नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर निबंध | Essay on New Education Policy In Hindi
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर निबंध | Essay on New Education Policy In Hindi
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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति
[रूपरेखा-(1) प्रस्तावना (2) नवीन शैक्षिक ढाँचा तथा पाठ्यक्रम (3) पूर्व प्राथमिक वर्ग, (4) प्राथमिक वर्ग, (5) माध्यमिक वर्ग, (6) सेकण्डरी वर्ग (7) उच्च शिक्षा (8) उल्लेखनीय विन्दु, (9) उपसंहार ।।
प्रस्तावना- किसी देश की उन्नति का आधार उस देश की शिक्षा नीति होती है। भारत में चाँतीस वर्ष बाद नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति घोषित हो गई है। नई शिक्षा नीति को 29 जुलाई 2020 को लागू किया गया जिसे कि 34 वर्षों के बाद लाया गया है समय के साथ साथ शिक्षा नीति में परिवर्तन भी आवश्यक होता है ताकि देश की तेजी से उन्नति हो सके पुरानी शिक्षा नीति में बदलाव कर आने वाली पीढ़ियों को मानसिक और बौद्धिक स्तर पर और अधिक प्रबल करना है जिससे कि हमारा देश तेजी से तरक्की कर सके क्योंकि कहा जाता है कि शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार होता है जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं इसीलिए समय के साथ-साथ नई शिक्षा नीति को लागू करना भी आवश्यक होता है।
नवीन शैक्षिक ढाँचा तथा पाठ्यक्रम-नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में वर्ष 5-3-3-4 के तहत शैक्षिक ढाँचे तथा पाठ्यक्रम को बाँटा गया है। नई शिक्षा नीति का पाठ्यक्रम नई शिक्षा नीति में 10+2 के पाठ्यक्रम को समाप्त करके अब 5+ 3+ 3+ 4 मॉडल तैयार किया गया है जिसमें पहले 5 साल के अध्ययन को फाउंडेशन स्टेज के रूप में माना जाता है इसके साथ ही अब हमें कक्षा 9वी में ही विषय का चयन करने का विकल्प भी दिया जाएगा और साथ ही प्रारंभिक शिक्षा में मातृभाषा को प्राथमिकता दी जाएगी।
पूर्व प्राथमिक वर्ग-इसमें तीन वर्ष से आठ वर्ष तक के बच्चे शामिल होंगे, जिन्हें बुनियादी शिक्षा दी जाएगी। नर्सरी, के. जी. तथा यू के. जी. में ऐसा पाठ्यक्रम रहेगा कि बच्चे खेल-खेल में पढ़ना सीख जाएँ। इसके बाद कक्षा एक और कक्षा दो की पढ़ाई कराई जाएगी।
प्राथमिक वर्ग-इस वर्ग में आठ से ग्यारह वर्ष के बालक तीसरी, चौथी तथा पाँचवीं की पढ़ाई करेंगे। इसमें प्रयोगों के द्वारा गणित, विज्ञान और कला की शिक्षा दी जाएगी।
माध्यमिक वर्ग-इसमें ग्यारह से चौदह वर्ष के बालक छठी, सातवीं तथा आठवीं कक्षाओं में अध्ययन के साथ ही कौशल विकास तथा स्थानीय दस्तकला का ज्ञान प्राप्त करेंगे।
सेकण्डरी वर्ग-इसमें कक्षा नौ से बारहवीं तक की पढ़ाई कराई जाएगी जिसमें विद्यार्थियों को अपनी इच्छा के अनुसार विषय चुनने की आजादी होगी। रटने से बचकर ज्ञान प्राप्ति पर बल दिया जाएगा। विद्यार्थी को बहुविषयक जानकारी दी जाएगी।
उच्च शिक्षा-स्नातक स्तर चार वर्ष का होगा। तकनीकी शिक्षण के साथ कला तथा मानविकी की पढ़ाई भी कर सकेंगे। चिकित्सा, इंजीनियरिंग, विधि की शिक्षा आवश्यकताओं के अनुरूप व्यवस्थित ढंग से दी जाएगी। तीन वर्ष के बाद भी डिग्री दे दी जाएगी। शोध आदि को आवश्यकताओं के अनुसार बढ़ावा दिया जाएगा।
उल्लेखनीय बिन्दु-(1) पाँचव तक मातृभाषा में शिक्षा दी जाएगी। (2) कक्षा छः से ही कौशल विकास तथा व्यावसायिक शिक्षा प्रारम्भ कर दी जाएगी। (3) प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के लिए विशेष प्रावधान होंगे। (4) बुनियादी शिक्षा पर जोर रहेगा। (5) विद्यार्थियों को दबाव से छुटकारा दिलाया जाएगा। (6) सरकारी तथा निजी विद्यालयों में समान नियम, शुल्क आदि होंगे। (7) बच्चों को विषय चुनने की आजादी होगी। (8) अध्यापकों को पढ़ाने के अतिरिक्त अन्य कार्य नहीं दिए जाएँगे। (9) त्रिभाषा में राज्य ही भाषा का चयन करेंगे।
उपसंहार- यह शिक्षा नीति सुविचारित शिक्षा व्यवस्था की दृष्टि से प्रारम्भ की जा रही है। विश्वास है इसके परिणाम लाभकारी तथा देशहित में होंगे। नई शिक्षा नीति का क्रियान्वयन यदि सही से हुआ तो हमारा देश भी अन्य देशों के समान अधिक उन्नत गुणवत्ता युक्त शिक्षा और शिक्षित समाज की स्थापना होगी जो हमारे देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगा और हमें आप पूरा विश्वास है कि यह शिक्षा नीति सफल तरीके से कार्यान्वित होकर हमारे देश को एक नई बुलंदियों पर ले जाएगी।
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