क्या भूलूं क्या याद करूं।




जीवनी की परिभाषा


👉एक जीवनी जिसे बायो भी कहा जाता है किसी व्यक्ति द्वारा लिखित या किसी अन्य व्यक्ति के जीवन का एक विस्तृत विवरण है। यह संबंधित व्यक्ति के जन्म स्थान ,शैक्षिक पृष्ठभूमि, कार्य  , संबंधों और निधन के बारे में विस्तृत जानकारी देता है। यह जीवन के बारे में विषय के अंतरंग विवरण प्रस्तुत करता है, उतार-चढ़ाव पर ध्यान केंद्रित करता है और उनके पूरे व्यक्तित्व का विश्लेषण करता है।



👉राजभाषा तथा राष्ट्रभाषा में अंतर

👉एक जीवनी आमतौर पर लिखित रूप में होती है,लेकिन संगीत रचना या साहित्य के अन्य रूपों में फिल्म की व्याख्या के लिए भी बनाई जा सकती है।



👉यह किसी अन्य व्यक्ति द्वारा शब्दों से बना एक व्यक्ति के जीवन का मनोरंजन है लेखक विषय के बारे में हर एक विवरण इकट्ठा करता है और उन तत्वों को जीवनी में प्रस्तुत करता है , जो प्रासंगिक और दिलचस्प है। कहानी में पाठकों को तल्लीन करते हैं।


👉जीवनी एक व्यक्ति का जीवन इतिहास है, जिसे किसी और ने लिखा है।



👉जीवनी हिंदी साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा है। जीवनी में किसी विशिष्ट व्यक्ति या महापुरुष के जन्म से लेकर मृत्यु तक की महत्वपूर्ण घटनाओं का चित्रण किया जाता है। जीवनी में लेखक पूरी तरह तटस्थ तथा रहता है। इसमें प्रमाणिकता की आवश्यकता होती है।


👉निबंध तथा कहानी में अंतर


प्रमुख कवि-



रामविलास शर्मा - निराला की साहित्य साधना


अमृत राय - कमल का सिपाही



तुलना चार्ट



तुलना के लिए आधार

जीवनी

आत्मकथा

अर्थ

जीवनी एक ऐसे खाते को संदर्भित करती है जो किसी और की जीवन कहानी को बताता है।

आत्मकथा का अर्थ है एक खाता जो आपके जीवन की कहानी कहता है।

प्राधिकरण

विषय के प्राधिकार के साथ या उसके बिना लिखा जा सकता है।

इसकी आवश्यकता नहीं है।

इसमें लिखा हुआ

तृतीया पुरुष

पहला व्यक्ति

उद्देश्य

सूचित करने के लिए।

व्यक्ति करने और सूचित करने के लिए।

आउटलुक

लेखक द्वारा एकत्र तथ्यों के आधार पर।

भावनाओं और विचारों से भरा हुआ।





जीवनी और आत्मकथा के मध्य महत्वपूर्ण अंतर


👉जीवनी किसी और द्वारा लिखे गए व्यक्ति के जीवन का एक विस्तृत विवरण है, जबकि आत्मकथा स्वयं के द्वारा लिखी गई है।


👉जीवनी (अधिकृत) या बिना अनुमति के (अनाधिकृत) व्यक्ति/उत्तराधिकारी के संबंध में लिखी जा सकती है इसलिए जानकारी में तथ्यात्मक गलतियों की संभावना है। दूसरी और आत्मकथाएं स्वयं के द्वारा लिखित हैं। और इसलिए उन्हें किसी भी प्राधिकरण की आवश्यकता नहीं है।



👉आत्मकथा कथाओं में ऐसी जानकारी होती है जो विभिन्न स्रोतों से समय-समय पर एकत्र की जाती है। और इस प्रकार यह पाठकों के लिए एक अलग दृष्टिकोण प्रस्तुत करती हैं। दूसरी ओर ,आत्मकथा स्वयं विषय द्वारा लिखी जाती हैं। इसलिए लेखक तथ्य और अपनी सोच को अपने तरीके से प्रस्तुत करता है इस प्रकार पाठकों को एक समग्र सक्रिय और पक्षपाती परिप्रेक्ष्य प्रदान करता है।


👉एक आत्मकथा में लेखक पहले कथन का उपयोग करता है जैसे कि मैं, मैं, हम, वह आदि यह बदले में लेखक और पाठक के बीच एक अंतरंग संबंध बनता है क्योंकि पाठक विभिन्न पहलुओं का अनुभव करता है जैसे कि वह है। और उस समय अवधि में जैसा कि एक जीवनी का विरोध तीसरे व्यक्ति के दृष्टिकोण से है और बहुत कम अंतरंग है।


👉जीवनी लिखने का उद्देश्य पाठकों को व्यक्ति और उसके जीवन के बारे में बताना और सूचित करना है जबकि आत्मकथा को व्यक्त करने के लिए लिखा जाता है कथाकार के जीवन के अनुभवों और उपलब्धियों को व्यक्त करता है।


👉संधि और समास में अंतर

आइए दोस्तों जीवनी और आत्मकथा में अंतर एक सारणी द्वारा बहुत ही सरल तरीके से समझते हैं।



आत्मकथा

जीवनी

आत्मकथा स्वयं के द्वारा लिखी जाती है‌।

जीवनी किसी दूसरे के द्वारा लिखी जाती है।

आत्मकथा में लेखक अपनी स्वयं की कथा लिखता है।

जीवनी किसी महापुरुष के जीवन पर आधारित होती है।

आत्मकथा कहीं-कहीं काल्पनिक हो सकती हैं।

जीवनी सत्य घटना पर आधारित होती है।

आत्मकथा में लेखक स्वयं के गुण और दोषों का वर्णन करता है।

जीवनी में लेखक किसी दूसरे के गुण दोषों का वर्णन करता है।

आत्मकथा में लेखक स्वयं के विचार व्यक्त करता है।

जीवनी में लेखक स्वयं के विचार व्यक्त नहीं करता है।

आत्मकथा कथात्मक शैली में लिखी जाती है।

जीवनी वर्णनात्मक शैली में लिखी जाती है

उदाहरण-


मेरी कहानी-नेहरू जी


कुछ आप बीती कुछ जग बीती - भारतेंदु हरिश्चंद्र

उदाहरण--


आवारा मसीहा-विष्णु प्रभाकर


कलम का सिपाही-अमृतराय



👉छायावादी युग तथा इसकी प्रमुख विशेषताएं


उपसंहार



कई आत्मकथाएं हैं, जोकि हेलन केलर की 'द स्टोरी ऑफ माय लाइफ', जवाहर लाल नेहरू की,"एंड ऑटो बायोग्राफी", ऐनी फ्रैंक की,"द डायरी ऑफ यंग गर्ल", विंस्टन ऑफ द सेकंड वर्ल्ड वॉर"जैसी हैं।


डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा चर्चित, 'विंग्स ऑफ फायर' और भी बहुत कुछ।





जीवनी और आत्मकथा के बीच अंतर : संक्षेप में



आत्मकथा और जीवनी दोनों ही साहित्य की नई विधाएं हैं दोनों ही व्यक्ति विशेष के जीवन की विविध घटनाओं एवं प्रसंगों के वर्णन की विधा है। आत्मकथा व्यक्ति के द्वारा स्वयं के जीवन के संदर्भ में लिखी गई कथा होती है जबकि व्यक्ति विशेष के जीवन पर जब कोई दूसरा व्यक्ति लिखता है तो उसे जीवनी कहते हैं। आत्मकथा और जीवनी में यही मूल अंतर है परंतु अंतर के कारण और अनेक अंतर सामने आ जाते हैं।


👉गणतंत्र दिवस पर निबंध

जीवनी (jivani)-  जीवनी हिंदी साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा है। जीवनी में किसी विशिष्ट व्यक्ति या महापुरुष के जन्म से लेकर मृत्यु तक की महत्वपूर्ण घटनाओं का चित्रण किया जाता है। जीवनी में लेखक पूरी तरह तटस्थ रहता है इसमें प्रमाणिकता की आवश्यकता होती है।



•जीवनी में किसी दूसरे व्यक्ति के जीवन का वर्णन रहता है।



•जीवनी सत्य घटना पर आधारित होती है।



•जीवनी में लेखक तटस्थ रहता है।



•जीवनी में प्रमाणिकता की आवश्यकता होती है।



प्रमुख कवि-



• रामविलास शर्मा- निराला की साहित्य साधना



• अमृतराय- कलम का सिपाही



👉UP TET और CTET में अंतर

आत्मकथा (atmakatha)-  आत्मकथा का शाब्दिक अर्थ है अपनी कथा। आत्मकथा किसी विशिष्ट व्यक्ति के द्वारा लिखा गया ऐसा आख्यान है जिसमें लेखक अपने जीवन की कथा स्मृतियों के आधार पर लिखता है इस विधा में लेखक के कई अज्ञात और गोपनीय पहलू प्रकट होते हैं।




•आत्मकथा में लेखक स्वयं अपने जीवन की घटनाओं का वर्णन करता है।



•आत्मकथा काल्पनिक भी हो सकती है।



•आत्मकथा में प्रमाणिकता की कोई आवश्यकता नहीं होती।





प्रमुख कवि-



•गुलाब राय- मेरी असफलताएं



•महात्मा गांधी- सत्य के प्रयोग



•हरिवंश राय बच्चन- क्या भूलूं क्या याद करूं।





•आत्मकथा में लेखक स्वयं अपने जीवन की घटनाओं का वर्णन करता है।



•आत्मकथा काल्पनिक भी हो सकती है।



•आत्मकथा में प्रमाणिकता की कोई आवश्यकता नहीं होती।



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जीवनी जहां किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा लिखी जाती है, वहां आत्मकथा में लेखक स्वयं अपनी जीवनी प्रस्तुत करता है। आत्मकथा में लेखक निजी जीवन से जुड़ी गहराइयों से जुड़ा होता है परंतु जीवनी में लेखक चरित्र नायक के जीवन से शायद इतनी गहराई से नहीं जुड़ पाता। आत्मकथा जीवनी की अपेक्षा अधिक विश्वसनीय होती है। आत्मकथा में लेखक अपना जीवन वृत्त स्वयं प्रस्तुत करता है और लेखक जितना स्वयं अपने बारे में जानता है उतना दूसरा कोई नहीं जानता। इसके विपरीत जब जीवनी लेखक किसी के बारे में कोई बात कहता है तो यह आशंका बनी रहती है कि शायद कुछ बात गोपनीय रह गई है, सत्य का कुछ अंश ढका रह गया है।



आत्मकथा अपनी जीवनी अपने जीवन काल में ही लिखता है जब की जीवनी का लेखन आवश्यक नहीं कि चरित नायक के जीवन काल से ही हो। आत्मकथा कार के पास अपने जीवन संबंधी सारी जानकारी अपने दिमाग में ही रहती है, वही जीवनी का कोई सही सामग्री विभिन्न स्रोतों से खट्टा करनी पड़ती है। तो जीवनी कार को उसके जीवन को लेकर व्यापक शोध करना पड़ता है।







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