UP board class 9th Hindi half yearly paper solution 2022-23// कक्षा 9 वीं हिंदी अर्ध्दवार्षिक पेपर 2022-23
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UP board class 9th Hindi half yearly paper 2022-23 |
अर्द्धवार्षिक परीक्षा 2022-23
कक्षा नवम्
विषय : हिन्दी
पूर्णांक: 70 निर्धारित समय: 3:15 घण्टे
सामान्य निर्देश:
1.प्रत्येक प्रश्नों के उत्तर खण्डों के क्रमानुसार ही करिए।
2.कृपया जांच लें प्रश्न पत्र में प्रश्नों की कुल संख्या 31 तथा मुद्रित पृष्ठों की संख्या 04 है। कृपया प्रश्न का उत्तर लिखना शुरू करने से पहले प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखिए।।
3. घण्टी का प्रथम संकेत प्रश्न पत्रों के वितरण एवं प्रश्न पत्र को पढ़ने के लिए है। 15 मिनट के पश्चात घण्टी के द्वितीय संकेत पर प्रश्न पत्र हल करना प्रारम्भ करिए
4.प्रश्न पत्र दो खण्डों में विभाजित है। खण्ड-अ और खण्ड-ब । खण्ड-अ में 20 अंक के बहुविकल्पीय प्रश्न दिये गये हैं। खण्ड-ब 50 अंक के वर्णनात्मक प्रश्न दिये गये हैं।
खण्ड-अ
प्र. 1 'प्रताप पीयूष' के निबन्धकार हैं
क. प्रताप नारायण मिश्र
ख. हजारी प्रसाद द्विवेदी
ग. प्रेमचन्द्र
घ. श्याम सुदर दास,
प्र. 2 'सेवा सदन' के उपन्यासकार हैं
क. प्रेमचन्द्र
ख. महादेवी वर्मा
ग. श्रीराम शर्मा
घ. धर्मवीर भारती
प्र. 3 'प्रेमसागर' के लेखक हैं
क. लल्लू लाल
ख. सदल मिश्र,
ग. मथुरानाथ शुक्ल
घ. राम प्रसाद निरंजनी
प्र.4 नींव की ईंट किस विधा की रचना है
क. कहानी
ख. उपन्यास
ग. नाटक
घ. निबन्ध
प्र.5 'अनामदास का पोथा' किस विधा की रचना है
क. उपन्यास
ख. कहानी
ग.नाटक
घ.निबंध
प्र.6 रहीमदास का पूरा नाम था
क. अब्दुर्रहीम खानखाना
ख. रहीमदास
ग. करीमदास
घ. कबीरदास
प्र.7 रामभक्ति की शाखा के प्रमुख कवि हैं
क. सूरदास
ख. कबीरदास
ग. तुलसीदास
घ. जायसी
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प्र.8 पृथ्वीराज रासो के रचनाकार हैं
क चन्द्रवरदाई
ख. शारंगधर
ग. नरपतिनात्ह
घ. जगनिक
प्र.9 इकलीडरी हाँ घन देखि के उरी न्हीं में कौन सा अलंकार है
क. श्लेष
ख. यमक
ग. उपमा
घ. रूपक
प्र.10 "राम रमापति कर धन लेहु, खँचहुं मिटै मोर सन्देहूं' में कौन सा छन्द है-
क. दोहा
ख. सोरठा
ग. चौपाई
घ. रोला
प्र.11 अमिय का तत्सम शब्द है
क .अमृत
ख. सुधा
ग. पीयूष
घ. अमोल
प्र. 12 'तेज' शब्द का विलोम शब्द है
क. निस्तेज
ख.मन्द
ग. तीव्र
घ. तेजस्वी
प्र. 13 गणेश के लम्बोदर, मूषवाहक आदि शब्द कहलाते हैं
क. प्रत्यय
ख. उपसर्ग
ग.पर्यायवाची
घ. विलोम
प्र.14 यथाशक्ति में कौन सा समास है
क. अव्ययीभाव
ख. तत्पुरुष
ग. द्विगु
घ. द्वन्द्व
प्र.15 'भर पेट' में कौन सा समास है
क. कर्मधारय
ख. चतुर्थी तत्पुरुष
ग. अव्ययी भाव
घ. सप्तमी तत्पुरुष
प्र.16 नदीश का सन्धि विच्छेद है
क. नदी+ईशू
ख. नद्+ईश
ग. नदी+ईश
घ. नद्+इश
प्र.17 परोपकार शब्द में कौन सी सन्धि है
क. दीर्घ
ख.गुण
ग. यण्
घ. वृद्धि
प्र.18 हरिणा शब्द किस विभक्ति और वचन का रूप है
क. तृतीया विभक्ति एकवचन
ख. चतुर्थी विभक्ति एकवचन
ग.पंचमी विभक्ति एकवचन
घ. षष्ठी विभक्ति एकवचन
प्र.19 गम् धातु लट्लकार उत्तम पुरुष एकचन का रूप है
क. गच्छसि
ख. गच्छामि
ग. गच्छति
घ. गच्छन्ति
प्र.20 भू धातु लोट्लकार उत्तम पुरुष एकवचन का रूप है
क. भवानि
ख. भवतु
ग. भव
घ. भवन्तु
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प्र. 21 निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
"भगवान बड़ा कारसाज है। उस बखत मेरी आँखों में आँसू निकल पड़े थे, पर उन्हें तनिक भी दया न आई थी। मैं तो उनके द्वार पर होता तो भी बात न पूछता।" तो न जाओगे ? हमने जो सुना था, सो कह दिया।
क. गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए ।
ख. रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
ग. यहाँ भगत की किस मनोभावना का चित्रण है ?
अथवा
धन्य हो. हे अगम अगोचर, अलख, अपारदेव, तुम्ही मेरी चिंता करों। जहां तक देखता हूं वहां तक जल में थल में पृथ्वी में 'सर्वत्र तुम्हारी ही लीला व्याप्त है। घट-घट में तुम्हारी ज्योति उद्भासित हो रही है।
क. उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
ख. रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
ग. घट-घट का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न.22 निम्नांकित पद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
'जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं सब अंधियारा मिटि गया, जब दीपक देख्या मांहि ।।
यहु ऐसा संसार है जैसा सेंबल फूल ।
दिन दस के व्यौहार को झूठे रंग न भूलि ।।
क. उपर्युक्त पद्यांश के पाठ और कवि का नाम लिखिए।
ख.मैं शब्द का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
ग. यह संसार किसके समान है।
अथवा
टूटे सुजन मनाइए, जौ टूटै सौ बार ।
रहिमन फिरिफिरि पोइये, टूटे मुक्ताहार।।
जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग ।
चंदन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग ।।
क.उपर्युक्त पद्यांश के पाठ और कवि का नाम लिखिए।
ख. सुजन शब्द का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
ग. किस प्रकृति के व्यक्ति की संगति करनी चाहिए।
प्र. 23 निम्नलिखित गद्यांश का सन्दर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए।
परमहंसस्य रामकृष्णस्य जीवन चरितं धर्माचरणस्य प्रायोगिक विवरणं विद्यते। तस्य जीवनम् अस्मभ्यम् ईश्वर दर्शनाय शक्तिं प्रददाति । तस्य वचनानि न केवलं कस्यचित नीरसानि ज्ञान वचनानि अपितु तस्य जीवन ग्रन्थस्य पृष्ठानि एव ।
प्रश्न .24 निम्नलिखित पद्यांश का सन्दर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए।
'मनीषिणः सन्ति न ते हितैषिणः।
हितैषिणः सन्ति न तो मनीषिणः ।
सदृच्च विद्वानपि दुर्लभो नृणाम्।
यथौषधं स्वाद हिंत च दुर्लभम् ।।
प्रश्न .25 दीपदान एकांकी के आधार पर पन्नाधाय का चरित्र चित्रण लिखिए।
अथवा
नये मेहमान एकांकी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- 'नए मेहमान' उदयशंकर भट्ट का यथार्थवादी एकांकी है, जिसमें बड़े नगरों (महानगरों) में रहने वाले मध्यम वर्ग की आवास समस्या और कष्टपूर्ण जीवन का सजीव चित्रण किया गया है ।। एकांकी की कथावस्तु निम्नवत् हैं' नए मेहमान' एकांकी का मुख्य पात्र विश्वनाथ है ।। वह एक बड़े नगर की घनी बस्ती में अपनी पत्नी व बच्चों के साथ रहता है ।। उसका मकान बहुत छोटा है ।। गर्मी का मौसम है और रात के आठ बजे हैं ।। उसका छोटा बच्चा बीमार है और उसकी पत्नी का गर्मी के कारण बुरा हाल है । उसके मकान की छत बहुत छोटी है जिस पर चारपाई बिछाने की भी पर्याप्त जगह नहीं है ।। विश्वनाथ की पड़ोसिन बहुत कठोर स्वभाव की है ।। वह अपनी खाली छत का भी उन्हें प्रयोग नहीं करने देती । इस वजह से विश्वनाथ बहुत दुःखी तथा परेशान है ।। जैसे ही विश्वनाथ व उसका परिवार सोने की तैयारी करते हैं वैसे ही बाहर से कोई दरवाजा खटखटाता है ।। विश्वनाथ दरवाजा खोलता है ।। दो अपरिचित व्यक्ति बाबूलाल और नन्हेमल घर में प्रवेश करते हैं और घर में जम जाते हैं । वे विश्वना ठंडे पानी की माँग करते हैं । विश्वनाथ द्वारा उनका परिचय पूछे जाने पर वे उसे बातों में उड़ा देते हैं ।। विश्वनाथ संकोची स्वभाव के कारण कुछ नहीं कह पाता ।।
विश्वनाथ की पत्नी रेवती खाना बनाने के लिए तैयार नहीं होती और अपने पति से जिद करती है कि इनसे इनका पता- परिचय पूछो ।। जब विश्वनाथ उनसे साफ-साफ पूछता है तो पता चलता है कि वे भूलवश उसके घर आ गए थे ।। वास्तव में उन्हें विश्वनाथ के पड़ोस में रहने वाले कविराज रामलाल वैद्य के घर जाना था और वे भूल से उसके घर आ गए थे । इस पर विश्वनाथ के बच्चे उन्हें सही स्थान पर पहुँचाकर आते हैं और दोनों पति-पत्नी चैन की साँस लेते हैं ।।
जैसे ही विश्वनाथ और रेवती इन दोनों से मुक्त होते ही रेवती का भाई आ जाता है ।। अपने भाई के आगमन पर रेवती बहुत प्रसन्न होती है और उसकी आवभगत में लग जाती है ।।
उसे इस बात का दुःख है कि उसका भाई उनका मकान ढूँढ़ता रहा और बहुत देर बाद सही स्थान पर पहुँचा ।। वह भाई के बार-बार मना करने पर भी खाना बनाने को तैयार होती है और बच्चों को बर्फ व मिठाई लाने के लिए भेजती है ।। विश्वनाथ मुस्कुराकर व्यंग्य से कहता है- "कहो, अब?” इस पर रेवती कहती है- "अब क्या मैं खाना बनाऊँगी || भैया भूखे नहीं सो सकते ।।' इसी बिंदु पर एकांकी का विनोदपूर्ण अंत हो जाता है | |
प्रश्न.26 निम्नलिखित में से किसी एक लेखक का जीवन परिचय लिखिए।
महादेवी वर्मा, हजारी प्रसाद द्विवेदी, प्रेमचन्द
उत्तर-
जीवन परिचय
महादेवी वर्मा
जीवन परिचय : एक दृष्टि में
जीवन परिचय- हिंदी साहित्य में आधुनिक मीरा के नाम से प्रसिद्ध कवियित्री एवं लेखिका महादेवी वर्मा का जन्म वर्ष 1907 में उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद शहर में हुआ था। इनके पिता गोविंदसहाय वर्मा भागलपुर के एक कॉलेज में प्रधानाचार्य थे। माता हेमरानी साधारण कवयित्री थीं एवं श्री कृष्ण में अटूट श्रद्धा रखती थीं। इनके नाना जी को भी ब्रज भाषा में कविता करने की रुचि थी। नाना एवं माता के गुणों का महादेवी पर गहरा प्रभाव पड़ा। इनकी प्रारंभिक शिक्षा इंदौर में और उच्च शिक्षा प्रयाग में हुई थी। नौ वर्ष की अल्पायु में ही इनका विवाह स्वरूप नारायण वर्मा से हुआ, किंतु इन्हीं दिनों इनकी माता का स्वर्गवास हो गया, ऐसी विकट स्थिति में भी इन्होंने अपना अध्ययन जारी रखा।
अत्यधिक परिश्रम के फल स्वरुप इन्होंने मैट्रिक से लेकर एम.ए. तक की परीक्षाएं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। वर्ष 1933 में इन्होंने प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्रधानाचार्या पद को सुशोभित किया। इन्होंने लड़कियों की शिक्षा के लिए काफी प्रयास किया साथ ही नारी की स्वतंत्रता के लिए ये सदैव संघर्ष करती रही। इनके जीवन पर महात्मा गांधी का तथा कला साहित्य साधना पर रविंद्र नाथ टैगोर का प्रभाव पड़ा।
साहित्यिक परिचय- महादेवी जी साहित्य और संगीत के अतिरिक्त चित्रकला में भी रुचि रखती थीं। सर्वप्रथम इनकी रचनाएं चांद नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई। ये 'चांद' पत्रिका की संपादिका भी रहीं। इनकी साहित्य साधना के लिए भारत सरकार ने इन्हें पदम भूषण की उपाधि से अलंकृत किया। इन्हें 'सेकसरिया' तथा 'मंगला प्रसाद' पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया। वर्ष 1983 में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा इन्हें एक लाख रुपए का भारत-भारती पुरस्कार दिया गया तथा इसी वर्ष काव्य ग्रंथ यामा पर इन्हें 'भारतीय ज्ञानपीठ' पुरस्कार प्राप्त हुआ। ये जीवन पर्यंत प्रयाग में ही रहकर साहित्य साधना करती रहीं। आधुनिक काव्य के साथ साज-श्रंगार में इनका अविस्मरणीय योगदान है। इनके काव्य में उपस्थित विरह-वेदना अपनी भावनात्मक गहनता के लिए अमूल्य मानी जाती है। इसी कारण इन्हें आधुनिक युग की मीरा भी कहा जाता है। करुणा और भावुकता इनके काव्य की पहचान है। 11 सितंबर, 1987 को यह महान कवयित्री पंचतत्व में विलीन हो गई।
रचनाएं- महादेवी जी ने पद्य एवं गद्य दोनों ही विधाओं पर समान अधिकार से अपनी लेखनी चलाई। इनकी कृतियां निम्नलिखित हैं-
1.नीहार- यह महादेवी जी का प्रथम काव्य संग्रह है। उनके इस काव्य में 47 भावात्मक गीत संकलित हैं और वेदना का स्वर मुखर हुआ है।
2. रश्मि- इस काव्य संग्रह में आत्मा-परमात्मा के मधुर संबंधों पर आधारित 35 कविताएं संकलित हैं।
3.नीरजा- इस संकलन में 58 गीत संकलित है, जिनमें से अधिकांश विरह-वेदना से परिपूर्ण है। कुछ गीतों में प्रकृति का मनोरम चित्र अंकित किया गया है।
4.सान्ध्य गीत- 58 गीतों के इस संग्रह में परमात्मा से मिलन का चित्रण किया गया है।
5. दीपशिखा- इसमें रहस्य-भावना प्रधान 51 गीतों को संग्रहित किया गया है।
6. अन्य रचनाएं- अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएं, श्रृंखला की कड़ियां, पथ के साथी, क्षणदा, साहित्यकार की आस्था तथा अन्य निबंध, संकल्पिता, मेरा-परिवार, चिंतन के क्षण आदि प्रसिद्ध गद्य रचनाएं हैं, इनके अतिरिक्त-सप्तवर्णा, सन्धिनी, आधुनिक कवि नामक गीतों के समूह प्रकाशित हो चुके हैं।
भाषा शैली- महादेवी जी ने अपने गीतों में स्निग्ध और सरल, तत्सम प्रधान खड़ी बोली का प्रयोग किया है। इनकी रचनाओं में उपमा, रूपक, श्लेष, मानवीकरण आदि अलंकारों की छटा देखने को मिलती है। इन्होंने भावात्मक शैली का प्रयोग किया, जो सांकेतिक एवं लाक्षणिक है। इनकी शैली में लाक्षणिक प्रयोग एवं व्यंजना के प्रयोग के कारण अस्पष्टता व दुरुहता दिखाई देती है।
हिंदी साहित्य में स्थान- महादेवी जी की कविताओं में नारी ह्रदय की कोमलता और सरलता का बड़ा ही मार्मिक चित्रण हुआ है। इनकी कविताएं संगीत की मधुरता से परिपूर्ण हैं। इनकी कविताओं में एकाकीपन की भी झलक देखने को मिलती है। हिंदी साहित्य में पद्य लेखन के साथ-साथ अपने गद्य लेखन द्वारा हिंदी भाषा को सजाने-संवारने तथा अर्थ- गाम्भीर्य प्रदान करने का जो प्रयत्न इन्होंने किया है, वह प्रशंसा के योग्य है। हिंदी के रहस्यवादी कवियों में इनका स्थान सर्वोपरि है।
शिक्षा - छठी कक्षा तक शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत ही 9 वर्ष बाल्यावस्था में ही महादेवी वर्मा का विवाह डॉक्टर स्वरूप नारायण वर्मा के साथ कर दिया गया। इससे उनकी शिक्षा का क्रम टूट गया क्योंकि महादेवी के ससुर लड़कियों से शिक्षा प्राप्त करने के पक्ष में नहीं थे। लेकिन जब महादेवी के ससुर का स्वर्गवास हो गया तो महादेवी जी ने पुनः शिक्षा प्राप्त करना शुरू किया। वर्ष 19-20 में महादेवी जी ने प्रयाग से प्रथम श्रेणी में मिडिल पास किया। (वर्तमान उत्तर प्रदेश का हिस्सा प्रयागराज) संयुक्त प्रांत के विद्यार्थियों में उनका स्थान सर्वप्रथम रहा। इसके फलस्वरूप उन्हें छात्रवृत्ति मिली। 1924 में महादेवी जी ने हाई स्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की और पुनः प्रांत बार में प्रथम स्थान प्राप्त किया। इस बार भी उन्हें छात्रवृत्ति मिली। वर्ष 1926 में उन्होंने इंटरमीडिएट और वर्ष 1928 में बीए की परीक्षा क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में प्राप्त की। व्हाट्सएप 1933 में महादेवी जी ने संस्कृत में मास्टर ऑफ आर्ट m.a. की परीक्षा उत्तीर्ण की। इस प्रकार उनका विद्यार्थी जीवन बहुत सफल रहा। b.a. में उनका एक विषय दर्शन भी था पूर्णविराम इसलिए उन्होंने भारतीय दर्शन का गंभीर अध्ययन किया इस अध्ययन की छाप उन पर अंत तक बनी रही।
महादेवी जी ने अपनी रचनाएं चांद में प्रकाशित होने के लिए भेजी। हिंदी संसार में उनकी उन प्रारंभिक रचनाओं का अच्छा स्वागत हुआ। इससे महादेवी जी को अधिक प्रोत्साहन मिला और फिर से वे नियमित रूप से काव्य साधना की ओर अग्रसर हो गई।
महादेवी जी का संपूर्ण जीवन शिक्षा विभाग से ही जुड़ा रहा। मास्टर ऑफ आर्ट m.a. की परीक्षा पास करने के पश्चात ही वे प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रधानाचार्य नियुक्त हो गई। उनकी कर्तव्यनिष्ठा में शिक्षा के प्रति लगाव और कार्यकुशलता के कारण ही प्रयाग महिला विद्यापीठ में निरंतर उन्नति की। महादेवी जी ने वर्ष 1932 में महिलाओं की प्रमुख पत्रिका चांद की संपादक बनी।
पुरस्कार - महादेवी वर्मा ने वर्ष 1934 में निरजा पर ₹500 का पुरस्कार और सेकसरिया पुरस्कार जीता। वर्ष 1944 में आधुनिक कवि और निहार पर 1200 का मंगला प्रसाद पारितोषिक भी जीता । भाषा साहित्य संगीत और चित्रकला के अतिरिक्त उनकी रूचि दर्शनशास्त्र में भी थी। महादेवी वर्मा को भारत सरकार द्वारा वर्ष 1956 में पद्म भूषण से तथा वर्ष 1988 में पदम विभूषण से सम्मानित किया गया। हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा उन्हें भारतेंदु पुरस्कार प्रदान किया गया। वर्ष 1982 में काव्य संकलन यामा के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
काव्य साधना - महादेवी वर्मा छायावादी युग की प्रसिद्ध कवित्री हैं। छायावाद आधुनिक काल की एक सहेली होती है जिसके अंतर्गत विविध सौंदर्य पूर्ण अंगों पर चेतन सत्ता का आरोप कर उनका मानवीय करण किया जाता है। इस प्रकार इस में अनुभूति और सौंदर्य चेतना की अभिव्यक्ति को प्रमुख स्थान दिया जाता है। महादेवी जी के काव्य में यह दोनों विशेषताएं हैं। अंतर मात्र इतना है कि जहां छायावाद के अन्य कवियों ने प्रकृति में उल्लास का अनुभव किया है वहीं इसके उलट महादेवी जी ने वेदना का अनुभव किया है। महादेवी वर्मा ने अपने काव्य में कल्पना के आधार पर प्रकृति का मानवीकरण कर उसे एक विशेष भाव स्मृति और गीत काव्य से विभूषित किया है इसलिए महादेवी जी की रचनाओं में छायावाद की विभिन्न भागवत और कलाकात विशेषताएं मिलती हैं।
काव्य भाव - महादेवी जी के काव्य की मूल भावना वेदना-भाव लेकिन जीवन में वेदना-भाव की उपज दो कारणों से होती है।
जीवन में किसी अभाव के कारण
दूसरों के कष्टों से प्रभावित होने के कारण
मृत्यु - महादेवी वर्मा का निधन 11 सितंबर 1987 को प्रयाग (वर्तमान प्रयागराज) मैं हुआ । महादेवी वर्मा हिंदी भाषा की एक विख्यात कवित्री थी स्वतंत्रता सेनानी और महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने वाली महान महिला थी।
महादेवी वर्मा का वैवाहिक जीवन - जब महादेवी वर्मा मात्र 11 वर्ष की थी तभी उनका विवाह डॉक्टर स्वरूप नारायण वर्मा से कर दिया गया था। किंतु विधि को कुछ और ही मंजूर था। महादेवी जी का वैवाहिक जीवन सुख में नहीं रहा। इनका जीवन असीमित आकांक्षाओं और महान आशाओं को प्रति फलित करने वाला था। इसलिए उन्होंने साहित्य सेवा के लिए अपना जीवन अर्पित कर दिया।
महादेवी वर्मा को मिले पुरस्कार एवं सम्मान - महादेवी वर्मा को अनेक पुरस्कारों से नवाजा गया। इनको हर क्षेत्र में पुरस्कार मिले।
1.साहित्य अकादमी फेलोशिप (1979)
2.ज्ञानपीठ पुरस्कार (1982)
3.पद्मभूषण पुरस्कार (1956)
4.पदम विभूषण (1988)
प्रश्न. 27 निम्नलिखित में से किसी एक कवि का जीवन परिचय लिखिए।
कबीरदास, मीराबाई, रहीम
प्रश्न 28.अपने पाठ्य पुस्तक का कोई एक श्लोक लिखिए जो इस प्रश्न पत्र में न आया हो।
प्रश्न 29.निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में दीजिए-
क. रामस्य के विशिष्टा गुणाः आसन्?
ख.कः तमो हन्ति ?
ग. ईश्वरस्य के नेत्रे स्रः ?
घ. ईश्वरः कीदृशः अस्ति?
प्रश्न 30.निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं दो का संस्कृत में अनुवाद कीजिए।
क .वह पत्र पढ़ता है।
ख. पेड़ से पत्ते गिरते हैं।
ग.तुम किताब पढ़ते हो।
प्रश्न.31 श्याम भिखारी को धन देता है। छात्र वृत्ति प्राप्त करने के लिए प्रधानाचार्य को एक प्रार्थना-पत्र लिखिए। (5)
अथवा
अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को एक दिन के अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर - स्कूल से छुट्टी की एप्लीकेशन
सेवा में,
श्रीमान प्राचार्य,
विद्यालय का नाम,
स्थान का नाम और जिला
विषय - छुट्टी लेने का कारण (शार्ट में)
महोदय,
सविनय निवेदन यह है, कि मैं आपके स्कूल में . का/ की छात्र/छात्रा हूं। मैं कल रात्र कक्षा से ज्वर से पीड़ित हूं (यहाँ आपको अवकाश लेने का कारण लिखना है) चिकित्सक ने उपचार के साथ-साथ तीन दिन के पूर्ण विश्राम करने लिए कहा है, जिसके कारण मैं विद्यालय में उपस्थित होने में असमर्थ हूँ।
अतः आपसे विनम्र निवेदन है, कि मुझे
दिनांक-------- से (दिनों की संख्या) दिन का अवकाश प्रदान करें। आपकी अति कृपा होगी ।
दिनांक............
सधन्यवाद
आपका आज्ञाकारी
शिष्य / शिष्या
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