धातु और अधातु में अंतर // Dhaatu aur Adhatu mein antar
धातु और अधातु में अंतर | (Dhaatu aur Adhatu mein antar)
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नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारे वेबसाइट Bandana classes.com पर। हम सभी लोग दैनिक जीवन में कई धातु और अधातु का प्रयोग करते हैं। औद्योगिक और घरेलू उपकरण तांबे और एलुमिनियम से बने बिजली के तार, थर्मामीटर में पारा आदि। सुई से लेकर बड़े-बड़े यंत्रों में धातु या अधातु का उपयोग किया जाता है। आज के इस आर्टिकल में हम धातु और अधातु में अंतर जानेंगे इसके साथ-साथ हम धातु किसे कहते हैं? अधातु किसे कहते हैं? इसी के साथ - साथ हम लोग धातु और अधातु के उदाहरण भी जानेंगे। इनके साथ-साथ इनके गुण उपयोग भी जानेंगे।
धातु और अधातु में अंतर
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धातु किसे कहते हैं?
धातु वे तत्व है जो आसानी से इलेक्ट्रॉनिक त्याग करके धनात्मक आयन बनाते है । धातु परमाणु द्वारा त्याग किये इलेक्ट्रॉन की संख्या पर ही उस धातु की संयोजकता निर्भर करती है । सामान्यतः धातुएँ ठोस और चमकदार होती है।स्वतंत्र इलेक्ट्रॉन के कारण अधिकांश धातुएँ विद्युत की सुचालक होती है।
अधातु किसे कहते है ?
अधातु वे तत्व है जो इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऋणायन बनाते है । ग्रहण किए गए इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर अधातु की संयोजकता निर्भर करती हैं ।
उत्पन्न करते हैं या जब इस पर प्रहार किया जाता है तो इससे घंटी जैसी आवाज आती है।
धातु तथा अधातु
सभी तत्त्वों को उनके गुणधर्मों के आधार पर दो भागों में वर्गीकृत किया गया है-
1. धातु (metals)
2. अधातु (non-metals)
1. धातु (Metals) - वे तत्त्व धातु कहलाते हैं --
( i ) जो विद्युत व ऊष्मा के सुचालक होते हैं।
( ii ) जो तन्य ( ductile ) होते हैं अर्थात् जिनके तार खींचे जा सकते हैं।
( iii ) जो आघातवर्धनीय ( malleable ) होते हैं अर्थात् जिनको हथौड़े से पीटने पर वे टूटते नहीं हैं ( surface ) के क्षेत्रफल में वृद्धि होती है।
( iv ) जिनमें विशेष चमक होती है जिसे धात्विक चमक ( metallic lustre ) कहते हैं।
( v ) जो धनायन बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं । - उदाहरणार्थ – कॉपर , आयरन , मरकरी तथा सोडियम धातु हैं । इन सभी तत्त्वों में उपरोक्त सभी गुण विद्यमान हैं । सोडियम निम्नलिखित समीकरण के अनुसार सरलतापूर्वक अपना धनायन बनाता है।
Na → Na(+) + e(-)
हाइड्रोजन एक तत्त्व है । इसमें धनायन बनाने की प्रवृत्ति होती है लेकिन इसमें ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति भी होती है तथा धातुओं के अन्य गुण भी नहीं होते हैं । अतः हाइड्रोजन , धातु नहीं है ।
2.अधातु (Non-metals) -
वे तत्त्व अधातु कहलाते हैं--
( i ) जो सामान्यतः विद्युत तथा ऊष्मा के कुचालक होते हैं ।
( ii ) जो तन्य ( ductile ) नहीं होते हैं।
( iii ) जो आघातवर्धनीय ( malleable ) न होकर भंगुर ( brittle ) होते हैं अर्थात् जिनको हथौड़े से पीटने पर वे छोटे - छोटे कणों में टूट जाते हैं।
( iv ) जिनमें सामान्यतः कोई विशेष चमक नहीं होती है।
( v ) जो सामान्यतः ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं । उदाहरणार्थ- सल्फर , ब्रोमीन , ऑक्सीजन , हाइड्रोजन तथा कार्बन अधातु हैं । -
उप-धातु (Metalloids) - कुछ तत्त्व ऐसे होते हैं जो धातु एवं अधातु दोनों के गुण प्रदर्शित करते हैं । ये तत्त्व उप - धातु कहलाते हैं । उदाहरणार्थ — आर्सेनिक व ऐन्टीमनी उपधातु हैं । इन दोनों तत्त्वों के ऑक्साइड उभयधर्मी ( amphoteric ) हैं अर्थात् इनके ऑक्साइड अम्ल तथा क्षार दोनों के साथ अलग - अलग अभिक्रिया कर लेते हैं ।
धातु और अधातु के गुणों में अन्तर अग्रलिखित सारणी में प्रदर्शित किया गया है।
धातु और अधातु में अंतर एक नजर में
जो तत्त्व विद्युत व ऊष्मा के सुचालक , आघातवर्धनीय , तन्य तथा विशेष चमक (धात्विक चमक) वाले होते हैं तथा धनायन बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं , धातु कहलाते हैं।
जो तत्त्व विद्युत व ऊष्मा के कुचालक तथा भंगुर होते हैं तथा सामान्यत : ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं , अधातु कहलाते हैं ।
ऑक्सीजन के साथ संयुक्त होकर धातुएं क्षारकीय ऑक्साइड बनाती है। एल्युमिनियम ऑक्साइड एवं जिंक ऑक्साइड क्षारकीय ऑक्साइड तथा अम्लीय ऑक्साइड दोनों के गुणधर्म प्रदर्शित करते हैं।
तनु हम लोग के साथ विभिन्न धातुओं की अभिक्रियाशीलता भिन्न-भिन्न होती है।
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