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हिन्दी के प्रमुख विराम चिह्न / Hindi ke Pramukh viram chinh

हिन्दी के प्रमुख विराम चिह्न /  Hindi ke Pramukh viram chinh


हिन्दी के प्रमुख विराम चिह्न /  Hindi ke Pramukh viram chinh



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Viram Chinh in Hindi (विराम चिन्ह) - विराम का अर्थ है-रुकना या ठहरना। वक्ता अपने भावों व विचारों को व्यक्त करते समय वाक्य के अन्त में या कभी-कभी बीच में ही साँस लेने के लिए रुकता है, इसे ही विराम कहते हैं। इस प्रकार की रुकावट या विराम साँस लेने के अतिरिक्त अर्थ की स्पष्टता के लिए भी आवश्यक है।


विराम चिन्ह (Punctuation Mark) – Udaharan (Examples), Paribhasha और प्रकार लिखने में रुकावट या विराम के स्थानों को जिन चिह्नों द्वारा प्रकट किया जाता है, उन्हें विराम-चिह्न कहते हैं। इनके प्रयोग से वक्ता के अभिप्राय में अधिक स्पष्टता का बोध होता है। इनके अनुचित प्रयोग से अर्थ का अनर्थ भी हो जाता है; जैसे


"कल रात एक नवयुवक मेरे पास पैरों में मोजे और जूते, सिर पर टोपी,


हाथ में छड़ी, मुँह में सिगार और कुत्ता पीछे-पीछे लिए आया"।


"कल रात एक नवयुवक मेरे पास, पैरों में मोजे और जूते सिर पर, टोपी


हाथ में, छड़ी मुँह में, सिगार और कुत्ता पीछे-पीछे लिए आया।"


विराम-चिह्नों के बदलने से वाक्य का 'अर्थ' भी बदल जाता है;


जैसे -


•उसे रोको मत, जाने दो।


• उसे रोको, मत जाने दो।


उन्नीसवीं शताब्दी में पूर्वार्द्ध तक हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में विराम-चिह्नों के रूप में एक पाई (1) दो पाई (11) का प्रयोग होता था। कलकत्ता में फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना के बाद अंग्रेज़ों के सम्पर्क में आने के कारण उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त तक अंग्रेज़ी के ही बहुत से विराम-चिह्न हिन्दी में आ गए। बीसवीं शताब्दी के आरम्भ से हिन्दी में विरामादि चिह्नों का व्यवस्थित प्रयोग होने लगा और आज हिन्दी व्याकरण में उन्हें पूर्ण मान्यता प्राप्त है।



हिन्दी में प्रयुक्त किए जाने वाले विराम चिह्न इस प्रकार है- 


नाम                                                चिह्न


1. पूर्ण विराम (Full Stop)                   (।)


2. अर्द्ध विराम (Semi Colon)              (;)


3. अल्प विराम (Comma)                   ( ,)


4. प्रश्नवाचक (Question Mark)           (?)


5. विस्मयवाचक (Sign of Exclamation) (!)


6. निर्देशक (Dash)                              ( - )


7. उद्धरण (Inverted Commas)           (" ‌")


8. योजक (Hyphen)                            (-)


9. विवरण चिह्न (Colon Dash)              (:-)


 10. कोष्ठक (Brackets)                   ( ),{ },[ ]


11.लाघव (Sign of Abbreviation)         (°)


12 हंसपद                                           (^)


13. समतामूलक                                    (=)


1- पूर्ण विराम (।)


इस चिह्न का प्रयोग प्रश्नवाचक तथा विस्मयवाचक वाक्यों को छोड़कर अन्य सभी प्रकार के वाक्यों के अंत में किया जाता है। जब हम बोलते समय वाक्य की समाप्ति पर कुछ समय के लिए रुकते हैं, तब अगला वाक्य आरंभ करते हैं। उस वक्त पूर्ण विराम चिह्न का प्रयोग किया जाता है।


जैसे- 


• ज्ञानन्दा बाजार गई।


•सुकृत मेहनत से पढ़ता है।


•गज़ल खेलती है।


2. अर्द्ध विराम (;) 


जब भी पूर्ण विराम की तुलना में थोड़ी कम देर के लिए रुकना होता है, वहाँ अर्द्ध विराम चिह्न का प्रयोग किया जाता है।


जैसे- जुबिन बाजार से घर गया, नहाया और नाश्ता किया; अपनी गाड़ी उठाई और स्कूल चला गया। 



3.अल्प विराम (,)


वाक्य में जब बहुत कम देर के लिए ठहरना होता है, वहीं अल्प विराम का प्रयोग किया जाता है। इस चिह्न का प्रयोग वाक्य में सर्वाधिक होता है।


जैसे- 


•अर्चना शादी में न जा सकी, क्योंकि वह अस्वस्थ थी। 


•हाँ, मैं लखनऊ जाऊँगा।


•प्रखर, तुम बाहर मत जाओ।


• प्रज्ञा बाज़ार से केला, आम, सन्तरा, सेब व अंगूर लाई।


4. प्रश्नवाचक (?)


जब वाक्य मे क्या, कब, क्यों कहाँ, कैसे आदि शब्दों का प्रयोग होता है, वहाँ प्रश्नवाचक चिह्न लगाया जाता है।


 जैसे-


• राकेश इन्दौर कब जा रहा है ?


• आशीष किसके साथ जयपुर गया था ?


•पूर्णिमा कहां जा रही है ?


.• कृति क्या पढ़ रही है ?


● पंक्ति कब लौटकर आएगी ?



5- विस्मयवाचक चिन्ह (!)


विस्मयवाचक चिह्न का प्रयोग आश्चर्य, घृणा, हर्ष, विस्मय आदि भावों को व्यक्त करने वाले शब्दों के साथ किया जाता है।


 जैसे -


•अरे! तुम पढ़ चुके। 


•वाह! कितनी सुन्दर पोशाक है।


•हे प्रभु! अभिषेक को सद्बुद्धि दो।



 6. निर्देशक (-)


जब किसी व्यक्ति द्वारा कहे गए कथन को उद्धृत करना हो, वाक्य में टूटे हुए विचारों को जोड़ना हो, किसी रचना के बाद उसके कवि या लेखक का नाम लिखना हो तो निर्देशक चिह्न का प्रयोग किया जाता है।


जैसे


•अमृत- तुम कहाँ जा रहे हो ?


•कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले बच्चे निम्नलिखित है- सजल, प्रज्ञा प्रखर जुबिन, कृति, पंक्ति, गजल व चाहत।


7. उद्धरण (" ") 


जब किसी कथन को जैसा का तैसा उद्धृत करना हो तो उद्धरण चिह्न का प्रयोग किया जाता है। 


जैसे- 


•मैंने डॉ. वत्स की 'मधुआला' पढ़ी। 


•डॉ. वर्मा ने कहा- "जो सदैव प्रसन्न रहते हैं वह स्वस्थ रहते है।


8. योजक (-)


जब समानार्थक शब्द लिखने हों, तो उनके मध्य योजक चिह्न का प्रयोग किया जाता है।


 जैसे


सुख-दुख, जीवन-मरण, दूर-दूर, पास-पास आदि।


9. विवरण चिह्न (:-)


जब किसी कथन को विस्तृत रूप से व्यक्त करना होता है तब


विवरण चिह्न का प्रयोग किया जाता है, जैसे


निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर 250 शब्दों में निबन्ध लिखिए


10. कोष्टक ( )


कोष्टक का प्रयोग विकल्प दिखाने या क्रमसूचक अंको, अक्षरों के साथ होता है।


 जैसे -


(क),(ख), (10) ,(20)


11. लाघव (°) 


किसी बड़े शब्द को संक्षिप्त रूप से व्यक्त करने के लिए लाघव चिह्न का प्रयोग किया जाता है।


जैसे-  डॉ. ,प्रो. ,कृ. ,प. ,उ., एम.ए., बी.ए. आदि।


12. हंसपद (^)


वाक्य लिखते समय जब कोई शब्द या अंश छूट जाता है तो इस चिह्न को लगाकर उस छूटे हुए शब्द को लिख दिया जाता है। 


जैसे -

                                 संविधान

•26 जनवरी 1950 को हमारा ^ लागू हुआ।


13. समतामूलक (=)


किसी शब्द का अर्थ लिखते समय समतामूलक शब्द का प्रयोग होता है। 


जैसे -


•ललित = सुन्दर


•निशीथ = रात्रि का द्वितीय प्रहर


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