ad13

Rashtra nirman mein yuva ki bhumika par nibandh || राष्ट्र निर्माण में युवा की भूमिका पर निबंध

Rashtra nirman mein yuva ki bhumika par nibandh || राष्ट्र निर्माण में युवा की भूमिका पर निबंध 

rashtra nirman mein yuva ki bhumika par nibandh || राष्ट्र निर्माण में युवा की भूमिका पर निबंध 


Role of youth in nation building essay in Hindi / राष्ट्र निर्माण में युवा की भूमिका पर निबंध 


Rashtra nirman mein yuva ki bhumika par nibandh,rashtra nirman mein yuvaon ki bhumika,rashtra nirman mein yuvaon ki bhumika nibandh,rashtra ke nirman mein yuvaon ki bhumika,essay on rashtra nirman mein yuvaon ki bhumika,rashtra nirman mein yuvaon ki bhumika par nibandh,rastra ke nirman me yuvayo ki bhumika,rashtriy nirman mein yuvaon ki bhumika par nibandh,rashtra nirman me yuvao ki bhumika par nibandh,rashtra nirman mein yuvaon ki bhumika per nibandh,rashtra nirman mein yuvaon ki bhumika par bhashan,राष्ट्र निर्माण में युवा की भूमिका पर निबंध,राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका,राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका पर निबंध,राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका निबंध,राष्ट्र निर्माण में युवा की भूमिका,राष्ट्र निर्माण में हिंदी की भूमिका निबन्ध,राष्ट्र निर्माण में हिंदी की भूमिका,राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध,राष्ट्रीय निर्माण में युवाओं की भूमिका पर निबंध,राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान,हिन्दी निबंध लेखन राष्ट्र निर्माण में युवान की भूमिका,राष्ट्रीय विकास में युवाओं की भूमिका पर निबंध

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट  www.Bandana classes.com  पर । आज की पोस्ट में हम आपको "Rashtra nirman mein yuva ki bhumika par nibandh || राष्ट्र निर्माण में युवा की भूमिका पर निबंध " के बारे में बताएंगे तो इस पोस्ट को आप लोग पूरा पढ़िए।


राष्ट्र-निर्माण में युवाशक्ति का योगदान 


अन्य सम्बन्धित शीर्षक- युवाशक्ति एवं राष्ट्र-निर्माण, राष्ट्रीय विकास एवं युवाशक्ति, वर्तमान युवा : दशा और दिशा । 


[ रूपरेखा - (1) प्रस्तावना, (2) युवा वर्ग और उसकी शक्ति, (3) छात्र- असन्तोष के कारण, (4) राष्ट्र-निर्माण में छात्रों का योगदान — (क) अनुसन्धान के क्षेत्र में, (ख) परिपक्व ज्ञान की प्राप्ति एवं विकासोन्मुख कार्यों में उसका प्रयोग, (ग) स्वयं सचेत रहते हुए सजगता का वातावरण उत्पन्न करना, (घ) नैतिकता पर आधारित गुणों का विकास, (ङ) कर्त्तव्यों का निर्वाह, (च) अनुशासन की भावना को महत्त्व प्रदान करना, (छ) समाज-सेवा, (5) उपसंहार ।]


प्रस्तावना - विद्या स्वर्ण है, परन्तु भूमि की मिट्टी और मलिनता से लथपथ विद्यारूपी स्वर्ण को जब तक प्रयोग की भट्टी में तपाया न जाए, तब तक उस पर कान्ति एवं आभा नहीं आती और जब तक विद्यारूपी स्वर्ण पर कान्ति न आ जाए, तब तक संसार में उसका उचित मूल्य भी नहीं लगता। विद्यारूपी स्वर्ण पर कान्ति और आभा लाने का प्रयास विद्यार्थी ही कर सकता है। सच्चा विद्यार्थी वही है, जिसके मन में विद्यार्जन के प्रति सच्ची जिज्ञासा और लगन हो; जो विद्या प्राप्ति के मार्ग में आनेवाली कठिनाइयों को देखकर आनन्दित होता हो तथा जो विद्या को केन्द्र बनाकर अन्य सब बातों को भूल जाता हो। एक सच्चे विद्यार्थी के रूप में प्रत्येक विद्यार्थी का यह भी कर्त्तव्य है कि वह ज्ञानसम्पन्न होकर राष्ट्र-निर्माण की दिशा में अपना सक्रिय योगदान दे।


युवा वर्ग और उसकी शक्ति-आज का छात्र कल का नागरिक होगा। उसी के सबल कन्धों पर देश के निर्माण और विकास का भार होगा। किसी भी देश के युवक-युवतियाँ उसकी शक्ति का अथाह सागर होते हैं और उनमें उत्साह का अजस्र स्रोत होता है। आवश्यकता इस बात की है कि उनकी शक्ति का उपयोग सृजनात्मक रूप में किया जाए: अन्यथा वह अपनी शक्ति को तोड़-फोड़ और विध्वंसकारी कार्यों में लगा सकते हैं। प्रतिदिन समाचार-पत्रों में ऐसी घटनाओं के समाचार प्रकाशित होते रहते हैं। आवश्यक और अनावश्यक माँगों को लेकर उनका आक्रोश बढ़ता ही रहता है। यदि छात्रों की इस शक्ति को सृजनात्मक कार्य में लगा दिया जाए तो देश का कायापलट हो सकता है।


छात्र- असन्तोष के कारण- छात्रों के इस असन्तोष के क्या कारण हैं? वे अपनी शक्ति का दुरुपयोग क्यों और किसके लिए कर रहे हैं—ये कुछ विचारणीय प्रश्न हैं। इसका प्रथम कारण है— आधुनिक शिक्षा प्रणाली का दोषयुक्त होना। इस शिक्षा प्रणाली से विद्यार्थी का बौद्धिक विकास नहीं होता तथा यह विद्यार्थियों को व्यावहारिक ज्ञान नहीं कराती परिणामतः देश में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। जब छात्र को यह पता ही है कि अन्ततः उसे बेरोजगार ही भटकना है तो वह अपने अध्ययन के प्रति लापरवाही प्रदर्शित करने लगता है।


यह भी पढ़ें 👇👇👇


👉नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर निबंध


विद्यार्थियों पर राजनैतिक दलों के प्रभाव के कारण भी छात्र असन्तोष पनपता है। कुछ स्वार्थी तथा अवसरवादी राजनीतिज्ञ अपने स्वार्थो के लिए विद्यार्थियों का प्रयोग करते हैं। आज का विद्यार्थी निरुद्यमी तथा आलसी भी हो गया है। वह परिश्रम से कतराता है और येन-केन-प्रकारेण डिग्री प्राप्त करने को उसने अपना लक्ष्य बना लिया है। इसके अतिरिक्त समाज के प्रत्येक वर्ग में फैला हुआ असन्तोष भी विद्यार्थियों के असन्तोष को उभारने का मुख्य कारण है।


राष्ट्र-निर्माण में छात्रों का योगदान - आज का विद्यार्थी कल का नागरिक होगा और पूरे देश का भार उसके कन्धों पर ही होगा। इसलिए आज का विद्यार्थी जितना प्रबुद्ध, कुशल, सक्षम और प्रतिभासम्पन्न होगा; देश का भविष्य भी उतना ही उज्ज्वल होगा। इस दृष्टि से विद्यार्थी के कन्धों पर अनेक दायित्व आ जाते हैं, जिनका निर्वाह करते हुए वह 2-निर्माण की दिशा में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान कर सकता है। राष्ट्र-निर्माण में विद्यार्थियों के योगदान की चर्चा इन राष्ट्र- मुख्य बिन्दुओं के अन्तर्गत की जा सकती है—


(क) अनुसन्धान के क्षेत्र में- आधुनिक युग विज्ञान का युग है। जिस देश का विकास जितनी शीघ्रता से होगा, वह राष्ट्र - उतना ही महान् होगा; अतः विद्यार्थियों के लिए यह आवश्यक है कि वे नवीनतम अनुसन्धानों के द्वार खोलें। चिकित्सा के क्षेत्र में अध्ययनरत विद्यार्थी औषध और सर्जरी के क्षेत्र में नवीन अनुसन्धान कर सकते हैं। वे मानव-जीवन को अधिक सुरक्षित और स्वस्थ बनाने का प्रयास कर सकते हैं। इसी प्रकार इंजीनियरिंग में अध्ययनरत विद्यार्थी विविध प्रकार के कल-कारखानों और पुर्जों आदि के विकास की दिशा में भी अपना योगदान दे सकते हैं।


(ख) परिपक्व ज्ञान की प्राप्ति एवं विकासोन्मुख कार्यों में उसका प्रयोग-जीवन के लिए परिपक्व ज्ञान परम आवश्यक है। अधकचरे ज्ञान से गम्भीरता नहीं आ सकती, उससे भटकाव की स्थिति पैदा हो जाती है। इसीलिए यह आवश्यक है कि विद्यार्थी अपने ज्ञान को परिपक्व बनाएँ तथा अपने परिवार के सदस्यों को ज्ञान-सम्पन्न करने, देश की सांस्कृतिक सम्पदा का विकास करने आदि विभिन्न दृष्टियों से अपने इस परिपक्व ज्ञान का सदुपयोग करें।


(ग) स्वयं सचेत रहते हुए सजगता का वातावरण उत्पन्न करना-विद्यार्थी अपने सम-सामयिक परिवेश के प्रति सजग और सचेत रहकर ही राष्ट्र-निर्माण में अपना योगदान दे सकते हैं। विश्व तेजी से विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है। इसलिए अब प्रगति के प्रत्येक क्षेत्र में भारी प्रतिस्पर्द्धाओं का सामना करना पड़ता है। इन प्रतिस्पद्धाओं में सम्मिलित होने के लिए यह आवश्यक है कि विद्यार्थी सामाजिक गतिविधियों के प्रति सचेत रहें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें।


यह भी पढ़ें 👇👇👇



(घ) नैतिकता पर आधारित गुणों का विकास - मनुष्य का विकास स्वस्थ बुद्धि और चिन्तन के द्वारा ही होता है। इन गुणों का विकास उसके नैतिक विकास पर निर्भर है। इसलिए अपने और राष्ट्र-जीवन को समृद्ध बनाने के लिए विद्यार्थियों को अपना नैतिक बल बढ़ाना चाहिए तथा समाज में नैतिक जीवन के आदर्श प्रस्तुत करने चाहिए।


(ङ) कर्त्तव्यों का निर्वाह - आज का विद्यार्थी समाज में रहकर ही अपनी शिक्षा प्राप्त करता है। पहले की तरह वह गुरुकुल में जाकर नहीं रहता। इसलिए उस पर अपने राष्ट्र, परिवार और समाज आदि के अनेक उत्तरदायित्व आ गए हैं। जो विद्यार्थी अपने इन उत्तरदायित्वों अथवा कर्त्तव्यों का निर्वाह करता है, उसे ही हम सच्चा विद्यार्थी कह सकते हैं। इस प्रकार राष्ट्र-निर्माण के लिए विद्यार्थियों में कर्त्तव्य परायणता की भावना का विकास होना परम आवश्यक है।


(च) अनुशासन की भावना को महत्त्व प्रदान करना- अनुशासन के बिना कोई भी कार्य सुचारु रूप से सम्पन्न नहीं हो सकता। राष्ट्र-निर्माण का तो मुख्य आधार ही अनुशासन है। इसलिए विद्यार्थियों का दायित्व है कि वे अनुशासन में रहकर देश के विकास का चिन्तन करें। जिस प्रकार कमजोर नींववाला मकान अधिक दिनों तक स्थायी नहीं रह सकता, उसी प्रकार अनुशासनहीन राष्ट्र अधिक समय तक सुरक्षित नहीं रह सकता। विद्यार्थियों को अनुशासित सैनिकों के समान अपने कर्त्तव्यों का पालन करना चाहिए, तभी वे राष्ट्र-निर्माण में योग दे सकते हैं।


(छ) समाज-सेवा- हमारा पालन-पोषण, विकास, ज्ञानार्जन आदि समाज में रहकर ही सम्भव होता है; अतः हमारे लिए यह भी आवश्यक है कि हम अपने समाज के उत्थान की दिशा में चिन्तन और मनन करें। विद्यार्थी समाज-सेवा द्वारा अपने देश के उत्थान में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं, वे शिक्षा का प्रचार कर सकते हैं और अशिक्षितों को शिक्षित बना सकते हैं। इसी प्रकार छुआछूत की कुरीति को समाप्त करके भी विद्यार्थी समाज के उस पिछड़े वर्ग को देश की मुख्यधारा से जोड़कर अपने कर्त्तव्य का पालन करने की प्रेरणा दे सकते है।


उपसंहार—विद्याध्ययन से विद्यार्थियों में चिन्तन और मनन की शक्ति का विकास होना स्वाभाविक है, किन्तु कुछ विपरीत परिस्थितियों के फलस्वरूप अनेक छात्र समाज-विरोधी कार्यों में लग जाते हैं। इससे देश और समाज की हानि होती है। भविष्य में देश का उत्तरदायित्व विद्यार्थियों को ही सँभालना है, इसलिए यह आवश्यक है कि वे राष्ट्रहित के विषय में विचार करें और ऐसे कार्य करें, जिनसे हमारा राष्ट्र प्रगति के पथ पर निरन्तर आगे बढ़ता रहे। जब विद्यार्थी समाज-सेवा का लक्ष्य बनाकर आगे बढ़ेंगे, तभी वे सच्चे राष्ट्र-निर्माता हो सकेंगे। इसलिए यह आवश्यक है कि विद्यार्थी अपनी शक्ति का सही मूल्यांकन करते हुए उसे सृजनात्मक कार्यों में लगाएँ।


दोस्तों यदि आपको यह पोस्ट पसंद आयी हो तो इसे अपने दोस्तों और सोशल मीडिया पर अधिक से अधिक शेयर करिए। अगर दोस्तों अभी तक आपने हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब और टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन नहीं किया है तो नीचे आपको लिंक दी गई है ज्वाइन और सब्सक्राइब करने की तो वहां से आप हमारे telegram group (Bandana classes.com) को ज्वाइन और YouTube channel (Bandana study classes) को सब्सक्राइब कर लीजिए जहां पर आप को महत्वपूर्ण वीडियो हमारे यूट्यूब चैनल पर मिल जाएंगे।


👉Click here to join telegram channel👈


👉Click here to join YouTube channel 👈


यह भी पढ़ें 👇👇👇






👉गणतंत्र दिवस पर निबंध


👉26 जनवरी पर 10 वाक्य


👉26 जनवरी पर कविता


👉Republic Day speech in english


👉Essay on my mother in english


👉Essay on my father in English


👉मेरी माँ पर निबंध हिंदी में


👉मेरे पिता पर निबंध हिंदी में


👉मेरे पिता पर निबंध संस्कृत में


👉मकर संक्रांति पर निबंध


👉गाय पर निबंध


👉नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर निबंध


👉सुभाष चंद्र बोस पर 10 लाइन निबंध


👉राष्ट्र निर्माण में युवा की भूमिका पर निबंध


👉छायावादी युग तथा इसकी प्रमुख विशेषताएं


👉आत्मकथा तथा जीवनी में अंतर


👉मुहावरे तथा लोकोक्ति में अंतर


👉नाटक तथा एकांकी में अंतर


👉खंडकाव्य तथा महाकाव्य में अंतर


👉राजभाषा तथा राष्ट्रभाषा में अंतर


👉निबंध तथा कहानी में अंतर


👉उपन्यास तथा कहानी में अंतर


👉नई कविता की विशेषताएं


👉निबंध क्या है ? निबंध कितने प्रकार के होते हैं ?


👉उपन्यास किसे कहते हैं ? उपन्यास के प्रकार


👉रिपोर्ताज किसे कहते हैं? रिपोतार्ज का अर्थ एवं परिभाषा


👉रेखाचित्र किसे कहते हैं ?एवं रेखाचित्र की प्रमुख विशेषताएं


👉आलोचना किसे कहते हैं? प्रमुख आलोचना लेखक


👉डायरी किसे कहते हैं?


👉संधि और समास में अंतर

👉भारतेंदु युग की प्रमुख विशेषताएं



👉विज्ञान पर निबंध


👉विधानसभा अध्यक्ष के कर्तव्य एवं अधिकार


👉कहानी कथन विधि क्या है ?


👉रस किसे कहते हैं ? इसकी परिभाषा


👉महात्मा गांधी पर अंग्रेजी में 10 लाइनें


👉B.Ed करने के फायदे।


👉BTC करने के फायदे।




👉तुलसीदास जी का जीवन परिचय




👉My vision for India in 2047 English Essay

👉मकर संक्रांति पर 10 लाइन हिंदी में

👉1 जनवरी को प्रत्येक वर्ष नया साल क्यों मनाया जाता है?

👉रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय

👉10 लाइनें गणतंत्र दिवस पर हिंदी में

👉माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय

👉सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय

👉मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय

👉गद्य किसे कहते हैं ?

👉पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

👉Biology लेने के फायदे

 👉होली पर 10 लाइनें हिंदी में


👉कोरोना वायरस पर निबंध हिंदी में


👉UP TET और CTET में अंतर


👉दिवाली पर 10 लाइन निबंध हिंदी में


👉मीटर बदलवाने हेतु बिजली विभाग को प्रार्थना पत्र


👉श्याम नारायण पांडे का जीवन परिचय


👉हिंदी साहित्य का इतिहास एवं उसका काल विभाजन


👉शिक्षक दिवस पर 10 लाइन का निबंध


👉पानी की समस्या हेतु विधायक को पत्र


👉घर बैठे Online पैसा कैसे कमाए ?







Post a Comment

Previous Post Next Post

Top Post Ad

Below Post Ad