प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा में अंतर || difference between alternating current and direct current
प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा में अंतर /pratyavarti dhara aur dist dhara mein antar
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प्रत्यावर्ती धारा
प्रत्यावर्ती धारा क्या है? (What is alternating current)
यह एक ऐसी धारा है, जो कि सीधी रेखा में नहीं चलती है जिसका मान व दिशा एक नियत दर से बदलते रहते हैं। यह धारा पहले एक दिशा में शून्य से अधिकतम व अधिकतम से शून्य तथा फिर विपरीत दिशा में शून्य से अधिकतम व अधिकतम से शून्य हो जाती है। इसे प्रत्यावर्ती धारा का एक चक्र (cycle) कहते हैं।
प्रत्यावर्ती धारा के उपयोग (Uses of AC)
यह निम्न प्रकार से हैं-
1.हमारे घर में 100 वाट बल्ब व एल.इ.डी के बल्ब इसी धारा से जलाए जाते हैं।
2. घरों या दुकानों में रखें बैंटरों को इनवर्टर की सहायता से इसी धारा को डी.सी. में बदलकर चार्ज किया जाता है।
3. इस धारा का उपयोग मोटरों व समरसेबल चलाने में किया जाता है।
4. कूलर चलाने में इसका उपयोग किया जाता है।
5. फ्रिज चलाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
6. प्रत्यावर्ती धारा का उपयोग टी.वी./ एल.सी.डी. व डीटीएच इत्यादि को चलाने में किया जाता है।
7. इसका उपयोग ऊष्मा प्राप्त करने के लिए हीटर चलाने में किया जाता है।
दिष्ट धारा
दिष्ट धारा क्या है? (What is direct current)
वह विद्युत धारा जिसका मान व दिशा दोनों नियत रहते हैं उसे दिष्ट धारा (direct current) कहते हैं। यह धारा हमेशा सीधी रेखा में चलती है।
दिष्ट धारा के गुण (properties of direct current)-
यह निम्न प्रकार से है-
1. दिष्ट धारा रासायनिक प्रभाव को दर्शाती है।
2. यह उष्मीय प्रभाव दर्शाती है।
3. इससे चुंबकीय प्रभाव उत्पन्न होता है।
4. यह धनात्मक से ऋणात्मक की ओर बहती है।
5. इससे चलने वाले उपकरणों में ट्रांसफार्मर उपयोग नहीं किया जाता है।
6. यह पहले प्रत्यावर्ती धारा से बनाई जाती है।
7. यह सिर्फ एक दिशा में बहती है।
प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा में अंतर-
प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा के बीच अंतर -
1. प्रत्यावर्ती धारा को एक स्थान से दूसरे स्थान पर बहुत आसानी से पहुंचाया जा सकता है पावर हाउस बिजली घर से AC धारा के तारों के द्वारा ट्रांसफार्मर में तथा पर यहां से घरों में पहुंचाया जाता है इसमें कम खर्चा तथा ऊर्जा की हानि भी बिल्कुल ना ही होती है क्योंकि ट्रांसफार्मर का उपयोग केवल AC धारा में ही होता है इसलिए दिष्ट धारा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में बहुत ज्यादा खर्चा तथा ऊर्जा की हानि भी अधिक होती है।
2. प्रत्यावर्ती धारा के प्रयोग से चलने वाले यंत्र जैसे विद्युत मोटर। दिष्ट धारा के प्रयोग से चलने वाले यंत्रों से अधिक सुदृढ़ व सुविधाजनक होते हैं।
3. कुछ स्थान ऐसे होते हैं जहां प्रत्यावर्ती धारा प्रयोग ही नहीं की जा सकती। वहां दिष्टकारी द्वारा प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा में आसानी से परिवर्तित कर दिया जाता है जैसे विद्युत चुंबक बनाने में तथा विद्युत अपघटन की क्रिया में आदि।
4. प्रत्यावर्ती धारा, दिष्ट धारा की तुलना में अधिक खतरनाक होती है क्योंकि इसे अगर कोई भी मनुष्य छू लेता है तो दिष्ट धारा की तुलना में मनुष्य को अधिक तेजी से झटका लगता है परंतु दिष्ट धारा में मनुष्य को इतनी तेजी से झटका नहीं लगता है।
5. प्रत्यावर्ती धारा जब तारों में बैठती है तो उस का अधिकांश भाग तार के सिरों पर ही प्रवाहित होता है इसलिए इस के तारों को मोटा बनाने की वजह पतले पतले तारों को मिलाकर एक मोटे तार में परिवर्तित कर दिया जाता है परंतु दिष्ट धारा में ऐसा नहीं होता यह आसानी से किसी भी तार में बह जाती है।
6. दिष्ट धारा सदैव एक ही दिशा में प्रवाहित होती है अतः समय के साथ यह परिवर्तित नहीं होती है जबकि प्रत्यावर्ती धारा एक निश्चित काल अंतराल के पश्चात अपनी दिशा उत्क्रमित करती रहती है आजकल जितने विद्युत शक्ति संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं उनमें से अधिकांश में प्रत्यावर्ती विद्युत धारा का उत्पादन होता है।
7. दिष्ट धारा की आवृत्ति अनंत होती है जबकि भारत में उत्पादित प्रत्यावर्ती विद्युत धारा हर 1/100s के प्रचार अपनी दिशा उत्क्रमित करती हैं। 28 प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति 50 hz होती है।
डीसी की तुलना में एसी का एक महत्वपूर्ण लाभ यह है कि विद्युत शक्ति को दूर स्थानों पर बिना अधिक ऊर्जा क्षय के प्रेरित किया जा सकता है।
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