रौद्र रस किसे कहते हैं? Raudra ras kise kahate Hain
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Raudra ras kise kahte hai |
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नमस्कार दोस्तों हम आपको इस पोस्ट में बोर्ड परीक्षा में आने वाले सबसे महत्वपूर्ण रस रौद्र रस की परिभाषा और सबसे सरल उदाहरण बताएंगे जिससे कि आप आसानी से याद कर पाए और हम आपको कई सारे उदाहरण जो बहुत ही आसानी से याद किए जा सकते हैं इस पोस्ट में बताएंगे पोस्ट को लास्ट तक जरूर पढियेगा और अगर पोस्ट आपके लिए यूज़फुल रहे तो अपने दोस्तों को जरूर शेयर करें
रौद्र रस raudra ras- इसका स्थाई भाव क्रोध है। अपना अपमान बड़ों की निंदा या उनका अपकार शत्रु की चेष्टा तथा शत्रु या किसी दुष्ट अत्याचारी द्वारा किए गए अत्याचारों को देख कर अथवा गुरुजनों की निंदा आदि सुनकर उत्पन्न हुए अमर्ष क्रोध के पुष्ट होने पर रौद्र रस की सिद्धि होती है।
काव्यगत रसों में रौद्र रस का महत्त्वपूर्ण स्थान है। भरत ने 'नाट्यशास्त्र' में श्रृंगार, रौद्र, वीर तथा वीभत्स, इन चार रसों को ही प्रधान माना है, अत: इन्हीं से अन्य रसों की उत्पत्ति बतायी है, यथा- 'तेषामुत्पत्तिहेतवच्क्षत्वारो रसाः श्रृंगारो रौद्रो वीरो वीभत्स इति' । रौद्र से करुण रस की उत्पत्ति बताते हुए भरत कहते हैं कि 'रौद्रस्यैव च यत्कर्म स शेय: करुणो रसः । रौद्र रस का कर्म ही करुण रस का जनक होता है,
रौद्र रस के अवयव :
> स्थाई भाव क्रोध ।
> आलंबन (विभाव) - विपक्षी, अनुचित बात कहनेवाला व्यक्ति
> उद्दीपक (विभाव)-विपक्षियों के कार्य तथा उक्तियाँ।
> अनुभाव- मुख लाल होना, दांत पीसना, आत्म - प्रशंशा, शस्त्र चलाना, भौहे चढ़ना, कम्प, प्रस्वेद, गर्जन आदि।
> संचारी भाव - आवेग, अमर्ष, उग्रता, उद्वेग, स्मृति, असूया, मद, मोह आदि ।
रौद्र रस के उदाहरण (Raudra Ras ke Example)
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रौद्र रस किसे कहते हैं उदाहरण सहित |
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•सुनहूँ राम जेहि शिवधनु तोरा सहसबाहु सम सो रिपु मोरा सो बिलगाउ बिहाइ समाजा न त मारे जइहें सब राजा रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास -
•श्री कृष्ण के सुन वचन, अर्जुन क्रोध से जलने लगे ...
• उस काल मरे क्रोध के तन काँपने उसका लगा...
•अतिरस बोले बचन कठोर ।
•रे नृप बालक कालबस, बोलत तोहि न संभार ।
•भाखे लखनु कुटिल भईं भौंहें। रदपट फरकत नयन रिसौहें।।
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