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बहादुर कहानी (Bahadur kahani) //bahadur kahani ka saransh बहादुर कहानी का सारांश

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बहादुर कहानी

आधुनिक कथा-जगत् मे प्रेमचन्द की कहानी कला को अक्षुण्ण रखने वाले कलाकारों में अमरकान्त अग्रणी है। इनकी कहानियों में मध्यम वर्ग तथा निम्न वर्ग की पारिवारिक परिस्थितियों का सजीव, आदर्श तथा यथार्थवादी चित्रण मिलता है। इनकी 'बहादुर' कहानी; मध्यमवर्गीय परिवार में नौकरी करने वाले बहादुर नाम के नेपाली लड़के पर आधारित एक समस्यामूलक कहानी है। कहानी-कला के तत्त्वों के आधार पर कहानी की संक्षिप्त समीक्षा यहाँ प्रस्तुत है


1.शीर्षक- प्रस्तुत कहानी का शीर्षक लघु, आकर्षक, सरल तथा सार्थक है। कहानी की कथा इसके प्रमुख पात्र बहादुर के चारों ओर घूमती है; अतः शीर्षक की दृष्टि से 'बहादुर' कहानी एक सफल रचना है।


2. कथानक -प्रस्तुत कहानी में लेखक ने समाज के वर्ग-भेद को उजागर किया है। बहादुर 12-13 वर्ष की उम्र का एक गरीब बालक है। वह एक साधारण परिवार में नौकर है, जिसका मुखिया स्वयं लेखक है। प्रारम्भ में तो उसका परिवार में पालतू पशु-पक्षियों की तरह बड़ा आदर-सत्कार में होता है और वह भी बड़ी मेहनत व लगन से काम करता है, किन्तु कुछ दिनों बाद वह लेखक के बड़े लड़के किशोर और उसकी पत्नी निर्मला द्वारा डाँट, मार खाने लगता है। उससे अपनी रोटी स्वयं सेक लेने को भी कहा जाता है। एक दिन घर में आये कुछ रिश्तेदारों द्वारा बहादुर के ऊपर चोरी करने का आरोप लगाया जाता है और लेखक द्वारा बहादुर को मारा-पीटा भी जाता है। पत्थर की एक सिल के टूट जाने और समस्त परिवारजनों के दुर्व्यवहार से पीड़ित होने के कारण वह उस घर से भाग जाता है। वह अपने साथ घर का और अपना कोई भी सामान नहीं ले जाता। बहादुर के चले जाने के बाद परिवार के लोगों को बहादुर के गुणों की अनुभूति होती है और वे अपने द्वारा उसके प्रति किये गये अमानवीय व्यवहारों पर पश्चात्ताप करते हैं।


कहानी का कथानक रोचक, सुगठित, संक्षिप्त तथा समस्याप्रधान है। इसमें बताया गया है कि मात्र पूँजीपति हो श्रम का शोषण नहीं करते, वरन् सामान्य मध्यम वर्ग भी इस कुकृत्य में पीछे नहीं है। इस प्रकार कथानक तत्त्व की दृष्टि से यह एक सफल कहानी है।


3. पात्र तथा चरित्र- चित्रण प्रस्तुत कहानी में पात्रों की संख्या सीमित है। वे निम्न तथा मध्यम वर्गों का प्रतिनिधित्व करते हैं। बहादुर निम्न वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है। उसके अपने घर की आर्थिक स्थिति शोचनीय है। माँ की मार और उपेक्षा से खीझकर वह घर से शहर भाग आता है और एक मध्य वित्त परिवार में नौकरी करता है। कहानी का प्रमुख पात्र बहादुर है। गृहस्वामिनी निर्मला तथा उसका बेटा किशोर, रिश्तेदार उसकी पत्नी और लेखक कहानी के अन्य पात्र हैं। बहादुर ईमानदार, मेहनती तथा स्वाभिमानी बालक है। वह निर्मला के पुत्र किशोर तथा फिर निर्मला के दुर्व्यवहार का शिकार होता है। गाली खाकर भी वह मौन बना रहता है, परन्तु 'सूअर का बच्चा' गाली उसके स्वाभिमान पर विशेष चोट पहुंचाती है-" बाबूजी, भैया ने मेरे मरे बाप को क्यों लाकर खड़ा किया ?-वह रोता हुआ बोला।"


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बहादुर के मन पर सबसे गहरा आघात तब लगता है, जब उस पर "चोरी का इल्जाम लगाया जाता है, उसे धमकाया और पीटा जाता है। इस आघात के कारण वह खाली हाथ घर छोड़कर चला जाता है। कथाकार बाल मनोविज्ञान के सूक्ष्म विश्लेषण में सफल रहे हैं। निर्मला में साधारण महिला है। किशोर शान-शौकत से रहने का अभ्यस्त है। वह आज के समाज के उन नवयुवकों का प्रतिनिधित्व करता है, जो कम साधन होते हुए भी रईसों की नकल करते हैं। इस प्रकार पात्र तथा चरित्र चित्रण की दृष्टि से 'बहादुर' एक सफल कहानी है।


4. संवाद या कथोपकथन- यह कहानी संवाद की दृष्टि से सफल रचना है। इसके संबाद सरस, सरल, सुन्दर, संक्षिप्त रोचक तथा पात्रानुकूल है। कथानक को गतिशील बनाये रखने में अमरकान्त के संवाद प्रेमचन्द की भाँति समर्थ है। 'बहादुर' कहानी के एक रोचक प्रसंग से संवाद-योजना प्रस्तुत है-


-क्या बात है ?- मैंने पूछा।


-बहादुर भाग गया। गया। क्यों ?


-पता नहीं आज तो कुछ हुआ भी नहीं था। 


-कुछ ले गया ? -यही तो अफसोस है। कोई भी सामान नहीं ले गया।


5. भाषा शैली- इस कहानी की भाषा कथा प्रसंग के अनुकूल व्यावहारिक एवं प्रवाहपूर्ण है तथा शैली आत्मपरक है। प्रचलित मुहावरों का प्रयोग भाषा की विशेषता है, जैसे-नौ दो ग्यारह होना, माथा ठनकना, पेट में दाढ़ी होना आदि। उर्दू तथा अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग मिलता है, जैसे किस्सा, तमीज, सिनेमा, रिपोर्ट इत्यादि। भाषा-शैली का एक उदाहरण प्रस्तुत है—"अम्माँ, एक बार भी अगर बहादुर आ जाता तो मैं उसको पकड़ लेता और कभी जाने न देता। उससे माफी माँग लेता और कभी नहीं मारता सच, अब ऐसा नौकर कभी नहीं मिलेगा। कितना आराम दे गया है वह। अगर वह कुछ चुराकर ले गया होता तो सन्तोष हो जाता।' 11


6. देश-काल तथा वातावरण- प्रस्तुत कहानी में एक मध्यमवर्गीय परिवार द्वारा नौकर रखना तथा सामन्ती व्यवस्था के अनुकरण पर उससे अधिक कार्य लेना, उचित व्यवहार न करना, झूठा प्रदर्शन करना आदि के द्वारा कहानी के वातावरण को सजीवता प्रदान की गयी है। झूठा दिखावा, ईर्ष्या एवं बनावट आदि के वर्णन में निम्न मध्यमवर्गीय मनोवृत्ति के स्पष्ट दर्शन से वातावरण सजीव हो गया है; जैसे—"निर्मला आँगन में खड़ी होकर पड़ोसियों को सुनाते हुए कहती थी-बहादुर, आकर नाश्ता क्यों नहीं कर लेते? मैं दूसरी औरतों की तरह नहीं हूँ, जो नौकर-चाकर को तलती-भूनती हैं। मैं तो नौकर-चाकर को अपने बच्चे की तरह रखती हूँ।" कहानी में उत्साहपूर्ण वातावरण का भी चित्रण हुआ है, जैसे—"उसकी वजह से कुछ दिनों तक हमारे घर में वैसा ही उत्साहपूर्ण वातावरण छाया रहा, जैसा कि प्रथम बार तोता-मैना या पिल्ला पालने पर होता है। सबेरे-सबेरे मुहल्ले के छोटे-छोटे लड़के घर के अन्दर आकर खड़े हो जाते और उसको देखकर हँसते या तरह-तरह के प्रश्न करते।"


7. उद्देश्य (सन्देश) -इस कहानी का उद्देश्य समाज में उत्पन्न वर्ग-संघर्ष को मानवीय सहानुभूति द्वारा समाप्त करने का सन्देश देना है। शोषितों के प्रति मानवता एवं प्रेम का व्यवहार, ऊँच-नीच के भेद के कारण दिलों में पड़ी दरार को भर देता है। बहादुर भी मानवीय स्नेह एवं संवेदनाओं का भूखा है। मालिक द्वारा पीटे जाने और प्रतिक्रियास्वरूप उसके द्वारा घर छोड़ दिये जाने पर परिवार के सभी लोगों को पश्चात्ताप का अनुभव होता है। वे स्वयं को दोषी महसूस करते हैं। धनी और निर्धन का वर्ग-भेद मानवीय भावनाएँ ही कम कर सकती हैं। लेखक का मुख्य उद्देश्य दोनों के हृदयों का परिवर्तन है और सबके प्रति सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार बनाये रखने का सन्देश देना है।


'बहादुर' कहानी अत्यन्त मार्मिक कहानी है। यह आत्म-कथात्मक शैली में प्रस्तुत की गयी है। अमरकान्त जी ने बड़े सटीक और सुन्दर ढंग से कहानी को प्रस्तुत करके पाठकों के मन पर अमिट छाप छोड़ी है। कहानी-कला के तत्त्वों की दृष्टि से यह एक सफल कहानी है।

प्रस्तुत का गया है।


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 'बहादुर' की कथावस्तु या सारांश bahadur kahani ka saransh (2013, 14, 15, 16, 18, 19, 20)


अमरकान्त जी द्वारा लिखी कहानी 'बहादुर', एक मध्यमवर्गीय परिवार में नौकर के साथ परिवारजनों द्वारा किये गये अत्यधिक कटु व्यवहार की कहानी है। लेखक ने स्वयं को कहानी का पात्र बनाते हुए कहानी की आत्म-कथात्मक रूप में रचना की है।


अपने से सम्पन्न रिश्तेदारों के घर नौकर द्वारा जुटाई सुविधा एवं शान को देखकर लेखक की पत्नी निर्मला स्वयं भी एक नौकर रखना चाहती है। बहादुर नेपाल का 12-13 साल का लड़का है, जो अपनी माँ के दुर्व्यवहार से तंग आकर घर छोड़कर शहर चला आता है और निर्मला के परिवार में नौकर रख लिया जाता है। निर्मला और उसका परिवार बहादुर के प्रति पहले तो अच्छा व्यवहार करते हैं, परन्तु धीरे-धीरे कठोरता बरतने लगते हैं। वह घर का सारा कार्य करता है, इसके बावजूद उसके साथ गाली-गलौज से मारपीट तक की नौबत आ जाती है। चोरी का झूठा इल्जाम लगाकर उसे अपमानित किया जाता है और पीटा जाता है। अन्ततः बहादुर घर छोड़कर चला जाता है। अब परिवार के सभी सदस्य उसे ढूँढ़ते हैं; क्योंकि उसके कारण सभी लोग आराम के आदी हो चुके हैं। बहादुर की उपयोगिता देखकर सभी अपना घरेलू कार्य करने से घबराते हैं, बहादुर के घर छोड़ जाने पर वे सभी पश्चात्ताप करते हैं तथा अच्छा व्यवहार करने की सोचते हैं। परन्तु अब पछताये होत क्या, जब चिड़िया चुग गयी खेत। बहादुर में सहनशीलता और स्वाभिमान की भावना कूट-कूटकर भरी हुई है।उसके इसी चरित्र के कारण यह कहानी हमें प्रिय है।


प्रश्न - बहादुर 'कहानी का उद्देश्य अपने शब्दों में लिखिए।

                        अथवा 

'बहादुर 'कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए ।

उत्तर- बहादुर' कहानी का उद्देश्य / सन्देश

यह कहानी निम्न एवं मध्यमवर्गीय समाज के मनोविज्ञान का वास्तविक चित्र प्रदर्शित करती है। आधुनिक समाज झूठे प्रदर्शन और शान शौकत में विश्वास करता है । वह बनावटी जिन्दगी जीना पसन्द करता है। कहानीकार ने निम्न वर्ग के प्रति सहानुभूति रखते हुए मध्यम वर्ग के लोगों की स्थिति की वास्तविकता को समझा है। उसने वर्ग भेद मिटाने को - प्रोत्साहन दिया है। कहानीकार का सन्देश है कि मानवीय सहानुभूति के आधार पर ही वर्ग - भेद की खाई को पाटा जा सकता है ।

बहादुर का चरित्र चित्रण

1. परिचय - बहादुर जिसका रंग गोरा है और मुंह चपटा नेपाल के एक गांव का रहने वाला पहाड़ी बालक है जिसका पिता युद्ध में मारा गया। मां ही सारे परिवार का भरण पोषण करती है। वह दस - । बारह वर्ष की उम्र - का ठिगना सा बालक है। सफेद नेकर, आधी बांह की सफेद कमीज और भूरे रंग का जूता पहने था तथा गले में स्काउटों जैसा रुमाल बांधे हुए था। बहादुर

2. मां से प्रताड़ित - बहादुर की मां क्रोधी स्वभाव की महिला थी। वह जब तब किसी न किसी बात पर की पिटाई लगा - - देती थी। एक दिन बहादुर ने उसकी मां की प्रिय भैंस को डण्डे से मारा और मां ने उसी डण्डे से बहादुर की इतनी पिटाई की कि उसका दिल मां की ओर से फट गया। वह मां के रुपए चुराकर बस में बैठकर गोरखपुर भाग आया ।

3. मेहनती बालक - लेखक के साले साहब उसे लेकर आए थे और उन्होंने नौकर के रूप में उसे रख लेने का आग्रह किया। बहादुर बहुत परिश्रमी बालक था। हर काम बड़ी सफाई, होशियारी एवं मेहनत से करता था। घर के सारे काम दौड़ दौड़कर करता और सुबह से लेकर रात तक काम में लगा रहता फिर भी कभी आलस नहीं करता। अपने परिश्रम के बल पर ही वह घर के सारे सदस्यों को प्रभावित कर लेता है।

4. प्रसन्नचित्त एवं मृदुभाषी हर समय मुस्कराना उसका - स्वभाव है ।बहादुर प्रसन्नचित्त एवं मृदुभाषी स्वभाव का बालक है। छल - कपट से वह कोसों दूर है। उसकी - बोली में मधुरता एवं मिठास है तथा हँसी में कोमलता है। उसके साथ चाहे कोई कितना ही कठोर व्यवहार क्यों न करे किन्तु वह सदैव मुस्कराता ही रहता है।

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5. सहनशील एवं स्वाभिमानी - बहादुर सहनशील किन्तु स्वाभिमानी नौकर है। किशोर जब उसे बात बेबात गालियां देता है एवं मारपीट करता है, तो वह चुपचाप सह लेता है किन्तु जब एक दिन वह उसे सुअर का बच्चा ' कहता है तो उसके स्वाभिमान को ठेस लगती है। मेरे बाप को क्यों गाली दी इस बात से चिढ़कर वह किशोर की साइकिल साफ नहीं करता और पीटा जाता है । अपनी बेबसी पर रोता हुआ वह लेखक से शिकायत करता है- “ बाबूजी भैया ने मेरे मरे बाप को क्यों लाकर खड़ा किया ? " इससे उसके अहं को ठेस लगी और वह विद्रोह पर उतारू हो गया ।

6. ईमानदार और निष्कपट - बहादुर ईमानदार एवं निष्कपट बालक है। उसने कभी कोई सामान नहीं चुराया, किन्तु जब निर्मला के रिश्तेदारों ने उस पर ग्यारह रुपये चुराने का इल्जाम लगाया तो उसने साफ इनकार कर दिया कि उसने रुपये नहीं चुराये हैं। भले ही वह गरीब है, किन्तु ईमानदार है । वह जानता
तो उसने साफ इनकार कर दिया कि उसने रुपये नहीं चुराये हैं। भले ही वह गरीब है, किन्तु ईमानदार है । वह जानता ही नहीं कि बेईमानी क्या होती है। काम करते समय यदि उसे कहीं पैसे पड़े हुए मिल जायें तो तुरन्त उठाकर निर्मला को दे देता था । चोरी का झूठा आरोप उस पर लगाया गया जिससे उसके मन को बहुत ठेस लगी। वह नौकरी छोड़कर चला गया और अपना सामान तथा वेतन भी छोड़ गया। में

7. स्नेह पाने को लालायित - बहादुर अपनी मां से उसे जो स्नेह न मिल सका वह उसे अन्यत्र खोज रहा है। निर्मला ने प्रारम्भ में उसे मातृ स्नेह दिया किन्तु बाद में जब उसने भी बहादुर को नौकर समझते हुए उसका ध्यान रखना बन्द कर दिया और उसे अपने लिए रोटियां स्वयं सेंकने का आदेश दिया तो बहादुर का मोह भंग हो गया। जिस स्नेह को वह खोज रहा था वह उसे न मिल सका, यद्यपि उसने अपनी ओर से पूरी तरह निर्मला को मां समझते हुए उसका ध्यान रखा वह उसे कोई काम न करने देता, बीमार होने पर दवाई खिलाता तथा उसकी सुख सुविधा का पूरा ध्यान रखता । समग्रतः यह कहा जा - सकता है कि बहादुर एक जीवन्त चरित्र है। इस प्रकार के नौकर सामान्यतः घरों में देखने को मिल जाते हैं। भले ही वह एक काल्पनिक पात्र हो किन्तु उसका चरित्रांकन लेखक ने इतनी कुशलता से किया है कि पाठक उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहता ।

Frequently Asked Questions


1. बहादुर की कहानी का सारांश लिखिए।

उत्तर - बहादुर एक बेसहारा नेपाली लड़का है। उसके पिता की मृत्यु हो चुकी है तथा उसकी मां उसे सदैव मारती रहती है। इससे वह परेशान होकर घर से भाग जाता है एवं एक मध्यमवर्गीय परिवार में घरेलू नौकर के रूप में कार्य करने लगता है। वह हंसमुख, ईमानदार तथा परिश्रमी लड़का है। निर्मला जो गृहस्वामिनी है वह बहादुर का पूरा ध्यान रखती हैं।


2. बहादुर कहानी का क्या उद्देश्य है?

उत्तर - इस कहानी का उद्देश्य किसी भी व्यक्ति की भावनाओं को ठेस (आघात) पहुंचाना नहीं है चाहे वह व्यक्ति किसी भी पद पर हो या आप से छोटा हो या बड़ा। सभी के प्रति समान व्यवहार करना चाहिए। 


3. बहादुर के पीछे की कहानी क्या है?

उत्तर - बहादुर के पीछे की कहानी यह है कि प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में अपना रास्ता स्वयं ही बनाना पड़ता है। जीवन में अपना रास्ता खुद बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित राजकुमारी मेरिडा उस प्रथा को तोड़ती है जो उसके राज्य में अराजकता फैलाती है। 


4. बहादुर कहानी के रचयिता कौन है?

उत्तर - अमरकंटक जी 


5. बहादुर कहानी के माध्यम से लेखक समाज में क्या संदेश देना चाहता है?

उत्तर - बहादुर कहानी के माध्यम से लेखक समाज में यह संदेश देना चाहता है कि प्रत्येक व्यक्ति को सभी से मित्रता का व्यवहार रखना चाहिए। क्योंकि विपत्ति या दुख में कौन व्यक्ति कहां काम आ जाए यह हम में से किसी को मालूम नहीं होता है। समाज में हम सभी लोगों को मिलजुल कर प्रेमपूर्वक रहना चाहिए।


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