Essay on lock down || लॉकडाउन निबंध
Lockdown nibandh || लॉकडाउन पर निबंध लेखन
लॉकडाउन पर निबंध || lockdown par nibandh
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लॉकडाउन : समस्या और समाधान
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट bandana classes.com पर। दोस्तों आज की पोस्ट में हम वर्तमान में सर्वाधिक पूछा जाने वाला निबंध "लॉकडाउन : समस्या और समाधान" के बारे में आपको बताएंगे। दोस्तों यह तो हम सभी जानते हैं कि पिछले 2 वर्षों से कोरोना वायरस के कारण अपने देश में अनेक बार सरकार को लाकडाउन लगाना पड़ा है। वैसे तो lockdown शब्द सभी लोगों ने पहली बार सुना है। क्योंकि कोरोना वायरस से पहले लॉकडाउन शब्द को ना तो किसी ने सुना था और ना ही इसकी कभी जरूरत पड़ी थी। आज की पोस्ट में हम लॉकडाउन के लाभ एवं हानि के बारे में जानेंगे। और यह भी जानेंगे कि lockdown लगाने के पीछे सरकार का मकसद क्या है? और इसे क्यों लगाया जाता है ? दोस्तों हम सभी जानते हैं कि कोरोना वायरस के कारण समूचा विश्व इन दिनों लाकडाउन की चपेट में है। दोस्तों यह निबंध सभी बोर्ड परीक्षा में अक्सर पूछा जाता है। यदि आज की पोस्ट आपको पसंद आए तो इसे सोशल मीडिया और अपने दोस्तों में अधिक से अधिक शेयर करिएगा। दोस्तों इसके साथ ही हमारे यूट्यूब चैनल YouTube channel (Bandana study classes) को भी सब्सक्राइब कर लीजिए।
लॉकडाउन : समस्या और समाधान
प्रमुख विचार- बिंदु : (1) प्रस्तावना, (2) लॉकडाउन के लाभ, (3) लॉकडाउन से हानि, (4) उपसंहार।
प्रस्तावना
लॉकडाउन यह मानव जाति के इतिहास में पहली बार है, जहां पूरे देश में धारा 144 के तहत सबको घर में रहने की सलाह दी गई है। यह इसलिए किया गया; क्योंकि एक ऐसे जानलेवा बारिश ने हमला बोल दिया कि पूरी दुनिया में लाखों लोगों की जान चली गई है और अब भी संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। कोरोना वायरस से बचने का सिर्फ एक ही उपाय है, सामाजिक दूरी। यह संक्रमण एक इंसान से दूसरे इंसान में तेजी से फैलता है। भारत सरकार ने हिदायत दी है कि हम पर्सनल और प्रोफेशनल रिश्ते से हर संभव दूरी बनाए रखे, तभी हमें इस वायरस से मुक्ति मिल सकती है। भारत के सभी राज्यों में लोग घर पर रहकर सरकार के निर्देशों का पूरी तरह से पालन कर रहे हैं। लॉकडाउन (lockdown) से तात्पर्य है- तालाबंदी। लॉकडाउन के तहत सभी को अपने-अपने घरों में रहने की सलाह दी गई है जिसका सरकार की तरफ से सख्ती से पालन भी करवाया जा रहा है। यह इसलिए आवश्यक है, क्योंकि कोरोना वायरस (Corona virus) नामक महामारी मनुष्य जाति के इतिहास में पहली बार आई है।
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अब संपूर्ण देश इस वायरस (virus) से लड़ने के लिए अपने-अपने घरों में कैद हो गया है। इस महामारी के कारण से लाखों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं तथा इससे बचने का सिर्फ एक ही मार्ग है और वह रास्ता है सोशल डिस्टेंसिग (Social distancing) अर्थात कि सामाजिक दूरी। यह संक्रमण एक से दूसरे मनुष्य तक बहुत तीव्र गति से फैलता है, जिसके कारण भारत सरकार ने लॉकडाउन को ही इससे बचने के लिए जरूरी बताया है।
अर्थात हम कह सकते हैं कि लॉकडाउन एक आपातकालीन व्यवस्था (emergency system) है, जो किसी आपदा या महामारी के समय लागू की जाती है। जिस इलाके में लॉकडाउन लगाया गया है, उस इलाके या स्थान के लोगों को घरों से बाहर निकलने की अनुमति नहीं होती है। उन्हें सिर्फ दवा और खाने-पीने जैसी जरूरी चीजों की खरीदारी के लिए ही बाहर आने की आज्ञा या इजाजत मिलती है। लॉकडाउन के समय कोई भी व्यक्ति अनावश्यक कार्य के लिए सड़कों पर नहीं निकल सकता।
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लॉकडाउन के लाभ
रोजमर्रा की जिंदगी में हम कार्यालय के कार्यों में इतना व्यस्त हो जाते हैं कि हमें अपने परिवार के साथ वक्त बिताने का मौका नहीं मिलता। पहले 21 दिनों के लॉक डाउन में हमें वे बेहतरीन पल मिले जिनमें अपने प्रियजनों के साथ वक्त व्यतीत किया। जहां कुछ लोगों ने यूट्यूब से वीडियो देखकर भोजन बनाना सीखा। कुछ लोगों ने घर पर परिवार संग अंत्याक्षरी खेला; कुछ ने मशहूर फिल्म या चलचित्र और वेब सेसिस देखा। कुछ लोगों को जिन्हें अपने बच्चों के साथ वक्त बिताने का अवसर नहीं मिलता था, लॉकडाउन के कारण यह सु अवसर प्राप्त हुआ। बच्चों के साथ वीडियो गेम्स कैरम जैसे खेलों का आनंद लिया। विद्यालय में छुट्टी होने के कारण घर बैठकर शिक्षकों ने ऑनलाइन क्लासेज का सहारा लिया ताकि विद्यार्थियों की शिक्षा में कोई रुकावट नहीं आए।
लॉकडाउन से पहले के समय की बात करें तो उस वक्त हम सभी अपने रोजमर्रा के कामों में इतना व्यस्त रहते थे कि अपनों के लिए, अपने परिवार के लिए व बच्चों के लिए कभी समय ही नहीं निकाल पाते थे और सभी की सिर्फ यही शिकायत रहती थी कि आज की दिनचर्या को देखते हुए समय किसके पास है? लेकिन लॉकडाउन से ये सारी शिकायतें खत्म हो गई हैं। इस दौरान अपने परिवार के साथ बिताने के लिए लोगों को बेहतरीन पल मिले हैं। कई प्यारी-प्यारी यादें इस दौरान लोग सहेज रहे हैं, अपने घर के बुजुर्गों के साथ समय बिता रहे हैं और रिश्तों में आई कड़वाहट को मिटा रहे हैं।
लोगों को लाकडाउन के कुछ दिनों में अपने दिल में दबे शौक को पूर्ण करने का मौका मिला। आम आदमी से लेकर बड़े-बड़े हस्तियों ने इसका लाभ उठाया। किसी ने कोई वाद्ययंत्र बजाना सीखा, किसी ने नृत्य सीखा और अभ्यास किया, जो दैनिक जीवन में असंभव है।
लॉकडाउन रहने के कारण कोरोना वायरस के मरीजों में गिरावट आई और संक्रमण फैलने का खतरा कम हुआ। हमारे दैनिक जीवन में चीजों वा आवश्यक सामान की कमी ना हो इसलिए किराने के सामान, फल, सब्जी और दवाइयां बाजार में उपलब्ध रहें। भारत में लॉकडाउन से बड़े- बड़े कारखानों और वाहनों का चलना निषेध हो गया, जिसके कारण प्रदूषण की कमी आई। कल- कारखानों का कचरा जो बाहर नदी आदि के जल में प्रवाहित कर दिया जाता था, उस पर रोक लग गई। अब वायु प्रदूषण में नियंत्रण आ चुका है, साथ ही जल और ध्वनि प्रदूषण में भी गिरावट आई है, जो प्रकृति के लिए लाभदायक है। परिंदें आकाश में स्वच्छंद रूप से सैर कर रहे हैं। वायु पहले के मुकाबले शुद्ध हो गई है। आकाश का रंग नीला है जिस के रंग को हम भूल गए थे। लॉकडाउन के कारण प्रदूषित वातावरण हर प्रकार से शुद्ध हो गया है।
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यदि हम लॉकडाउन से होने वाले लाभ की बात करते हैं, तो लॉक डाउन का सर्वाधिक लाभ हमारे स्वास्थ्य विभाग एवं सूचना प्रौद्योगिकी या इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में मिला है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि लॉकडाउन के दौरान हमारे देश की स्वास्थ्य सेवाएं बहुत अधिक बेहतर हुई हैं और बहुत से स्थानों पर और अस्पतालों में ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए नए-नए ऑक्सीजन के प्लांट की स्थापना की गई है जिससे कि दोबारा से देश में ऑक्सीजन की कमी ना हो पाए।
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सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में लॉकडाउन के दौरान विशेष रुप से बहुत उन्नति हुई है। जहां बड़ी-बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को लॉकडाउन के दौरान वर्क फ्रॉम होम (work from home) से कार्य करने की सुविधा प्रदान की है। वर्क फ्रॉम होम का अर्थ है कि अपने घर में ही रह कर ऑफिस के कार्य को निपटाना। इससे जहां सॉफ्टवेयर कंपनियों एवं आईटी क्षेत्र से संबंधित अन्य कंपनियों के ऑफिस, किराया एवं अन्य खर्च में कमी आई है। वहीं वर्क फ्रॉम होम से कर्मचारियों को अपने घर में रहकर ऑफिस कार्य करने की सुविधा मिलती है जिससे वे अपने घर के लोगों के साथ हंसी खुशी से जीवन व्यतीत करते हैं। वर्क फ्रॉम होम से कर्मचारियों को रोज ऑफिस नहीं जाना पड़ता है जिससे उनका यात्रा का खर्च बचता है, एवं वाहन न चलाने से प्रदूषण में भी कमी आती है।
लॉकडाउन से हानि
बड़े-बड़े कार्यालय, कल-कारखानों को बंद करने के कारण मजदूरों पर आफत आ गई है। जो मजदूर दैनिक मजदूरी पर जीवन यापन करते थे, उनके घरों का चूल्हा तक जलना बंद हो गया। बस्ती में लोग भूखे सो रहे हैं। गरीब घरों पर लॉक डाउन का सबसे ज्यादा असर पड़ा है। उनके पास घर लौटने तक के पैसे नहीं है। देश में ऐसी परिस्थिति के कारण को समझते हुए देश की सरकार ने प्रधानमंत्री राहत कोष से जरूरतमंद लोगों की सहायता करने का निर्णय लिया। बहुत सारे लोगों ने भी आगे आकर मदद करना आरंभ कर दिया। लगभग सभी देशों के कारोबार को भारी क्षति हुई है।
लॉकडाउन की वजह से मजदूरों को बहुत नुकसान हुआ है, जो रोजमर्रा के काम से अपने घर का पेट पालते थे। आज उनके लिए एक वक्त की रोटी भी बहुत मुश्किल हो गई। कई मजदूर ऐसे हैं, जो भूखे पेट ही सो रहे हैं। अगर लॉकडाउन का सबसे ज्यादा नुकसान किसी को हुआ है तो वह है मजदूर, जो अपने परिवार का पेट पालने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं।
लॉकडाउन की वजह से देश की अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान हुआ है। कारखानों को बंद रखने के कारण भारी नुकसान वहन करना पड़ रहा है, वहीं व्यापार भी पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है। लोगों की नौकरियां चली गई हैं जिसकी वजह से बेरोजगारी की समस्या भी उत्पन्न हो गई है। लॉकडाउन की वजह से देश आर्थिक रूप से कमजोर पड़ रहा है।
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दिन-रात सिर्फ कोरोना से संबधित खबरें लोगों को मानसिक रूप से परेशान कर रही हैं, जो उन्हें नकारात्मक कर रही हैं। संपूर्ण दिन घर पर रहने और शारीरिक व्यायाम न होने से लोग खुद को स्वस्थ भी महसूस नहीं कर पा रहे हैं। बच्चे भी पूरे दिन घर पर रहकर चिड़चिड़ापन महसूस करने लगे हैं, क्योंकि वे बाहर खेलने हेतु अपने मित्रों के साथ मिलने में असमर्थ हैं। कोरोना वायरस की खबरें लोगों को परेशान कर रही हैं, जिससे कई लोग डिप्रेशन या अवसाद ग्रस्त जैसी समस्या से भी जूझ रहे हैं।
बड़े - बड़े कारखानों को बंद करने के कारण से उनको भयानक हानि सहन करने पड़ रही है। बाकी व्यवसायियों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। लॉकडाउन से भारत को अनुमानतः 100 अरब डालर तक घाटा होने की आशंका है। भारत सरकार कोरोना वायरस से 14 अप्रैल तक देश में लॉकडाउन रखना चाहती थी किंतु अब 31 मई तक क्रमशः 4 चरणों में लाख डाउन की व्यवस्था की गई है। भारत में लॉकडाउन के कारण घर में रहते हुए लोगों को मानसिक समस्या हो सकती है। इससे छोटे बच्चों को काफी समस्या हुई है। वे बाहर खेलने कूदने में असमर्थ है। कई लोग डिप्रेशन का शिकार भी हो सकते हैं। इन सब से बचने के लिए एक उपाय यह है कि अपने आपको ज्यादा- से- ज्यादा कामकाजो में लगाए रखें, जिससे यह सब ख्याल हमारे मस्तिष्क में ना आए।
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लॉकडाउन से लाभ तो बहुत कम है, किंतु इससे हानि बहुत अधिक होती है। यदि हम लॉकडाउन से होने वाली हानियों की बात करते हैं तो इससे देश के सभी वर्गों पर प्रभाव पड़ता है। सर्वाधिक हानि लॉकडाउन से बच्चों की पढ़ाई पर हुई है। लॉकडाउन के कारण पिछले 2 वर्षों से विद्यालय एवं कॉलेज बंद है जिससे कि बच्चे एवं युवाओं की पढ़ाई बाधित हुई है। लॉकडाउन के दौरान ग्रामीण क्षेत्र में ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था ना होने कारण वहां के बच्चे नहीं पढ़ पाते हैं। लॉकडाउन से देश की अर्थव्यवस्था भी बहुत बुरी तरह प्रभावित होती है। जिससे कि देश में आर्थिक मंदी आने का खतरा रहता है। इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि लॉकडाउन से बहुत अधिक हानि होती है, देश की अर्थव्यवस्था गिर जाती है, रोजगार के साधन कम हो जाते हैं जिससे लोगों की नौकरियां जाने का खतरा बढ़ जाता है। यह तो हम सभी जानते हैं कि लॉकडाउन से कारोबार बुरी तरह से प्रभावित होता है, बाजार बंद हो जाते हैं बाजार में ग्राहक ना होने के कारण छोटे एवं मझोले व्यापारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ जाता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि लाकडाउन लगाने से देश की अर्थव्यवस्था का बहुत अधिक नुकसान होता है।
उपसंहार
भारत में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस को नियंत्रण करने के लिए 14 अप्रैल तक पूरी तरह से लॉकडाउन की घोषणा की थी लेकिन संक्रमण को बढ़ते हुए देखकर चार चरणों में 31 मई तक बढ़ा दी है। इनके निर्देशों का पालन करना हमारा कर्तव्य है, ताकि शीघ्र अति शीघ्र इस जानलेवा महामारी से मुक्ति मिल सके। तभी हम और हमारी सरकार सामान्य जीवन व्यतीत कर पाएंगे। जिंदगी से बढ़कर कोई चीज नहीं होती, घर पर रहकर ही हम इस महामारी पर नियंत्रण कर सकते हैं।
कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए इस संक्रमण से मुक्ति के लिए भारत के प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन की घोषणा की थी, क्योंकि सामाजिक दूरी ही कोरोना को रोकने के लिए एकमात्र उपाय है। यही कारण है कि लॉकडाउन को बढ़ाया जा रहा है। इसलिए हम सभी की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि हम इस निर्णय का पूर्ण समर्थन करते हुए हम लॉकडाउन का पूरा पालन करें और इस वायरस को जड़ से मिटा दें। सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों का पूरी ईमानदारी के साथ पालन करना ही हमारा कर्तव्य है, तभी इस महामारी को खत्म किया जा सकता है।
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